बुधवार, 10 दिसंबर 2025

NCERT Class 8th Hindi Chapter 9 आदमी का अनुपात Question Answer

NCERT Class 8th Hindi Chapter 9 आदमी का अनुपात Question Answer

आदमी का अनुपात Class 8 Question Answer

कक्षा 8 हिंदी पाठ 9 प्रश्न उत्तर – Class 8 Hindi आदमी का अनुपात Question Answer

पाठ से प्रश्न- अभ्यास
(पृष्ठ 128-135)

आइए, अब हम इस कविता को थोड़ा और विस्तार से समझते हैं। नीचे दी गई गतिविधियाँ इस कार्य में आपकी सहायता करेंगी।

मेरी समझ से

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर के सम्मुख तारा (★) बनाइए । कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।

प्रश्न 1.
कविता के अनुसार ब्रह्मांड में मानव का स्थान कैसा है?
पृथ्वी पर सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण
ब्रह्मांड की तुलना में अत्यंत सूक्ष्म
सूर्य, चंद्र आदि सभी नक्षत्रों से बड़ा
समस्त प्रकृति पर शासन करने वाला

उत्तर:
ब्रह्मांड की तुलना में अत्यंत सूक्ष्म

प्रश्न 2.
कविता में मुख्य रूप से किन दो वस्तुओं के अनुपात को दिखाया गया है?
पृथ्वी और सूर्य
देश और नगर
घर और कमरा
मानव और ब्रह्मांड

उत्तर:
मानव और ब्रह्मांड

प्रश्न 3.
कविता के अनुसार मानव किन भावों और कार्यों में लिप्त रहता है ?
त्याग, ज्ञान और प्रेम में
सेवा और परोपकार में
ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ, घृणा में
उदारता, धर्म और न्याय में

उत्तर:
ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ, घृणा में

प्रश्न 4.
कविता के अनुसार मानव का सबसे बड़ा दोष क्या है?
वह अपनी सीमाओं और दुर्बलताओं को नहीं समझता।
वह दूसरों पर शासन स्थापित करना चाहता है।
वह प्रकृति के साथ तालमेल नहीं बिठा पाता है।
वह अपने छोटेपन को भूल अहंकारी हो जाता है।

उत्तर:
वह अपने छोटेपन को भूल अहंकारी हो जाता है।

(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ विचार कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

पंक्तियों पर चर्चा

नीचे दी गई पंक्तियों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। अपने समूह में इनके अर्थ पर चर्चा कीजिए और लिखिए-

(क) “अनगिन नक्षत्रों में / पृथ्वी एक छोटी /करोड़ों में एक ही।”
उत्तर:
अनेक तारा समूहों और ग्रहों के बीच हमारी पृथ्वी एक छोटी-सी इकाई है । हमारा पूरा ग्रह भी अनंत ब्रह्मांड के विशाल विस्तार में छोटा है।

(ख) “संख्यातीत शंख सी दीवारें उठाता है / अपने को दूजे का स्वामी बताता है। ‘
उत्तर:
मनुष्य ने अपने को दूसरे मनुष्य से अलग कर लिया है। वह भेद-भाव और मनमुटाव के साथ जीवन व्यतीत कर रहा है। अविश्वास और कटुता को बढ़ाता
है। खुद को दूसरों से बेहतर साबित करने के चक्कर में मनुष्य बुराई के रास्ते पर चल रहा है।

(ग) “देशों की कौन कहे / एक कमरे में / दो दुनिया रचाता है।”
उत्तर:
ईश्वर ने सबको बनाया है और उसके लिए सब समान हैं परंतु मनुष्य तो इस सत्य को अनदेखा कर बैठा है। देश और दुनिया की छोड़ो, उसने तो अपने परिवार और संबंधों को भी धोखा देकर, अलग दुनिया में जीता है।



मिलकर करें मिलान

नीचे दो स्तंभ दिए गए हैं। अपने समूह में चर्चा करके स्तंभ 1 की पंक्तियों का मिलान स्तंभ 2 में दिए गए सही अर्थ से कीजिए ।

उत्तर:
1. 3
2. 5
3. 6
4. 2
5. 1
6. 4

अनुपात

इस कविता में ‘मानव’ और ‘ब्रह्मांड’ के उदाहरण द्वारा व्यक्ति के अल्पत्व और सृष्टि की विशालता के अनुपात को दिखाया गया है। अपने साथियों के साथ मिलकर विचार कीजिए कि मानव को ब्रह्मांड जैसा विस्तार पाने के लिए इनमें से किन-किन गुणों या मूल्यों की आवश्यकता होगी? आपने ये गुण क्यों चुने, यह भी साझा कीजिए ।

उत्तर:
मनुष्य को अपनी सोच को ब्रह्मांड की तरह व्यापक बनानी चाहिए। सृष्टि की विशालता से प्रेरणा लेकर मनुष्य को सार्थक जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। सहअस्तित्व, समावेशिता, सौहार्द, सहयोग और सहनशीलता के गुण अपनाकर मनुष्य भी जीवन को और सुंदर बना सकता है। ईश्वर ने मनुष्य को असीम बुद्धि प्रदान की है और बुद्धि के सदुपयोग से मनुष्य नई ऊचाइयाँ छू सकता है।

सकारात्मक सोच और स्वभाव से हम सच्ची सफलता प्राप्त कर सकते हैं। अच्छे गुणों को अपनाने से न केवल हमारा जीवन बेहतर होगा, बल्कि हम एक बेहतर देश और दुनिया के निर्माण में भी योगदान दे सकेंगे।

सोच-विचार के लिए

कविता को पुनः पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए-

(क) कविता के अनुसार मानव किन कारणों से स्वयं को सीमाओं में बाँधता चला जाता है ?
(ख) यदि आपको इस कविता की एक पंक्ति को दीवार पर लिखना हो, जो आपको प्रतिदिन प्रेरित करे तो आप कौन-सी पंक्ति चुनेंगे और क्यों ?
(ग) कवि ने मानव की सीमाओं और कमियों की ओर ध्यान दिलाया है, लेकिन कहीं भी क्रोध नहीं दिखाया। आपको इस कविता का भाव कैसा लगा – व्यंग्य, करुणा, चिंता या कुछ और ? क्यों ?
(घ) आपके अनुसार ‘दीवारें उठाना’ केवल ईंट-पत्थर से जुड़ा काम है या कुछ और भी हो सकता है ? अपने विचारानुसार समझाइए।
(ङ) मानवता के विकास में सहयोग, समर्पण और सहिष्णुता जैसी सकारात्मक प्रवृत्तियाँ ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ और घृणा जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियों से कहीं अधिक प्रभावी हैं। उदाहरण देकर बताइए कि सहिष्णुता या सहयोग के कारण समाज में कैसे परिवर्तन आए हैं?
उत्तर:
(क) मनुष्य कई कारणों से स्वयं को सीमित कर लेता है और अपने परिवार, समाज, देश और दुनिया से दूर हो जाता है। इसमें अंहकार, स्वार्थ, ईर्ष्या, विद्वेष, घृणा जैसी भावनाएँ शामिल हैं। ऐसी भावनाएँ या अवगुण मानव को दूसरों से अलग रहने और उन्हें अपने से तुच्छ, समझने की ओर ले जाती हैं। मनुष्य संबंधों के महत्त्व को नहीं समझ पाता और अपने अहंकार या स्वार्थ को पूरा करने में लगा रहता है।

(ख) अपने को दूजे का स्वामी बताता है
देशों की कौन कहे
एक कमरे में
दो दुनिया रचाता है

कविता की उपर्युक्त पंक्तियाँ मैं दीवार पर लिखना चाहूँगी क्योंकि मानव अपने छोटेपन को भूलकर अहंकारी और अति आत्मविश्वासी हो जाता है। यदि परिवार के सदस्यों के साथ ही प्रेम और सामंजस्य नहीं है तो हम देश और दुनिया को क्या सीख देंगे। ऊपर लिखी पंक्तियाँ मुझे याद दिलाएँगी कि उदारता, त्याग, सेवा और परोपकार जैसे गुणों को अपनाकर जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए।

(ग) हाँ, मैं इस बात से सहमत हूँ कि कवि ने मानव की कमियों और सीमाओं की ओर ध्यान दिलाया है, लेकिन कहीं भी क्रोध नहीं दिखाया। इस कविता में मुझे आत्मचिंतन और चिंता के भी भाव महसूस होते हैं। मानव स्वयं को संसार का सबसे बुद्धिमान व शक्तिशाली अंग समझता है। उसमें अहंकार है कि उसने विज्ञान व तकनीकी सहायता से सफलता हासिल कर ली है।

परंतु सच्चाई यह लगती है कि इस संपूर्ण ब्रह्मांड में हमारा स्थान अत्यंत सूक्ष्म है। मानव और ब्रह्मांड के अनुपात में काफी अंतर है । देश और दुनिया जीतने से पहले स्वयं पर अर्थात अपनी बुराइयों पर विजय प्राप्त करना ही सबसे बड़ी चुनौती है।

(घ) ‘दीवारें उठाना’ केवल ईंट-पत्थर से जुड़ा काम नहीं है। कविता के अनुसार इसका प्रतीक अर्थ है मानव जैसे-जैसे उन्नति कर रहा है, वैसे-वैसे अपने संबंधों से दूर होता जा रहा है। संसार की विराटता के विपरीत मानव आत्मकेंद्रित हो जाता है। अपने दिल की भावनाओं को जीवन की आपा-धापी में खो देता है। कभी-कभी अपनी सोच इतनी सीमित कर लेता है कि वह एक छोटे से कमरे में भी अपनों से ही दूर होकर दो दुनिया बना लेता है।

(ङ) मानवता के विकास में सहिष्णुता, सहनशक्ति और समर्पण जैसे गुणों का बहुत योगदान है। ये गुण न सिर्फ व्यक्तिगत जीवन को अच्छा बनाते हैं, बल्कि पूरे समाज को भी प्रगति की ओर ले जाते हैं। देश के विकास में सहयोग से सामूहिक प्रयास, समर्पण से निरंतरता व प्रगति और सहिष्णुता से सामाजिक एकता विकसित होती है। ये गुण मिलकर देश और समाज को मजबूत व समृद्ध बनाते हैं। उदाहरण – सहिष्णुता और सहयोग के कारण आज शिक्षा प्रणाली में कई बदलाव आए हैं। शिक्षा अधिक समावेशी हो रही है। विभिन्न सामाजिक व आर्थिक स्तर होने पर भी छात्रों को समान अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने व संसाधनों की कमी को दूर करने के प्रयास हुए हैं।

अनुमान और कल्पना

अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए-

(क) मान लीजिए कि आप एक दिन के लिए पूरे ब्रह्मांड को नियंत्रित कर सकते हैं। अब आप मानव की कौन-कौन सी आदतों को बदलना चाहेंगे? क्यों ?
(ख) यदि आप अंतरिक्ष यात्री बन जाएँ और ब्रह्मांड के किसी दूसरे भाग में जाएँ तो आप किस स्थान (कमरा, घर, नगर आदि) को सबसे अधिक याद करेंगे और क्यों ?
(ग) मान लीजिए कि एक बच्चा या बच्ची कविता में उल्लिखित सभी सीमाओं को पार कर सकता या सकती है- वह कहाँ तक जाएगा या जाएगी और क्या देखेगा या देखेगी? एक कल्पनात्मक यात्रा-वृत्तांत लिखिए।
(घ) इस कविता को पढ़ने के बाद, आप स्वयं को ब्रह्मांड के अनुपात में कैसा अनुभव करते हैं? एक अनुच्छेद लिखिए–“मैं ब्रह्मांड में एक… हूँ।”
(ङ) मान लीजिए कि किसी दूसरे संसार से आपके पास संदेश आया है कि उसे पृथ्वी के किसी व्यक्ति की आवश्यकता है। आप किसे भेजना चाहेंगे और क्यों?
(च) कविता में “ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ” जैसी प्रवृत्तियों की चर्चा की गई है। कल्पना कीजिए कि एक दिन केलिए ये भाव सभी व्यक्तियों में समाप्त हो जाएँ तो उससे समाज में क्या-क्या परिवर्तन होगा ?
(छ) यदि आपको इस कविता का एक पोस्टर बनाना हो जिसमें इसके मूल भाव–’ विराटता और लघुता’ तथा ‘मनुष्य का भ्रम ‘ – दर्शाया जाए तो आप क्या चित्र, प्रतीक और शब्द उपयोग करेंगे? संक्षेप में बताइए ।
उत्तर:
(क) यदि मुझे एक दिन के लिए पूरे ब्रह्मांड पर नियंत्रण का अवसर मिले तो मैं इंसानों की कुछ आदतों को बदलना चाहूँगी। इसका उद्देश्य दुनिया को बेहत्तर और प्रभावशाली बनाने के लिए होगा ।

