बुधवार, 10 दिसंबर 2025

NCERT Class 8th Hindi Chapter 7 मत बाँधो Question Answer

NCERT Class 8th Hindi Chapter 7 मत बाँधो Question Answer

कक्षा 8 हिंदी पाठ 7 प्रश्न उत्तर – Class 8 Hindi मत बाँधो Question Answer

पाठ से प्रश्न- अभ्यास
(पृष्ठ 92-98)

आइए, अब हम इस कविता को थोड़ा और विस्तार से समझते हैं। नीचे दी गई गतिविधियाँ इस कार्य में आपकी सहायता करेंगी।

मेरी समझ से

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर के सम्मुख तारा (★) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं-

प्रश्न 1.
आप इनमें से कविता का मुख्य भाव किसे समझते हैं?
सपने मात्र कल्पनाएँ हैं
सपनों को भूल जाना चाहिए
सपनों की स्वतंत्रता बनी रहनी चाहिए
सपने देखना अच्छी बात है

उत्तर:
सपनों की स्वतंत्रता बनी रहनी चाहिए

प्रश्न 2.
‘मत बाँधो’ कविता किसकी स्वतंत्रता की बात करती है?
प्रेम की
शिक्षा की
सपनों की
अधिकारों की

उत्तर:
सपनों की

प्रश्न 3.
“इन सपनों के पंख न काटो” पंक्ति में सपनों के ‘पंख’ होने की कल्पना क्यों की गई है ?
सपने जीवन में कुछ नया करने की प्रेरणा देते हैं
सपने सफलता की ऊँचाइयों तक ले जाते हैं
सपने पंखों की तरह उड़ान भर भ्रमण करवाते हैं
सपने पंखों की तरह कोमल और अनेक प्रकार के होते हैं

उत्तर:
सपने जीवन में कुछ नया करने की प्रेरणा देते हैं



प्रश्न 4.
“स्वर्ग बनाने का फिर कोई शिल्प” पंक्ति में ‘स्वर्ग’ से आप क्या समझते हैं ?
जहाँ किसी प्रकार का शारीरिक कष्ट न हो
जहाँ अतुलनीय धन संपत्ति हो
जहाँ परस्पर सहयोग एवं सद्भाव हो
जहाँ सभी प्राणी एक-दूसरे के प्रति संवेदनशील हों

उत्तर:
जहाँ परस्पर सहयोग एवं सद्भाव हो
जहाँ सभी प्राणी एक-दूसरे के प्रति संवेदनशील हों



प्रश्न 5.
यदि बीज धूल में गिर जाए तो क्या हो सकता है?
वह बहुत तेजी से उड़ सकता है
वह और गहरा हो सकता है
उसकी उड़ान रुक सकती है
वह बढ़कर पौधा बन सकता है

उत्तर:
वह बढ़कर पौधा बन सकता है



(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर:
हमने यही उत्तर इसलिए चुने क्योंकि कविता और जीवन के अनुसार यही बातें उचित हैं। ये सभी बातें हमें जीवन में ऊँचा उठना और आगे बढ़ना सिखाती है।

पंक्तियों पर चर्चा



कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए । आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए।

(क) “सौरभ उड़ जाता है नभ में
फिर वह लौट कहाँ आता है ?
बीज धूलि में गिर जाता जो
वह नभ में कब उड़ पाता है ?”
उत्तर:
कवयित्री कहती हैं कि सुगंध जब एक बार आसमान में उड़ जाती है तो वह आसमान में ही खो जाती है और फिर लौटकर नहीं आती। इसी प्रकार बीज भी जब धूल में गिरता है और उस समय उसे जल और सूर्य से पोषित ना किया जाए तो उसमें भी अंकुर नहीं फूटता । इसी प्रकार जब हम अपने सपनों को महत्व देकर उसे पूरा करने का प्रत्येक संभव प्रयास नहीं करते तो वह भी अपना अस्तित्व खोकर हमारे जीवन से दूर चला जाता है और नष्ट हो जाता है।



(ख) “मुक्त गगन में विचरण कर यह
तारों में फिर मिल जायेगा,
मेघों से रंग औ’ किरणों से
दीप्ति लिए भू पर आयेगा ।”
उत्तर:
जब हम अपने सपनों को पूरा करने का प्रयास करते हैं तो यह प्रत्येक तारे रूपी सहायक वस्तुओं के साथ मिलकर जीवन रूपी आसमान में स्वतंत्र उड़कर कामयाबी रूपी मेघों के संग मिलकर सुख रूपी किरणों के साथ बरस कर, लाभ रूपी प्रकाश के साथ, भूमि रूपी हमारे जीवन में उतरता है और दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन जाता है इसी कारण सपनों को स्वतंत्र उड़ने देना चाहिए।

मिलकर करें मिलान

कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ स्तंभ 1 में दी गई हैं। उन पंक्तियों के भाव या संदर्भ स्तंभ 2 में दिए गए हैं। पंक्तियों को उनके सही भाव अथवा संदर्भ से मिलाइए।

उत्तर:
1. 3
2. 5
3. 1
4. 2
5. 4



सोच-विचार के लिए

कविता को पुनः पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए-

(क) कविता में ‘मत बाँधो’, ‘पंख न काटो’ आदि संबोधन किसके लिए किए गए होंगे?
(ख) कविता में सपनों की गति न बाँधने की बात क्यों कही गई होगी?
(ग) कविता में सौरभ, बीज, धुआँ, अग्नि जैसे उदाहरणों के माध्यम से सपनों को इनसे भिन्न बताते हुए उसे विशेष बताया गया है। आपकी दृष्टि में इन सबसे अलग सपनों की और कौन – सी विशेषताएँ हो सकती हैं?
(घ) कविता में ‘आरोहण’ और ‘अवरोहण’ दोनों के महत्व की बात की गई है। उदाहरण देकर बताइए कि आपने ‘आरोहण’ और ‘अवरोहण’ को कब-कब सार्थक होते देखा ?
(ङ) “सपनों में दोनों ही गति है / उड़कर आँखों में आता है ! “क्या आप सहमत हैं कि सपने ‘आँखों में लौटकर’ वास्तविकता बन जाते हैं? अपने अनुभव या आस-पास के अनुभवों से कोई उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
(क) कविता में ‘मत बाँधो’ और ‘पंख न काटो’ – संबोधन ‘सपनों’ के लिए किए गए हैं। कवयित्री कहती हैं कि हमें अपने सपनों को स्वतंत्र उड़ने देना चाहिए ।

