सोमवार, 3 फ़रवरी 2025

प्रसिद्ध स्कूल प्रार्थनाएँ (Famous School Prayers in India)

 

प्रसिद्ध स्कूल प्रार्थनाएँ (Famous School Prayers in India)

प्रार्थना: आत्मा की शुद्ध पुकार
जब प्रार्थना में मन, शरीर और आत्मा एक साथ जुड़ जाते हैं, तो वह सीधा ईश्वर तक पहुंचती है। हृदय की सच्ची और निश्छल पुकार ही प्रार्थना कहलाती है। भक्त प्रह्लाद की भक्ति और मीरा के प्रेम में जो शक्ति थी, वही शक्ति एक छात्र के भीतर भी होती है जब वह श्रद्धा और समर्पण के साथ प्रार्थना करता है। भारत में स्कूलों में प्रार्थना का विशेष महत्व है। यह केवल शब्दों का मेल नहीं, बल्कि अनुशासन, नैतिकता, और आध्यात्मिकता का संगम है।

1. तुम्ही हो माता, पिता तुम्ही हो

यह भक्ति से भरी प्रार्थना हर विद्यार्थी को यह अहसास कराती है कि ईश्वर ही सब कुछ हैं—माता, पिता, सखा, और मार्गदर्शक। यह भजन हमें पूर्ण समर्पण और विश्वास का पाठ पढ़ाता है।

तुम्ही हो माता पिता तुम्ही हो

तुम्ही हो माता, पिता तुम्ही हो ।

तुम्ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो ॥

 

तुम्ही हो माता, पिता तुम्ही हो ।

तुम्ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो ॥

 

तुम ही हो साथी, तुम ही सहारे ।

कोई ना अपना सिवा तुम्हारे ॥

 

तुम ही हो साथी, तुम ही सहारे ।

कोई ना अपना सिवा तुम्हारे ॥

 

तुम ही हो नईया, तुम ही खिवईया ।

तुम ही हो बंधू, सखा तुम ही हो ॥

 

तुम ही हो माता, पिता तुम्ही हो ।

तुम ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो ॥

 

जो खिल सके ना वो फूल हम हैं ।

तुम्हारे चरणों की धूल हम हैं ॥

 

जो खिल सके ना वो फूल हम हैं ।

तुम्हारे चरणों की धूल हम हैं ॥

 

दया की दृष्टि, सदा ही रखना ।

तुम ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो ॥

 

तुम्ही हो माता, पिता तुम्ही हो ।

तुम्ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो ॥

 

तुम्ही हो माता, पिता तुम्ही हो ।

तुम्ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो ॥

 

 

2. दया कर दान विद्या का

विद्यार्थियों के लिए यह प्रार्थना एक वरदान के समान है। यह ज्ञान प्राप्त करने, सच्चाई के मार्ग पर चलने, और सद्भावना बनाए रखने की प्रेरणा देती है।

 

दया कर दान विद्या का

दया कर दान विद्या का,

हमें परमात्मा देना,

दया करना हमारी आत्मा में,

शुद्धता देना ।

 

हमारे ध्यान में आओ,

प्रभु आँखों में बस जाओ,

अँधेरे दिल में आकर के,

प्रभु ज्योति जगा देना ।

 

बहा दो प्रेम* की गंगा,

दिलों में प्रेम का सागर,

हमें आपस में मिल-जुल के,

प्रभु रहना सीखा देना ।

 

हमारा धर्म हो सेवा,

हमारा कर्म हो सेवा,

सदा ईमान हो सेवा,

व सेवक जन बना देना ।

 

वतन के वास्ते जीना,

वतन के वास्ते मरना,

वतन पर जाँ फिदा करना,

प्रभु हमको सीखा देना ।

 

दया कर दान विद्या का,

हमें परमात्मा देना,

दया करना हमारी आत्मा में,

शुद्धता देना ।

 

 