1. प्रदूषण फैलाने की प्रवृत्ति – मानव जैव और रासायनिक प्रदूषण फैला रहा है जो जीवन के लिए हानिकारक है। मैं सौर ऊर्जा और वायु ऊर्जा के वितरण में समानता सुनिश्चित करती।

2. धरती के अमूल्य संसाधनों की रक्षा करती। पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभावों को कम करने का प्रयास करती । किसी एक शक्तिशाली देश अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए दुनिया को सीमाओं में बाँधने या बाँटने की प्रवृत्ति को बदलने का प्रयास करती।

3. जाति और धर्म के नाम पर विभाजन और असहिष्णुता की प्रवृत्ति को दूर करती और मानवता को सर्वोपरि रखती।

(ख) अगर मैं अंतरिक्ष यात्री बन जाँऊ और ब्रह्मांड के किसी दूसरे भाग में चली जाऊँ, तो मैं सबसे ज्यादा अपने घर और देश को याद करूँगी। घर का अहसास सुरक्षा प्रदान करता है। घर रिश्तों से बनता है जहाँ प्यार और अपनापन है।
देश से हमारी पहचान है। जिस देश की मिट्टी में जन्म लिया, वह माँ के समान है। अपने घर से जुड़ी एक-एक यादें अनमोल होती हैं और देश हमारी संस्कृति और इतिहास का अहसास कराता है।

(ग) एक बच्चे की नज़र से सीमाओं को पार करके यात्रा-वृत्तांत लिखना अनोखा अनुभव होगा। मेरी

यात्रा में मेरा पहला पड़ाव घर और मुहल्ला होगा। अपने परिवार, दोस्त, उनकी हँसी, बातें सुनते-सुनते मैं आगे दौड़ती हूँ।
दूसरा पड़ाव – नगर और शहर । ऊँची-ऊँची इमारतें, रंग-बिरंगी दुकानें, पुल और सड़कें ।

मैं अलग-अलग भाषाएँ सुनती और लोगों की चहल-पहल देखती हूँ । फिर प्रदेश और देश की ओर उड़ती हूँ। दूसरे राज्यों और फिर दूसरे देशों की ओर। अलग-अलग परिधान, खान-पान, त्योहारों और रीति-रिवाजों को समझते हुए आगे उड़ती हूँ। यहाँ कहीं शांति है तो कहीं संघर्ष, कहीं मेल-जोल तो कहीं विषमता नजर आती है। चौथे पड़ाव में पृथ्वी और ब्रह्मांड हैं।

भाषा शिक्षण सॉफ्टवेयर

मैं ऊपर अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखती हूँ। पृथ्वी-एक नीला ग्रह, जिसमें जीवन की हर छटा और विविध विशेषताएँ हैं। बादलों के ऊपर उड़ते हुए समुद्र, पहाड़ और जंगल लुभाते हैं। फिर मैं ब्रह्मांड की यात्रा पर निकलती हूँ-अनगिनत तारे, नक्षत्र, ग्रह और आकाशगंगाएँ।

मैं सोचती हूँ कि ब्रह्मांड असीमित है और पृथ्वी के छोटे से घर के कमरे की मेरी दुनिया से अलग एक ओर ब्रह्मांड की विराटता तो दूसरी ओर मन की गहन यादें। इस यात्रा से मैंने सीखा कि सीमाएँ केवल दीवारों या घर के नक्शों में नहीं, बल्कि हमारी सोच में होती हैं। अगर खुले दिल से देखें तो पाएँगे कि मानवता अनंत है और इसकी कोई सीमा नहीं है।

(घ) “मैं ब्रह्मांड में एक छोटा मानव हूँ। मानव का अनुपात इसकी तुलना में छोटा है। मानव ने अपने दृष्टिकोण और सोच को भीं संकुचित कर लिया है। अखंड सृष्टि, आकाशगंगाएँ, तारामंडल, अरब प्रकाशवर्ष, इस विशाल ब्रह्मांड में पृथ्वी एक छोटे-से बिंदु के रूप में है। हमारा आकार लघु है परंतु हम मनुष्य अपनी दार्शनिक शक्ति, जिज्ञासा और बुद्धि के सदुपयोग से विशिष्ट पहचान बना सकते हैं। हमारी खोज, जिज्ञासा और कुछ नया करने की भावना की सीमा नहीं है।

मनुष्य अपने छोटे जीवन में अपने वातावरण को सुंदर और स्वच्छ बनाए रखने में सक्षम है। हमें ईश्वर द्वारा प्रदान किए गए इस जीवन का सम्मान करना चाहिए। ब्रह्मांड या अनंत की विशालता से हमें सबक लेना चाहिए और अपने आपको और बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए। हम सृष्टि के छोटे परंतु अभिन्न अंग हैं और मानवता के पथ पर चलते हुए जीवन को सफल बनाएँ।

(ङ) यदि दूसरे संसार से संदेश आता कि उन्हें पृथ्वी के किसी व्यक्ति की आवश्यकता है, तो मैं किसी प्रेरक, सहिष्णु और मानवता को धर्म समझने वाले व्यक्ति को भेजती । एक ऐसा व्यक्ति जो निष्पक्ष भाव से पृथ्वी का प्रतिनिधित्व करता और दोनों भागों के बीच संवाद स्थापित करने में सहयोग देता ।

(च) यदि एक दिन के लिए सभी व्यक्तियों में ईर्ष्या, अहंकार, स्वार्थ जैसी प्रवृत्तियाँ समाप्त हो जाएं तो समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन आ जाएँगे। लोगों के बीच बैर, कटुता और विद्वेष की भावना मिट जाएगी। समाज में हर नागरिक उन्नति करेगा और देश समृद्ध व खुशहाल बनेगा। बुरी भावनाओं के मिट जाने से आदर्श स्थापित होंगे और मनुष्य अपनी वास्तविक क्षमताओं व शक्तियों को पहचान पाएगा। संतोष, करुणा, शांति से भरकर जीवन साकार हो जाएगा।

(छ) ‘विराटता और लघुता’ तथा ‘मनुष्य का भ्रम’ पोस्टर बनाने के लिए निम्नलिखित प्रतीकों, शब्दों और चित्रों को प्रयोग होगा-

1. चित्र – आकाशगंगा का चित्र जिसमें नक्षत्र, तारामंडल और सैटेलाइट से ली गई पृथ्वी की तस्वीरें लगाई जा सकती हैं।

2. मनुष्य के चित्र -ध्यान मुद्रा में अंकित व्यक्ति, मानव मस्तिष्क का चित्र ।

3. प्रतीक रूप में मस्तिष्क और हृदय को उजागर करेंगे।

4. शब्दों में ब्रह्मांड और मानव आकार, अनंतता, आत्मबोध मानव की लघुता, निजी जीवन, संकुचित सोच, उदात्त विचार आदि शब्दों का प्रयोग किया जा सकता है।

शब्द से जुड़े शब्द

नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में ‘सृष्टि’ से जुड़े शब्द अपने समूह में चर्चा करके लिखिए-

उत्तर:


सृजन

(क) कविता में कमरे से लेकर ब्रह्मांड तक का विस्तार दिखाया गया है। इस क्रम को अपनी तरह से एक रेखाचित्र, सीढ़ी या ‘मानसिक चित्रण’ (माइंड-मैप) द्वारा प्रदर्शित कीजिए। प्रत्येक स्तर पर कुछ विशेषताएँ लिखिए, जैसे-पास- – पड़ोस की एक विशेष बात, नगर का कोई स्थान, देश की विविधता आदि। उसके नीचे एक पंक्ति में इस प्रश्न का उत्तर लिखिए- “मैं इस चित्र में कहाँ हूँ और क्यों ?”
(ख) अगर इसी कविता की तरह कोई कहानी लिखनी हो जिसका नाम हो ‘ब्रह्मांड में मानव’ तो उसको आरंभ कैसे करेंगे? कुछ वाक्य लिखिए।
(ग) ‘एक कमरे में दो दुनिया रचाता है’ पंक्ति को ध्यान से पढ़िए। अगर आपसे कहा जाए कि आप एक ऐसी दुनिया बनाइए जिसमें कोई दीवार न हो तो वह कैसी होगी? उसका वर्णन कीजिए।
(घ) एक चित्र श्रृंखला बनाइए जिसमें ये क्रम दिखे-
आदमी → कमरा → घर → पड़ोसी क्षेत्र → नगर → देश → पृथ्वी → ब्रह्मांड
प्रत्येक चित्र में आकार का अनुपात दिखाया जाए जिससे यह स्पष्ट हो कि आदमी कितना छोटा है।
उत्तर:
सृजन गतिविधि छात्रगण, अध्यापक और माता-पिता की सहायता से कीजिए ।

कविता की रचना

‘दो व्यक्ति कमरे में
कमरे से छोटे-
इन पंक्तियों में चिह्न पर ध्यान दीजिए। क्या आपने इस चिह्न को पहले कहीं देखा है ? इस चिह्न को ‘निदेशक चिह्न’ कहते हैं । यह एक प्रकार का विराम चिह्न है जो किसी बात को आगे बढ़ाने या स्पष्ट करने के लिए उपयोग होता है। यह किसी विषय की अतिरिक्त जानकारी, जैसे – व्याख्या, उदाहरण या उद्धरण देने के लिए उपयोग होता है। इस कविता में इस चिह्न का प्रयोग एक ठहराव, सोच का संकेत और आगे आने वाले महत्त्वपूर्ण विचार की ओर पाठक का ध्यान आकर्षित करने के लिए किया गया है। यह संकेत देता है कि अब कुछ ऐसा कहा जाने वाला है जो पाठक को सोचने पर विवश करेगा।

इस कविता में ऐसी अनेक विशेषताएँ छिपी हैं, जैसे-अधिकतर पंक्तियों का अंतिम शब्द ‘में’ है, बहुत छोटी-छोटी पंक्तियाँ हैं आदि ।


(क) अपने समूह के साथ मिलकर कविता की अन्य विशेषताओं की सूची बनाइए । अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर:
कविता की विशेषताओं की सूची भाषा सरल और सहज है। छात्रों को आसानी से समझ आती है।
कविता में छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग है।
व्यंग्य शैली का प्रयोग है।
लय और गेयता गुण विद्यमान है।
अलंकारों का सुंदर प्रयोग है।

भाषा शिक्षण सॉफ्टवेयर

(ख) नीचे इस कविता की कुछ विशेषताएँ और वे पंक्तियाँ दी गई हैं जिनमें ये विशेषताएँ झलकती हैं। विशेषताओं का सही पंक्तियों से मिलान कीजिए-

उत्तर:
1. 4
2. 1
3. 2
4. 3
5. 5
6. 6

कविता का सौंदर्य

नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर अपने समूह में मिलकर खोजिए। इन प्रश्नों से आप कविता का आनंद और अच्छी तरह से ले सकेंगे।



(क) कविता में अलग-अलग प्रकार से ब्रह्मांड की विशालता को व्यक्त किया गया है। उनकी पहचान कीजिए।
(ख) “संख्यातीत शंख सी दीवारें उठाता है
“अपने को दूजे का स्वामी बताता है’
“एक कमरे में
दो दुनिया रचाता है”
कविता में ये सारी क्रियाएँ मनुष्य के लिए आई हैं। आप अपने अनुसार कविता में नई क्रियाओं का प्रयोग करके कविता की रचना कीजिए ।
उत्तर:
(क) कविता में ब्रह्मांड की विशालता को अलग-अलग प्रकार से व्यक्त किया गया है-

1. कमरे से ब्रह्मांड तक की श्रृंखला द्वारा (भौतिक संरचना)
व्यक्ति → छोटा कमरा → घर → मुहल्ला → नगर → प्रदेश → देश → पृथ्वी → नक्षत्र → आकाशगंगा → त → ब्रह्मांड ।

2. गणना या संख्या के आधार पर तुलना
दो व्यक्ति → कई देश → कई पृथ्वी → अनगिन नक्षत्र → एक छोटी पृथ्वी → करोड़ो में एक → लाखों ब्रह्मांड।

3. आत्म चिंतन – विशाल और विराट ब्रह्मांड में मानव एक बिंदु समान है। वह श्रृंखला की छोटी कडी है परंतु स्वार्थ और अहंकार के कारण अपनी भावनाओं को ही बाँध दिया है। मन की बुराइयों से दीवारें खड़ी कर दी हैं।

(ख) नई क्रियाओं कर प्रयोग करके कविता की रचना ।
आदमी हैं कमरे में
कमरा है कैमरे में,
कैमरा है नए ऐप में,
नया ऐप है ब्रांडेड मोबाइल में
मोबाइल है पॉकेट में
और आदमी सिमट गया है
एडवांस तकनीक में ….