(ख) कविता में सपनों की गति न बाँधने की बात इसलिए कहीं गई होगी क्योंकि यदि सपनों को स्वतंत्र उड़ने नहीं दिया जाएगा तो वे हमारी आँखों में रह जाएँगें और समय के साथ खो जाएँगे, तथा एक बार यदि वो खो गए तो दुबारा आँखों में लौटकर नहीं आएँगे। इसी कारण हमें अपने सपनों को पूरी गति से इच्छाओं और प्रयासों को स्वतंत्र आसमान में उड़ने देना चाहिए।

(ग) सौरभ – आसमाँ में फैलकर खो जाता है।
बीज – धरती में पोषित होकर अंकुरित होता है।
धुआँ – सदैव आसमान में मँडराता रहता है।
अग्नि – धरती पर जलकर प्रकाश देती है।

इन सबसे भिन्न सपनों की बड़ी ही सुंदर विशेषता है और वो है – “ सपने – पूरे होकर जीवन को स्वर्ग के समान सुंदर बनाते हैं। ” साथ ही दूसरों के सपनों को भी पूरा होने हेतु प्रेरित करते हैं।

(घ) आरोहण और अवरोहण का अर्थ होता है किसी भी वस्तु का ऊपर उठना और नीचे गिरना । आरोहण – ऊपर उठने का संकेत है तथा अवरोहण नीचे गिरने का। जीवन में हम सपना देखते हैं कि कक्षा में प्रथम आए। यदि इस सपने को पूरा करने हेतु हम निरंतर प्रयास करते हैं तो आरोहण की गति से इसे पूर्ण करने में सफल हो जाते हैं या जीवन में कुछ बनने की इच्छा रखते हैं तो चाहे कितनी भी कठिनाई आए उसे प्रत्येक संभव प्रयास से पूरा करने का प्रयत्न करते हैं तो हम सफल हो जाते हैं परंतु जब हम इन सपनों के लिए कोई प्रयास नहीं करते तो यह अवरोहण की गति पर हार जाते हैं अर्थात नीचे गिर जाते हैं और नष्ट हो जाते हैं।

(ङ) यह बात बिल्कुल सत्य है कि सपने उड़कर खो भी जाते हैं और जीवंत होकर आँखों में लौट भी आते हैं। यह बात मैंने अपने पड़ोस में रहने वाले एक 10वीं के छात्र में देखी। उसने बॉक्सिंग में गोल्ड जीतने का सपना देखा परंतु उसका यह सफर आसान न था क्योंकि घरवाले उसे केवल एक खेल मानकर पढ़ने और बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक लाने हेतु लगातार दबाव बनाते।

वह छात्र दोहरी जिंदगी में पिस जाता था परंतु उसने हिम्मत नहीं हारी। वह 10वीं में तो केवल 65% अंक लाया, परंतु राजकीय स्तर पर उसने बॉक्सिंग में न केवल गोल्ड जीता; बल्कि सरकार की तरफ से सम्मानित भी किया गया और बाद में वह ओलम्पियाड क तैयारी में लग गया। इस प्रकार अथक प्रयासों से उसका सपना उसकी आँखों में वास्तविक बनकर उतर गया।

शीर्षक

कविता का शीर्षक है ‘मत बाँधो’। यदि आपको इस कविता को कोई अन्य नाम देना हो तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा ? यह भी लिखिए।
उत्तर:
यदि इस कविता का शीर्षक हम रखना चाहें तो हम इस कविता का शीर्षक – ‘सपने’ रखना चाहेंगे। ‘क्योंकि पूरी कविता का मुख्य आधार ‘सपने’ ही है। जीवन में सपने बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। हमें इन्हें पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। इन्हें नजर अंदाज न करके स्वतंत्र आसमान में उड़ने देना चाहिए तभी हम भी ऊँचाइयों को छू पाते हैं। इसी कारण हम प्रस्तुत कविता का शीर्षक ‘सपने’ रखना चाहेंगे।

अनुमान और कल्पना से

(क) मान लीजिए आप एक नया संसार बनाना चाहते हैं। उस संसार में आप क्या – क्या रखना चाहेंगे और क्या-क्या नहीं? अपने उत्तर का कारण भी बताइए ।
उत्तर:
यदि मैं एक नया संसार बनाना चाहूँ तो उसे मैं अपने सपनों का संसार बनाऊँगा । मेरा संसार जितना देखने में सुंदर होगा उतना ही उसमें रहना भी खूबसूरत होगा। मैं अपने संसार में निम्नलिखित चीजें रखना चाहूँगा और निम्नलिखित चीजें नहीं रखना चाहूँगा ।
संसार में रखना चाहूँगा-

1. सभी लोगों के पास सुख-शांति हो ।

2. किसी को धन की कमी न हो।

3. सब अच्छा पहने और अच्छा खाएँ ।

4. सब मिल-जुलकर रहें ।

5. सबके सपने पूरे हों ।

6. सुंदर प्रकृति हो – पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, पहाड़, झरने, तालाब, फुलवारी इत्यादि ।

7. सभी शिक्षित हों और सभी विकसित हों।

8. एक-दूसरे के सहयोगी हो ।

संसार में नहीं रखना चाहूँगा

1. लालच नहीं रखना चाहूँगा ।

2. जो दूसरों पर अत्याचार करे, जो दूसरों के साथ अन्याय करे; ऐसे लोगों को मैं अपने संसार में नहीं चाहता।