3. हर देश में तू, हर भेष में तू

यह भक्ति गीत समस्त विश्व को एकता और सद्भाव का संदेश देता है। यह विद्यार्थियों को सिखाता है कि सभी धर्म, जाति, और समुदाय के लोग एक ही परम सत्ता के अंग हैं।

 

हर देश में तू, हर भेष में तू

हर देश में तू, हर भेष में तू,

तेरे नाम अनेक तू एक ही है,

तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।

तेरी रंगभूमि, यह विश्व भरा,

सब खेल में, मेल में तू ही तो है ॥

 

सागर से उठा बादल बनके,

बादल से फटा जल हो करके ।

फिर नहर बना नदियाँ गहरी,

तेरे भिन्न प्रकार, तू एक ही है ॥

 

हर देश में तू, हर भेष में तू,

तेरे नाम अनेक तू एक ही है,

तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।

 

चींटी से भी अणु-परमाणु बना,

सब जीव-जगत् का रूप लिया ।

कहीं पर्वत-वृक्ष विशाल बना,

सौंदर्य तेरा, तू एक ही है ॥

 

हर देश में तू, हर भेष में तू,

तेरे नाम अनेक तू एक ही है,

तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।

 

यह दिव्य दिखाया है जिसने,

वह है गुरुदेव की पूर्ण दया ।

तुकड़या कहे कोई न और दिखा,

बस मैं अरु तू सब एकही है ॥

 

हर देश में तू, हर भेष में तू,

तेरे नाम अनेक तू एक ही है,

तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।

तेरी रंगभूमि, यह विश्व भरा,

सब खेल में, मेल में तू ही तो है ॥

 

 

4. सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु

विद्यार्थियों का दिन प्रभु का स्मरण करते हुए शुरू हो, तो उनका संकल्प और उद्देश्य मजबूत होता है। यह प्रार्थना शिक्षा और सेवा के प्रति समर्पण की भावना को प्रकट करती है।

 

सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु

सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,

करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।

सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,

करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।

 

शुद्ध भाव से तेरा ध्यान लगाएं हम,

विद्या का वरदान तुम्हीं से पाए हम ।

शुद्ध भाव से तेरा ध्यान लगाएं हम,

विद्या का वरदान तुम्हीं से पाए हम ।

हाँ, विद्या का वरदान तुम्हीं से पाए हम ।

तुम्ही से है आगाज़ तुम्हीं से अंजाम प्रभु,

करते है हम शुरु आज का काम प्रभु ।

 

सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,

करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।

 

गुरुओं का सत्कार कभी न भूले हम,

इतना बनें महान गगन को छु ले हम ।

गुरुओं का सत्कार कभी न भूले हम,

इतना बनें महान गगन को छु ले हम ।

हाँ, इतना बनें महान गगन को छु ले हम ।

तुम्हीं से है हर सुबह तुम्ही से शाम प्रभु,

करते है हम शुरु आज का काम प्रभु ।

 

सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,

करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।

 

सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,

करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु

करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु

करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।

 

 

5. चंदन है इस देश की माटी

देशभक्ति और संस्कृति की सुगंध से भरी यह प्रार्थना भारत की महिमा का गुणगान करती है। यह विद्यार्थियों को अपने राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों का बोध कराती है।

 

चंदन है इस देश की माटी

चंदन है इस देश की माटी,

तपोभूमि हर ग्राम है ।

हर बाला देवी की प्रतिमा,

बच्चा बच्चा राम है ॥

 

हर शरीर मंदिर सा पावन,

हर मानव उपकारी है ।

जहॉं सिंह बन गये खिलौने,

गाय जहॉं मॉं प्यारी है ।

जहॉं सवेरा शंख बजाता,

लोरी गाती शाम है ॥

 

हर बाला देवी की प्रतिमा,

बच्चा बच्चा राम है ॥

 