आदमी का घर है-
पहले वाई-फाई जुड़ता है
फिर बचे रिश्ते
स्क्रीत टाइम में सिमट गई है
बातों की फुहार और
हंसी की बहती लहरें
डिजिटल घड़ी नाम लेती है
चलते कदम
ऊँची दीवारों में उलझा है आदमी …
पल भर के लिए क्यों नहीं लेता है दम ?

आपके शब्द



“सबको समेटे है
परिधि नभ गंगा की’
आपने ‘आकाशगंगा’ शब्द सुना और पढ़ा होगा । लेकिन कविता में ‘नभ गंगा’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है। यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है।
आप भी अपने समूह में मिलकर इसी प्रकार दो शब्दों को मिलाकर नए शब्द बनाइए।
उत्तर:

1. आकाशमंडल

2. भाग्यलक्ष्मी

3. सिनेमाघर

4. देवदूत

5. रेलगाड़ी

विशेषण और विशेष्य


“पृथ्वी एक छोटी ”
यहाँ ‘छोटी’ शब्द ‘पृथ्वी’ की विशेषता बता रहा है अर्थात ‘छोटी’ ‘विशेषण’ है। ‘पृथ्वी’ एक संज्ञा शब्द है जिसकी विशेषता बताई जा रही है। अर्थात ‘पृथ्वी’ ‘विशेष्य’ शब्द है।
अब आप नीचे दी गई पंक्तियों में विशेषण और विशेष्य
शब्दों को पहचानकर लिखिए-

उत्तर:


पंक्ति

विशेषण

विशेष्य


1. दो व्यक्ति कमरे में

दो

व्यक्ति


2. अनगिन नक्षत्रों में

अनगिन

नक्षत्र


3. लाखों ब्रह्मांडों में

लाखों

ब्रह्मांडों


4. अपना एक ब्रह्मांड

एक

ब्रह्मांड


5. संख्यातीत शंख सी

संख्यातीत

शंख


6. एक कमरे में

एक

कमरे


7. दो दुनिया रचाता है

दो

दुनिया


पाठ से आगे
(पृष्ठ 135-139)



प्रश्न- अभ्यास आपकी बात

(क) कोई ऐसी स्थिति बताइए जहाँ ‘अनुपात’ बिगड़ गया हो – जैसे काम का बोझ अधिक और समय कम।
उत्तर:
पहली स्थिति – आपातकालीन स्थिति – इस स्थिति में, जैसे कि भूंकप, बाढ़, बचाव दल को बहुत कम समय में लोगों की जान बचाने की आवश्यकता होती है।

(ख) आप अपने परिवार, विद्यालय या मोहल्ले में ‘विराटता’ (विशाल दृष्टिकोण) कैसे ला सकते हैं? कुछ उपाय सोचकर लिखिए। (संकेत – किसी को अनदेखा न करना, सबकी सहायता करना आदि)
उत्तर:
एक रेस्तरां में ग्राहक बहुत ज्यादा आ रहे हैं परंतु काम करने के लिए पर्याप्त कर्मचारी उपलब्ध नहीं हैं।

संख्यातीत शंख

“संख्यातीत शंख सी दीवारें उठाता है”
शंख का अर्थ है— 100 पद्म की संख्या ।
नीचे भारतीय संख्या प्रणाली एक तालिका के रूप में दी गई है।

तालिका के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर खोजिए-

1. जिस संख्या में 15 शून्य होते हैं, उसे क्या कहते हैं?

2. महाशंख में कितने शून्य होते हैं?

3. एक लाख में कितने हजार होते हैं?

4. उपर्युक्त तालिका के अनुसार सबसे छोटी और सबसे बड़ी संख्या कौन-सी है ?

5. दस करोड़ और एक अरब को जोड़ने पर कौन-सी संख्या आएगी?



समावेशन और समानता

जैसे पृथ्वी अनगिनत नक्षत्रों में एक छोटा-सा ग्रह है, वैसे ही प्रत्येक व्यक्ति, चाहे वह विशेष आवश्यकता वाला हो या न हो, समाज का एक महत्त्वपूर्ण भाग है।

प्रश्न – एक समूह चर्चा आयोजित करें जिसमें सभी मानवों के लिए समान अवसरों की आवश्यकता पर बल दिया जाए। (भले ही उनका जेंडर, आय, मत, विश्वास, शारीरिक रूप, रंग या आकार – प्रकार आदि कैसा भी हो)
उत्तर:
जैसे पृथ्वी असंख्य नक्षत्रों में एक छोटा सा ग्रह है, वैसे ही जीवन की परिस्थितियों में प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह छोटा हो या रूप-रंग में भिन्न हो, समाज का महत्त्वपूर्ण भाग है। हर व्यक्ति का अपना महत्त्व और स्थान है और वह समाज का अंग होता है। जैसे विद्यालय में प्रत्येक विद्यार्थी का महत्त्व होता है और हर विद्यार्थी का शिक्षा पर समान अधिकार होता है।

हर छात्र की अपनी क्षमताएँ, प्रतिभाएँ और परिस्थितियाँ होती हैं। अध्यापक के लिए सभी विद्यार्थी समान होते हैं। छात्रों की क्षमता के अनुसार उनमें कौशल विकसित करने की जिम्मेदारी होती है। इसी प्रकार समाज विभिन्न प्रकार के लोगों से मिलकर बनता है। हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी क्षेत्र में काम करता हो, समाज के विकास में योगदान देता है। सभी व्यक्ति मिलकर एक मजबूत और खुशहाल समाज का निर्माण करते हैं।

आज की पहेली

पता लगाइए कि कौन-सा अंतरिक्ष यान कौन-से ग्रह पर जाएगा-


झरोखे से

आइए, अब पढ़ते हैं प्रसिद्ध गीत ‘होंगे कामयाब ‘।

होंगे कामयाब!

होंगे कामयाब
होंगे कामयाब
हम होंगे कामयाब… एक दिन



मन में है विश्वास पूरा विश्व
हम होंगे कामयाब…. एक दिन
होगी शांति चारों ओर

होगी शांति चारों ओर
होगी शांति चारों ओर… एक दिन
मन में है विश्वास
पूरा है विश्वास, हम होंगे कामयाब… एक दिन
नहीं डर किसी का आज
नहीं भय किसी का आज

नहीं डर किसी का
आज के दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम होंगे कामयाब … एक दिन

हम चलेंगे साथ-साथ डाल हाथों में हाथ
हम चलेंगे साथ-साथ… एक दिन मन में है विश्वास पूरा है विश्वास
हम होंगे कामयाब … एक दिन

भावांतर
– गिरिजा कुमार माथुर

साझी समझ

गिरिजा कुमार माथुर की अन्य रचनाएँ पुस्तकालय या इंटरनेट पर खोजकर पढ़िए और कक्षा में साझा कीजिए ।

खोजबीन के लिए
हम होंगे कामयाब एक दिन
https://www.youtube.com/ watch?v=xlTlzqvMa Q
https : //www.youtu be .c om / watch?v=dJ7BW1CgoWI
कल्पना जो सितारों में खो गई
https://www.youtube.com /watch?v=XhvOL2frHn8
सुनीता अंतरिक्ष में
https://www.youtube.com /watch?v=IlcDmCthPaA
ब्रह्माण्ड और पृथ्वी
https://www.youtube.com/ watch?v=b8udjzy7zCA
हौसलों की उड़ान-मंगलयान https://www.youtube.com /watch?v=JTCk48RT1Ws

NCERT Class 8th Hindi Chapter 8 नए मेहमान Question Answer

NCERT Class 8th Hindi Chapter 8 नए मेहमान Question Answer

कक्षा 8 हिंदी पाठ 8 प्रश्न उत्तर – Class 8 Hindi नए मेहमान Question Answer

पाठ से प्रश्न-अभ्यास
(पृष्ठ 117-122)

आइए, अब हम इस एकांकी को थोड़ा और विस्तार से समझते हैं। नीचे दी गई गतिविधियाँ इस कार्य में आपकी सहायता करेंगी।

मेरी समझ से

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर के सम्मुख तारा (★) बनाइए । कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।

प्रश्न 1.
आगंतुकों ने विश्वनाथ के बच्चों को ‘सीधे लड़के’ किस संदर्भ में कहा?
अतिथियों की सेवा करने के कारण
किसी तरह का प्रश्न न करने के कारण
आज्ञाकारिता के भाव के कारण
गरमी को चुपचाप सहने के कारण

उत्तर:
अतिथियों की सेवा करने के कारण

प्रश्न 2.
“एक ये पड़ोसी हैं, निर्दयी …… “विश्वनाथ ने अपने पड़ोसी को निर्दयी क्यों कहा?
उन्हें कष्ट में देखकर प्रसन्न होते हैं
पड़ोसी किसी प्रकार का सहयोग नहीं करते हैं
लड़ने-झगड़ने के अवसर ढूँढ़ते हैं
अतिथियों का अपमान करते हैं।

उत्तर:
उन्हें कष्ट में देखकर प्रसन्न होते हैं



प्रश्न 3.
“ईश्वर करें इन दिनों कोई मेहमान न आए। ” रेवती इस तरह की कामना क्यों कर रही है?
मेहमान के ठहरने की उचित व्यवस्था न होने के कारण
रेवती का स्वास्थ्य कुछ समय से ठीक न होने के कारण
अतिथियों के आने से घर का कार्य बढ़ जाने के कारण
उसे अतिथियों का आना-जाना पसंद न होने के कारण

उत्तर:
मेहमान के ठहरने की उचित व्यवस्था न होने के कारण
रेवती का स्वास्थ्य कुछ समय से ठीक न होने के कारण
अतिथियों के आने से घर का कार्य बढ़ जाने के कारण

प्रश्न 4.
“हे भगवान! कोई मुसीबत न आ जाए।” रेवती कौन-सी मुसीबत नहीं आने के लिए कहती है?
पानी की कमी होने की
पड़ोसियों के चिल्लाने की
मेहमानों के आने की
गरमी के कारण बीमारी की

उत्तर:
मेहमानों के आने की



प्रश्न 5.
इस एकांकी के आधार पर बताएँ कि मुख्य रूप से कौन-सी बात किसी रचना को नाटक का रूप देती है?
संवाद
वर्णन
कथा
मंचन

उत्तर:
संवाद
मंचन



(ख) हो सकता है कि आप सभी ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अब अपने सहपाठियों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर:
हमने जो उत्तर चुने हैं वे नाटक के अनुसार पूरी तरह से उचित हैं।



पंक्तियों पर चर्चा

पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए । आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपनी कक्षा में साझा कीजिए ।

(क) “पानी पीते-पीते पेट फूला जा रहा है, और प्यास है कि बुझने का नाम नहीं लेती।”
(ख) “सारे शहर में जैसे आग बरस रही हो।”
(ग) “यह तो हमारा ही भाग्य है कि चने की तरह भाड़ में भुनते रहते हैं।”
(घ) “आह, अब जान में जान आई। सचमुच गरमी में पानी ही तो जाऩ है।”
उत्तर:
(क) इस पंक्ति का अर्थ यह है कि अत्यधिक गरमी के
कारण बार-बार प्यास से गला सूख जाता है। साथ ही पानी पी-पीकर पेट पूरी तरह से भर जाता है और अब पेट में और पानी पीने के लिए जगह नहीं बचती, पर प्यास से होंठ और गला बार-बार सूख रहा है।



(ख) प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि शहर में अत्यधिक गरमी पड़ रही है और गर्मी भी इतनी ज्यादा और तेज है कि ऐसा लगता है मानो सूरज देवता धरती पर आग बरसा रहे हों ।