3. लड़ाई, झगड़ा, युद्ध, मैं अपने संसार में नहीं चाहता।

4. युद्ध की भावना और हिंसा का मेरे संसार में कोई स्थान नहीं।

5. ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण मेरे संसार में न हो।

6. मेरे संसार में कोई गरीब न हो और न ही कोई भूखा सोए।

7. मेरे संसार में कोई अनपढ़ न हो ।

8. मेरा संसार दूषित ना हो ।

(ख) कविता में शिल्प और कला के महत्व की बात की गई है। कलाएँ हमारे आस-पास की दुनिया को सुंदर बनाती हैं। आप अपने जीवन को सुंदर बनाने के लिए कौन-सी कला सीखना चाहेंगे? उससे आपका जीवन कैसे सुंदर बनेगा ? अनुमान करके बताइए |
उत्तर:
कला और शिल्प सचमुच हमारे जीवन को सुंदर बनाती हैं। कला हमेशा हमारा वातावरण सजाती है फिर चाहे मूर्तिकला हो, चित्रकला या कोई शिल्प नक्काशी की कला। हमारे इतिहास की अनेक धरोहर स्वरूप ईमारतें, गुफाएँ और मंदिर हैं जो, मूर्ति, शिल्प और चित्रकला के उत्कृष्ट नमूने हैं। यदि मुझे किसी कला को सीखने का अवसर मिला तो मैं चित्रकला सीखना चाहूँगा, क्योंकि मुझे किसी भी चीज़ में रंग भरने अच्छे लगते हैं। चित्रकला सीखकर मैं सुंदर-सुंदर चित्र बनाकर उन्हें फ्रेम करवाऊँगा और फिर उससे अपना घर सजाऊँगा ।

(ग) “सौरभ उड़ जाता है नभ में / फिर वह लौट कहाँ आता है?” यदि आपके पास अपने बीते हुए समय में लौटने का अवसर मिले तो आप बीते हुए समय में क्या-क्या परिवर्तन करना चाहेंगे?
उत्तर:
यदि हमें अपने बीते समय में एक बार भी लौटने का अवसर मिला तो मैं उन सब भूलों में सुधार करूँगा, जिसके कारण मुझे नुकसान उठाना पड़ा। मैं अपने जीवन को अधिक बेहतर ढंग से सँवारूँगा, पढ़ाई पर अधिक ध्यान दूँगा । अपने माता-पिता, अध्यापक और अपने बड़ों की बातों पर ध्यान देकर सही दिशा में कदम बढ़ाऊँगा वो सभी चीजें जो वर्तमान में मुझे मेरी गलती का एहसास करवातीं हैं उन्हें सुधारूंगा। इसके साथ ही अपने सपनों को फिर से जिंदा करके जीवन को अधिक सरल व सुंदर बनाने का पूरा प्रयास करूँगा ।

(घ) “बीज धूलि में गिर जाता जो / वह नभ में कब उड़ पाता है?” यदि सपने बीज की तरह हों तो उन्हें उगने के लिए किन चीजों की आवश्यकता होगी ? (संकेत- धूप अर्थात मेहनत, पानी अर्थात लगन आदि ।)
उत्तर:
यदि सपने बीज की तरह होते तो हम उन्हें बहुत ध्यान-से सँभाल कर रखते। अपने सपनों का पौधा उगाने के लिए हम उसमें लगन का पानी डालते और मेहनत की धूप से सींचते। हम सपने रूपी बीजों को अपने परिश्रम और साहस से पोषित करते और हर संभव प्रयास करते जिससे कि वे बीज अंकुरित होकर फलदायक वृक्ष में परिवर्तित हों। ये केवल हमारे सुख का कारण न बने बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बने ।

(ङ) “स्वर्ग बनाने का फिर कोई शिल्प / भूमि को सिखलायेगा!” यदि अच्छे सपनों या विचारों से स्वर्ग बनाया जा सकता है तो बुरे सपनों अथवा विचारों से क्या होता होगा? बुरे सपनों या विचारों से कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर:
अच्छे सपने सचमुच स्वर्ग जैसे जीवन का निर्माण करते हैं। यदि हमारे सभी सपने पूर्ण हो जाएँ तो भला इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है। परंतु यह भी आवश्यक है कि हमारे सपने भी शुद्ध, पवित्र, नेक और फलदायक हों। यदि हम बुरे सपने देखते हैं जिसमें स्वयं की इच्छापूर्ति हेतु दूसरों का नुकसान हो रहा है तो ऐसे सपने जीवंत होकर कभी भी स्वर्ग का निर्माण नहीं करेंगे बल्कि ये तो नर्क बनाने का कार्य करेंगे।

क्योंकि स्वर्ग तभी बनता है, जब उसमें केवल एक ही व्यक्ति सुखी न होकर सभी सुखी हों। जहाँ सुख केवल एक का और दुख अन्यों का हो वहाँ स्वर्ग नहीं अपितु नर्क होता है। हमें इससे बचने हेतु स्वार्थ, लालच और बुरे विचारों को छोड़ना होगा। हमें अपने साथ-साथ दूसरों के सुख के बारे में सोचते हुए सहयोग की भावना का भी विस्तार करना होगा।

(च) “इन सपनों के पंख न काटो / इन सपनों की गति मत बाँधो!” कल्पना कीजिए कि हर किसी को सपने देखने और उन्हें पूरा करने की पूरी स्वतंत्रता मिल जाए, तब दुनिया कैसी होगी? आपके अनुसार उस दुनिया में कौन-सी बातें महत्वपूर्ण होंगी?
उत्तर:
यदि सभी को अपने सपने पूर्ण करने का अवसर मिल जाए तो वह दुनिया बहुत खूबसूरत होगी परंतु यह बात बहुत महत्वपूर्ण है कि सपना ऐसा हो जो दूसरों की जिंदगी में दखल देकर उनके अधिकार न छीने। जैसे आप यदि राजा बनना चाहते हैं तो दूसरे आपके गुलाम बन जाएँ तो ये सपना कभी भी हितकर नहीं हो सकता।

संसार में यदि सबको सपने पूर्ण करने की स्वतंत्रता मिल जाए तो यह अनिवार्य होना चाहिए कि उन सपनों को पूर्ण करने के लिए कौन- कितना प्रयास कर रहा है? साथ ही सबके सपने मर्यादा में भी होने चाहिए। दुनिया में सभी यदि अपने सपनों के साथ-साथ दूसरों के अधिकारों की भी रक्षा करेंगे तो दुनिया अवश्य खूबसूरत बनेंगी अन्यथा बिखर जाएगी।

