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Class 8 Hindi Chapter-1 लाख की चूड़ियाँ Laakh ki Chudiyaan
वसंत भाग-3 कक्षा- आठवीं
हिंदी
पाठ-1 लाख की चूड़ियाँ शब्दार्थ, पाठ का सार, सारांश, प्रश्नोत्तर
Class 8 Hindi Chapter-1 लाख
की चूड़ियाँ Laakh ki Chudiyaan
लाख की चूड़ियाँ का सार,प्रश्नोत्तर,अन्य प्रश्न कक्षा-8
लाख की चूड़ियाँ कहानी का सार (सारांश), लाख की चूडिया का सार, लाख की चूड़ियाँ, पाठ का सार, लाख की चूड़िया पाठ का सार, लाख की चूड़ियाँ पाठ का सारांश
- लाख- लाल रंग का एक पदार्थ जो
गर्म करने पर पिघलता है
- चाव- शौक
- ढेर- बहुत सारा
- मन मोह लेना- आकर्षित करना
- ऊँचे पर - जमीन से ऊंचाई पर
- सहन- आँगन
- भट्ठी - अंगीठी( सिगड़ी)
- दहकना-जलना
- चौखट- दरवाजे का फ्रेम
- मुलायम- नरम
- सलाख- लोहे की छड़ी
- विभिन्न- तरह-तरह की
- मुंगेरिया- लकड़ी का गोल गुटका
या टुकड़ा
- चूड़ी- कलाई में पहनने वाला
आभूषण( गहना)
- पश्चात- बाद में
- मचिया- बैठने की चौकी
- नव-वधू -नई दुल्हन
- मनिहार- चूड़ी बनाने वाला
- पैतृक - पूर्वजों का
- पेशा- व्यापार,
कारोबार, धंधा
- खपत- खर्च,
समाप्त
- वस्तु विनिमय- वस्तुओं का आदान
प्रदान
- स्वभाव- आदत,
प्रवृत्ति
- जिद पकड़ना- किसी बात पर अड़ जाना
- मुफ्त- बिना किसी पैसे का
- सुहाग का जोड़ा- शादी के समय का
आभूषण
- बिगड़ना- नाराज होना
- लोहे लगना- बड़ी कठिनाई से
- पगड़ी- सिर पर पहनने का वस्त्र
- संसार-विश्व
- चिढ़-खीजना
- कुढ़- जलना ,इर्ष्या करना
- मरद - आदमी
- नाजुक- कमजोर
- मोच- (हाथ )मुड़ जाना ,अंदरूनी चोट ,
- खातिर-आवभगत
- अतिरिक्त- फालतू,
जरूरत से ज्यादा
- लगभग- तकरीबन,
आकलन
- बहुधा- बहुत बार
- अवधि- समय
- रुचि- शौक,
चाव
- विरले- किसी-किसी के( बहुत कम)
- सहसा- अचानक
- ध्यान हो आया- याद आ गया
- आँगन-दालान
- अतीत- बीता हुआ समय
- चित्र उतारना- तस्वीर खींचना
- एकदम- अचानक
- शांति- चुपचाप
- दृष्टि- नजर
- प्रचार- फैलाना,
फैलाव
- मशीनी युग- मशीनों का समय,
मशीनीकरण
- अवस्था- आयु
- ढल चुका- क्षीण होना
- नसें उभरना - शरीर की नाड़ियाँ
दिखाई देना
- शंका - शक
- भाँप लेना - पहचान लेना,
पता लगा लेना
- व्यथा- दुख,
परेशानी
- हाथ काट देना- पंगु बना देना,
मजबूर कर देना
- लहक कर -खुश होकर,
प्रसन्न होकर
- मुखातिब- संबोधन,
सामने की ओर
- डलिया -टोकरी
- उमर- आयु
- बखत- समय
- सिंदूरी- लाल,
आम की एक किस्म
- अँजुली -हथेली
- ठिठक गई - ठहर गई
- फब -खिल,जम ( कोई चीज अच्छी लगना)
- हार कर भी हार न मानना- अपनी बात
पर अड़े रहना।
लाख की चूड़ियाँ कहानी का प्रश्न उत्तर
कहानी से
प्रश्न-1- बचपन में लेखक अपने
मामा के गाँव चाव से क्यों जाता था? और बदलू को बदलू मामा ना
कहकर बदलू काका क्यों कहता था?