(ग) लेखक बताता है कि मुख्य पात्र विश्वनाथ और उसकी पत्नी रेवती गरीब होने के कारण अपने छोटे से मकान में हर साल गरमी का प्रकोप झेलते हैं। उनके डिब्बे जैसे बंद मकान में कहीं से भी हवा नहीं आती। इसी कारण वे गरमी से इतना ज्यादा झुलसते हैं मानों जैसे भट्ठी में चने को भूना जा रहा हो। वे यह सब अपना नसीब मानकर झेलते हैं।

(घ) प्रस्तुत पंक्ति विश्वनाथ के घर पहुँचे अनजान मेहमान नन्हेमल ने कही थी। जब वह गरमी से बेहाल था और उसने ठंडा पानी पिया, उस समय सचमुच उसकी जान में जान आई। यह बात सच भी है गरमी में बस एक पानी ही होता है जो अमृत समान लगता है और शरीर में जान डाल देता है।

मिलकर करें मिलान

स्तंभ 1 में कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं और स्तंभ 2 में उनसे मिलते-जुलते भाव दिए गए हैं। स्तंभ 1 की पंक्तियों को स्तंभ 2 की उनके सही भाव वाली पंक्तियों से रेखा खींचकर मिलाइए –

उत्तर:
1. 3
2. 4
3. 5
4. 1
5. 2

सोच-विचार के लिए



एकांकी को पुनः पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए-

(क) “ शहर में तो ऐसे ही मकान होते हैं। ” नन्हेमल का ‘ऐसे ही मकान’ से क्या आशय है?
(ख) पड़ोसी को विश्वनाथ से किस तरह की शिकायत है? आपके विचार से पड़ोसी का व्यवहार उचित है या अनुचित ? तर्क सहित उत्तर दीजिए ।
(ग) एकांकी में विश्वनाथ नन्हेमल और बाबूलाल को नहीं जानता है, फिर भी उन्हें अपने घर में आने देता है। क्यों?
(घ) एकांकी के उन संवादों को ढूँढ़कर लिखिए जिनसे पता चलता है कि बाबूलाल और नन्हेमल विश्वनाथ के परिचित नहीं हैं?
(ङ) एकांकी के उन वाक्यों को ढूँढ़कर लिखिए जिनसे पता चलता है कि शहर में भीषण गरमी पड़ रही है।
उत्तर:
(क) ‘ऐसे ही मकान’- से नन्हेमल का आशय था कि शहर में डिब्बे जैसे बहुत ही बेकार मकान हैं। उनमें ना तो हवा आती है ना ही धूप । इन मकानों में रहना तो किसी जेल में रहने से कम नहीं, परंतु अब तो शहरों में प्रायः मध्यमवर्ग के पास ऐसे ही सुविधाहीन मकान हैं।

(ख) पड़ोसी को विश्वनाथ से यह शिकायत थी कि विश्वनाथ के घर अक्सर मेहमान आते रहते हैं और वह उसकी छत पर हाथ-मुँह धोते समय गंदा पानी बिखेर देते हैं। इसी कारण पड़ोसी विश्वनाथ से लड़ने उसके घर चला गया और उसे भला-बुरा कहने लगा। पड़ोसी का यह व्यवहार पूरी तरह से अनुचित था। एक अच्छे पड़ोसी को सहयोग के साथ रहना चाहिए।



(ग) विश्वनाथ, नन्हेमल और बाबूलाल को नहीं जानता था, परंतु फिर भी उन्हें अपने घर के अंदर इसलिए आने देता है क्योंकि विश्वनाथ एक सरल और संस्कारी व्यक्ति था । वह कभी किसी का अपमान नहीं करता था। दूसरी बात यह थी कि उसे लग रहा था कि अगर ये मेरे घर आएँ हैं तो संभवतः किसी ने तो इन्हें मेरे पास अवश्य भेजा होगा और इसी बात को जानने के लिए वह उन्हें पूछ भी रहा था कि आप कहाँ से आएँ हैं?

(घ) विश्वनाथ – जी, आप लोग…
विश्वनाथ – क्षमा कीजिए, आप कहाँ से पधारे हैं?
नन्हेमल – अरे, आप नहीं जानते ! वह लाला संपतराम हैं ना गोटेवाले,
विश्वनाथ – मैं संपतराम को नहीं जानता ।
विश्वनाथ – आप कहाँ से आए हैं ?
रेवती – ये लोग कौन हैं ? जान-पहचान के तो मालूम नहीं होते।
विश्वनाथ – ना जाने कौन हैं?
रेवती – पूछ लो न?
विश्वनाथ – क्या पूछ लूँ? दो-तीन बार पूछा, ठीक से उत्तर ही नहीं देते।
नन्हेमल – हाँ, हाँ पूछिए, मालूम होता है, आपने हमें पहचाना नहीं।
विश्वनाथ – तो आप कोई चिट्ठी-विट्ठी लाए हैं ?
विश्वनाथ – (खीझकर) जिसके यहाँ आपको जाना है उसका नाम भी तो बताया होगा ?
बाबूलाल – क्या नाम था चाचा?
नन्हेमल – नाम तो याद नहीं आता । जरा ठहरिए, सोच लूँ।
बाबूलाल – अरे चाचा ! कविराज बताया था।
विश्वनाथ – लेकिन मैं कविराज तो नहीं हूँ ।
विश्वनाथ – आपको जिनके यहाँ जाना था, वे काम क्या करते हैं?
नन्हेमल – हाँ, याद आया। बताया था वैद्य हैं।
विश्वनाथ – पर मैं तो वैद्य नहीं हूँ।



(ङ) विश्वनाथ – ओह! बड़ी गरमी है! इन बंद मकानों में रहना कितना भयंकर है? मकान हैं कि भट्ठी !
रेवती – पत्ता तक नहीं हिल रहा है। जैसे सांस बंद हो जाएगी। सिर फटा जा रहा है।
रेवती – आँगन में घड़े में भी पानी ठंडा नहीं होता ।
विश्वनाथ – पानी पीकर पेट फूला जा रहा है और प्यास है कि बुझने का नाम ही नहीं लेती।
विश्वनाथ – सारे शहर में जैसे आग बरस रही है। यहाँ की गरमी से तो ईश्वर बचाए ।
विश्वनाथ – सारा शरीर मारे गरमी के उबल रहा है।
रेवती – चारों तरफ दीवारें तप रही हैं।
नन्हेमल – बड़ी गरमी है क्या कहें। कपड़े तो ऐसे हो गए हैं कि निचोड़ लो।
बाबूलाल – ठंडा-ठंडा पानी पिलाओ, प्राण सूखे जा रहे हैं।

अनुमान और कल्पना से



अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए-

(क) एकांकी में विश्वनाथ अपनी पत्नी को अतिथियों के लिए भोजन की व्यवस्था करने के लिए कहता है। साथ ही रेवती की अस्वस्थता का विचार करके भोजन बाजार से मँगवाने का सुझाव भी देता है। लेकिन उसने स्वयं अतिथियों के लिए भोजन बनाने के विषय में क्यों नहीं सोचा ?
उत्तर:
अतिथियों के आने पर विश्वनाथ ने अपनी पत्नी रेवती से भोजन बनाने के लिए कहा क्योंकि रेवती उसकी पत्नी थी और घर में भोजन वही बनाया करती थी । विश्वनाथ पूरा दिन काम करके शाम को घर लौटा था और उसे भोजन बनाना भी नहीं आता था। जब उसकी पत्नी ने सिद दर्द की बात कही तो विश्वनाथ ने बाहर से भोजन मँगवाने के लिए कहा, जिस पर उसकी पत्नी ने मेहमानों पर रुपये खर्च करने के लिए मना कर दिया। इन सभी कारणों से विश्वनाथ ने ‘रेवती’ से भोजन बनाने के लिए कहा।

(ख) एकांकी में विश्वनाथ का बेटा प्रमोद अतिथियों के पेयजल की व्यवस्था करता है और छोटी बहन का भी ध्यान रखता है। प्रमोद को इस तरह के उत्तरदायित्व क्यों दिए गए होंगे ?
उत्तर:
‘प्रमोद’, विश्वनाथ का बड़ा बेटा था और किरण उसकी छोटी बहन । विश्वनाथ ने बेटे को बर्फ लाने और मेहमानों को पानी पिलाने को इसलिए कहा होगा जिससे कि वह अपने बेटे में उत्तम संस्कार डाल सके तथा घर आए मेहमानों का सत्कार करना सीखे। इसके साथ ही छोटी बहन का ध्यान रखकर वह अपने कर्तव्यों को भी सीखेगा और घर में अपनी जिम्मेदारी को समझेगा।

(ग) “ कैसी बातें करते हो, भैया! मैं अभी खाना बनाती हूँ” भीषण गरमी और सिर में दर्द के बावजूद भी रेवती भोजन की व्यवस्था करने के लिए क्यों तैयार हो गई होगी?
उत्तर:
भीषण गर्मी और सिर दर्द के बावजूद भी रेवती खाना बनाने को इसलिए तैयार हो गई क्योंकि अब मेहमान के रूप में उसका भाई आया था। भाई को देखकर तो रेवती का सारा सिर दर्द दूर हो गया। वह अपने भाई की अच्छी-सी खातिरदारी करना चाहती थी, इसी कारण उसने मिठाई का प्रबंध करने की बात की; साथ ही खुशी-खुशी अपने भाई के लिए भोजन बनाने की तैयारी में लग गई।

(घ) एकांकी से गरमी की भीषणता दर्शाने वाली कुछ पंक्तियाँ दी जा रही हैं। अपनी कल्पना और अनुमान से बताइए कि सर्दी और वर्षा की भीषणता के लिए आप इनके स्थान पर क्या-क्या वाक्य प्रयोग करते हैं? अपने वाक्यों को दिए गए उचित स्थान पर लिखिए।

उत्तर:


गरमी की भीषणता दर्शाने वाली पंक्तियाँ

सर्दी की भीषणता दर्शाने वाली पंक्तियाँ

वर्षा की भीषणता दर्शाने वाली पंक्तियाँ


1. यह गरमी में भुन रहा है।

यह सर्दी में जम गया।

यह वर्षा में भीग रहा है।


2. पर बरफ भी कोई कहाँ तक पिए।

गर्म चाय भी ठंडी हो गई।

तेज वर्षा से फसल बह गई।


3. सारे शहर में जैसे आग बरस रही हो।

पूरा शहर ठंड से अकड़ रहा है।

पूरे शहर में वर्षा का जल भर गया।


4. प्यास है कि बुझने का नाम नहीं लेती।

सर्दी है कि कम होने का नाम नहीं ले रही।

वर्षा है कि रुकने का नाम नहीं ले रही।


5. चारों तरफ दीवारें तप रही हैं।

ठंडे फर्श पर पैर रखने से पैरों का खून जम गया।

वर्षा में छत टपक रही है। तेज वर्षा से पानी घर के अंदर आ रहा है।


6. ठंडा-ठंडा पानी पिलाओ दोस्त, प्राण सूखे जा रहे हैं।

गर्म चाय पिलाओ दोस्त ठंड से जमे जा रहे हैं।

छतरी दे दो मित्र, बारिश से भीग रहा हूँ।


7. सचमुच गरमी में पानी ही तो जान है।

गर्म-गर्म चाय से ठंड थोड़ी कम हुई।

वर्षा में चाय-पकौड़े से आनंद ही आ गया।


8. यह तो हमारा ही भाग्य है कि चने की तरह भाड़ में भुनते रहते हैं।

गरीबी के कारण ठंड में जमना पड़ रहा है।

टूटी छत के कारण सारे घर में पानी टपक रहा है।


9. फिर भी पसीने से नहा गया हूँ।

वर्षा की भीषणता दर्शाने वाली पंक्तियाँ

‘वर्षा में पूरा भीग चुका हूँ।


एकांकी की रचना



इस एकांकी के आरंभ में पात्र – परिचय, स्थान, समय और विश्वनाथ और रेवती के घर के विषय में बताया गया है, जैसे कि –
“गरमी की ऋतु, रात के आठ बजे का समय । कमरे के पूर्व की ओर दो दरवाजे…”
विश्वनाथ – उफ्फ, बड़ी गरमी है (पंखा जोर-जोर से करने लगता है) इन बंद मकानों में रहना कितना भयंकर है। मकान है कि भट्टी !
(पश्चिम की ओर से एक स्त्री प्रवेश करती है)
रेवती – (आँचल से मुँह का पसीना पोंछती हुई) पत्ता तक नहीं हिल रहा है। जैसे साँस बंद हो जाएगी। सिर फटा जा रहा है।

