सोमवार, 8 जनवरी 2024

CERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 19 आश्रम का अनुमानित व्यय

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 19 आश्रम का अनुमानित व्यय

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

लेखा-जोखा
1: हमारे यहाँ बहुत से काम लोग खुद नहीं करके किसी पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। लेकिन गाँधी जी पेशेवर कारीगरों के उपयोग में आनेवाले औज़ार – छेनी, हथौड़े, बसूले क्यों खरीदना चाहते होंगे?

उत्तर : गाँधी जी के मन में आश्रम के प्रत्येक व्यक्ति को स्वावलंबी बनाने की बात रही होगी क्योंकि जिन औज़ारों का ज़िक्र किया गया है, वे बढ़ई के कार्य अर्थात्‌ लकड़ी का सामान बनाने के काम में आता है। गाँधी जी अहमदाबाद में एक आश्रम खोलने का प्रयास कर रहे थे। वे चाहते थे कि आश्रम में सारा काम आश्रम के लोग स्वयं ही करें। इसके लिए वह औज़ारों की एक सूची तैयार कर रहे थे। ताकि आश्रम में रहकर ही उसकी ज़रूरतों का सामान स्वयं बनाया जा सके, आश्रम व उसके लोग स्वयं की ज़रूरतों के लिए किसी कारीगर पर निर्भर ना रहें।

प्रश्न 2. गांधी जी ने अखिल भारतीय कांग्रेस सहित कई संस्थाओं व आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनकी जीवनी या उन पर लिखी गई किताबों से उन अंशों को चुनिए जिनसे हिसाब-किताब के प्रति गांधी जी की चुस्ती का पता चलता है।
उत्तर : गांधी जी कोई भी कार्य बिना हिसाब किताब के नहीं करते थे। वे प्रत्येक विषय के प्रति नकारात्मक व सकारात्मक सोच बराबर रखते थे। निम्ने उदाहरणों द्वारा इस वक्तव्य को स्पष्टता दे सकते हैं-

1.  दांडी यात्रा’ के लिए गाँधी जी जब ‘रास’ नामक स्थान पर पहुँचे तो वहाँ निषेधाज्ञा लागू थी अर्थात कोई भी नेता किसी प्रकार के विचार जलूस-जलसे के रूप में नहीं प्रकट कर सकता था। गांधी जी तो लोगों को संबोधित किए बिना रह नहीं सकते थे तो पहले ही यह योजना बना ली गई कि यदि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया तो अब्बास तैयबजी दांडी यात्रा का नेतृत्व करेंगे।

2.  असहयोग आंदोलन के समय भी वे यह हिसाब लगाने में पूर्णतया सक्ष्म थे कि किस स्थान पर किस तरह से ब्रिटिश शासन पर प्रहार करना है। यही कारण था कि लोग उनके हर विचार की कद्र करते थे और उनका कहा पूरी तरह से मानते थे। |

3.  वे बिल्कुल भी फिजूल खर्च न करते थे एक-एक पैसा सोच समझकरे खर्च करते थे यहाँ तक कि कई बार तो पच्चीस-पच्चीस किलोमीटर एक दिन में पैदल चलते थे। उनका मानना था कि धन को जरूरी कामों के लिए ही खर्च करना चाहिए। शानो-शौकत या वैभवपूर्व जीवन जीने के लिए नहीं।

4.  किसी भी आश्रम या सभा का हिसाब-किताब वे बहुत कुशलता से लगाते थे। साबरमती आश्रम में भी उन्होंने ऐसा बजट बनाया कि आने वाले मेहमानों के खर्च भी उसमें शामिल किए गए।

प्रश्न 3. मान लीजिए, आपको कोई बाल आश्रम खोलना है। इस बजट से प्रेरणा लेते हुए उसको अनुमानित बजट बनाइए। इस बजट में दिए गए किन-किन मदों पर आप कितना खर्च करना चाहेंगे। किन नई मदों को जोड़ना-हटाना चाहेंगे?
उत्तर-
छात्र इस पाठ से उदाहरण लेकर बाल आश्रम के लिए आवश्यक चीज़ों और उनके अनुमानित-खर्च का बजट तैयार करें।

प्रश्न 4. आपको कई बार लगता होगा कि आप कई छोटे-मोटे काम ( जैसे- घर की पुताई, दूध दुहना, खाट बुनना ) करना चाहें तो कर सकते हैं। ऐसे कामों की सूची बनाइए जिन्हें आप चाहकर भी नहीं सीख पाते। इसके क्या कारण रहे होंगे उन कामों की सूची भी बनाइए, जिन्हें आप सीख कर ही छोड़ेंगे?
उत्तर- हमारे जीवन में ऐसे बहुत से काम होते हैं जिसे हम चाहकर भी नहीं सीख पाते; जैसे- घर पुताई सफ़ेदीवाला करता है, दूधवाला दूध देता है और खाट (चारपाई) बुननेवाले से बुनवाई जाती है। कुछ ऐसे ही निम्न कार्य हैं, मैं चाहकर भी सीख नहीं पाता; जैसे