उत्तर- लेखक के मामा के गाँव में लाख की चूड़ियाँ बनाने वाला कारीगर
बदलू रहा करता था। वो लाख की बहुत सुन्दर चूड़ियाँ बनाता था परन्तु लेखक को वह लाख
की रंग-बिरंगी सुन्दर गोलियाँ बनाकर दिया करता। ये गोलियाँ इतनी सुन्दर होतीं कि
कोई भी बच्चा इनकी ओर आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकता था . इसी कारण लेखक सदैव बदलू
के पास जाता और यही कारण है कि लेखक को उसके मामा का गाँव भाता था।
बदलू को गाँव के सभी बच्चे बदलू 'काका' कहकर बुलाया करता था इसलिए लेखक ने भी
उनको 'काका' कहना ही उचित समझा।
प्रश्न-2- वस्तु-विनिमय क्या
है? विनिमय की प्रचलित पद्धति क्या है?
उत्तर- वस्तु-विनिमय पद्धति
का अर्थ है किसी वस्तु के बदले में वस्तु को देना। जैसे बदलू गाँव की स्त्रियों को चूड़ियाँ पैसे में न देकर अनाज के बदले में
देता था। आज के समय में वस्तु विनिमय पद्धति समाप्त हो चुकी है। आज के समय में
वस्तु विनिमय की सबसे प्रचलित पद्धति धन या रुपया है।
प्रश्न-3- ‘मशीनी युग ने कितने
हाथ काट दिए हैं’ इस पंक्ति में लेखक ने किस व्यथा की ओर संकेत किया है?
उत्तर- उत्तर- लेखक ने
उन कारीगरों की तरफ़ संकेत किया है जो हाथ से बनी वस्तुओं से अपना जीवनयापन करते
हैं। आज के मशीनी युग ने उन कारीगरों के हाथ काटकर मानों उनकी रोजी-रोटी ही छीन ली
है। उन कारीगरों का रोजगार इन पैतृक काम धन्धों से ही चलता था। वे पीढ़ी दर पीढ़ी
अपनी इस कला को बढ़ाते चले आ रहे हैं और साथ में अपना भरण-पोषण भी कर रहे हैं।
परन्तु मशीनी युग ने जहाँ उनके पेट पर वार किया है, वही दूसरी ओर इन बेशकीमती कलाओं का अंत भी किया है। ऐसी अनगिनत कलाएँ
हैं जो लुप्त अवस्था में हैं और इनको करने वाले कारीगर इस मशीनी युग में खो रहे
हैं। यही वो व्यथा है जो लेखक व्यक्त करना चाहता है। ऐसे कारीगर कला होने पर भी
बेकार हो गए हैं ।
प्रश्न-4- बदलू के मन में ऐसी
कौन सी व्यथा थी जो लेखक से छिपी न रह सकी?
उत्तर- लेखक के अनुसार बदलू उसके मामा के गाँव में लाख की चूड़ियों का
श्रेष्ठ कारीगर था। उसके गाँव के अलावा बाहर गाँव में भी उसकी लाख की चूड़ियाँ खासी
प्रचलित थी, विवाह में भी उसकी चूड़ियों की
अच्छी खासी माँग होती थी । परन्तु जैसे-जैसे काँच की चूड़ियों का प्रचलन बढ़ने लगा।
उसकी लाख की चूड़ियों का मूल्य घटना आरम्भ हो गया। नतीजन एक दिन इन लाख की चूड़ियों
का स्थान काँच की चूड़ियों ने ले लिया और बदलू की लाख की चूड़ियों के व्यवसाय का
अन्त हो गया। अब कोई भी उसकी चूड़ियाँ नहीं पहनता था। सबको काँच की चूड़ियाँ भाने लगी
थी। उसके व्यवसाय की यह दुर्दशा बदलू को अन्दर ही अन्दर कचोटती थी परन्तु अपनी इस
वेदना को वह किसी से प्रकट नहीं करता था। लेखक उसके हृदय की इस वेदना को भली-भांति
समझता था क्योंकि लेखक ने अपने बचपन का एक लम्बा वक्त बदलू के साथ व्यतीत किया था।
इस कारण उसके लिए बदलू के मन की दशा को समझना ज़्यादा आसान हो गया था ।
प्रश्न-5- मशीनी युग में बदलू
के जीवन में क्या बदलाव आया?