एकांकी की इन पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए। इन्हें पढ़कर स्पष्ट पता चल रहा है कि पहली पंक्ति समय और स्थान आदि के विषय में बता रही है। इसे रंगमंच – निर्देश कहते हैं। वहीं दूसरी पंक्तियों से स्पष्ट है कि ये दो लोगों द्वारा कही गई बातें हैं। इन्हें संवाद कहा जाता है। ये ‘नए मेहमान’ एकांकी का एक अंश है।

एकांकी एक प्रकार का नाटक होता है जिसमें केवल एक ही अंक या भाग होता है। इसमें किसी कहानी या घटना को संक्षेप में दर्शाया जाता है। आप इस एकांकी में ऐसी अनेक विशेषताएँ खोज सकते हैं। (जैसे- इस एकांकी में कुछ संकेत कोष्ठक में दिए गए हैं, पात्र – परिचय, अभिनय संकेत, वेशभूषा संबंधी निर्देश आदि ।)

(क) अपने समूह में मिलकर इस एकांकी की विशेषताओं की सूची बनाइए।
उत्तर:
एकांकी की विशेषताएँ

1. कहानी के आरंभ में पात्रों का परिचय

2. मंचन हेतु स्थान का उचित रेखाचित्र

3. पात्रों के वस्त्र एवं कमरे की सजावट कथानुसार पूर्वतः उचित

4. प्रभावशाली, संक्षिप्त एवं पूर्ण संवाद

5. कथा विस्तार हेतु सामान्य निर्देश, सटीकता से प्रस्तुत

6. जिज्ञासायुक्त प्रश्नों का पूर्ववत समाधान

7. कथा का अंत संतोषजनक एवं पूर्ण ।

(ख) आगे कुछ वाक्य दिए गए हैं। एकांकी के बारे में जो वाक्य आपको सही लग रहे हैं, उनके सामने ‘हाँ’ लिखिए। जो वाक्य सही नहीं लग रहे हैं, उनके सामने ‘नहीं’ लिखिए ।

उत्तर:


वाक्य

हाँ /नहीं


1. ‘नए मेहमान’ एकांकी में पूरी कहानी एक ही स्थान, घर में घटित होती दिखाई गई है।

हाँ


2. एकांकी में पात्रों की संख्या बहुत अधिक है।

नहीं


3. एकांकी में एक कहानी छिपी है।

हाँ


4. एकांकी और कहानी में कोई अंतर नहीं है।

हाँ


5. एकांकी में कहानी की घटनाएँ अलग-अलग दिनों या महीनों में हो रही हैं।

नहीं


6. एकांकी में कहानी मुख्य रूप से संवादों से आगे बढ़ती है।

हाँ


7. एकांकी में पात्रों को अभिनय के लिए निर्देश दिए गए हैं।

हाँ




अभिनय की बारी

(क) क्या आपने कभी मंच पर कोई एकांकी या नाटक देखा है ? टीवी पर फिल्में और धारावाहिक तो अवश्य देखे होंगे! अपने अनुभवों से बताइए कि यदि आपको अपने विद्यालय में ‘नए मेहमान’ एकांकी का मंचन करना हो तो आप क्या – क्या तैयारियाँ करेंगे।
(उदाहरण के लिए- इस एकांकी में आप क्या – क्या जोड़ेंगे जिससे यह और अधिक रोचक बने, कौन-से पात्र जोड़ेंगे या पात्रों की वेशभूषा क्या रखेंगे ?)
उत्तर:
हमें यह नाटक बहुत मजेदार लगा, अगर हम इसे अपने विद्यालय के मंच पर करेंगे तो बहुत मज़ा, आएगा। इसके लिए सबसे पहले हम ऐसे पात्रों के लिए उपयुक्त बच्चों का चयन करेंगे, फिर उन्हें उनके संवाद बता देंगे और अभिनय का अभ्यास प्रारंभ करवाएँगे। कथा आगे बढ़ाने और निर्देशन हेतु एक संवादवाचक का भी चयन करेंगे। नाटक हेतु जरूरी सामान, कुर्सी, पलंग, गिलास, पंखा इत्यादि का भी इंतजाम करेंगे। पात्रों की वेशभूषा यहाँ उचित प्रस्तुत की गई है।

उसमें किसी बदलाव की आवश्यकता नहीं है, परंतु हाँ! हम अंत में आए मामाजी के साथ उनके बच्चों और मामी को भी दिखा सकते हैं और तब कहानी का मुख्य पात्र अपनी पत्नी से कह सकता है कि अभी दो लोगों के आने से तुम्हारा सिर दर्द बढ़ गया था और अब चार लोग आ गए हैं तो तुम बिल्कुल स्वस्थ हो गई और तब उनकी पत्नी कहेगी – खबरदार ! यदि मेरे मायके वालों के खिलाफ कुछ बोला तो ! अब जाओ उनके अच्छे भोजन का प्रबंध करो।

(ख) अब आपको अपने – अपने समूह में इस एकांकी को प्रस्तुत करने की तैयारी करनी है। इसके लिए आपको यह सोचना है कि कौन किस पात्र का अभिनय करेगा। आपके शिक्षक आपको तैयारी के बाद अभिनय के लिए निर्धारित समय देंगे (जैसे 10 मिनट या 15 मिनट) । आपको इतने ही समय में एकांकी प्रस्तुत करनी है। बारी-बारी से प्रत्येक समूह एकांकी प्रस्तुत करेगा ।
उत्तर:
छात्र स्वयं करेंगे।

भाषा की बात

“सारे शहर में जैसे आग बरस रही हो।”
” चारों तरफ दीवारें तप रही हैं ।”
“यह तो हमारा ही भाग्य है कि चने की तरह भाड़ में भुनते रहते हैं ।”
उपर्युक्त वाक्यों में रेखांकित शब्द गरमी की प्रचंडता को दर्शा रहे हैं कि तापमान अत्यधिक है।
एकांकी में इस प्रकार के और भी प्रयोग हुए हैं जहाँ शब्दों के माध्यम से विशेष प्रभाव उत्पन्न किया गया है, उन प्रयोगों को छाँटकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए ।
उत्तर:
कितना भयंकर है ! मकान है कि भट्ठी !
जैसे साँस बंद हो जाएगी।
कब तक इस जेलखाने में सड़ना होगा ?
गरमी के मारे मर रही हूँ।


गरीबों की तो मौत है।
तमाम शरीर मारे गरमी के उबल उठा है।
कपड़े तो ऐसे हो गए कि निचोड़ लो।


प्राण सूखे जा रहे हैं।


पसीने से भीग गया।
कारोबार सब चौपट हो गया।
बिस्तर भी पसीने से भीग गया।
लाखों के आदमी खाक में मिल गए।


माल मसाला तो अंटी में है न?
सोते-सोते हाथ-पैर सुन्न हो जाते थे


पहले आत्मा, फिर परमात्मा ।
तबीयत अब शांत हुई है।

मुहावरे



“आज दो साल से दिन-रात एक करके ढूँढ़ रहा हूँ ।”
“लाखों के आदमी खाक मिल गए।”

उपर्युक्त वाक्यों में रेखांकित वाक्यांश ‘रात-दिन एक करना’ तथा ‘खाक में मिलना’ मुहावरों का प्रायोगिक रूप है। ये वाक्य में एक विशेष प्रभाव उत्पन्न कर रहे हैं। एकांकी में आए अन्य मुहावरों की पहचान करके लिखिए और उनके अर्थ समझते हुए उनका अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए ।
उत्तर:
साँस बंद हो जाएगी – मुहावरा
अर्थ – साँस लेने में कठिनाई होना ।
वाक्य – बहुत घुटन है इस कमरे में मेरी तो साँसे बंद हो रही हैं।
गरीबों की तो मौत है- कहावत
अर्थ – गरीबों को हमेशा परेशानी झेलनी पड़ती है।
वाक्य – चाहे कितना ही विकास कर लो परंतु गरीबों पर किसी का ध्यान नहीं जाता। गरीबों की तो हर पल मौत है।
प्राण सूखे जा रहे हैं- मुहावरा
अर्थ – बहुत डर जाना।
वाक्य – शेर को सामने देखकर मेरे तो प्राण सूख गए।
गरमी के मारे उबल उठना- मुहावरा
अर्थ – परेशान होना ।
वाक्य – आज की गर्मी ने तो सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए, मैं तो गर्मी के मारे उबल उठा हूँ।
चौपट होना – मुहावरा
अर्थ – नष्ट होना।
वाक्य – इस बरसात में तो मेरी सारी फसल चौपट हो गई।
हाथ-पैर सुन्न होना— मुहावरा
अर्थ – घबरा जाना।
वाक्य – घने जंगलों से गुजरते हुए मेरे हाथ-पैर सुन्न हो रहे थे।
शांत होना – मुहावरा
अर्थ – धैर्य रखना।
वाक्य – जल्दबाजी से काम खराब होते हैं हमें शांत होकर कार्य करना चाहिए ।
अर्थ – पहले आत्मा, फिर परमात्मा- कहावत
वाक्य – पहले अपना ध्यान करना फिर दूसरों का ।
अर्थ – मैं पहले अपना कार्य समाप्त कर लूँ फिर तुम्हारा देखूँगी क्योंकि पहले आत्मा, फिर परमात्मा।
धुन सवार होना – मुहावरा
अर्थ – किसी बात के पीछे पड़ जाना ।
वाक्य – रोहित के सिर पर तो नई कार लेने की धुन सवार हो गई है अब वह लेकर ही मानेगा।
अपनी हाँकना- मुहावरा
अर्थ – अपनी ही बात कहना।
वाक्य – तुम केवल अपनी ही हाँकते रहते हो, कभी दूसरों की भी सुन लिया करो ।
सिर फटना – मुहावरा
अर्थ – मानसिक तनाव।
वाक्य – पूरा घर फैला देखकर तो मेरा सिर फटने लग गया।

बात पर बल देना



• “वह तो कहो, मैं भी ढूँढ़कर ही रहा ।”
उपर्युक्त वाक्य से रेखांकित शब्द ‘ही’ हटाकर पढ़िए-
“वह तो कहो, मैं भी ढूँढ़कर रहा”

(क) दो-दो के जोड़े में चर्चा कीजिए कि वाक्य में ‘ही’ के प्रयोग से किस बात को बल मिल रहा था और ‘ही’ हटा देने से क्या कमी आई ?
उत्तर:
‘ही’ के प्रयोग से किसी भी बात को बल मिलता है।



(ख) नीचे लिखे वाक्यों में ऐसे स्थान पर ‘ही’ का प्रयोग कीजिए कि वे सामने लिखा अर्थ देने लगे-

उत्तर:
1. विश्वनाथ के अतिथि ही यहाँ रुकेंगे और किसी के अतिथि नहीं।
2. विश्वनाथ के अतिथि ही यहाँ रुकेंगे यहाँ के अतिरिक्त और कहीं नहीं।
3. विश्वनाथ के अतिथि ही यहाँ रुकेंगे यहाँ रुकना निश्चित है।

• “तुम नहाने तो जाओ।”,
उपर्युक्त वाक्य में ‘तो’ का स्थान बदलकर अर्थ में आए परिवर्तन पर ध्यान दें-
” तुम तो नहाने जाओ।”
“तुम नहाने जाओ तो ।”
‘ही’ और ‘तो’ के ऐसे और प्रयोग करके वाक्य बनाइए।

उत्तर:
‘ही’ के प्रयोग-

1. मैं तुमसे कह रहा हूँ
मैं तुमसे ही कह रहा हूँ

2. रमेश ने गलत कहा है।
रमेश ने गलत ही कहा है।

3. तुम चले जाओ अब
तुम चले ही जाओ अब

‘तो’ के प्रयोग-

1. मैं फिल्म जरूर देखूँगा ।
मैं तो फिल्म जरूर देखूँगा ।

2. बच्चे शरारती होते हैं।
बच्चे तो शरारती होते हैं।

3. गीता घूमने अवश्य चलेगी ।
गीता तो घूमने अवश्य चलेगी।

पाठ से आगे

प्रश्न-अभ्यास आपकी बात
(पृष्ठ 123-125)