जहॉं कर्म से भाग्य बदलता,

श्रम निष्ठा कल्याणी है ।

त्याग और तप की गाथाऍं,

गाती कवि की वाणी है ।

ज्ञान जहॉं का गंगाजल सा,

निर्मल है अविराम है ॥

 

हर बाला देवी की प्रतिमा,

बच्चा बच्चा राम है ॥

 

जिस के सैनिक समरभूमि मे,

गाया करते गीता है ।

जहॉं खेत मे हल के नीचे,

खेला करती सीता है ।

जीवन का आदर्श जहॉं पर,

परमेश्वर का धाम है ॥

 

हर बाला देवी की प्रतिमा,

बच्चा बच्चा राम है ॥

 

चंदन है इस देश की माटी,

तपोभूमि हर ग्राम है ।

हर बाला देवी की प्रतिमा,

बच्चा बच्चा राम है ॥

 

 

6. ऐ मालिक तेरे बंदे हम

यह प्रार्थना नेकी और सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। यह विद्यार्थियों को बताती है कि जीवन में अच्छाई ही सबसे बड़ा गुण है और हमें सदैव परोपकार की भावना रखनी चाहिए।

ऐ मालिक तेरे बंदे हम

ऐ मालिक तेरे बंदे हम,

ऐसे हो हमारे करम

नेकी पर चले और बदी से टले,

ताकी हँसते हुये निकले दम

 

ये अंधेरा घना छा रहा,

तेरा इन्सान घबरा रहा

हो रहा बेख़बर, कुछ ना आता नज़र,

सुख का सूरज छुपा जा रहा

है तेरी रोशनी में वो दम,

तो अमावस को कर दे पूनम

 

बड़ा कमजोर है आदमी,

अभी लाखों हैं इस में कमी

पर तू जो खड़ा, है दयालू बड़ा,

तेरी क्रिपा से धरती थमी

दिया तूने हमें जब जनम,

तू ही झेलेगा हम सब के ग़म

 

जब जुल्मों का हो सामना,

तब तू ही हमें थामना

वो बुराई करें, हम भलाई भरें,

नहीं बदले की हो कामना

बढ़ उठे प्यार का हर कदम,

और मिटे बैर का ये भरम

 

ऐ मालिक तेरे बंदे हम,

ऐसे हो हमारे करम

नेकी पर चले और बदी से टले,

ताकी हँसते हुये निकले दम

 

 

7. इतनी शक्ति हमें देना दाता

यह प्रार्थना आत्मबल और सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। यह विद्यार्थियों को नैतिकता, सत्यता, और आत्मसंयम का महत्व सिखाती है।

 

इतनी शक्ति हमें देना दाता

इतनी शक्ति हमें देना दाता,

मनका विश्वास कमजोर हो ना

हम चलें नेक रस्ते पे,

हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना

इतनी शक्ति हमें देना दाता,

मनका विश्वास कमजोर हो ना

हम चलें नेक रस्ते पे,

हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना

 

दूर अज्ञान के हो अँधेरे

तू हमें ज्ञान की रौशनी दे

हर बुराई से बचके रहें हम

जीतनी भी दे भली ज़िन्दगी दे

बैर हो ना किसी का किसी से

भावना मन में बदले की हो ना

 

इतनी शक्ति हमें देना दाता,

मनका विश्वास कमजोर हो ना

हम चलें नेक रस्ते पे,

हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना

 

हम न सोचें हमें क्या मिला है

हम ये सोचें क्या किया है अर्पण

फूल खुशियों के बांटें सभी को

सबका जीवन ही बन जाए मधुबन

ओ.. अपनी करुणा को जल तू बहा के

करदे पावन हर एक मन का कोना

 

इतनी शक्ति हमें देना दाता,

मनका विश्वास कमजोर हो ना

हम चलें नेक रस्ते पे,

हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना

 

हम अँधेरे में हैं रौशनी दे

खो ना दे खुद हो ही दुश्मनी से

हम सज़ा पायें अपने किये की

मौत भी हो तो सह ले ख़ुशी से

कल जो गुज़ारा है फिरसे ना गुज़रे

आनेवाला वो कल ऐसा हो ना

 