उत्तर- मशीनी युग से
बदलू के जीवन में नीरसता आ गई। मशीनों से बनी वस्तुओं के प्रचलन से बदलू के
साथ-साथ बहुत से लोग बेरोजगार हो गए। बदलू के हाथ की बनाई लाख की चूड़ियों को
खरीदने वाला अब गाँव में कोई न रह गया। अर्थात् सभी स्त्रियाँ अब मशीनों से बनी हुई काँच की चूड़ियाँ पहनने लगीं।
इससे बदलू दिनभर प्रायः खाली ही बैठा रहता था। उसके जीवन में जोश उत्साह नित प्रति
समाप्त होता गया था।
कहानी से आगे
प्रश्न-1- आपने मेले-बाजार आदि
में हाथ से बनी चीजों को बिकते देखा होगा। आपके मन में किसी चीज को बनाने की कला
सीखने की इच्छा हुई हो। और आपने कोई कारीगरी सीखने का प्रयास किया हो तो उसके विषय
में लिखिए।
उत्तर- हमारा देश
त्योहारों या पर्वों का देश है। प्रायः प्रत्येक पर्व पर मेले या बाजार लगते हैं।
पिछले दिनों मैं तीज का मेला देखने गया था मेले में अनेक वस्तुओं खेल खिलौनों ने
मेरा मन अपनी ओर आकर्षित कर लिया। एक व्यक्ति को मैंने मिट्टी के मोर बेचते हुए
देखा। उस मिट्टी के मोर ने मुझको मंत्रमुग्ध कर लिया। वह मुझे इतना अच्छा लगा कि
मैंने घर आकर उसे स्वयं बनाया। मैंने चिकनी मिट्टी के लोदे को मोर की शक्ल दी।
कागज के पंख उस पर लगाए। सूखने के पश्चात उसे गर्म लाख के घोल में डुबो दिया। इससे
मोर की शक्ल में चमक और मजबूती आ गई। और इसके बाद मैंने उस पर तरह-तरह के रंग से
ड्राइंग किया।
प्रश्न-2- लाख की वस्तुओं का
निर्माण भारत के किन-किन राज्यों में होता है? लाख से
चूडियों के अतिरिक्त क्या-क्या चीजें बनती हैं? ज्ञात कीजिए।
उत्तर- प्रायः भारत के
सभी राज्यों में लाख की वस्तुओं का निर्माण होता है। परंतु राजस्थान में इसका
सर्वाधिक प्रयोग होता है। यहां लाख से अनेक प्रकार के सौंदर्य प्रसाधन बनाए जाते
हैं। राजस्थान में बने स्त्रियों के लिए लाख की चूड़ियाँ कंगन विश्व
प्रसिद्ध हैं। लाख से खिलौने मूर्तियाँ और तरह-तरह की आकृतियाँ बनाई जाती हैं।
लाख की चूड़ियाँ कहानी का अनुमान और कल्पना
प्रश्न-1- घर में मेहमान के
आने पर आप उसका अतिथि सत्कार कैसे करेंगे?
