सोमवार, 1 जनवरी 2024

NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 13 क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः

NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 13 क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः

NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Ruchira Chapter 13 क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः

Class 8 Sanskrit Chapter 13 क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः Summary

पाठ परिचय
प्रस्तुत पाठ्यांश डॉ. कृष्णचन्द्र त्रिपाठी द्वारा रचित हैं, जिसमे भारत के गौरव का गुणगान है। इसमें देश की खाद्यान्न सम्पन्नता, कलानुराग, प्राविधिक प्रवीणता, वन एवं सामरिक शक्ति की महनीयता को दर्शाया गया है। प्राचीन परम्परा, संस्कृति, आधुनिक मिसाइल क्षमता एवं परमाणु शक्ति सम्पन्नता के गीत द्वारा कवि ने देश की सामर्थ्यशक्ति का वर्णन किया है। छात्र संस्कृत के इन श्लोकों का सस्वर गायन करें तथा देश के गौरव को महसूस करें, इसी उद्देश्य से इन्हें यहाँ संकलित किया गया है।

शब्दार्थ:
पीयूषतुल्यम् – अमृत समान,

भाति – सुशोभित होती है,

शस्यैः – फसलों से,

धरेयम् – धरा + इयम् = यह पृथ्वी,

क्षितौ – क्षिति (पृथ्वी) पर,

त्रिशूलाग्निनागैः पृथिव्यस्त्रधोरैः – त्रिशूल, अग्नि, नाग, पृथ्वी तथा आकाश – पाँच मिसाइलों (अस्त्रों) के नाम,

मेदिनी – पृथ्वी,

पर्वणामुत्सवानाम् – पर्व और उत्सवों की,

निमज्जति – विद्वज्जनों की,

विपश्चिज्जनानाम् – यन्त्रविद्या को जानने वालों की,

यन्त्रविद्याधराणाम् – मध्य भाग तक,

भिषक् – वैद्य, चिकित्सक,

प्रबन्धे युतानाम् – ‘प्रबन्धक’ समुदाय प्रबन्ध कार्यों में, लग हुए,

नट, नटी – अभिनेता, अभिनेत्री,

केसरीणाम् [केश+रि+डी (औणादि)]- सिंहों की,

तटीनाम् – नदियों की,

भूधराणाम्पर्वतों का,

पिकानाम् – कायेलो का,

शिखीनाम् – मोरों की।

मूलपाठः
सुपूर्ण सदैवास्ति खाद्यान्नभाण्डं
नदीनां जलं यत्र पीयूषतुल्यम्।
इयं स्वर्णवद् भाति शस्यैर्धरेयं
क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः ॥1

सरलार्थः
सम्पूर्ण पृथ्वी खाद्यान्न की भंडार है, पदियों का जल अमृत के समान है, पृथ्वी पर लगी फसलें स्वर्ण भूमि के समान सुशोभित है।

त्रिशूलाग्निनागैः पृथिव्यस्त्रघोरैः
अणूनां महाशक्तिभिः पूरितेयम्।
सदा राष्ट्ररक्षारतानां धरेयम्
क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः ॥2

सरलार्थः
त्रिशुल, अग्नि, नाग, पृथ्वी, और आकाश परमाणु शक्तियों के परिपूर्ण है जो सदा राष्ट्र की रक्षा में तत्तपर है। सम्पूर्ण पृथ्वी पर भारत देश स्वर्ण भूमि के समान सुशोभित है।

इयं वीरभोग्या तथा कर्मसेव्या
जगद्वन्दनीया च भूः देवगेया।
सदा पर्वणामुत्सवानां धरेयं
क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः ॥3

सरलार्थः
यह भारत देश वीरों एवं कर्म सेवकों की भूमि की पुरे विश्व में देवताओं द्वारा प्रशंसनीय है, सदा पर्वो एवं उत्सवों से परिपूर्ण है। सम्पूर्ण पृथ्वी पर भारत देश स्वर्णभूमि के समान सुशोभित है।

