सोमवार, 8 जनवरी 2024

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 18 संघर्ष के कराण मैं तुनुकमिजाज हो गया धनराज

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 18 संघर्ष के कराण मैं तुनुकमिजाज हो गया धनराज

 

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

साक्षात्कार से
1: साक्षात्कार पढ़कर आपके मन में धनराज पिल्लै की कैसी छवि उभरती है? वर्णन कीजिए।

उत्तर - धनराज पिल्लै का साक्षात्कार पढ़कर यही छवि उभरती है कि वे सीधा-सरल जीवन व्यतीत करने वाले मध्यमवर्गीय परिवार से नाता रखने वाले हैं। वे देखने में बहुत सुंदर नहीं हैं। हॉकी के खेल में इतनी प्रसिद्धि प्राप्त करने का जरा भी अभिमान उनमें नहीं है। आम लोगों की भाँति लोकल ट्रेनों में सफर करने में भी कतराते नहीं। विशेष लोगों से मिलकर बहुत प्रसन्नता का अनुभव करते हैं। उन्हें माँ से बहुत लगाव है। इतनी प्रसिद्धि पाने पर भी आर्थिक समस्याओं से जूझते रहें। उन्हें हॉकी खेल से बहुत लगाव है। लोग भले ही उनको तुनुकमिज़ाज समझे लेकिन वे बहुत सरल हृदय मनुष्य हैं।

 

2: धनराज पिल्लै ने ज़मीन से उठकर आसमान का सितारा बनने तक की यात्रा तय की है। लगभग सौ शब्दों में इस सफ़र का वर्णन कीजिए।

उत्तर - धनराज पिल्लै का बचपन काफ़ी आर्थिक संकटों के बीच गुजरा है। उन्होंने गरीबी को काफ़ी करीब से देखा है। धनराज पिल्लै ने ज़मीन से उठकर आसमान का सितारा बनने तक का सफर तय किया है। उनके पास अपने लिए एक हॉकी स्टिक तक खरीदने के पैसे नहीं थे। शुरुआत में मित्रों से उधार लेकर और बाद में अपने बड़े भाई की पुरानी स्टिक से उन्होंने काम चलाया लेकिन आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई। अंत में मात्र 16 साल की उम्र में उन्हें मणिपुर में 1985 में जूनियर राष्ट्रीय हॉकी खेलने का मौका मिला। इसके बाद इन्हें सन् 1986 में सीनियर टीम में स्थान मिला। उस वर्ष अपने बड़े भाई के साथ मिलकर उन्होंने मुंबई लीग में अपने बेहतरीन खेल से खूब धूम मचाई। अंततः 1989 में उन्हें ऑलविन एशिया कप कैंप के लिए चुना गया। उसके बाद वे लगातार सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ते रहे और उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

 

3: ‘मेरी माँ ने मुझे अपनी प्रसिद्धि को विनम्रता से सँभालने की सीख दी है’-धनराज पिल्लै की इस बात का क्या अर्थ है?

उत्तर : सफलता से लोग प्राय: घंमड में अंधे हो जाते हैं। इसलिए धनराज पिल्लै की माँ ने उन्हें विनम्र रहने की सीख दी है। बड़ी-से-बड़ी कठिनाईयों को विन्रमता से हल किया जा सकता है। आदमी कितना भी बड़ा हो जाए, घमंड नहीं करना चाहिए। बल्कि, विनम्र ही रहना चाहिए जैसे फल से लदा एक पेड़ झुका रहता है।

 

साक्षात्कार से आगे

1: ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है। क्यों? पता लगाइए।

उत्तर : ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है क्योंकि जैसे जादूगर अपने दावपेंचों से हमारी ही आँखों के सामने न जाने क्या-क्या करतब कर दिखाता है और हम दाँतों तले उँगली दबा लेते हैं वैसे ही ध्यानचंद भी हॉकी खेलने में माहिर हैं। कोई भी ऐसा दावपेंच नहीं जो उन्हें न आता हो। कोई भी हॉकी में उन्हें मात नहीं दे सकता।

 

2: किन विशेषताओं के कारण हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल कहा जाता है?
उत्तर : हॉकी का खेल काफ़ी पहले ज़माने से भारत में खेला जाता रहा है। इसे राजा-महाराजाओं से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी बड़े चाव से खेला करते थे। आज भी इस खेल के प्रति रुचि देश एवं विदेशों में बना हुआ है। इस खेल को खेलने में अधिक पैसों की जरूरत नहीं पड़ती है। पुराने जमाने के लोग पेड़ों की टहनियों से इस खेल को खेला करते थे। यह खेल वर्षों से लगातार आगे ही बढ़ता जा रहा है। यह सीमित संसाधन में खेला जाने वाला खेल है। इसलिए इसे भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है।

 

3: आप समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं में छपे हुए साक्षात्कार पढ़ें और अपनी रुचि से किसी व्यक्ति को चुनें, उसके बारे में जानकारी प्राप्त कर कुछ प्रश्न तैयार करें और साक्षात्कार लें।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

4: किन विशेषताओं के कारण हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है?