उत्तर- भारतीय
संस्कृति में अतिथि को देव के समान मानकर सदैव उनको पूजा जाता है और कहा भी गया है
कि अतिथि देवो भव अर्थात अतिथि देवता के समान होते हैं। आज भी अतिथि सत्कार की
परंपरा हम अपने समाज में देखते हैं। मेहमान अर्थात अतिथि के आने से घर भर के माहौल
में प्रसन्नता छा जाती है। उसकी आवभगत में घर के सभी सदस्य लग जाते हैं। तरह-तरह
के स्वादिष्ट व्यंजन पकाए जाते हैं। उसके बाद जीवन एवं व्यवहार से संबंधित बहुत
सारी बातें होती है। अंत में अतिथि को भेंट स्वरूप कुछ उपहार देकर विदा किया जाता
है।
प्रश्न-2- आपको छुट्टियों में
किसके घर जाना सबसे अच्छा लगता है वहां की दिनचर्या अलग कैसे होती है लिखिए
उत्तर- जैसे ही
गर्मियों की छुट्टियाँ शुरू होती हैं, मैं अपने मामा के गाँव चला जाता हूँ। शहर की
दौड़-धूप वाली जिंदगी से दूर गाँव का शांत माहौल बहुत ही शांति और
सुकून देता है। अपने उम्र के बच्चों के साथ सारा दिन सैर सपाटा करना बहुत अच्छा
लगता है। सुबह सैर के लिए खुले शांत लहलहाते खेतों की ओर जाने में बहुत ही आनंद की
अनुभूति होती है। गाँव के बाहर बहती नदी की जल धाराओं का कल कल बहना और पक्षियों का कलरव
मधुर संगीत पैदा करता है। दोपहर के समय में आम के घने छायादार वृक्षों की छाया में
लेटना तन मन की सुध बुध भुला देता है।
प्रश्न-3- मशीनी युग में अनेक
परिवर्तन आए दिन होते रहते हैं। आप अपने आसपास से इस प्रकार के किसी परिवर्तन का
उदाहरण चुनिए और उसके बारे में लिखिए।
उत्तर- इस मशीनी युग
में दिन प्रतिदिन नए-नए परिवर्तन होते हुए देखे जाते हैं। परंतु मैंने एक सबसे
अनूठा परिवर्तन देखा, वह यह कि मेरे घर
के बगल में वर्मा जी रहते हैं वह एक ऐसी कार लेकर आए हैं जो बिना डीजल और पेट्रोल
के चलती है उसे केवल बिजली से चार्ज करना पड़ता है। यह परिवर्तन मुझे बहुत ही आश्चर्यचकित
किया।
प्रश्न-4- बाजार में बिकने
वाले सामानों की डिजाइनों में हमेशा परिवर्तन होता रहता है। आप इन परिवर्तनों को
किस प्रकार देखते हैं? आपस में चर्चा कीजिए।
आज का युग
विज्ञान और तकनीक का युग है। आज नित नए आविष्कार होने से तरह-तरह की वस्तुएँ बाजार में आ रही है। बाजार में वस्तुएँ असीमित मात्रा में उपलब्ध हैं। लोगों की रुचि, आवश्यकता तथा उनकी आय देखकर वस्तुएँ बनाई जाने लगी हैं। खाने-पहनने तथा नित्य प्रयोग की जाने वाली
वस्तुओं की मात्रा में विविधता बढ़ती
जा रही है। नित नए फैशन के
कपड़ों से बाजार भरा पड़ा है।
प्रश्न-5- हमारे खान-पान, रहन-सहन और कपड़ों में भी
बदलाव आ रहा है। इस बदलाव के पक्ष-विपक्ष में बातचीत कीजिए और उसके आधार पर लेख
तैयार कीजिए।
विज्ञान के इस
युग में जब सब कुछ बदल रहा है। हमारे खान-पान, रहन सहन और
कपड़े भी इस बदलाव से अछूते नहीं हैं। इस बदलाव का असर सब पर देखा जा सकता है। कुछ लोगों की बातचीत को आधार मानकर
कहा जा सकता है कि कुछ लोगों के विचार से यह बदलाव अच्छा हैं तथा कुछ इतनी तेजी से
हो रहे बदलाव को शुभ संकेत नहीं मानते हैं।
लाख की चूड़ियाँ कहानी का भाषा की बात
प्रश्न-1- ‘बदलू को किसी बात
से चिढ़ थी तो कांच की चूड़ियों से' और बदलू स्वयं कहता है-
“ सुंदरता कांच की चूड़ियों में होती है लाख में कहां संभव है” यह पंक्तियाँ बदलू
की दो प्रकार की मनोदशा को सामने लाती है। दूसरी पंक्ति में उसके मन की पीड़ा है।
उसमें व्यंगय भी है। हारे हुए मन से या दुखी मन से अथवा व्यंग्य में बोले गए
वाक्यों के अर्थ सामान्य नहीं होते। कुछ व्यंग्य वाक्यों को ध्यान पूर्वक समझकर
एकत्र कीजिए और उनके भीतरी अर्थ की व्याख्या करके लिखिए।
बदलू ने मेरी दृष्टि देख ली और बोल पड़ा, यही आखिरी जोड़ा
बनाया था ज़मींदार साहब की बेटी के विवाह पर, दस आने पैसे
मुझको दे रहे थे। मैंने जोड़ा नहीं दिया। कहा, शहर से ले
आओ।
इस कथन में उसके ज़मींदार पर व्यंग्य करना है। जिस बदलू की चूड़ियों की
धूम सारे गाँव में नहीं अपितु आस पास के गाँवों में भी थी, लोग शादी-विवाह पर उसको मुहँ माँगें मूल्य दिया करते थे, ज़मींदार उसे दस आने देकर सन्तुष्ट करना चाहते थे। दूसरा व्यंग्य उसने
शहर पर किया है । ज़मींदार के द्वारा उसको सिर्फ़ दस आने देने पर उसने जमींदार को
चूड़ियाँ शहर से लाने के लिए कह दिया क्योंकि शहर की चूड़ियों का मूल्य उसकी चूड़ियों
से कई गुना महँगा था।
आजकल सब काम मशीन से होता है खेत भी मशीन से जोते जाते हैं और फिर जो
सुंदरता काँच की चूड़ियों में होती है, लाख में कहाँ संभव
है?