(क) “ रेवती – ये लोग कौन हैं ? जान-पहचान के तो मालूम नहीं पड़ते।
विश्वनाथ-क्या पूछ लूँ? दो-तीन बार पूछा, ठीक-ठीक उत्तर ही नहीं देते।”
उपर्युक्त संवाद से पता चलता है कि विश्वनाथ दुविधा की स्थिति में है। क्या आपके सामने कभी कोई ऐसी दुविधापूर्ण स्थिति आई है जब आपको यह समझने में समय लगा हो कि क्या सही है और क्या गलत? अपने अनुभव साझा कीजिए ।
उत्तर:
हाँ! मेरे सामने एक बार ऐसी स्थिति आई थी, कि मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूँ? प्रायः ऐसी स्थिति तब आती है जब हमारे सामने दो विकल्प हो और हमें किसी एक को चुनना हो । क्योंकि ऐसी परिस्थितियों में हम तय नहीं कर पाते कि क्या उचित है और क्या अनुचित ? ऐसा ही एक बार तब हुआ जब पापा का तबादला दूसरे शहर में हुआ।

उस समय माँ और छोटी बहन पापा के साथ दूसरे शहर जाने को तैयार थे परंतु मैं समझ नहीं पा रहा था कि अपना स्कूल छोड़ें कि नहीं। क्योंकि स्कूल में और मेरे पड़ोस में, बहुत सारे मित्र थे, तब पापा ने सुझाव दिया कि मैं पास में ही रहने वाली अपनी मौसी के घर रुककर पढ़ाई पूरी कर लूँ। पहले तो मुझे यह उचित लगा परंतु अगले ही पल माँ-बाप की याद सताने लगी। दो दिन तक मैं मित्रों और माता-पिता के बीच निर्णय लेने में असमर्थ रहा; परंतु तीसरे दिन मैंने तुरंत निर्णय लिया और माँ-बाप के साथ जाने को तैयार हुआ ।

(ख) एकांकी से ऐसा लगता है कि नन्हेमल और बाबूलाल सगे संबंधी ही नहीं, अच्छे मित्र भी हैं। आपके अच्छे मित्र कौन-कौन हैं? वे आपको क्यों प्रिय हैं ?
उत्तर:
मेरा अच्छा मित्र मेरे पड़ोस में रहने वाला राहुल है। वैसे तो स्कूल में भी मेरे बहुत मित्र हैं और पड़ोस में भी। मैं सबके साथ खेलता हूँ परंतु उन सबमें मेरा सबसे अच्छा मित्र ‘राहुल’ ही है क्योंकि वह हमेशा मेरा साथ देता है और गलत बात पर मुझे टोकता भी है। वह पढ़ाई में भी मेरी सहायता करता है। वह समय पर काम पूरा करने के लिए मुझे प्रेरित भी करता है। जब भी मैं परेशान होता हूँ तो वह मुझे हँसाता है और परेशानी से बाहर निकलने में मदद करता है।

(ग) आप अपने किसी संबंधी या मित्र के घर जाने से पहले क्या – क्या तैयारी करते हैं?
उत्तर:
जब हम अपने मित्र या संबंधी के घर जाते हैं, तो सबसे पहले उसे फोन करके सूचित कर देते हैं कि हम आ रहे हैं क्योंकि क्या पता उसे ही उस दिन कोई काम हो। इस प्रकार उसे और हमें दोनों को सुविधा रहती है और वह भी आने वाले के लिए तैयार रहता है। फिर हम अपने मित्र अथवा संबंधी के लिए फल, मिठाई इत्यादि उपहार स्वरूप लेकर जाते हैं।

(घ) विश्वनाथ के पड़ोसी उनका किसी प्रकार से भी सहयोग नहीं करते हैं। आप अपने पड़ोसियों का किस प्रकार से सहयोग करते हैं?
उत्तर:
हम अपने पड़ोसी के साथ सदैव मिलकर रहते हैं। हमारे पड़ोसी भी हमारे सुख-दुख में शामिल होते हैं। हम अक्सर शाम को साथ बैठकर बातें करते हैं। यदि कभी घर में किसी वस्तु की आवश्यकता अचानक से पड़ जाए और उस समय लाना संभव न हो तो हमारे पड़ोसी हमारी मदद करते हैं। कभी-कभी माँ-बाप को कहीं बाहर जरूरी काम से जाना पड़ जाए तो हम अपने पड़ोसी के घर रुक जाते हैं और वहाँ आँटी हमारा बहुत ध्यान रखती है। हम त्योहारों पर भी एक-दूसरे को शुभकामना देते हैं और मिलकर त्योहार मनाते हैं। हम अपने पड़ोसी से और हमारे पड़ोसी हमसे, हम दोनों ही एक-दूसरे से खुश तथा संतुष्ट हैं।

(ङ) नन्हेमल और बाबूलाल का व्यवहार सामान्य अतिथियों जैसा नहीं है। आपके अनुसार सामान्य अतिथियों का व्यवहार कैसा होना चाहिए?
उत्तर:
(ङ) नन्हेमल और बाबूलाल का व्यवहार सामान्य अतिथियों जैसा नहीं था, क्योंकि वे दोनों पहली बार विश्वनाथ के घर आए थे और बिना किसी यकीन के उसके मेहमान बनने लगे। उन्होंने यह जानना भी जरूरी नहीं समझा कि वे सही स्थान और सही व्यक्ति के पास आए भी हैं या नहीं। ये देखकर कि मेजबान की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है और वहाँ ठहरने का उपयुक्त स्थान भी नहीं है फिर भी वे दोनों जबरदस्ती के मेहमान बनकर घरवालों को परेशान कर रहे थे। ऐसी हरकतें एक अच्छे मेहमान को शोभा नहीं देती। हमें मेहमान बनकर जाना चाहिए, बोझ बनकर नहीं।

सावधानी और सुरक्षा

(क) विश्वनाथ ने नन्हेमल और बाबूलाल से उनका परिचय नहीं पूछा और उन्हें घर के भीतर ले आए। यदि आप उनके स्थान पर होते तो क्या करते ?
उत्तर:
यदि हम विश्वनाथ के स्थान पर होते तो कभी भी अपने घर में ऐसे व्यक्तियों को घुसने नहीं देते जिन्हें हम जानते ना हो, क्योंकि आजकल जमाना सही नहीं है। ऐसे ही किसी का घर में आना सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक हो सकता है। इसलिए मैं पहले दरवाजे पर ही उनका नाम और पहचान पूछता और स्वयं से क्या संबंध है? किसने उन्हें भेजा है और किससे उन्हें मिलना है? यह सब जानने के बाद ही यदि उचित लगता तो घर में प्रवेश की इजाजत देता ।

(ख) आपके माता-पिता या अभिभावक की अनुपस्थिति में यदि कोई अपरिचित व्यक्ति आए तो आप क्या-क्या सावधानियाँ बरतेंगे ?
उत्तर:
हमारे माता-पिता की अनुपस्थिति में यदि कोई अपरिचित आए तो हम उन्हें कभी भी घर में आने की इजाजत नहीं देंगे। हम यह नहीं सोचेंगे कि आने वाले को बुरा लग रहा है या नहीं, बल्कि हम इस बात का ध्यान रखेंगे कि इन्हें घर में घुसा कर कहीं अनहोनी ना हो जाए। इस कारण हम उनसे आदरपूर्वक कहेंगे कि कृपया आप बाद में आएँ जब माता-पिता घर वापस आ जाएँ और हम घर का दरवाजा बंद कर लेंगे।

सृजन



(क) आपने यह एकांकी पढ़ी। इस एकांकी में एक कहानी कही गई है। उस कहानी को अपने शब्दों में लिखिए । (जैसे- एक दिन मेरे घर में मेहमान आ गए…)
उत्तर:
एक दिन मेरे घर में मेहमान आ गए। मैं उन्हें पहचान नहीं पा रहा था, परंतु उन्होंने मुझे पूछने का अवसर दिए बिना घर में कदम रख दिया। मैं कुछ समझ नहीं पाया। पत्नी ने अलग बुलाकर पूछा कि कौन हैं? मैंने कंधे उचकाकर पूछा पता नहीं, जानने की कोशिश कर रहा हूँ पर ठीक से कुछ स्पष्ट नहीं हो पा रहा। चलो फिर से पूछता हूँ।

मैंने दो-तीन बार प्रयास किया, परंतु उन्होंने स्पष्ट उत्तर नहीं दिया और अपने पानी पीने, भोजन करने और नहाने की बात मुझसे करने लगे। भोजन की बात पर पत्नी नाराज हो गई और सिर दर्द की बात कहकर भोजन बनाने से मना कर दिया। मैंने बाहर से लाने की बात कही तो भी पैसा खर्च करने से मना कर दिया।

बाद में पूछने पर पता चला कि वे दोनों गलत घर में आ पहुँचे हैं। उन्हें तो दूसरी गली में कविराज वैद्य के घर जाना था। वे दोनों क्षमा माँगकर वहाँ से चले गए। मैंने और पत्नी ने राहत की साँस ली। तभी मेरी पत्नी का भाई मेहमान बनकर आ गया और सिर दर्द से परेशान पत्नी का दर्द मिनटों में छू-मंतर हो गया तथा वह खुशी से चहक उठी, मिठाइयाँ मँगवाकर भाई के लिए खाना बनाने चल दी। मैं इस बदलते रूप को देखकर हैरान था ।

गरमी का प्रकोप

प्रश्न- “तमाम शरीर मारे गरमी के उबल उठा है।”
एकांकी में भीषण गरमी का वर्णन किया गया है। आप गरमी के प्रकोप से बचने के लिए क्या-क्या सावधानी बरतेंगे? पाँच-पाँच के समूह में चर्चा करें। मुख्य बिंदुओं को चार्ट पेपर पर लिखकर बुलेटिन बोर्ड पर लगाएँ और इन्हें व्यवहार में लाएँ ।
उत्तर:
हम गर्मी से बचने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखेंगे-

1. पानी ज्यादा पिएँगे।

2. बाहर धूप में नहीं जाएँगे ।

3. सूती कपड़े पहनेंगे ।

4. रोज नहाएँगे ।

5. नींबू पानी का सेवन करेंगे।

तार से संदेश



प्रश्न- ” क्या मेरा तार नहीं मिला?”
रेवती के भाई ने अपने आने की सूचना तार द्वारा भेजी थी। ‘तार’ संदेश भेजने का एक माध्यम था। जिसके द्वारा शीघ्रता से किसी के पास संदेश भेजा जा सकता था, किंतु अब इसका प्रचलन नहीं है।

टेलीग्राफ

किसी भौतिक वस्तु के विनिमय के बिना ही संदेश को दूर तक संप्रेषित करना टेलीग्राफी कहलाता है। विद्युत धारा की सहायता से, पूर्व निर्धारित संकेतों द्वारा, संवाद एवं समाचारों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजनेवाला तथा प्राप्त करने वाला यंत्र तारयंत्र (टेलीग्राफ) कहलाता है। वर्तमान में यह प्रौद्योगिकी अप्रचलित हो गई है।

(क) तार भेजने के आधार पर अनुमान लगाएँ कि यह एकांकी लगभग कितने वर्ष पहले लिखी गई होगी?
उत्तर:
1850 से शुरू हुआ और 1902 तक तार भेजने का प्रचलन था यह एकांकी इन्हीं वर्षों में लिखी गयी होगी।

(ख) आजकल संदेश भेजने के कौन-कौन से साधन सुलभ हैं?
उत्तर:
आजकल, संदेश – ईमेल, वॉटसअप, टेलीग्राम, फेसबुक, ट्वीटर, एस.एम.एस तथा वीडियो कॉन्फ्रेसिंग द्वारा भेजे जाते हैं।



(ग) आप किसी को संदेश भेजने के लिए किस माध्यम का सर्वाधिक उपयोग करते हैं?
उत्तर:
हम वॉटसअप तथा ईमेल के द्वारा ज्यादातर संदेश भेजते हैं।

(घ) अपने किसी प्रिय व्यक्ति को एक पत्र लिखकर भारतीय डाक द्वारा भेजिए ।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

नाप तौल और मुद्राएँ



“जबकि नत्थामल के यहाँ साढ़े नौ आने गज बिक रही थी ।”

उपर्युक्त पंक्ति के रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए । रेखांकित शब्द ‘साढ़े नौ’, ‘आने’, ‘ग़ज’ में ‘साढ़े नौ’ भारतीय भाषा में अंतरराष्ट्रीय अंक (9.5) को दर्शा रहा है तो वहीं ‘आने’ शब्द भारतीय मुद्रा और ‘गज’ शब्द लंबाई नापने का मापक है।

(क) पता लगाइए कि एक रुपये में कितने आने होते हैं?
उत्तर:
एक रुपये में 16 आने होते हैं।