इतनी शक्ति हमें देना दाता,

मनका विश्वास कमजोर हो ना

हम चलें नेक रस्ते पे,

हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना

 

हर तरफ़ ज़ुल्म है बेबसी है

सहमा-सहमा सा हर आदमी है

पाप का बोझ बढ़ता ही जाए

जाने कैसे ये धरती थमी है

बोझ ममता का तू ये उठा ले

तेरी रचना का ये अंत हो ना

 

इतनी शक्ति हमें देना दाता,

मनका विश्वास कमजोर हो ना

हम चलें नेक रस्ते पे,

हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना

 

 

8. लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी

यह प्रार्थना हमें परोपकार, सेवा, और प्रेम का संदेश देती है। यह विद्यार्थियों को निस्वार्थ भाव से समाज की भलाई के लिए कार्य करने की प्रेरणा देती है।

 

लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी,

जिंदगी शम्मा की सूरत हो खुदाया मेरी,

दूर दुनिया का मेरे दम से अंधेरा हो जाए,

हर जगह मेरे चमकने से उजाला हो जाए,

हो मेरा काम गरीबों की हिमायत करना,

दर्दमेदों से गरीबों से मोहब्बत करना,

मेरे अल्लाह बुराई से बचाना मुझकों,

नेक जो राह हो उस रह पे चलाना मुझको।

 

 

हे जग त्राता: एक भक्ति और देशभक्ति का संगम

जब भी हम भक्ति और देशभक्ति की बात करते हैं, तो हमारे हृदय में एक अद्भुत ऊर्जा संचारित होती है। भक्ति हमें परमात्मा से जोड़ती है, जबकि देशभक्ति हमें अपनी मातृभूमि से प्रेम करना सिखाती है। यही भावना हमारे संस्कारों में रची-बसी है, जो हमें प्रेम, समर्पण और त्याग का पाठ पढ़ाती है।

हे जग त्राता विश्व विधाता...

 

हे जग त्राता विश्व विधाता

*त्राता: का अर्थ, वह जो त्राण करता हो, रक्षा करने वाला व्यक्ति।

कुछ जगहों पर त्राता की जगह दाता प्रयोग में लाया गया है।

 

 

हे जग त्राता विश्व विधाता,

हे सुख शांति निकेतन हे।

 

प्रेम के सिन्धु, दीन के बन्धु,

दु:ख दारिद्र विनाशन हे ।

हे जग त्राता विश्व विधाता,

हे सुख शांति निकेतन हे ।

 

नित्य अखंड अनंन्त अनादि,

पूरण ब्रह्म सनातन हे ।

हे जग त्राता विश्व विधाता,

हे सुख शांति निकेतन हे ।

 

जग आश्रय जग-पति जग-वन्दन,

अनुपम अलख निरंजन हे ।

हे जग त्राता विश्व विधाता,

हे सुख शांति निकेतन हे ।

 

प्राण सखा त्रिभुवन प्रति-पालक,

जीवन के अवलंबन हे ।

हे जग त्राता विश्व विधाता,

हे सुख शांति निकेतन हे ।

 

हे जग त्राता विश्व विधाता,

हे सुख शांति निकेतन हे ।

हे सुख शांति निकेतन हे,

हे सुख शांति निकेतन हे ।

 

यह भजन हमारे आराध्य के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। जब हम इसे गाते हैं, तो मन एक अलग ही आध्यात्मिक आनंद में डूब जाता है। यह हमें याद दिलाता है कि परमात्मा ही हमारे त्राता, रक्षक और पालनकर्ता हैं। संसार में चाहे कितने ही दुख-तकलीफें क्यों न आएं, उनका सहारा हमें हर संकट से उबार लेता है।

"हे जग त्राता विश्व विधाता,
हे सुख शांति निकेतन हे।"