यहाँ पर प्रथम व्यंग्य बदलू ने मशीनों पर किया है, दूसरा व्यंग्य काँच की चूड़ियों पर। उसके अनुसार अब तो खेतों का सारा
काम मशीनों से हो जाता है। आदमियों की ज़रूरत क्या है और दूसरा काँच की चूड़ियों पर
कि काँच की चूड़ियाँ दिखने में इतनी सुन्दर होती है कि लाख की चूड़ियाँ भी इनके आगे
फीकी लगती हैं। अर्थात् सुन्दरता के आगे दूसरी वस्तु की गुणवत्ता का कोई मूल्य
नहीं है।
प्रश्न-2 बदलू कहानी की दृष्टि
से पात्र है और भाषा की बात(व्याकरण) की दृष्टि से संज्ञा है। किसी भी व्यक्ति,
स्थान, वस्तु, विचार
अथवा भाव को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा को तीन भागों में बाँटा गया है-
1-व्यक्तिवाचक संज्ञा जैसे लला, रज्जो, आम, कांच, गाय इत्यादि।
2-जातिवाचक संज्ञा जैसे चरित्र, स्वभाव, वजन, आकार आदि द्वारा
जानी जाने वाली संज्ञा। 3-भाववाचक संज्ञा सुंदरता, नाजुक, प्रसन्नता, इत्यादि
जिसमें कोई व्यक्ति नहीं है और न आकार या वजन। परंतु उसका अनुभव होता है।
पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञा में चुनकर लिखिए।
उत्तर-
1-व्यक्तिवाचक संज्ञा- बदलू, जनार्दन बदलू मामा, बदलू काका,
2-जातिवाचक संज्ञा- बेटी, बच्चे, चूड़ियाँ, औरतें, लड़के, वधू
3-भाववाचक संज्ञा- व्यक्तित्व, भलाई, अच्छाई, चाव,
मोह
प्रश्न-3 गाँव की बोली में कई
शब्दों के उच्चारण बदल जाते हैं। कहानी में बदलू वक्त (समय) को बखत, उम्र (वाय/आयु) को उमर कहता है। इस तरह के अन्य शब्दों को खोजिए जिनके रूप
में परिवर्तन हुआ हो, अर्थ में नहीं।
उत्तर-
शब्द परिवर्तित अर्थ
मर्द -
मरद,
लगभग -
बहुधा,
किसी-किसी - विरले,
देखकर -
मुखातिब,
डोलची -
डलिया,
समय -
बखत,
ठहर गई -
ठिठक
गई,
अच्छी लगना - फबना
अर्थ स्पष्ट करो
1. लाख
की चूड़ियाँ पहने, तो मोच
आ जाए।
अर्थ − लाख की चूड़ियाँ काँच की चूड़ियों से भारी होती है। शायद अब
औरतें लाख की चूड़ियों का भार न सह सके।
2. मशीनी
युग है न, लला!
आजकल सब काम मशीन से होता है।
अर्थ − अब मशीन का युग है। हर काम मशीन से होता है। इससे किसके जीवन
पर क्या असर पड़ता है इसकी किसी को कोई चिंता नहीं है।
3. गाय
कहाँ है लला! दो साल हुए बेच दी। कहाँ से खिलाता?