उत्तर : हॉकी भारत में अतयन्त लोकप्रिय है। यह खेल भारत के सभी छोटे-बड़े शहरों में अनेकों वषों से खेला जाता रहा है। भारतीय खिलाड़ियों ने इस खेल में बहुत गौरव कमाया है। सन् 1928 से 1956 तक, भारत ने ओल्मिपक खेलों में लगातार छः स्वर्ण पदक जीते। अतः हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1. यह कोई जरूरी नहीं कि शोहरत पैसा भी साथ लेकर आए-‘क्या आप धनराज पिल्लै की इस बात से सहमत हैं? अपने अनुभव और बड़ों से बातचीत के आधार पर लिखिए।
उत्तर-
हम धनराज पिल्लै के इस बात से सहमत हैं कि कोई ज़रूरी नहीं कि शोहरत पैसा भी साथ लेकर आए। उनका यह कथन बिलकुल सच है क्योंकि धनराज को स्वयं जितनी शोहरत मिली उतना पैसा प्राप्त नहीं हुआ। वे काफ़ी समय तक आम लोगों की भाँति लोकल ट्रेनों में सफ़र करते रहे, जिसे देखकर लोग हैरान होते थे। हमारे देश में कई ऐसे उदाहरण हैं जिन्हें प्रसिद्ध व्यक्तियों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा है। मसलन प्रेमचंद, मशहूर शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ का उदाहरण ले सकते हैं। इन जैसे महान व्यक्तियों का जीवन आर्थिक तंगी के बीच व्यतीत हुआ है।

प्रश्न 2. (क) अपनी गलतियों के लिए माफ़ी माँगना आसान होता है या मुश्किल?
(ख) क्या आप और आपके आसपास के लोग अपनी गलतियों के लिए माफ़ी माँग लेते हैं?
(ग) माफ़ी माँगना मुश्किल होता है या माफ़ करना? अपने अनुभव के आधार पर लिखिए।
उत्तर-
(क) अपनी गलतियों के लिए माफ़ी माँगना कठिन होता है, क्योंकि हमें दूसरे के सामने अपने स्वाभिमान को झुकाना पड़ता है। माफ़ी माँगने का अर्थ है किसी के सामने झुकना अपने को छोटा बनाना।
(ख) नहीं, कई बार लोग गलती मानने को तैयार नहीं होते वे गलतियाँ करते हैं, साथ ही साथ अकड़ भी दिखाते हैं।
(ग) माफ़ी माँगना आसान है, जबकि माफ़ करना उससे ज्यादा कठिन है। माफ़ी माँगना इसलिए आसान है क्योंकि माफ़ माँगने के लिए एक बार झुककर अपने स्वाभिमान को झुकाना पड़ता है जबकि कभी-कभी माफ़ करना ज्यादा कठिन होता है क्योंकि जब कोई अपराध बड़ा होता है तो उस परिस्थिति में माफ़ कर पाना माफ़ी माँगने से ज्यादा कठिन होता है। कभी-कभी माफ़ करने वाला कई बार बिना माफ़ी माँगे ही माफ़ कर देता है।

भाषा की बात

1: नीचे कुछ शब्द लिखे हैं जिनमें अलग-अलग प्रत्ययों के कारण बारीक अंतर है। इस अंतर को समझाने के लिए इन शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए-

प्रेरणा, प्रेरक, प्रेरित

संभव, संभावित, संभवत:

उत्साह, उत्साहित , उत्साहवर्धक

उत्तर-
(क)
प्रेरणा-हमें महापुरुषों के विचारों से प्रेरणा लेनी चाहिए।
प्रेरक-महापुरुषों का जीवन सदैव जन-जन के प्रेरक रहे हैं।
प्रेरित-गुरु जी ने हमें उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित किया।
(ख)
संभव-आज उसका दिल्ली आना संभव है।
संभावित-अपनी संभावित कश्मीर यात्रा के लिए मुझे तैयारियाँ तो करनी होंगी।
संभवतः-संभवतः पिता जी आज दिल्ली आए।
(ग)
उत्साह-खेल के मैदान में खिलाड़ियों का उत्साह देखते बनता था।
उत्साह-इस त्योहार को लेकर मेरे मन में बड़ा उत्साह है।
उत्साहित-मैं इस यात्रा को लेकर काफ़ी उत्साहित हूँ।
उत्साहवर्धक-खेल के मैदान में प्रधानमंत्री का संदेश खिलाड़ियों के लिए उत्साहवर्धक था।

2: तुनुकमिज़ाज शब्द तुनुक और मिज़ाज दो शब्दों के मिलने से बना है। क्षणिक, तनिक और तुनुक एक ही शब्द के भिन्न रूप हैं। इस प्रकार का रूपांतर दूसरे शब्दों में भी होता है

जैसे – 

बादल, बादर, बदरा, बदरिया

मयूर, मयूरा, मोर

दर्पण, दर्पन, दरपन। 

शब्दकोश की सहायता लेकर एक ही शब्द के दो या दो से अधिक रूपों को खोजिए। कम-से-कम चार शब्द और उनके अन्य रूप लिखिए।

 

उत्तर :

(i) काजल – काजर, कजरा

(ii) चन्द्र– चाँद, चंदा

(iii) वर्षा – बरखा, बारिश

(iv) सूर्य – सूरज, सूरजा

 

3: हर खेल के अपने नियम, खेलने के तौर-तरीके और अपनी शब्दावली होती है। जिस खेल में आपकी रुचि हो उससे संबंधित कुछ शब्दों को लिखिए

जैसे-फुटबॉल के खेल से संबंधित शब्द हैं-गोल, बैकिंग, पासिंग, बूट इत्यादि।

उत्तर : गेंद, बल्ला, विकेट, रन, बल्लेबाज़, गेंदबाज़, अम्पायर इत्यादि।

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