(ख) चार आने में कितने पैसे होते हैं?
उत्तर:
चार आने में 25 पैसे होते हैं।

(ग) आपके आस-पास गज शब्द का प्रयोग किस संदर्भ में किया जाता है? पता लगाइए और लिखिए।
उत्तर:
गज का प्रयोग – कपड़ा और जमीन नापने के लिए किया जाता है।

(घ) बताइए कि एक गज में कितनी फीट होती हैं ?
उत्तर:
एक गज में 3 फीट होते हैं।

झरोखे से

कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ का जीवन सादगी भरा था, परंतु वे अपने आतिथ्य के लिए जाने जाते थे। उनके घर में कोई अतिथि आ जाए तो वे उसके सत्कार के लिए जी-जान से जुट जाते थे। महादेवी वर्मा की पुस्तक पथ के साथी से निराला के आतिथ्य भाव का एक छोटा सा अंश पढ़िए-

…….ऐसे अवसरों की कमी नहीं जब वे अकस्मात पहुँच कर कहने लगे…… “मेरे इक्के पर कुछ लकड़ियाँ, थोड़ा घी आदि रखवा दो। अतिथि आए हैं, घर में सामान नहीं है।”

उनके अतिथि यहाँ भोजन करने आ जावें, सुनकर उनकी दृष्टि में बालकों जैसा विस्मय छलक आता है। जो अपना घर समझकर आए हैं, उनसे यह कैसे कहा जाए कि उन्हें भोजन के लिए दूसरे घर जाना होगा।

भोजन बनाने से लेकर जूठे बर्तन माँजने तक का काम वे अपने अतिथि देवता के लिए सहर्ष करते हैं। तैंतीस कोटि देवताओं के देश में इस वर्ग के देवताओं की संख्या कम नहीं, पर आधुनिक युग ने उनकी पूजा विधि में बहुत कुछ सुधार कर लिया है। अब अतिथि-पूजा के अवसर वैसे कम ही आते हैं और यदि आ भी पड़े तो देवता के और अभिषेक, शृंगार आदि संस्कार बेयरा, नौकर आदि ही संपन्न करा देते हैं। पुजारी गृहपति को तो भोग लगाने की मेज पर उपस्थित रहने भर का कर्तव्य सँभालना पड़ता है। कुछ देवता इस कर्तव्य से भी उसे मुक्ति दे देते हैं।

ऐसे युग में आतिथ्य की दृष्टि से निराला जी में वही पुरातन संस्कार है जो इस देश के ग्रामीण किसान में मिलता है।

उनके भाव की अतल गहराई और अबाध वेग भी आधुनिक सभ्यता के छिछले और बँधे भाव-व्यापार से भिन्न हैं।

साझी समझ

प्रश्न- भारत में ‘अतिथि देवो भव’ की परंपरा रही है। आपके घर जब अतिथि आते हैं तो आप उनका अभिवादन कैसे करते हैं, अपनी भाषा में बताइए और अपने सहपाठियों के साथ चर्चा कीजिए कि अतिथियों को आप अपने राज्य, क्षेत्र का कौन-सा पारंपरिक व्यंजन खिलाना चाहते हैं।
उत्तर:
जब हमारे घर अतिथि आते हैं तो हम हाथ जोड़कर उनका अभिवादन करते हैं। उन्हें पहले पानी पिलाते हैं फिर चाय के साथ नमकीन, बिस्कुट इत्यादि रखते हैं। यदि अतिथि भोजन के समय आया है तो उसे दो सब्जियों के साथ भोजन करवाते हैं और मीठा भी खिलाते हैं। उनका पूरा सम्मान करते हैं। उनके साथ बैठकर बातें करते हैं और वक्त व्यतीत करते हैं। जब अतिथि वापस जाते हैं तो उन्हें- फिर आइएगा कहकर अपनत्व का एहसास करवाते हैं।

खोजबीन के लिए

प्रश्न- एक एकांकी में ‘आने’, ‘गज’ और ‘तार’ शब्द आए हैं। इनके विषय में विस्तार से जानकारी इकट्ठी कीजिए। इसके लिए आप अपने अभिभावक, अध्यापक, पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता भी ले सकते हैं।
उत्तर:
मुख्य बातें:-
आने:-
इकाई: आने (या आना)
मूल्य: 1/16 रुपये
विभाजनः 4 पैसे या 12 पाई
दशमलव प्रणाली में: 61/4 पैसे
उपयोग: ब्रिटिश भारत में इसका उपयोग किया जाता था। यह एक मुद्रा इकाई थी।
गज:- यह – भूमि मापने की एक पारंपरिक इकाई है। यह इकाई मुख्य रूप से उत्तरी भारत में, विशेषकर पंजाब, हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्यों में उपयोग में लाई जाती है।
मुख्य बातें-
मापः 1 गज 9 वर्ग फुट ।
उपयोग: भूमि और संपत्ति की माप के लिए।
क्षेत्र: उत्तरी भारत में ।
अन्य नामः वर्ग गज ।
ऐतिहासिक महत्व : मुगल काल से उपयोग में। आकारः एक वर्ग गज 3 फुट × 3 फुट के आकार के बराबर
तारः संदेश भेजने वाले तार, जिसे टेलीग्राम भी कहा जाता है, एक त्वरित संदेश सेवा थी, जो विद्युत संकेतों का उपयोग करके एक स्थान से दूसरे स्थान तक संदेश भेजती थी। यह 19वीं और 20वीं सदी में लोकप्रिय था, लेकिन अब इसका उपयोग बहुत कम होता है अर्थात ना के बराबर ।

NCERT Class 8th Hindi Chapter 7 मत बाँधो Question Answer

NCERT Class 8th Hindi Chapter 7 मत बाँधो Question Answer

कक्षा 8 हिंदी पाठ 7 प्रश्न उत्तर – Class 8 Hindi मत बाँधो Question Answer

पाठ से प्रश्न- अभ्यास
(पृष्ठ 92-98)

आइए, अब हम इस कविता को थोड़ा और विस्तार से समझते हैं। नीचे दी गई गतिविधियाँ इस कार्य में आपकी सहायता करेंगी।

मेरी समझ से

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर के सम्मुख तारा (★) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं-

प्रश्न 1.
आप इनमें से कविता का मुख्य भाव किसे समझते हैं?
सपने मात्र कल्पनाएँ हैं
सपनों को भूल जाना चाहिए
सपनों की स्वतंत्रता बनी रहनी चाहिए
सपने देखना अच्छी बात है

उत्तर:
सपनों की स्वतंत्रता बनी रहनी चाहिए

प्रश्न 2.
‘मत बाँधो’ कविता किसकी स्वतंत्रता की बात करती है?
प्रेम की
शिक्षा की
सपनों की
अधिकारों की

उत्तर:
सपनों की

प्रश्न 3.
“इन सपनों के पंख न काटो” पंक्ति में सपनों के ‘पंख’ होने की कल्पना क्यों की गई है ?
सपने जीवन में कुछ नया करने की प्रेरणा देते हैं
सपने सफलता की ऊँचाइयों तक ले जाते हैं
सपने पंखों की तरह उड़ान भर भ्रमण करवाते हैं
सपने पंखों की तरह कोमल और अनेक प्रकार के होते हैं

उत्तर:
सपने जीवन में कुछ नया करने की प्रेरणा देते हैं



प्रश्न 4.
“स्वर्ग बनाने का फिर कोई शिल्प” पंक्ति में ‘स्वर्ग’ से आप क्या समझते हैं ?
जहाँ किसी प्रकार का शारीरिक कष्ट न हो
जहाँ अतुलनीय धन संपत्ति हो
जहाँ परस्पर सहयोग एवं सद्भाव हो
जहाँ सभी प्राणी एक-दूसरे के प्रति संवेदनशील हों

उत्तर:
जहाँ परस्पर सहयोग एवं सद्भाव हो
जहाँ सभी प्राणी एक-दूसरे के प्रति संवेदनशील हों



प्रश्न 5.
यदि बीज धूल में गिर जाए तो क्या हो सकता है?
वह बहुत तेजी से उड़ सकता है
वह और गहरा हो सकता है
उसकी उड़ान रुक सकती है
वह बढ़कर पौधा बन सकता है

उत्तर:
वह बढ़कर पौधा बन सकता है



(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर:
हमने यही उत्तर इसलिए चुने क्योंकि कविता और जीवन के अनुसार यही बातें उचित हैं। ये सभी बातें हमें जीवन में ऊँचा उठना और आगे बढ़ना सिखाती है।

पंक्तियों पर चर्चा



कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए । आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए।

(क) “सौरभ उड़ जाता है नभ में
फिर वह लौट कहाँ आता है ?
बीज धूलि में गिर जाता जो
वह नभ में कब उड़ पाता है ?”
उत्तर:
कवयित्री कहती हैं कि सुगंध जब एक बार आसमान में उड़ जाती है तो वह आसमान में ही खो जाती है और फिर लौटकर नहीं आती। इसी प्रकार बीज भी जब धूल में गिरता है और उस समय उसे जल और सूर्य से पोषित ना किया जाए तो उसमें भी अंकुर नहीं फूटता । इसी प्रकार जब हम अपने सपनों को महत्व देकर उसे पूरा करने का प्रत्येक संभव प्रयास नहीं करते तो वह भी अपना अस्तित्व खोकर हमारे जीवन से दूर चला जाता है और नष्ट हो जाता है।



(ख) “मुक्त गगन में विचरण कर यह
तारों में फिर मिल जायेगा,
मेघों से रंग औ’ किरणों से
दीप्ति लिए भू पर आयेगा ।”
उत्तर:
जब हम अपने सपनों को पूरा करने का प्रयास करते हैं तो यह प्रत्येक तारे रूपी सहायक वस्तुओं के साथ मिलकर जीवन रूपी आसमान में स्वतंत्र उड़कर कामयाबी रूपी मेघों के संग मिलकर सुख रूपी किरणों के साथ बरस कर, लाभ रूपी प्रकाश के साथ, भूमि रूपी हमारे जीवन में उतरता है और दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन जाता है इसी कारण सपनों को स्वतंत्र उड़ने देना चाहिए।

मिलकर करें मिलान

कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ स्तंभ 1 में दी गई हैं। उन पंक्तियों के भाव या संदर्भ स्तंभ 2 में दिए गए हैं। पंक्तियों को उनके सही भाव अथवा संदर्भ से मिलाइए।

उत्तर:
1. 3
2. 5
3. 1
4. 2
5. 4



सोच-विचार के लिए

कविता को पुनः पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए-

(क) कविता में ‘मत बाँधो’, ‘पंख न काटो’ आदि संबोधन किसके लिए किए गए होंगे?
(ख) कविता में सपनों की गति न बाँधने की बात क्यों कही गई होगी?
(ग) कविता में सौरभ, बीज, धुआँ, अग्नि जैसे उदाहरणों के माध्यम से सपनों को इनसे भिन्न बताते हुए उसे विशेष बताया गया है। आपकी दृष्टि में इन सबसे अलग सपनों की और कौन – सी विशेषताएँ हो सकती हैं?
(घ) कविता में ‘आरोहण’ और ‘अवरोहण’ दोनों के महत्व की बात की गई है। उदाहरण देकर बताइए कि आपने ‘आरोहण’ और ‘अवरोहण’ को कब-कब सार्थक होते देखा ?
(ङ) “सपनों में दोनों ही गति है / उड़कर आँखों में आता है ! “क्या आप सहमत हैं कि सपने ‘आँखों में लौटकर’ वास्तविकता बन जाते हैं? अपने अनुभव या आस-पास के अनुभवों से कोई उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
(क) कविता में ‘मत बाँधो’ और ‘पंख न काटो’ – संबोधन ‘सपनों’ के लिए किए गए हैं। कवयित्री कहती हैं कि हमें अपने सपनों को स्वतंत्र उड़ने देना चाहिए ।

(ख) कविता में सपनों की गति न बाँधने की बात इसलिए कहीं गई होगी क्योंकि यदि सपनों को स्वतंत्र उड़ने नहीं दिया जाएगा तो वे हमारी आँखों में रह जाएँगें और समय के साथ खो जाएँगे, तथा एक बार यदि वो खो गए तो दुबारा आँखों में लौटकर नहीं आएँगे। इसी कारण हमें अपने सपनों को पूरी गति से इच्छाओं और प्रयासों को स्वतंत्र आसमान में उड़ने देना चाहिए।

