रविवार, 25 जून 2023

NCERT Book Vasant Solutions Class 8 Hindi Chapter-4 Bhagwaan ke Daakiye

NCERT Book Vasant Solutions Class 8 Hindi Chapter-4 Bhagwaan ke Daakiye

वसंत भाग-3 कक्षा-आठवीं हिंदी

पाठ-4 भगवान के डाकिए(कविता) की व्याख्या, कवि परिचय, प्रश्नोत्तर और अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न कक्षा-8

 

शब्दार्थ –
डाकिए - सन्देश देने वाला
महादेश -  विशाल देश
चिट्ठियाँ -  पत्र
बाँचते -  पढ़ना

केवल -  सिर्फ

आँकत -  अनुमान
धरती -  पृथ्वी
सुगंध -  खुशबू
सौरभ -  खुशबू
पाँखों -  पँख
तिरता -  तैरता
भाप -  वाष्प

 

कवि परिचय

कवि –     रामधारी सिंह दिनकर
जन्म  –     13 सितम्बर 1908
मृत्यु  –     24 अप्रैल 1974
स्थान  –     सिमरिया घाट बेगूसराय जिला, बिहार, भारत

 

भगवान के डाकिए पाठ प्रवेश

इस कविता के द्वारा कवि कहते हैं कि भगवान बादलो के द्वारा पेड़ – पौधों, पहाड़ो के लिए सन्देश भेजते हैं। बादलो द्वारा बरसाया जल उनके लिए सुखद सन्देश लाता है। कवि पूरे विश्व को एक मानते हैं क्योंकि प्रकृति ने दो देशो में फर्क नहीं समझा। वे कहते हैं एक देश से दूसरे देश को जाती सुगंध को कोई बाँध नहीं सकता है। इस कविता की भाषा तत्सम, तदभव शब्दों से युक्त सरल भाषा है।

भगवान बादलों के द्वारा पेड़-पौधों, पहाड़ों के लिए सन्देश भेजते हैं। हमारे जो प्रकृति है वो किसी तरह से भेदभाव नहीं करती एक देश से दूसरे देश बादल अपने पानी लेकर जाते हैं और न जाने कहाँ पर जाकर बरसाते हैं इसी तरह से पेड़-पौधों की सुंगध, हवा, और पहाड़ों के सन्देश एक दूसरे तक पहुँचते हैं। जब एक देश के बाद दूसरे पर बादल जाकर बरसते हैं तो इससे यही साबित होता है कि वो वहाँ का सन्देश लेकर आऐ हैं। वास्तम में पूरी दुनिया ही एक है ईश्वर ने उसे बनाया है। हमें उसमें भेदभाव नहीं करना चाहिए क्योंकि प्रकृति ने दो देशों में फर्क नहीं किया है उन्होंने कोई र्फक नहीं समझा है फिर हम इंसान क्यों ऐसा करते हैं, हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। हमें किसी तरह के भेदभाव अपने दिलो-दिमाग में नहीं रखना चाहिए। मानवता और प्रेम की भावना को बढ़ावा देना चाहिए। यह सुन्दर कविता इसी भाव को लेकर लिखी गई है।

 

 

भगवान के डाकिए पाठ सार

इस कविता में “दिनकर” जी बताते है की पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं जो एक विशाल देश का सन्देश लेकर दूसरे विशाल देश को जाते हैं। उनके लाये पत्र हम नहीं समझ पाते मगर पेड़-पौधे, जल और पहाड़ पढ़ लेते हैं। यहाँ कवि ने बादलों को हवा में और पक्षियों को पंखो पर तैरते दिखाया है। वे कहते है की एक देश की सुगन्धित हवा दूसरे देश पक्षियों के पंखों द्वारा पहुँचती है। इसी प्रकार बादलों के द्वारा एक देश का भाप दूसरे देश में वर्षा बनकर गिरता है।

 

भगवान के डाकिए(कविता) की व्याख्या

पक्षी और बादल, ये भगवान के डाकिए हैं,
जो एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते हैं।
हम तो समझ नहीं पाते हैं मगर उनकी लाई
चिट्ठियाँ पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ बाँचते हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिंदी की पाठय पुस्तक “वसंत-3” में से संकलित “रामधारी सिंह दिनकर” कृत रचित कविता “भगवान के डाकिए” से ली गयी है। इस कविता में कवि पक्षियों और बादलो को भगवान का डाकिया मानते हैं।

 