(छ) “इन सपनों के पंख न काटो / इन सपनों की गति मत बाँधो!” आपके विचार से यह सुझाव है? आदेश है? प्रार्थना है? या कुछ और है ? यह बात किससे कही जा रही है?
उत्तर:
‘इन सपनों के पंख ना काटो / इन सपनों की गति मत बाँधो?’ हमारे विचार से यह न तो आदेश है और न ही प्रार्थना। विचारपूर्वक यदि समझा जाए तो यह एक प्रेरणा है। जो प्रत्येक व्यक्ति को प्रेरित कर रही है कि जीवन में सम्मानपूर्वक जियो और अपने सपनों को स्वतंत्र आसमान में विचरण करने दो; उन्हें साहस और परिश्रम से तब तक सींचों जब तक उसमें अंकुर ना फूटे।

इस तरह से पूर्ण हुए सपने सचमुच फलदायी होकर धरती पर स्वर्ग का निर्माण करते हैं क्योंकि इसमें सभी का हित शामिल होता है। जैसे परिश्रम से बना हुआ डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, कलाकार – अनेक लोगों के हित में कार्यरत रहता है। उनका सपना दूसरों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होता है।

कविता की रचना


“सौरभ उड़ जाता है नभ में…”
“ बीज धूलि में गिर जाता जो…”
“अग्नि सदा धरती पर जलती…”

उपर्युक्त पंक्तियों पर ध्यान दीजिए। इन पंक्तियों को पढ़ते समय हमारी आँखों के सामने कुछ चित्र उभर आते हैं। कई बार कवि अपनी बात अथवा मुख्य भाव को समझाने या बताने के लिए उदाहरणों के माध्यम से शब्द-चित्रों की लड़ी-सी लगा देता है जिससे कविता में विशेष प्रभाव उत्पन्न हो जाता है। इस कविता में भी ऐसी अनेक विशेषताएँ छिपी हैं।

(क) अपने समूह के साथ मिलकर इन विशेषताओं की सूची बनाइए। अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए ।
उत्तर:
कविता में अनेक ऐसे उदाहरण हैं जिनका चित्र आँखों के सामने उभरता है।
जैसे-
मुक्त गगन में विचरण
तारों में फिर मिल
मेघों से रंग औ’ किरणों से
दीप्ति लिए भू पर आयेगा

(ख) नीचे इस कविता की कुछ विशेषताएँ और वे पंक्तियाँ दी गई हैं जिनमें ये विशेषताएँ समाहित हैं। विशेषताओं का सही पंक्तियों से मिलान कीजिए ।

उत्तर:
1. 2
2. 5
3. 6
4. 1
5. 4
6. 3

शब्दों की बात



“इसका आरोहण मत रोको
इसका अवरोहण मत बाँधो !”

उपर्युक्त पंक्तियों में रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए । ‘आरोहण’ और ‘अवरोहण’ दोनों एक-दूसरे के विपरीतार्थक शब्द हैं। आरोहण का अर्थ है- नीचे से ऊपर की ओर जाना या चढ़ना और अवरोहण का अर्थ है- ऊपर से नीचे की ओर आना या उतरना ।

(क) नीचे दिए रिक्त स्थान में ‘आरोहण’ और ‘अवरोहण’ का उपयुक्त प्रयोग करके वाक्यों को पूरा कीजिए ।
पर्वतारोहियों ने बीस दिन तक पर्वत पर ……… कर विजय प्राप्त की।
नदियाँ विशाल पर्वतों से …….. करते हुए सागर में मिल जाती हैं।
अंकगणित में बड़ी संख्या से छोटी संख्या की ओर लिखने की प्रक्रिया ………. क्रम कहलाती है।

इसी प्रकार से ‘आरोहण’ और ‘अवरोहण’ शब्दों के प्रयोग को देखते हुए आप भी कुछ सार्थक वाक्य बनाइए।
उत्तर:

1. मैंने इस मीनार की 150 सीढ़ियों पर आरोहण किया।

2. यदि संभलकर नहीं चलोगे तो जो प्रथम स्थान प्राप्त किया है। उससे अवरोहण में अधिक समय नहीं लगेगा।

3. साँप – सीढ़ी में आरोहण और अवरोहण का खेल चलता ही रहता है।

4. सुमित की मूर्खता ने उसकी गति को अवरोहण की दिशा में धकेल दिया।

5. एवरेस्ट पर आरोहण बहुत ही कठिन है।

(ख) नीचे दी गई कविता की पंक्तियों के रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए-
‘वह नभ में कब उड़ पाता है ” ?
‘धूम गगन में मँडराता है ।
‘नभ’ और ‘गगन’ समान अर्थ वाले शब्द हैं। रेखांकित शब्दों के समानार्थी शब्दों का प्रयोग करते हुए कुछ नई पंक्तियों की रचना कीजिए और देखिए कि पंक्तियों में लय बनाए रखने के लिए और किन परिवर्तनों की आवश्यकता पड़ती है?

उत्तर:
वह नभ में कब उड़ पाता है ।
धूम गगन में मँडराता है ।
नवीन पंक्तियाँ-

1. नील गगन का है विस्तार,
किसने जाना नभ का पार?

2. मेरे सपने नभ तक जाते,
नील गगन पर शोभा पाते।

3. तारे झिलमिल दूर गगन में,
कितना उजियाला फैलाए।
पल भर में फिर सब छिप जाएँ,
जब सूरज नभ पर छा जाए ।।

4. अंधियारे नभ पर शशि पधारे,
प्रातः गगन सूरज को पुकारे ।



(ग) कविता में ‘मत’ शब्द के साथ ‘बाँधो’, ‘काटो’ क्रिया लगाई गई है। आप ‘मत’ के साथ कौन-कौन-सी क्रियाएँ लगाना चाहेंगे? लिखिए। (संकेत – ‘ मत डरो’)
उत्तर:
‘मत’ शब्द के साथ अन्य क्रियाएँ–

1. ‘मत खाओ’

2. ‘मत जाओ’

3. ‘मत सुनो’

4. ‘मत बोलो’

5. ‘मत खेलो’

6. ‘मत कहो’

7. ‘मत मानो’

8. ‘मत देखो’

9. ‘मत समझो’

10.‘मत करो’

(घ) आपकी भाषा में ‘ बाँधने’ के लिए और कौन-कौन सी क्रियाएँ हैं? अपने समूह में चर्चा करके लिखिए और उनसे वाक्य बनाइए । (संकेत – जोड़ना)
उत्तर:

1. जकड़ना-ये खुंखार जीव है, इसे जंजीरों से जकड़ लो।

2. कसना – माँ ने अपने नन्हें पुत्र को बाहों में कस लिया।

3. मिलाना – चीनी को अच्छी तरह से पानी में मिलाओ ।

4. चिपकाना – लकड़ी को फेविकोल से दरवाजे पर अच्छी तरह चिपकाओ ।

5. लगाना – दीवार पर तस्वीर को कील से लगाओ।

(ङ) ‘मत’ शब्द को उलट कर लिखने से शब्द बनता है ‘तम’ जिसका अर्थ है ‘अँधेरा’। कविता में से कुछ ऐसे और शब्द छाँटिए जिन्हें उलट कर लिखने से अर्थ देने वाले शब्द बनते हैं।
उत्तर:
‘मत’ – का विपरीत है- ‘तम’ जिसका अर्थ अँधेरा । काव्य के अन्य शब्द-

1. ‘जाता’ का विपरीत ‘ताजा’ हरा-भरा

2. ‘धूम’ – ‘मधू’ – शहद

3. ‘यह’ ‘हय’ – घोड़ा

4. ‘कहाँ’ – ‘हाँक’ – हुँकार

काल परिवर्तन

“सौरभ उड़ जाता है नभ में”
उपर्युक्त पंक्ति को ध्यान से देखिए । इस पंक्ति की क्रिया ‘ जाता है’ से पता चलता है कि यह वर्तमान काल में लिखी गई है। यदि हम इसी पंक्ति को भूतकाल और भविष्य काल में लिखें तो यह निम्नलिखित प्रकार से लिखी जाएगी –
भूतकाल – सौरभ उड़ गया है नभ में भविष्य काल – सौरभ उड़ जाएगा नभ में कविता में वर्तमान काल में लिखी गई ऐसी अनेक पंक्तियाँ आई हैं। उन पंक्तियों को कविता में से ढूँढ़कर भूतकाल और भविष्य काल में लिखिए।
उत्तर:
वर्तमान काल में लिखी गई कविता की अन्य पंक्तियाँ तथा भूतकाल और भविष्य काल में उनका परिवर्तन

1. ‘फिर वह लौट कहाँ आता है?’
भूतकाल – फिर वह लौट कहाँ आता था? भविष्य काल – फिर वह लौट कहाँ आएगा?

2. ‘वह नभ में कब उड़ पाता है’?
भूतकाल – वह नभ में कब उड़ पाता था? भविष्य काल – वह नभ में कब उड़ पाएगा?

3. ‘बीज धूलि में गिर जाता जो ‘
भूतकाल – बीज धूलि में गिर जाता था ।
भविष्य काल – बीज धूलि में गिर जाएगा।

4. ‘अग्नि सदा धरती पर जलती’
भूतकाल – अग्नि सदा धरती पर जलती थी।
भविष्य काल – अग्नि सदा धरती पर जलेगी।

5. ‘धूम गगन में मँडराता है ।’
भूतकाल – धूम गगन में मँडराता था ।
भविष्य काल – धूम गगन में मँडराएगा ।

6. ‘सपनों में दोनों ही गति है’
भूतकाल – सपनों में दोनों ही गति थी।
भविष्य काल – सपनों दोनों ही गति होगी ।

7. ‘उड़कर आँखों में ही आता है ।’
भूतकाल – उड़कर आँखों में ही आता था।
भविष्य काल – उड़कर आँखों में ही आएगा।

शब्दकोश से

“स्वर्ग बनाने का फिर कोई शिल्प”
शब्दकोश के अनुसार ‘शिल्प’ शब्द के निम्नलिखित अर्थ हैं-

1. हाथ से कोई चीज बनाकर तैयार करने का काम -दस्तकारी, कारीगरी या हुनर, जैसे—बरतन बनाना, कपड़े सिलना, गहने गढ़ना आदि ।

2. कला संबंधी व्यवसाय ।

3. दक्षता, कौशल।

4. निर्माण, सर्जन, सृष्टि, रचना ।

5. आकार, आवृत्ति।

6. अनुष्ठान, क्रिया, धार्मिक कृत्य ।

अब शब्दकोश से ‘शिल्प’ शब्द से जुड़े निम्नलिखित शब्दों के अर्थ खोजकर लिखिए-

प्रश्न 1.
शिल्पकार, शिल्पी, शिल्पजीवी, शिल्पकारक, शिल्पिक या शिल्पकारी
उत्तर:
शिल्पकार, शिल्पी, शिल्पजीवी, शिल्पकारक, शिल्पिक या शिल्पकारी

प्रश्न 2.
शिल्पकला
उत्तर:
शिल्पकला – हस्तकला, शिल्पकारी, कारीगरी, दस्तकारी

प्रश्न 3.
शिल्पकौशल
उत्तर:
शिल्पकौशल – कला और शिल्प, शिल्प, कारीगर कला, शिल्प शास्त्र

प्रश्न 4.
शिल्पगृह या शिल्पगेह
उत्तर:
शिल्पगृह – शिल्पशाला, कलाशाला, कला- केंद्र



प्रश्न 5.
शिल्पविद्या
उत्तर:
शिल्पविद्या – कलात्मक विद्या, कलात्मक कौशल, कला और शिल्प

प्रश्न 6.
शिल्पशाला या शिल्पालय
उत्तर:
शिल्पशाला – शिल्पगृह, कार्यशाला, शिल्प का घर, शिल्प का स्थान, कारखाना

पाठ से आगे प्रश्न- अभ्यास
(पृष्ठ 98–104)

आपकी बात

(क) कविता में गति को न बाँधने की बात कही गई है। आप ‘बाँधने’ का प्रयोग किन-किन स्थितियों या वस्तुओं के लिए करते हैं? बताइए (संकेत -गाँठ बाँधना)
उत्तर:
हम ‘बाँधने’ शब्द का प्रयोग निम्नलिखित वस्तुओं और परिस्थितियों के लिए करते हैं-