अर्थ − अब काँच को
चूड़िया बनने के बाद कोई भी लाख की चूड़िया खरीदना पंसद नहीं करता था क्योंकि वे
काँच से महँगी थी। इससे बदलू की आर्थिक स्थिति खराब हो गई उसे खुद के खाने के लिए
नहीं था गाय को कैसे खिलाता।
लाख की चूडिया का सार
कामतानाथ द्वारा लिखित लाख की चूड़ियाँ एक
श्रेष्ठ कहानी है। इस कहानी में लेखक ने ग्रामीण जीवन और लघु उद्योग को चित्रित
किया है। इसमें लेखक ने समय के साथ चीजों में होने वाले परिवर्तन को दर्शाया है।
लेखक को गाँव
में बदलू सबसे भला इंसान लगता था क्योंकि बदलू उसे लाख की सुंदर-सुंदर गोलियाँ बनाकर
देता था। बदलू लेखक के मामा के गाँव का था अतः लेखक को उसे बदलू मामा संबोधन
करना था लेकिन गाँव के सभी बच्चे बदलू को प्यार से बदलू ‘काका’ कहते थे
इसलिए लेखक भी बदलू काका ही कहता था।
बदलू का घर जमीन
से कुछ ऊँचाई पर बना था वहाँ एक पुराना नीम का पेड़ था जिसके नीचे बैठकर बदलू लाख
की चूड़ियाँ बनाता था। वहीँ भट्ठी चला करती थी, एक चौखट पड़ी थी, वह मचिया पर बैठकर बेलननुमा
मुंगेरी से लाख की सुन्दर-सुन्दर चूड़ियाँ बनाता और मचिया पर बैठकर बीच-बीच में
हुक्का भी पीता रहता था।
लेखक का दोपहर
का अधिकतर समय बदलू के पास ही बीतता बदलू लेखक को 'लला' कहकर पुकारता था। लेखक बदलू को लाख की चूड़ियाँ बनाते हुए बड़े शौक से देखता था। बदलू रोज लगभग 4 से 6 जोड़ी लाख की चूड़ियाँ बनाता था।
बदलू मनिहार था।लाख की चूड़ियाँ बनाना उसका पैतृक
पेशा था। उसकी बनाई चूड़ियाँ गांव की सभी स्त्रियाँ पसंद करती थीं लेकिन वह
चूड़ियों को कभी पैसों में नहीं बेचता था।वह वस्तु विनिमय ( किसी वस्तु के बदले वस्तु का लेन-देन ) का तरीका अपनाता था लोग उससे
अनाज के बदले चूड़ियाँ ले जाते थे। बदलू स्वभाव से
बहुत सीधा-साधा था।
शादी विवाह के
अवसर पर बदलू अपनी चूड़ियों की पूरी कीमत वसूलता था। उसे विवाह अवसर
के समय वस्त्र ,अनाज ,पगड़ी और रुपए भी मिलते। बदलू काँच की चूड़ियों से चिढ़ा करता
था।
किसी स्त्री के हाथों में काँ की चूड़ियाँ देखकर
वह कुढ़ जाता और दो-चार बातें सुना देता था।जब कभी लेखक उससे
कहता कि शहर में सभी कांच की चूड़ियाँ ही पहनते हैं तो वह उत्तर देता कि शहर की बात
और है, वहाँ तो सब कुछ होता है ,वहाँ
औरतें अपने मरद का हाथ पकड़ कर घूमती हैं।वैसे भी औरतों
की कलाई नाजुक होती है लाख की चूड़ियाँ पहनने से उन्हें मोच भी आ सकती है।
बदलू के घर लेखक
की अच्छी मेहमान नवाजी होती।लेखक को दूध मिलता ,खाने के लिए मलाई मिलती और अच्छी किस्म
के आम मिला करते थे। लेखक लाख की एक-दो गोली रोज ही अपने
साथ ले जाता था।
लेखक गर्मियों
की छुट्टी में मामा के यहाँ जाता और वहाँ कुछ समय रह कर वापस आ जाता लेकिन एक बार पिता
जी की एक दूर शहर में बदली हो गई। लेखक लंबे समय तक अपने मामा के गाँव
नहीं जा सका और 8 से 10 वर्ष बीतने के बाद लेखक जब बड़ा हो गया तो उसकी रूचि लाख की गोलियों
में नहीं रही। एक बार जब वह गाँव गया तो उसे बदलू का ध्यान ही न आया। उसने अपने गाँव