व्याख्या- कवि कहता है कि आकाश में उड़ते पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं। वे संदेश देते हैं कि हमें किसी भौगोलिक सीमा में बंधकर नहीं रहना चाहिए। कवि उदाहरण देते हुए कहता है कि ये पक्षी और बादल किसी देश की सीमा में बंध कर नहीं रहते हैं। ये एक देश से दूसरे देश बिना किसी भेदभाव या भय के आते जाते रहते हैं। परंतु हम उनसे कभी भी यह संदेश ग्रहण नहीं करते हैं। जबकि प्रकृति में स्थित पेड़-पौधे पानी और पहाड़ उनके संदेश को बखूबी जानते हैं। अर्थात् उनके संदेश को अच्छी तरह वे जानते हैं। पक्षी इन सभी पर निर्भय होकर बैठते उड़ते हैं। बादल बरसते हैं। पक्षी और बादलों से यह सभी नवजीवन पाते हैं।

 

हम तो केवल यह आँकते हैं कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगंध भेजती है। और वह सौरभ
हवा में तैरते हुए पक्षियों की पाँखों पर तिरता है।
और एक देश का भाप दूसरे देश में पानी बनकर गिरता है।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिंदी की पाठय पुस्तक “वसंत-3” में से संकलित “रामधारी सिंह दिनकर” कृत रचित कविता “भगवान के डाकिए” से ली गयी है। इस काव्यांश में कवि पूरे विश्व को एक मानते हैं।

व्याख्या- पक्षी और बादल बिना किसी रोक-टोक के एक देश से दूसरे देश में भ्रमण करते रहते हैं। उनके इस आवागमन से हम दूसरे देशों की गंध-सुगंध का परीक्षण करते हैं। हवा में उड़ते पक्षियों के साथ-साथ दूसरे देशों की गंध-सुगंध हम तक पहुंचती है। अर्थात दूसरे देशों के बारे में हम जान पाते हैं। इसी तरह एक देश का जल सूरज की किरणों से भाप बनकर बादलों के रूप में दूसरे देश में बरसता है। तात्पर्य यह है कि पक्षियों और बादलों की तरह हमें मिलजुल कर आपस में प्रेम के साथ रहना चाहिए।

 

कविता से

प्रश्न-अभ्यास

1. कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए क्यों बताया है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : पक्षी और बादल भगवान के डाकिए इसलिए कहे गए हैं क्योंकि ये एक देश से होकर दूसरे देश में जाकर सद्भावना का संदेश देते हैं। भगवान का यहीं संदेश ये हम तक पहुँचाते हैं कि जिस तरह से एक पक्षी व बादल दूसरे देश में जाकर भेदभाव नहीं करते (कि ये हमारा मित्र है यहाँ जाओ, ये हमारा शत्रु है यहाँ मत जाओं) हमें भी इनकी तरह आचरण करना चाहिए और मिल जुलकर रहना चाहिए। भगवान का यही सन्देश पक्षी और बादल हम तक पहुंचाते हैं इसलिए ये भगवान के डाकिये हैं।

 

2. पक्षी और बादल द्वारा लाइ गई चिट्ठियों को कौन-कौन पढ़ पाते हैं। सोचकर लिखिए।

उत्तर- पक्षियों और बादलों द्वारा लाइ गई चिट्ठियों को पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ पढ़ पाते हैं। अर्थात् उनके संदेश को ये लोग अच्छी तरह से समझ जाते हैं। जबकि मनुष्य इन सब बातों की ओर  ध्यान नहीं देता है। वह अपने आगे सबको तुच्छ समझता है।

 

3. किन पंक्तियों का भाव है-
(क) पक्षी और बादल प्रेम, सद्भाव और एकता का संदेश एक देश में दुसरे देश को भेजते हैं।
(ख) प्रकृति देश-देश में भेदभाव नहीं करती। एक देश से उठा बादल दूसरे देश में बरस जाता है।

उत्तर(क)- एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है
उत्तर-(ख)- और एक देश का भात दूसरे देश में पानी बनकर गिरता है

 

4. पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ क्या पढ़ पाते हैं?

उत्तर : इन चिट्ठियों में भगवान का लाया यह सन्देश रहता है कि मनुष्य को स्वयं को देशों में न बाँटकर सद्भावना से मिलजुलकर रहना चाहिए। भगवान की बनाई इस दुनिया में मनुष्य ने ही स्वयं को बाँटा है इसलिए ये चिट्ठियाँ वे नहीं पढ़ पाते केवल प्रकृति ही इसे पढ़ पाती है क्योंकि नदी, जल, हवा, अपनी ठंडक, पेड़-पौधें, फूल अपनी सुगंध समान भाव से बाँटते हैं। ये एकता, मेल, सद्भावना का संदेश देते हैं। नदियाँ समान भाव से सभी लोगों में अपने जल को बाँटती है। वह कभी भेदभाव नहीं करती। हवा समान भाव से बहती हुई अपनी ठंडक, शीतलता व सुगन्ध को बाँटती जाती है। वो कभी भी भेदभाव नहीं करती। पेड़-पौधें समान भाव से अपने फल, फूल व सुगन्ध को बाँटते हैं, कभी भेदभाव नही करते। मनुष्य ही इस भेदभाव में उलझा रहता है, इसलिए यह सब भगवान के इस सन्देश को समस्त संसार में प्रचारित करते हुए सद्भावना का सन्देश देते हैं।