भगवान की स्तुति करना, उनकी महिमा का गुणगान करना ही सच्ची भक्ति है। जब हम ईश्वर के प्रति अपने प्रेम और श्रद्धा को व्यक्त करते हैं, तो हमारे मन में शांति का अनुभव होता है।

 

देशभक्ति के अनमोल गीत: मातृभूमि को नमन

हमारी मातृभूमि भारत, वीरों की भूमि है। इसकी मिट्टी में जन्म लेने का सौभाग्य हमें मिला है, यही सबसे बड़ा गर्व है। देशभक्ति गीत हमारे भीतर छिपी उस भावना को जागृत करते हैं, जो हमें मातृभूमि के लिए समर्पण करने की प्रेरणा देती है।

 

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा,

हम बुलबुलें हैं इसकी ये गुलसिताँ हमारा।

सारे जहाँ से............

पर्वत वो सबसे ऊँचा हम साया आसमाँ का,

वो सन्तरी हमारा, वो पासबाँ हमारा

सारे जहाँ से.............

गोदी में खेलती हैं जिसकी हज़ारों नदियाँ

गुलशन है जिसके दम से रशके जिना हमारा

सारे जहाँ से.........

मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना

हिन्दी हैं हम वतन हैं हिन्दोसितां हमारा।।......

सारे जहाँ से अच्छा से.......

 

 

यह गीत हमें अपनी जड़ों से जोड़ता है, हमें अपने भारत की महानता का अहसास कराता है। जब भी हम इसे गाते हैं, तो मन गर्व और उत्साह से भर जाता है। भारत की विविधता, इसकी संस्कृति और इसकी परंपराएं हमें सिखाती हैं कि हम सब एक हैं।

"मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना,
हिंदी हैं हम वतन है हिंदोस्तां हमारा।"

 

वंदे मातरम्: एक भावनात्मक प्रेरणा

"वंदे मातरम्" केवल एक गीत नहीं, बल्कि एक मंत्र है, जिसने स्वतंत्रता सेनानियों में जोश भर दिया था। इस गीत ने क्रांतिकारियों के हृदय में स्वतंत्रता की ज्वाला प्रज्वलित की थी। आज भी जब हम इसे गाते हैं, तो हमारी आत्मा मातृभूमि के प्रति नतमस्तक हो जाती है।

 

वन्दे मातरम्........

सुजलाम, सुफलाम्,मलयज शीतलाम्

शस्य श्मायलाम् मातरम् वन्दे मातरम्

शुभ्र-ज्योत्सनापुलकितयामिनीम्।

फुल्ल-कुसुमित-द्रुम-दल शोभिनम्, सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्

सुखदां, वरदां मातरम्,

वन्दे मातरम्.............

 

 

परमात्मा से शक्ति की प्रार्थना

सिर्फ भक्ति और देशभक्ति ही नहीं, बल्कि हमें अपने जीवन को सन्मार्ग पर ले जाने के लिए शक्ति की भी आवश्यकता होती है। "वह शक्ति हमें दो दयानिधे" गीत हमें प्रेरित करता है कि हम अपने कर्तव्यों का पालन करें और सदैव धर्म की राह पर चलें।

तेरी है ज़मीन तेरा आसमान

तू बड़ा मेहरबान तू बक्शीस कर

तेरी है ज़मीन तेरा आसमान

तू बड़ा मेहरबान तू बक्शीस कर

सभी का है तू, सभी तेरे

ख़ुदा मेरे तू बक्शीस कर

 

तेरी है ज़मीन तेरा आसमान

तू बड़ा मेहरबान तू बक्शीस कर

सभी का है तू, सभी तेरे

ख़ुदा मेरे तू बक्शीस कर

 

 

तेरी है ज़मीन तेरा आसमान

तू बड़ा मेहरबान तू बक्शीस कर

सभी का है तू, सभी तेरे ख़ुदा

मेरे तू बक्शीस कर

 

तेरी है ज़मीन तेरा आसमान

तू बड़ा मेहरबान तू बक्शीस कर

सभी का है तू, सभी तेरे ख़ुदा

मेरे तू बक्शीस कर

 

ओ तेरी मर्ज़ी से ऐ मालिक हम

इस दुनिया में आये हैं

तुम लोग चुप क्यूँ हो गए

गाओ ना बच्चों

गाओ..