में सभी स्त्रियों के हाथों में काँच की चूड़ियाँ देखीं।
एक बार मामा की
छोटी लड़की आंगन में फिसल कर गिर पड़ी।उसकी कलाइयों में काँच की चूड़ी से
चोट लग गई थी। मरहम पट्टी लेखक ने ही करवाई। इसी दौरान लेखक को बदलू की याद आई और
वह बदलू से मिलने चला गया। बदलू वहीँ चबूतरे पर एक खाट पर लेटा
हुआ था लेखक को देखकर बदलू उसे पहचान नहीं सका। तब लेखक ने कहा
मैं हूँ 'जनार्दन'। बदलू
ने दिमाग पर जोर डालकर लेखक को पहचान ही लिया और बोला आओ बैठो 'लला' बहुत दिन बाद गाँव में आना हुआ।
लेखक ने अपने चारों
ओर नजर दौड़ाई तो उसे चूड़ियाँ बनाने का सामान नजर नहीं आया तब उसने पूछा क्या आजकल
काम नहीं करते हो? तो बदलू ने कहा हाँ
कई साल हो गए मैंने काम बंद कर दिया है। अब मेरे द्वारा
बनाई गई चूड़ी कोई नहीं पूछता। गाँव-गाँव में काँच की चूड़ी का चलन
हो गया। मशीनी युग आ गया है सब काम
मशीन से होता है और फिर सुंदरता ( चमक) भी काँच की चूड़ियों में अधिक होती है जो
लाख की चूड़ियों में संभव नहीं। लेकिन काँच बहुत खतरनाक होता है
जल्दी टूट जाता है।
बातों ही बातों
में बदलू को खाँसी आ गई। लेखक को लगा कि बदलू को दमा हो गया लेकिन बदलू ने कहा कि यह मौसमी
खाँसी है कुछ ही दिन में ठीक हो जाएगी ।लेखक चुप रहा लेकिन वह भाँप गया कि
बदलू अंदर ही अंदर कोई दुख भरी कहानी छुपा रहा है और लेखक देर तक सोचता रहा कि
शायद इस मशीनी युग ने कई लोगों के हाथ काट दिए हैं (बेरोजगार कर दिया है) और बदलू भी उनमें से एक है।
बदलू
ने अपनी बेटी रज्जो को बुलाया और लेखक को आम देने के लिए कहा।जब रज्जो लेखक
को आम दे रही थी तो लेखक ने रज्जो के हाथों में लाख की चूड़ियों को देखा। वह कुछ बोल
पाता कि बदलू ने कहा - यह आखिरी जोड़ा है जो जमींदार साहब की बेटी के विवाह पर
बनाया था। उचित पैसे नहीं दे रहे थे इसलिए मैंने उनको नहीं दिया। फिर लेखक अपने
साथ कुछ आम लेकर चला गया और लेखक को यह जानकर अच्छा लगा कि
बदलू ने हार कर भी हार नहीं मानी है उसका व्यक्तित्व अभी
भी काँच की चूड़ियों के जैसा नहीं हुआ था जो आसानी से टूट जाता।
मशीनी युग के
कारण समय में परिवर्तन आया लेकिन बदलू अपने परंपरागत पेशा व कला को छोड़ना नहीं
चाहता था। वह उससे आत्मीय रूप से जुड़ा हुआ था। काँच की
चूड़ियों का प्रचार-प्रसार होने के बावजूद भी उसने लाख की चूड़ियाँ बनाना नहीं छोड़ा। वह चाहता तो
कांच की चूड़ियाँ भी बना सकता था लेकिन उसने काम बंद कर दिया क्योंकि वह अपने
जीवन-मूल्यों के साथ समझौता करना नहीं चाहता था।इससे बदलू के
व्यव्हार के बारे में पता चलता है कि बदलू पेशे के प्रति ईमानदार था।वह कलात्मक
कुशलता के समाप्त होने पर दुखी था।वह समझौतावादी नहीं था।उसने अपनी बेटी
को लाख की चूड़ियाँ पहनाई। इससे पता चलता है कि उसने अपने संस्कार
आने वाली पीढ़ियों को भी दिए। वह दृढ़ इच्छाशक्ति वाला व्यक्ति था आसानी
से हार मानने वाला व्यक्ति नहीं था।
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