इयं ज्ञानिनां चैव वैज्ञानिकानां
विपश्चिज्जनानामियं संस्कृतानाम्।
बहूनां मतानां जनानां धरेयं
क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः ॥4

सरलार्थः
यह पृथ्वी ज्ञानियों, वैज्ञानिकों बृद्धिजीवियों, श्रेष्ठ संस्कृतिधारकों और अनेकों मतों वाली लोगों की हैं सम्पूर्ण पृथ्वी पर भारत देश स्वर्ण भूमि के समान सुशोभित है।

इयं शिल्पिनां यन्त्रविद्याधराणां
भिषक्शास्त्रिणां भूः प्रबन्धे युतानाम्।
नटानां नटीनां कवीनां धरेयं
क्षितौ राजतै भारतस्वर्णभूमिः ॥5

सरलार्थः
यह पृथ्वी हस्तकलाओं, अभियंताओं, आयुर्वेदाचार्यो, समुदाय कार्यों में लगे, अभिनेतओं कवियों से परिपूर्ण है। सम्पूर्ण पृथ्वी पर भारत देश स्वर्णभूमि के समान सुशोभित है।

वने दिग्गजानां तथा केशरीणां
तटीनामियं वर्तते भूधराणाम्।
शिखीनां शुकानां पिकानां धरेयं
क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः ॥6

सरलार्थः
यह पृथ्वी वनों, हाथियों, सिंहों, नदियों, पर्वतों, मोरों, तोता, कोयल से परिपूर्ण हैं सम्पूर्ण पृथ्वी पर भारत देश स्वर्णभूमि के समान सुशोभित है।

 

Class 8 Sanskrit Chapter 8 Chapter 13 क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः Textbook Questions and Answers

1. प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत –
(निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एकपद में लिखो)

(क) इयं धरा कैः स्वर्णवद् भाति?
उत्तराणि: - शस्यैः

(ख) भारतस्वर्णभूमिः कुत्र राजते?
उत्तराणि: - क्षितौ

(ग) इयं केषां महाशक्तिभिः पूरिता?
उत्तराणि: - अणूनाम्

(घ) इयं भूः कस्मिन् युतानाम् अस्ति?
उत्तराणि: - प्रबन्धे

(ङ) अत्र किं सदैव सुपूर्णमस्ति?
उत्तराणि: - खाद्यान्नभाण्डम्।

2. समानार्थकपदानि पाठात् चित्वा लिखत –
(समान अर्थ वाले पदों को पाठ से चुनकर लिखिए)

(क) पृथिव्याम् ………. (क्षितौ/पर्वतेषु त्रिलोक्याम्)
उत्तराणि: - पृथिव्याम् क्षितौ।

(ख) सुशोभते ……. (लिखते/भाति/पिबति)
उत्तराणि: - सुशोभते भाति।

(ग) बुद्धिमताम् ……. (पर्वणाम्/उत्सवानाम्/विपश्चिज्जनानाम्)
उत्तराणि: - बुद्धिमताम् विपश्चिज्जनानाम्।

(घ) मयूराणाम् …………… (शिखीनाम्/शुकानाम्/पिकानाम्)
उत्तराणि: - मयूराणाम् शिखीनाम्।

(ङ) अनेकेषाम् ……………. (जनानाम्/वैज्ञानिकानाम्/बहूनाम्)
उत्तराणि: - अनेकेषाम् बहूनाम्।

3. श्लोकांशमेलनं कृत्वा लिखत –
(श्लोक का मेल कीजिए)