 

तेरी मर्ज़ी से ऐ मालिक हम

इस दुनिया में आये हैं

तेरी रहमत से हम सबने

ये जिस्म और जान पाए हैं

तू अपनी नज़र हम पर रखना

किस हाल में हैं ये ख़बर रखना

 

तेरी है ज़मीन तेरा आसमान

तू बड़ा मेहरबान तू बक्शीस कर

सभी का है तू, सभी तेरे

ख़ुदा मेरे तू बक्शीस कर

 

तू चाहे तो हमें रखे

तू चाहे तो हमें मारे

तू चाहे तो हमें रखे

तू चाहे तो हमें मारे

ओ.. तेरे आगे झुकाके सर

खड़े हैं आज हम सारे

 

ओ.. सबसे बड़ी ताक़त वाले

तू चाहे तो हर आफत टाले

 

तेरी है ज़मीन तेरा आसमान

तू बड़ा मेहरबान तू बक्शीस कर

सभी का है तू, सभी तेरे

ख़ुदा मेरे तू बक्शीस कर

 

तेरी है ज़मीन तेरा आसमान

तू बड़ा मेहरबान तू बक्शीस कर

सभी का है तू, सभी तेरे

ख़ुदा मेरे तू बक्शीस कर

 

तेरी है ज़मीन तेरा आसमान

तू बड़ा मेहरबान तू बक्शीस कर

सभी का है तू, सभी तेरे

ख़ुदा मेरे तू बक्शीस कर

 

तेरी है ज़मीन तेरा आसमान

तू बड़ा मेहरबान तू बक्शीस कर

सभी का है तू, सभी तेरे

ख़ुदा मेरे तू बक्शीस कर

 

हमें चाहिए कि हम अपने जीवन में सदैव सत्य और न्याय की राह पर चलें। यही वास्तविक भक्ति और देशभक्ति का प्रतीक है।

 

वह शक्ति हमें दो दयानिधे,

कर्त्तव्य मार्ग पर डट जावें।

पर-सेवा पर-उपकार में हम,

जग(निज)-जीवन सफल बना जावें॥

॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे...॥

 

हम दीन-दुखी निबलों-विकलों के,

सेवक बन संताप हरें।

जो हैं अटके, भूले-भटके,

उनको तारें खुद तर जावें॥

॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे...॥

 

छल, दंभ-द्वेष, पाखंड-झूठ,

अन्याय से निशिदिन दूर रहें।

जीवन हो शुद्ध सरल अपना,

शुचि प्रेम-सुधा रस बरसावें॥

॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे...॥

 

निज आन-बान, मर्यादा का,

प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे।

जिस देश-जाति* में जन्म लिया,

बलिदान उसी पर हो जावें॥

॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे...॥

 

 

हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये,

शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिए ।

 

लीजिये हमको शरण में, हम सदाचारी बनें,

ब्रह्मचारी धर्म-रक्षक वीर व्रत धारी बनें ।

॥ हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये...॥

 

निंदा किसी की हम किसी से भूल कर भी न करें,

ईर्ष्या कभी भी हम किसी से भूल कर भी न करें ।

॥ हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये...॥

 

सत्य बोलें, झूठ त्यागें, मेल आपस में करें,

दिव्या जीवन हो हमारा, यश तेरा गाया करें ।

॥ हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये...॥

 

जाये हमारी आयु हे प्रभु लोक के उपकार में,

हाथ डालें हम कभी न भूल कर अपकार में ।

॥ हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये...॥

 