1. रस्सी बाँधना

2. गिरह बाँधना

3. जंजीर बाँधना

4. प्रेम में बाँधना

5. रिश्तों में बाँधना

6. नियमों में बाँधना

7. कर्तव्यों से बाँधना

8. गठरी बाँधना

(ख) ‘स्वर्ग’ शब्द से आशय है ‘सुखद स्थान’। अर्थात वह स्थान जहाँ सुख, शांति, समृद्धि और आनंद की अनुभूति हो । अपने घर, आस-पड़ोस और विद्यालय को सुखद स्थान बनाने के लिए आप क्या – क्या प्रयास करेंगे? सूची बनाइए और घर के सदस्यों के साथ साझा कीजिए ।
उत्तर:
अपने घर, पास-पड़ोस और विद्यालयों को सुखी बनाने के लिए हम निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं-

1. पेड़-पौधे लगाकर हरा-भरा कर सकते हैं।

2. विद्यालय में फूलों की सुंदर फुलवारी बना सकते हैं।

3. घर, पास-पड़ोस और विद्यालय को स्वच्छ रख सकते हैं।

4. विद्यालय की दीवारों पर सुंदर चित्रकारी कर सकते हैं।

5. सभी के साथ मिल-जुलकर सहयोग करते हुए रह सकते हैं।

6. सभी से प्रेम से मीठा बोलकर रह सकते हैं।

7. विद्यालय में गुरुओं का आदर करके और ध्यानपूर्वक पढ़कर अच्छे अंक ला सकते हैं।

8. माता-पिता और बुजुर्गों का आदर सम्मान कर सकते हैं।

9. पास-पड़ोस में प्रेमपूर्वक रहकर खुशियाँ बाँट सकते हैं।

10.ईश्वर पर विश्वास रखते हुए सहयोग की भावना रख सकते हैं।

(ग) कविता में सपनों की बात की गई है। आपका कौन – सा सपना ऐसा है जो यदि सच हो जाए तो वह दूसरों की सहायता कर सकता है? उसके विषय में बताइए |
उत्तर:
मेरा सपना डॉक्टर बनने का है और मैं इसमें बहुत मेहनत करूँगा, जिससे कि बड़ा होकर डॉक्टर बनकर दूसरों का इलाज कर सकूँ। मैं भविष्य में डॉक्टर बनकर लालच नहीं करूँगा, यदि कोई गरीब या जरूरतमंद होगा तो उसका निःशुल्क इलाज भी करूँगा।

चर्चा-परिचर्चा



“सपनों में दोनों ही गति है / उड़कर आँखों में आता है । ” किसी एक के द्वारा देखा गया सपना बहुत से लोगों का सपना भी बन जाता है, जैसे- हमारे स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा भारत को स्वतंत्र कराने का सपना सभी भारतीयों का सपना बन गया। साथियों से चर्चा कीजिए कि आपके कौन-से ऐसे सपने हैं जिन्हें पूरा करने के लिए आप अन्य लोगों को भी जोड़ना चाहेंगे।
उत्तर:
जीवन में अनेक सपने ऐसे होते हैं जो व्यक्तिगत न होकर सामूहिक हो सकते हैं। मेरा भी ऐसा एक सपना है।
अपने पास-पड़ोस और समाज को स्वच्छ व हरा-भरा बनाना मेरा सपना है कि मेरे आस – पास का क्षेत्र हमेशा हरा-भरा रहे । मेरे समाज और देश में भी पर्यावरण सदैव स्वच्छ व हरित रहे।

मैं अपने इस अभियान में दूसरों को भी जोड़कर सपने को पूर्ण करना चाहता हूँ। सबके साथ मिलकर पेड़ लगाना, आस-पास स्वच्छता रखने में लोगों को जागरूक करना आदि। इन सबके लिए मैं अन्य लोगों की सहायता से अभियान चलाना चाहता हूँ ।

सृजन



(क) विराम चिह्न का फेरबदल –

रोको मत, जाने दो

रोको, मत जाने दो

लेखन में विराम चिह्नों का विशेष महत्व होता है। विराम चिह्नों के प्रयोग से वाक्य या पंक्ति का अर्थ स्पष्ट हो जाता है और परिवर्तित भी हो जाता है, जैसे – ‘रोको मत, जाने दो’ में रोको मत के बाद अल्पविराम चिह्न (,) का प्रयोग किया गया है, जिसका अर्थ है कि बिना रोके जाने दिया जाए। वहीं ‘रोको, मत जाने दो’ में रोको के बाद अल्पविराम (,) का प्रयोग किया गया है, जिसका अर्थ है कि जाने से रोका जाए। नीचे कुछ चित्र दिए गए हैं। आप किन चित्रों के लिए ‘रोको मत, जाने दो’ या ‘रोको, मत जाने दो’ का प्रयोग करेंगे? दिए गए रिक्त स्थान में लिखिए और इन चित्रों को शीर्षक भी दीजिए।

उत्तर:





(ख) कविता आगे बढ़ाएँ

नीचे दी गई पंक्तियों को आगे बढ़ाते हुए अपनी एक कविता तैयार कीजिए ।
इन सपनों के पंख न काटो,
इन सपनों की गति मत बाँधों ।
उत्तर:
स्वतंत्र नभ में उड़ने दो इन्हें,
पिछड़ेपन की सीमा लाँघो ।।

(ग) खोया-पाया
मान लीजिए आपका सपना कहीं खो गया है। उसके खो जाने की रिपोर्ट तैयार करें। आपको स्कूल प्रशासन को यह रिपोर्ट भेजनी है। इसके लिए स्कूल प्रशासन के नाम एक पत्र लिखिए।
उत्तर:
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली,
दिनाँक – xxx जुलाई
सेवा में,
श्रीमान प्रबंधक जी,
अ.ब.स. विद्यालय
सुमित्रा विहार,
दिल्ली।

विषय – ‘सपना खोने’ की रिपोर्ट हेतु ।

मान्यवर,

निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय का आठवीं ‘अ’ का छात्र हूँ। अभी दो दिन पहले ही मैंने अपने मित्र के साथ एक सुंदर सपना देखा था कि हम दोनों ने मिलकर विद्यालय में एक सुंदर फुलवारी सजाई है। हम बस कुछ दिनों बाद ही अपने अन्य साथियों के साथ इस कार्य को आरंभ करने वाले थे, परंतु मेरा वो सपना कहीं खो गया है, मैंने कक्षा में भी पूछा परंतु कुछ पता नहीं चला।
अतः आपसे मेरा निवेदन है कि आप मेरा सपना खोजने में मेरी सहायता करें। मैं और मेरे मित्र आपके आभारी रहेंगे।
आशा है आप जल्द ही मेरा सपना मुझे ढूँढ़कर देंगे। आपकी अति कृपा होगी।

धन्यवाद!