(क) त्रिशूलाग्निनागैः पृथिव्यस्त्रघोरैः      नदीनां जलं यत्र पीयूषतुल्यम्
(ख) सदा पर्वणामुत्सवानां धरेयम्        जगद्वन्दनीया च भू:देवगेया
(ग) वने दिग्गजानां तथा केशरीणाम्    क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः
(घ) सुपूर्ण सदैवास्ति खाद्यान्नभाण्डम्    अणूनां महाशक्तिभिः पूरितेयम्
(ङ) इयं वीरभोग्या तथा कर्मसेव्या       तटीनामियं वर्तते भूधराणाम्
उत्तराणि: -
(क) त्रिशूलाग्निनागैः पृथिव्यस्त्रघोरैः      अणूनां महाशक्तिभिः पूरितेयम्
(ख) सदा पर्वणामुत्सवानां धरेयम्     -    क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः
(ग) वने दिग्गजानां तथा केशरीणाम्    तटीनामियं वर्तते भूधराणाम्
(घ) सुपूर्ण सदैवास्ति खाद्यान्नभाण्डम्    नदीनां जलं यत्र पीयूषतुल्यम्
(ङ) इयं वीरभोग्या तथा कर्मसेव्या       जगद्वन्दनीया च भू:देवगेया

4. चित्रं दृष्ट्वा (पाठात्) उपयुक्तपदानि गृहीत्वा वाक्यपूर्ति कुरुत
(चित्र को देखकर सही पदों से वाक्य पूरे कीजिए)

(क) अस्मिन् चित्रे एका ………………….. वहति।
उत्तराणि: - अस्मिन् चित्रे एका नदी वहति।

(ख) नदी …………………. नि:सरति।
उत्तराणि: - नदी पर्वतात् नि:सरति।

(ग) नद्याः जलं …………………. भवति।
उत्तराणि: - नद्याः जलं शीतलं भवति।

(घ) …………. शस्यसेचनं भवति।
उत्तराणि: - नदीजलेन शस्यसेचनं भवति।

(ङ) भारतः ……. भूमिः अस्ति।
उत्तराणि: - भारतः कृषकाणां भूमिः अस्ति।

5. चित्राणि दृष्ट्वा (मञ्जूषातः) उपयुक्तपदानि गृहीत्वा वाक्यपूर्ति कुरुत –
(चित्र को देखकर मञ्जूषा से शब्द चुनकर वाक्य पूरे कीजिए)।

अस्त्राणाम्, भवति, अस्त्राणि, सैनिकाः, प्रयोगः, उपग्रहाणां

(क) अस्मिन् चित्रे ……………… दृश्यन्ते।
उत्तराणि: - अस्मिन् चित्रे अस्त्राणि दृश्यन्ते।

(ख) एतेषाम् अस्त्राणां …………………. युद्धे भवति।
उत्तराणि: - एतेषाम् अस्त्राणां प्रयोगः युद्धे भवति।

(ग) भारतः एतादृशानां …………….. प्रयोगेण विकसितदेशः मन्यते।
उत्तराणि: - भारतः एतादृशानां अस्त्राणाम् प्रयोगेण विकसितदेशः मन्यते।

(घ) अत्र परमाणुशक्तिप्रयोगः अपि ……..
उत्तराणि: - अत्र परमाणुशक्तिप्रयोगः अपि भवति

(ङ) आधुनिकैः अस्त्रैः ……….. अस्मान् शत्रुभ्यः रक्षन्ति।
उत्तराणि: - आधुनिकैः अस्त्रैः सैनिकाः अस्मान् शत्रुभ्यः रक्षन्ति।

(च) ……………… सहायतया बहूनि कार्याणि भवन्ति।
उत्तराणि: - उपग्रहाणां सहायतया बहूनि कार्याणि भवन्ति।

6. (अ) चित्रं दृष्ट्वा संस्कृते पञ्चवाक्यानि लिखत –
(चित्र देखकर संस्कृत भाषा में पाँच वाक्य लिखिए)

(क) …………………………………
(ख) …………………………………
(ग) …………………………………
(घ) …………………………………
(ङ) …………………………………
उत्तराणि: -
उत्तरम्:
(
क) इदम् दीपमालिकाया: उत्सवस्य चित्रम् अस्ति।
(
ख) दीपमालिकोत्सवः कार्तिकमासे भवति।
(
ग) इदम् अस्माकं धार्मिकोत्सवः अस्ति।
(
घ) अस्मिन् दिने जनाः मिष्ठान्नं खादन्ति।
(
ङ) जनाः परस्परं मिलित्वा प्रहर्षिता: भवन्ति।