कीजिए हम पर कृपा ऐसी हे परमात्मा,

मोह मद मत्सर रहित होवे हमारी आत्मा ।

॥ हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये...॥

 

प्रेम से हम गुरु जनों की नित्य ही सेवा करें,

प्रेम से हम संस्कृति की नित्य ही सेवा करें ।

॥ हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये...॥

 

योग विद्या ब्रह्म विद्या हो अधिक प्यारी हमें,

ब्रह्म निष्ठा प्राप्त कर के सर्व हितकारी बनें ।

॥ हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये...॥

 

हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये,

शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिए ।

 

 

ओम तत्सत् श्री नारायण तू

पुरुषोत्तम गुरु तू

 

सिद्ध बुद्ध तु स्कंद विनायक

सविता पावक तू

 

ब्रह्मा मजद तू यह्व शक्ति तू

ईशू पीता प्रभु तू

 

रुद्र विष्णु तू रामकृष्ण तू

रहिम ताओ तू

 

वासुदेव गौ-विश्वरूप तु

चिदानंद हरि तू

 

अद्वितीय तु अकाल निर्भया

आत्मलिंग शिव तू

 

ओम तत्सत् श्री नारायण तू

पुरुषोत्तम गुरु तू

 

 

हर देश में तू, हर वेश में तू

तेरे नाम अनेक,तू एक ही है।

तेरी रंग भूमि यह विश्व धरा,

सब खेल और मेल में तू ही है।

 

सागर से उठा बादल बनके,

बादल से गिरा जल हो कर के।

वर्षा से बही, नदिया हो कर,

फ़िर जा के मिली,सागर बन कर,

 

मिट्टी से अणु ,परमाणु बना,

धरती ने रचा, पर्वत उपवन ।

सौंदर्य तेरा चहुँ, ओर दिखा,

कुछ और नहीं, बस तू ही दिखा ।

 

है रूप अलग, गुण धर्म अलग,

है मर्म अलग, हर कर्म अलग ।

पर एक है तू , यह दृष्टि मिली,

तेरे भिन्न प्रकार तू एक ही है ।

 

 

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे

त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम् ।

महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे

पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते ।।१।।

 

प्रभो शक्तिमन् हिन्दु राष्ट्राङ्गभूता

इमे सादरं त्वां नमामो वयम्

त्वदीयाय कार्याय बद्धा कटीयं

शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये ।

 

अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिं

सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्

श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं

स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत् ।।२।।

 

समुत्कर्ष निःश्रेयसस्यैकमुग्रं

परं साधनं नाम वीरं व्रतम्

तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा

हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्राऽनिशम् ।

 

विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्

विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम् ।

परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं

समर्था भवत्वाशिषाते भृशम् ।।३।।

 

।। भारत माता की जय ।।

 

 

देश प्रेम और देश के लिए कुछ कर गुज़रने का जज़्बा हर नागरिक में होता है। हिंदी सिनेमा ने भी इस मोहब्बत और जज़्बे को बख़ूबी अभिव्यक्त किया है। आज भी देशभक्ति के कई ऐसे गाने हैं जो लोकप्रिय हैं। बदलते वक़्त के साथ इनकी लोकप्रियता में इज़ाफ़ा ही हुआ है। कुछ ऐसे बेशक़ीमती गीत हैं जो हर नागरिक को वतन के प्रति अपनी मोहब्बत का इज़हार करने के लिए अल्फ़ाज़ देते हैं। आज़ादी स्पेशल में पेश है लोकप्रिय देशभक्ति गीत - 'आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की...।'

 

1954 में आई डायरेक्टर सत्यन बोस की फ़िल्म 'जागृति' में कई बेहतरीन गीत हैं। 'आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की' यह गीत बच्चों को स्वतंत्रता का मूल्य समझता है। इस गीत को लिखा और गाया है कवि प्रदीप ने। संगीत से सजाया है हेमंत कुमार ने। आज़ादी के 7 साल बाद बच्चों को केंद्र में रखकर बनाई गई यह फ़िल्म बच्चों को सकारात्मक भविष्य की दिशा दिखाने की कोशिश करती है।