 

5. "एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है" कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- पक्षी और बादल के माध्यम से हमें यह संदेश मिलता है कि प्रकृति बंधनों को नहीं स्वीकार करती है। सभी जीव-जंतु एक-दूसरे के पूरक हैं। इसलिए सभी को भौगोलिक बंधन तोड़कर सद्भाव प्रेम और एकता के बंधन में बंधकर रहना चाहिए। यदि लोग इसका सही अर्थ समझ ले तो देशों के बीच कई विवाद अपने आप ही हल हो जाएंगे।

 

पाठ से आगे

1. पक्षी और बादल की चिट्ठियों के आदान-प्रदान को आप किस दृष्टि से देख सकते हैं?

उत्तर- पक्षी और बादल की चिट्ठियों के आदान-प्रदान को हम दो देशों के बीच परस्पर प्रेम, सौहार्द और सद्भाव से रहने के रूप में देखते हैं पक्षी और बादल एक देश को दूसरे देश से प्रेम के बंधन में जोड़ने का संदेश दे जाते हैं। पक्षी मानवता और विश्व बंधुता का संदेश हमें देते हैं।

 

2. आज विश्व में कहीं भी संवाद भेजने और पाने का एक बड़ा साधन इंटरनेट है। पक्षी और बादल की चिट्ठियों की तुलना इंटरनेट से करते हुए दस पंक्तियाँ लिखिए।

उत्तर- आज के युग में चारों तरफ इंटरनेट का जाल फैला हुआ है। हम अपने संवाद बड़ी ही सुगमता व सुविधापूर्वक इंटरनेट के माध्यम से भेज व पा सकते हैं, ये एक नए युग की शुरूआत है और उसी का आगाज़ भी। पहले मनुष्य पत्र व्यवहार के द्वारा अपने संदेश को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा करता था। परन्तु उसमें महीनों, दिनों का वक्त लगता था। पर आज हम कुछ पलों में ही इंटरनेट के माध्यम से अपना संदेश एक स्थान पर ही नहीं अपितु दूसरे देश में भी भेज सकते हैं और इसमें ज़्यादा समय भी नहीं लगता। परन्तु इसकी तुलना अगर पक्षी और बादलों की चिट्ठियों से की जाए तो इतनी पवित्रता और निश्चलता के आगे इंटरनेट छोटा ही साबित होता है।

 

3. 'हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका' क्या है? इस विषय पर दस वाक्य लिखिए।

उत्तर- *डाकिया हमें अपने दुखों को भुलाकर दूसरों को प्रसन्न करने और प्यार बांटने का संदेश देता है|
*डाकिए के द्वारा लाए गए अच्छे-बुरे संदेश हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं|
*डाकिए द्वारा किया जाने वाला अथाह परिश्रम हमारे लिए प्रेरणादायक होता है|
*आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में डाकिए को देवदूत के रूप में जाना जाता है।
*डाकिए के माध्यम से दूर रहने वाले मित्रों सगे संबंधियों से हम जुड़ पाते हैं|
*डाकिया डाक विभाग के साथ-साथ प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का एक |महत्वपूर्ण अंग होता है|
*डाकिया हमें निस्वार्थ भाव से कर्म करने की प्रेरणा दे जाता है|

डाकिए का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। पहले की तुलना में बेशक डाकिए अब कम ही दिखाई देते हैं परन्तु आज भी गाँवों में डाकिए का पहले की तरह ही चिट्ठियों को आदान-प्रदान करते हुए देखा जा सकता है। चाहे कितना मुश्किल रास्ता हो, ये हमेशा हमारी चिट्ठियाँ हम तक पहुँचाते आए हैं। आज भी गाँवों में डाकियों को विशेष सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। गाँव की अधिकतर आबादी कम पढ़ी लिखी होती है परन्तु जब अपने किसी सगे-सम्बन्धी को पत्र व्यवहार करना होता है तो डाकिया उनका पत्र लिखने में मदद करते है। आज चाहे शहरों में चिट्ठी के द्वारा पत्र-व्यवहार न के बराबर हो पर ये डाकिए हमारे स्मृति-पटल में सदैव जीवंत रहेंगे।

 

अनुमान और कल्पना

डाकिया, इंटरनेट के वर्ल्ड वाइड वेब (डब्ल्यू. डब्ल्यू. डब्ल्यू. WWW./ तथा पक्षी और बादल-इन तीनों संवादवाहकों के विषय में अपनी कल्पना से एक लेख तैयार कीजिए। लेख लिखने के लिए आप ‘चिट्ठियों की अनूठी दुनिया’ पाठ का सहयोग ले सकते हैं

उत्तर- विद्यार्थी स्वयं करें

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