 

6. (आ) चित्रं दृष्ट्वा संस्कृते पञ्चवाक्यानि लिखत
(चित्र देखकर संस्कृत भाषा में पाँच वाक्य लिखिए)

(क)     …………………………………

(ख)    …………………………………

(ग)     …………………………………

(घ)     …………………………………

(ङ)     …………………………………

उत्तराणि: -
(क) रक्षाबन्धनं भारतीयानां मुख्योत्सवः अस्ति।
(
ख) भगिन्याः भ्राताहस्तेषु रक्षासूत्रं बन्धयन्ति।
(
ग) भ्रातरः अपि ताषां रक्षाकृते संकल्पयन्ति।
(
घ) भ्रातरः भगिन्यश्च परस्परम् उपहाराणि यच्छन्ति।
(
ङ) ते मिलित्वा मिष्ठान्नानि चापि खादन्ति।

7. अत्र चित्रं दृष्ट्वा संस्कृतभाषया पञ्चवाक्येषु प्रकृतेः वर्णनं कुरुत –
(यहाँ दिए चित्र को देखकर संस्कृत भाषा में पाँच वाक्यों में प्रकृति वर्णन कीजिए)

(क)     …………………………………
(ख) …………………………………
(ग) …………………………………
(घ) …………………………………
(ङ) …………………………………
उत्तराणि: -
उत्तरम्:
(
क) इदम् उद्यानस्य चित्रम् अस्ति।
(
ख) अत्र बहवः वृक्षाः सन्ति।
(
ग) वृक्षेषु बहवः पक्षिणः सन्ति।
(
घ) अत्र एक: व्याघ्रः अपि दृश्यते।
(
ङ) उद्याने मृगः तिष्ठति तत्र मयूरः अपि अस्ति।

योग्यता-विस्तार
प्राचीन काल में भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था, इसी भाव को ग्रहण कर कवि ने प्रस्तत पाठ में भारतभूमि की प्रशंसा करते हुए कहा है कि आज भी यह भूमि विश्व में स्वर्णभूमि बनकर ही सुरभित हो रही है।

कवि कहते हैं कि आज हम विकसित देशों की परम्परा में आगण्य होकर मिसाइलों का निर्माण कर रहे हैं. परमाणु शक्ति का प्रयोग कर रहे हैं। इसी के साथ ही साथ हम ‘उत्सवप्रियाः खलु मानवाः नामक उक्ति को चरितार्थ भी कर रहे हैं किअनेकता में एकता है हिंद की विशेषता’ इसी आधार पर कवि के उद्गार हैं कि बहुत मतावलम्बियों के भारत में होने पर भी यहाँ ज्ञानियों, वैज्ञानिकों और विद्वानों की कोई कमी नहीं है। इस धरा ने सम्पूर्ण विश्व को शिल्पकार, इंजीनियर, चिकित्सक, प्रबंधक, अभिनेता, अभिनेत्री और कवि प्रदान किए हैं। इसकी प्राकृतिक सषमा अद्भुत है। इस तरह इन पद्यों में कवि ने भारत के सर्वाधिक महत्त्व को उजागर करने का प्रयास किया है।

पाठ में उत्सवों की चर्चा की गई है ये समानार्थक होते हए भी भिन्न हैं। पर्व एक निश्चित तिथि पर ही मनाए जाते हैं, जैसे-होली, दीपावली, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस इत्यादि। परन्तु उत्सव व्यक्ति विशेष के उद्गार एवं आह्वाद के द्योतक हैं। किसी के घर संतानोत्पत्ति उत्सव का रूप ग्रहण कर लेती है तो किसी को सेवाकार्य में प्रोन्नति प्राप्त कर लेना, यहाँ तक कि बिछुड़े हुए बंधु-बांधवों से अचानक मिलना भी किसी उत्सव से कम नहीं होता है।

 

 


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