 

गीत के बोल हैं -

 

आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की

इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की

वंदे मातरम, वंदे मातरम

 

उत्तर में रखवाली करता पर्वतराज विराट है

दक्षिण में चरणों को धोता सागर का सम्राट है

जमुना जी के तट को देखो गंगा का ये घाट है

बाट-बाट में हाट-हाट में यहाँ निराला ठाठ है

देखो ये तस्वीरें अपने गौरव की अभिमान की

इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती हैं बलिदान की

वंदे मातरम, वंदे मातरम

 

ये हैं अपना राजपूताना नाज़ इसे तलवारों पे

इसने सारा जीवन काटा बरछी तीर कटारों पे

ये प्रताप का वतन पला है आज़ादी के नारों पे

कूद पड़ी थी यहाँ हज़ारों पद्मिनियाँ अंगारों पे

बोल रही है कण कण से क़ुर्बानी राजस्थान की

इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की

वंदे मातरम, वंदे मातरम

 

देखो मुल्क मराठों का यह यहां शिवाजी डोला था

मुग़लों की ताकत को जिसने तलवारों पे तोला था

हर पर्वत पे आग जली थी हर पत्थर एक शोला था

बोली हर-हर महादेव की बच्चा-बच्चा बोला था

शेर शिवाजी ने रखी थी लाज हमारी शान की

इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की

वंदे मातरम, वंदे मातरम

 

जलियाँवाला बाग ये देखो यहीं चली थी गोलियां

ये मत पूछो किसने खेली यहाँ खून की होलियां

एक तरफ़ बंदूकें दन दन एक तरफ़ थी टोलियां

मरनेवाले बोल रहे थे इंक़लाब की बोलियां

यहां लगा दी बहनों ने भी बाजी अपनी जान की

इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की

वंदे मातरम, वंदे मातरम

 

ये देखो बंगाल यहां का हर चप्पा हरियाला है

यहां का बच्चा-बच्चा अपने देश पे मरनेवाला है

ढाला है इसको बिजली ने भूचालों ने पाला है

मुट्ठी में तूफ़ान बंधा है और प्राण में ज्वाला है

जन्मभूमि है यही हमारे वीर सुभाष महान की

इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की

वंदे मातरम, वंदे मातरम

 

 

निष्कर्ष

भक्ति और देशभक्ति—दोनों हमारे जीवन के अभिन्न अंग हैं। एक ओर जहां भक्ति हमें आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती है, वहीं देशभक्ति हमें कर्तव्यनिष्ठ बनाती है। यदि हम अपने आराध्य की भक्ति और मातृभूमि के प्रति प्रेम को अपने जीवन का आधार बना लें, तो न केवल हमारा जीवन सार्थक होगा, बल्कि हमारा समाज भी समृद्ध बनेगा।

आइए, हम सब मिलकर अपनी संस्कृति, अपने राष्ट्र और अपने परमात्मा की महिमा का गुणगान करें और सच्ची भक्ति व देशभक्ति की भावना को हृदय में संजोकर आगे बढ़ें।

स्कूल की प्रार्थनाएँ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं हैं, बल्कि यह छात्रों के व्यक्तित्व निर्माण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये प्रार्थनाएँ विद्यार्थियों को न केवल शिक्षा, बल्कि चरित्र, नैतिकता और समाज सेवा का भी पाठ पढ़ाती हैं। जीवन में सफलता, शांति और सच्चाई के मार्ग पर चलने के लिए प्रार्थना से बड़ा कोई संबल नहीं हो सकता।

🙏 आपकी पसंदीदा स्कूल प्रार्थना कौन-सी है? कमेंट में साझा करें! 🙏

 

वंदे मातरम्! जय माता दी! 🙏🇮🇳

 

 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

sanskrit Vocabulary