कार्य                           कारण

रोटी बनाने का कार्य              लगन की कमी

सिलाई करने का काम             सिखानेवाला नहीं मिला

चप्पल जूते में टाँका लगाना – जानकारी का अभाव एवं औजारों की कमी पर मैं इन कामों को सीखने का पूरा प्रयास कर रहा हूँ। मैं इन कामों को सीखकर ही दम लूंगा।

मैं इन कामों को सिखाने वाले प्रशिक्षित व्यक्ति के तालाश में हूँ। मैं इस काम को सीखकर ही दम लूँगा।

प्रश्न 5. इस अनुमानित बजट को गहराई से पढ़ने के बाद आश्रम के उद्देश्यों और कार्यप्रणाली के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए जा सकते हैं?
उत्तर - अनुमानित बजट को गहराई से अध्ययन करने के बाद हम आश्रम के उद्देश्यों को भलीभाँति समझ सकते हैं स्वावलंबन की भावना का विकास करना, अतिथि सत्कार करना, जरूरतमंदों को आवश्यक सुविधाएँ प्रदान करना, बेकार लोगों को आजीविका प्रदान करना, श्रम का महत्त्व समझना, कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देना, चरखे खादी आदि से स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा देना। सहयोग की भावना का विकास। इस आश्रम की कार्य प्रणाली का मुख्य आधार आत्मनिर्भरता है।

भाषा की बात

प्रश्न 1. अनुमानित शब्द अनुमान में इत प्रत्यय जोड़कर बना है। इत प्रत्यय जोड़ने पर अनुमान का ‘न’ नित में परिवर्तित हो जाता है। नीचे इत प्रत्यय वाले कुछ और शब्द लिखे हैं। उनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है

प्रमाणित 
व्यथित 
द्रवित 
मुखरित
झंकृत 
शिक्षित 
मोहित 
चर्चित

इत प्रत्यय की भाँति इक प्रत्यय से भी शब्द बनते हैं और तब शब्द के पहले अक्षर में भी परिवर्तन हो जाता है; जैसे सप्ताह के इक + साप्ताहिक। नीचे इक प्रत्यय से बनाए गए शब्द दिए गए हैं। इनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है

मौखिक

संवैधानिक

प्राथमिक

नैतिक

पौराणिक

दैनिक

उत्तर - इत प्रत्यय युक्त शब्द

मूल शब्द

प्रत्यय

प्रमाणित
झंकृत
व्यथित
द्रवित
मुखरित
शिक्षित
द्रवित
मोहित
मुखरित
चर्चित
मौखिक
नैतिक
संवैधानिक
पौराणिक
प्राथमिक
दैनिक

प्रमाण + इत
झंकार + इत
व्यथा + इत
द्रव + इत
मुखर + इत
शिक्षा + इत
द्रव + इत
मोह + इत
मुखर + इत
चर्चा + इत
मुख + इक
नीति + इक
संविधान + इक
पुराण + इक
प्रथम + इक
दिन + इक

प्रश्न 2. बैलगाड़ी और घोड़ागाड़ी शब्द दो शब्दों को जोड़ने से बने हैं। इसमें दूसरा शब्द प्रधान है, यानी शब्द का प्रमुख अर्थ दूसरे शब्द पर टिका है। ऐसे समास को तत्पुरुष समास कहते हैं। ऐसे छह शब्द और सोचकर लिखिए और समझिए कि उनमें दूसरा शब्द प्रमुख क्यों है?
उत्तर
राहखर्च          क्रीडाक्षेत्र
तुलसीकृत        घुड़सवार
गंगाजल         वनवास
इन शब्दों में दूसरा शब्द प्रमुख है क्योंकि दूसरा शब्द पहले शब्द की सार्थकता को स्पष्ट कर रहा है।

जैसे-
राहखर्च          राह के लिए खर्च
तुलसीकृत        तुलसी द्वारा कृत
गंगाजल         गंगा का जल
क्रीडाक्षेत्र         क्रीड़ा के लिए क्षेत्र
घुड़सवार         घोड़े पर सवार
वनवास         वन में वास

युद्ध क्षेत्र         युद्ध का मैदान

राजकुमार         राजा का कुमार

पवनचक्की        पवन से चलने वाली चक्की

रसोईघर          रसोई का घर

प्रधानमंत्री         मंत्रियों का प्रधान

हवाई जहाज़       हवा में उड़नेवाला जहाज़


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