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
क. ख.ग.

वाद-विवाद

(क) कक्षा में पाँच-पाँच विद्यार्थियों के समूह बनाकर एक वाद-विवाद गतिविधि का आयोजन कीजिए । इसके लिए विषय है – ” व्यक्ति को बाँध सकते हैं उसकी कल्पना और विचारों को नहीं ।”
एक समूह विषय के विपक्ष में और दूसरा समूह विषय के पक्ष में अपना तर्क देगा जैसे-
समूह 1 – व्यक्ति की कल्पना और विचारों पर नियंत्रण आवश्यक है।
समूह 2 – स्वतंत्र विचार और कल्पना प्रगति के लिए महत्वपूर्ण हैं।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।



(ख) विद्यार्थी वाद-विवाद के अनुभवों पर एक अनुच्छेद भी लिख सकते हैं।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

देखना – सुनना – समझना….

(क) “धूम गगन में मँडराता है ।”
सुगंध का अनुभव सूँघकर किया जाता है। धुएँ को देखा जा सकता है। वायु का अनुभव स्पर्श द्वारा किया जा सकता है और अनुभवों को बोलकर भी कहा या बताया जा सकता है जैसे कि कोई कमेंट्री कर रहा हो।
जो व्यक्ति देख पाने में सक्षम नहीं है, आप उन्हें निम्नलिखित स्थितियों का अनुभव कैसे करवा सकते हैं-
वर्षा की बूँदों का
धुएँ के उड़ने का
खेल के रोमांच का

उत्तर:
वर्षा की बूँदों का – स्पर्श से
धुएँ के उड़ने का – बोलकर
खेल के रोमांच का – बोलकर



(ख) मूक अभिनय द्वारा कविता का भाव

‘विद्यार्थियों के बराबर-बराबर की संख्या में दो दल (टीम) बनाइए । दलों के नाम रखें- कल्पना और आकांक्षा।
‘कल्पना’ दल से एक प्रतिभागी आगे आए और मूक अभिनय (हाव-भाव या संकेत) के माध्यम से इस कविता की किसी भी पंक्ति का भाव प्रस्तुत करें। ‘आकांक्षा’ दल के प्रतिभागियों को पहचानकर बताना होगा कि अभिनय में किस पंक्ति की बात की जा रही है।

पहचानने की समय सीमा भी निर्धारित की जाए । निर्धारित समय सीमा पर सही उत्तर बताने वाले दल को अंक भी दिए जा सकते हैं। इस तरह से खेल को आगे बढ़ाया जाए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

आपदा प्रबंधन

अग्नि सदा धरती पर जलती / धूम गगन में मँडराता है!”
आग, बाढ़, भूकंप जैसी आपदाएँ अचानक आ जाती हैं। सही जानकारी से आपदाओं की स्थिति में बचाव संभव हो जाता है।

(क) कक्षा में अपने शिक्षकों के साथ चर्चा कीजिए कि क्या-क्या करेंगे यदि-
कहीं अचानक आग लग जाए
आपके क्षेत्र में बाढ़ आ जाए
भूकंप आ जाए

उत्तर:
कहीं अचानक आग लग जाए

1. घबराएँ नहीं, शांत रहकर, समझदारी से काम लें।

2. लोगों को ज़ोर-ज़ोर से आवाज लगाकर स्थिति से अवगत कराएँ।

3. आग वाले स्थान से तुरंत बाहर निकलें व अन्य को भी निकालें।

4. लिफ्ट के स्थान पर सीढ़ियों का प्रयोग करें।

5. बुजुर्गों व बच्चों को बाहर निकालने का प्रयास करें।

6. मुँह पर गीला कपड़ा रखे जिससे धुएँ से बचाव हो सके।

7. आग बुझाने की कोशिश करें ।

8. तुरंत फायरब्रिगेड को 112 नंबर पर कॉल करें।
आपके क्षेत्र में बाढ़ आ जाए

1. परिवार और पड़ोसियों को हिम्मत बँधाएँगे ।

2. घर के जरूरी सामानों को एकत्रित कर सुरक्षित करेंगे।

3. बच्चों व बुजुर्गों को सबसे पहले सुरक्षित करेंगे।

4. जरूरी – दस्तावेज, पैसे, दवाइयाँ, मोबाइल, सूखा खाने का सामान, टार्च, इत्यादि एक बैग में सँभाल लेंगे।

5. बिजली, गैस की मुख्य सप्लाई बंद कर देंगे ।

6. घर की छत पर चले जाएँगे ।

7. आपातकालीन नम्बर पर तुरंत कॉल करके सहायता माँगेंगे।
भूकंप आ जाए

1. जल्दी से भागेंगे नहीं

2. किसी मजबूत मेज या पलंग के नीचे छिप जाएँगे।

3. किसी मजबूत चीज़ को पकड़ लेंगे।

4. यदि संभव हो तो इमारत से बाहर निकलकर खाली स्थान पर आ जाएँगे।

5. पंखे, काँच, अलमारी से दूर रहेंगे।

6. दीवार के कोने में चले जाएँगे ।

7. किसी बैग, तकिए इत्यादि से सिर को ढक लेंगे।

8. बिजली के खंबे से दूर रहेंगे ।

9. यदि गाड़ी में होंगे तो उसे साइड पर रोक देंगे।



(ख) “मैं आपदा के समय क्या करूँगा या करूँगी?”–एक सूची या चित्र आधारित योजना बनाइए।
उत्तर:
आपदा के समय मैं निम्नलिखित काम करूँगा-

1. शांति और धैर्य बनाएँ रखूँगा ।

2. घबराऊँगा नहीं ।

3. सहायता के लिए दूसरों को आवाज़ दूँगा ।

4. आपदा निवारण संस्था में फोन करूँगा।

5. जरूरी सामान एकत्रित कर लूँगा – जैसे- दस्तावेज, रुपए, मोबाइल, टॉर्च, पॉवर ब्रेक इत्यादि ।

6. सुरक्षित बाहर आने का स्वयं प्रयास करूँगा।

7. घर के बच्चों और बुजुर्गों को पहले सुरक्षित करूँगा।

शिल्प

“स्वर्ग बनाने का फिर कोई शिल्प
भूमि को सिखलायेगा !”

हमारे देश में हजारों वर्षों से अनगिनत शिल्प प्रचलित हैं। उनमें से कुछ के बारे में आप पहले से जानते होंगे। इनके बारे में कक्षा में चर्चा कीजिए ।

(क) अपने समूह के साथ मिलकर नीचे दिए गए शिल्प-कार्यों को उनके सही अर्थों या व्याख्या से मिलाइए-

उत्तर:
1. 4
2. 5
3. 6
4. 1
5. 2
6. 3
7. 13
8. 12
9. 11
10. 14
11. 9
12. 8
13. 7
14. 10

(ख) अपने विद्यालय या परिवार के साथ हस्तशिल्प से जुड़े किसी स्थान या कार्यशाला का भ्रमण कीजिए और उस हस्तशिल्प के बारे में एक रिपोर्ट बनाइए।
अथवा
राष्ट्रीय हस्तशिल्प संग्रहालय की नीचे दी गई वेबसाइट में आपको कौन-सा हस्तशिल्प या कलाकृति सबसे अच्छी लगी और क्यों, उसके विषय में लिखिए।
https://nationalcraftsmuseum.nic.in/
उत्तर:
हस्तकला केंद्र पर रिपोर्ट
पिछले सोमवार मैं अपने माता-पिता के साथ हस्तशिल्प कला केंद्र गया। जब मैं वहाँ गया तो मैंने देखा कि वहाँ का वातावरण बहुत शांत था क्योंकि वहाँ शोर मचाने की इज़ाजत नहीं थी। हमने वहाँ इतनी सुंदर मूर्तियाँ देखीं कि एक बार तो लगा जैसे वो जीवित हों। वहाँ थोड़ी-थोड़ी दूरी पर कुछ लोग खड़े थे, जो सबको उन मूर्तियों के बारे में जानकारी दे रहे थे।

उन मूर्तियों के नीचे बनाने वाले का नाम और बनने का वर्ष खुदा हुआ था। मैं देखकर आश्चर्यचकित था कि इतने वर्ष पुरानी होकर भी वो नई जैसी सुंदर और आकर्षक थीं। हमने देवी-देवताओं व पशु-पक्षियों की सुंदर मूर्तियाँ देखी । फिर हमने कला केंद्र से बाहर आकर खाना खाया। वहाँ का वातावरण बहुत ही स्वच्छ था। हम शाम तक घूमकर घर आ गए। मुझे यह भ्रमण याद रहेगा।

अथवा

छात्र स्वयं करें।

साझी समझ

(क) ‘गिल्लू’ कहानी को पुस्तकालय से ढूँढ़कर पूरी पढ़िए और अपने साथियों के साथ मिलकर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
महादेवी वर्मा को एक बार अपने घर के आँगन में सोनजुही की जड़ और दीवार की संधि में एक गिलहरी का बच्चा घायल अवस्था में मिला जिसे कौओं ने अपना सुलभ आहार समझकर अधमरा कर दिया था। महादेवी वर्मा उसे उठाकर अपने घर के अंदर ले आईं और पानी से उसका रक्त पोंछकर उस पर पेंसलिन का मरहम लगाया, रूई को दूध और पानी में भिगोकर बूँद-बूँद उसके मुँह में डालने का प्रयत्न किया । कुछ घंटों के उपचार के बाद वह बच्चा स्वस्थ हो गया। महादेवी ने उसका नाम गिल्लू रखा।

गिल्लू पूरे घर में घूमता-खेलता रहता था। वह महादेवी वर्मा को अपनी माँ मानता था। वह कभी उनके पैर से सिर तक दौड़ लगाता, कभी पर्दे पर चढ़ता, कभी उनकी थाली में खाता, कभी फूलदान के पीछे छिपकर उन्हें चौंकाता। सारा दिन घर में दौड़ लगाता । जब वह थोड़ा बड़ा हुआ और उसके जीवन का पहला वसंत आया तो महादेवी ने खिड़की जाली का एक हिस्सा खोल दिया, जिससे बाहर निकलकर उसने चमेली के पेड़ पर दौड़ लगा दी। वह सारे दिन अन्य गिलहरियों का नेता बनकर दिन-भर पेड़ पर घूमता और शाम होते ही अपने झूले में आ जाता।

जब महादेवी वर्मा एक बार दुर्घटना ग्रस्त हो गईं और उन्हें तीन दिन तक अस्पताल में रहना पड़ा तो गिल्लू ने उन तीन दिन तक भोजन नहीं किया। जब महादेवी वर्मा घर वापस आ गईं तो वह उनके सिरहाने बैठकर उनके बालों को धीरे-धीरे सहलाता रहा। गिल्लू का जब अंतिम समय आया तो वह महादेवी के बिस्तर पर आ गया और अपने ठंडे पंजों से उनकी ऊँगली को पकड़कर अंतिम साँस ली। महादेवी जी ने उसे उसी सोनजुही की जड़ में समाधि दे दी जहाँ उन्हें वह मरणासन्न स्थिति में मिला था । खोजबीन के लिए नीचे दी गई इंटरनेट कड़ियों के माध्यम से आप महादेवी वर्मा और उनकी रचनाओं के विषय में जान, समझ सकते हैं-
महादेवी वर्मा | कवयित्री | जीवन और लेखन | हिंदी | भाग-1
https://www.youtube.com/watch?v=stQL9KgVZHg
महादेवी वर्मा | कवयित्री | जीवन और लेखन | हिंदी | भाग-2
https://www.youtube.com/watch?v=_uqB5M9ZX60
कविता मंजरी, बारहमासा https://www.youtube.com/watch?v=bjgVp0W-Muw
गिल्लू–महादेवी वर्मा
https://www.youtube.com/watch?v=uxpOlfd05K8
महादेवी वर्मा, भारतीय कवयित्री https://www.youtube.com/watch?v=mWwpjf5YNT4

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