(ग) सौरभ – आसमाँ में फैलकर खो जाता है।
बीज – धरती में पोषित होकर अंकुरित होता है।
धुआँ – सदैव आसमान में मँडराता रहता है।
अग्नि – धरती पर जलकर प्रकाश देती है।

इन सबसे भिन्न सपनों की बड़ी ही सुंदर विशेषता है और वो है – “ सपने – पूरे होकर जीवन को स्वर्ग के समान सुंदर बनाते हैं। ” साथ ही दूसरों के सपनों को भी पूरा होने हेतु प्रेरित करते हैं।

(घ) आरोहण और अवरोहण का अर्थ होता है किसी भी वस्तु का ऊपर उठना और नीचे गिरना । आरोहण – ऊपर उठने का संकेत है तथा अवरोहण नीचे गिरने का। जीवन में हम सपना देखते हैं कि कक्षा में प्रथम आए। यदि इस सपने को पूरा करने हेतु हम निरंतर प्रयास करते हैं तो आरोहण की गति से इसे पूर्ण करने में सफल हो जाते हैं या जीवन में कुछ बनने की इच्छा रखते हैं तो चाहे कितनी भी कठिनाई आए उसे प्रत्येक संभव प्रयास से पूरा करने का प्रयत्न करते हैं तो हम सफल हो जाते हैं परंतु जब हम इन सपनों के लिए कोई प्रयास नहीं करते तो यह अवरोहण की गति पर हार जाते हैं अर्थात नीचे गिर जाते हैं और नष्ट हो जाते हैं।

(ङ) यह बात बिल्कुल सत्य है कि सपने उड़कर खो भी जाते हैं और जीवंत होकर आँखों में लौट भी आते हैं। यह बात मैंने अपने पड़ोस में रहने वाले एक 10वीं के छात्र में देखी। उसने बॉक्सिंग में गोल्ड जीतने का सपना देखा परंतु उसका यह सफर आसान न था क्योंकि घरवाले उसे केवल एक खेल मानकर पढ़ने और बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक लाने हेतु लगातार दबाव बनाते।

वह छात्र दोहरी जिंदगी में पिस जाता था परंतु उसने हिम्मत नहीं हारी। वह 10वीं में तो केवल 65% अंक लाया, परंतु राजकीय स्तर पर उसने बॉक्सिंग में न केवल गोल्ड जीता; बल्कि सरकार की तरफ से सम्मानित भी किया गया और बाद में वह ओलम्पियाड क तैयारी में लग गया। इस प्रकार अथक प्रयासों से उसका सपना उसकी आँखों में वास्तविक बनकर उतर गया।

शीर्षक

कविता का शीर्षक है ‘मत बाँधो’। यदि आपको इस कविता को कोई अन्य नाम देना हो तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा ? यह भी लिखिए।
उत्तर:
यदि इस कविता का शीर्षक हम रखना चाहें तो हम इस कविता का शीर्षक – ‘सपने’ रखना चाहेंगे। ‘क्योंकि पूरी कविता का मुख्य आधार ‘सपने’ ही है। जीवन में सपने बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। हमें इन्हें पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। इन्हें नजर अंदाज न करके स्वतंत्र आसमान में उड़ने देना चाहिए तभी हम भी ऊँचाइयों को छू पाते हैं। इसी कारण हम प्रस्तुत कविता का शीर्षक ‘सपने’ रखना चाहेंगे।

अनुमान और कल्पना से

(क) मान लीजिए आप एक नया संसार बनाना चाहते हैं। उस संसार में आप क्या – क्या रखना चाहेंगे और क्या-क्या नहीं? अपने उत्तर का कारण भी बताइए ।
उत्तर:
यदि मैं एक नया संसार बनाना चाहूँ तो उसे मैं अपने सपनों का संसार बनाऊँगा । मेरा संसार जितना देखने में सुंदर होगा उतना ही उसमें रहना भी खूबसूरत होगा। मैं अपने संसार में निम्नलिखित चीजें रखना चाहूँगा और निम्नलिखित चीजें नहीं रखना चाहूँगा ।
संसार में रखना चाहूँगा-

1. सभी लोगों के पास सुख-शांति हो ।

2. किसी को धन की कमी न हो।

3. सब अच्छा पहने और अच्छा खाएँ ।

4. सब मिल-जुलकर रहें ।

5. सबके सपने पूरे हों ।

6. सुंदर प्रकृति हो – पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, पहाड़, झरने, तालाब, फुलवारी इत्यादि ।

7. सभी शिक्षित हों और सभी विकसित हों।

8. एक-दूसरे के सहयोगी हो ।

संसार में नहीं रखना चाहूँगा

1. लालच नहीं रखना चाहूँगा ।

2. जो दूसरों पर अत्याचार करे, जो दूसरों के साथ अन्याय करे; ऐसे लोगों को मैं अपने संसार में नहीं चाहता।

3. लड़ाई, झगड़ा, युद्ध, मैं अपने संसार में नहीं चाहता।

4. युद्ध की भावना और हिंसा का मेरे संसार में कोई स्थान नहीं।

5. ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण मेरे संसार में न हो।

6. मेरे संसार में कोई गरीब न हो और न ही कोई भूखा सोए।

7. मेरे संसार में कोई अनपढ़ न हो ।

8. मेरा संसार दूषित ना हो ।

(ख) कविता में शिल्प और कला के महत्व की बात की गई है। कलाएँ हमारे आस-पास की दुनिया को सुंदर बनाती हैं। आप अपने जीवन को सुंदर बनाने के लिए कौन-सी कला सीखना चाहेंगे? उससे आपका जीवन कैसे सुंदर बनेगा ? अनुमान करके बताइए |
उत्तर:
कला और शिल्प सचमुच हमारे जीवन को सुंदर बनाती हैं। कला हमेशा हमारा वातावरण सजाती है फिर चाहे मूर्तिकला हो, चित्रकला या कोई शिल्प नक्काशी की कला। हमारे इतिहास की अनेक धरोहर स्वरूप ईमारतें, गुफाएँ और मंदिर हैं जो, मूर्ति, शिल्प और चित्रकला के उत्कृष्ट नमूने हैं। यदि मुझे किसी कला को सीखने का अवसर मिला तो मैं चित्रकला सीखना चाहूँगा, क्योंकि मुझे किसी भी चीज़ में रंग भरने अच्छे लगते हैं। चित्रकला सीखकर मैं सुंदर-सुंदर चित्र बनाकर उन्हें फ्रेम करवाऊँगा और फिर उससे अपना घर सजाऊँगा ।

(ग) “सौरभ उड़ जाता है नभ में / फिर वह लौट कहाँ आता है?” यदि आपके पास अपने बीते हुए समय में लौटने का अवसर मिले तो आप बीते हुए समय में क्या-क्या परिवर्तन करना चाहेंगे?
उत्तर:
यदि हमें अपने बीते समय में एक बार भी लौटने का अवसर मिला तो मैं उन सब भूलों में सुधार करूँगा, जिसके कारण मुझे नुकसान उठाना पड़ा। मैं अपने जीवन को अधिक बेहतर ढंग से सँवारूँगा, पढ़ाई पर अधिक ध्यान दूँगा । अपने माता-पिता, अध्यापक और अपने बड़ों की बातों पर ध्यान देकर सही दिशा में कदम बढ़ाऊँगा वो सभी चीजें जो वर्तमान में मुझे मेरी गलती का एहसास करवातीं हैं उन्हें सुधारूंगा। इसके साथ ही अपने सपनों को फिर से जिंदा करके जीवन को अधिक सरल व सुंदर बनाने का पूरा प्रयास करूँगा ।

(घ) “बीज धूलि में गिर जाता जो / वह नभ में कब उड़ पाता है?” यदि सपने बीज की तरह हों तो उन्हें उगने के लिए किन चीजों की आवश्यकता होगी ? (संकेत- धूप अर्थात मेहनत, पानी अर्थात लगन आदि ।)
उत्तर:
यदि सपने बीज की तरह होते तो हम उन्हें बहुत ध्यान-से सँभाल कर रखते। अपने सपनों का पौधा उगाने के लिए हम उसमें लगन का पानी डालते और मेहनत की धूप से सींचते। हम सपने रूपी बीजों को अपने परिश्रम और साहस से पोषित करते और हर संभव प्रयास करते जिससे कि वे बीज अंकुरित होकर फलदायक वृक्ष में परिवर्तित हों। ये केवल हमारे सुख का कारण न बने बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बने ।

(ङ) “स्वर्ग बनाने का फिर कोई शिल्प / भूमि को सिखलायेगा!” यदि अच्छे सपनों या विचारों से स्वर्ग बनाया जा सकता है तो बुरे सपनों अथवा विचारों से क्या होता होगा? बुरे सपनों या विचारों से कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर:
अच्छे सपने सचमुच स्वर्ग जैसे जीवन का निर्माण करते हैं। यदि हमारे सभी सपने पूर्ण हो जाएँ तो भला इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है। परंतु यह भी आवश्यक है कि हमारे सपने भी शुद्ध, पवित्र, नेक और फलदायक हों। यदि हम बुरे सपने देखते हैं जिसमें स्वयं की इच्छापूर्ति हेतु दूसरों का नुकसान हो रहा है तो ऐसे सपने जीवंत होकर कभी भी स्वर्ग का निर्माण नहीं करेंगे बल्कि ये तो नर्क बनाने का कार्य करेंगे।

क्योंकि स्वर्ग तभी बनता है, जब उसमें केवल एक ही व्यक्ति सुखी न होकर सभी सुखी हों। जहाँ सुख केवल एक का और दुख अन्यों का हो वहाँ स्वर्ग नहीं अपितु नर्क होता है। हमें इससे बचने हेतु स्वार्थ, लालच और बुरे विचारों को छोड़ना होगा। हमें अपने साथ-साथ दूसरों के सुख के बारे में सोचते हुए सहयोग की भावना का भी विस्तार करना होगा।

(च) “इन सपनों के पंख न काटो / इन सपनों की गति मत बाँधो!” कल्पना कीजिए कि हर किसी को सपने देखने और उन्हें पूरा करने की पूरी स्वतंत्रता मिल जाए, तब दुनिया कैसी होगी? आपके अनुसार उस दुनिया में कौन-सी बातें महत्वपूर्ण होंगी?
उत्तर:
यदि सभी को अपने सपने पूर्ण करने का अवसर मिल जाए तो वह दुनिया बहुत खूबसूरत होगी परंतु यह बात बहुत महत्वपूर्ण है कि सपना ऐसा हो जो दूसरों की जिंदगी में दखल देकर उनके अधिकार न छीने। जैसे आप यदि राजा बनना चाहते हैं तो दूसरे आपके गुलाम बन जाएँ तो ये सपना कभी भी हितकर नहीं हो सकता।

संसार में यदि सबको सपने पूर्ण करने की स्वतंत्रता मिल जाए तो यह अनिवार्य होना चाहिए कि उन सपनों को पूर्ण करने के लिए कौन- कितना प्रयास कर रहा है? साथ ही सबके सपने मर्यादा में भी होने चाहिए। दुनिया में सभी यदि अपने सपनों के साथ-साथ दूसरों के अधिकारों की भी रक्षा करेंगे तो दुनिया अवश्य खूबसूरत बनेंगी अन्यथा बिखर जाएगी।

(छ) “इन सपनों के पंख न काटो / इन सपनों की गति मत बाँधो!” आपके विचार से यह सुझाव है? आदेश है? प्रार्थना है? या कुछ और है ? यह बात किससे कही जा रही है?
उत्तर:
‘इन सपनों के पंख ना काटो / इन सपनों की गति मत बाँधो?’ हमारे विचार से यह न तो आदेश है और न ही प्रार्थना। विचारपूर्वक यदि समझा जाए तो यह एक प्रेरणा है। जो प्रत्येक व्यक्ति को प्रेरित कर रही है कि जीवन में सम्मानपूर्वक जियो और अपने सपनों को स्वतंत्र आसमान में विचरण करने दो; उन्हें साहस और परिश्रम से तब तक सींचों जब तक उसमें अंकुर ना फूटे।

इस तरह से पूर्ण हुए सपने सचमुच फलदायी होकर धरती पर स्वर्ग का निर्माण करते हैं क्योंकि इसमें सभी का हित शामिल होता है। जैसे परिश्रम से बना हुआ डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, कलाकार – अनेक लोगों के हित में कार्यरत रहता है। उनका सपना दूसरों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होता है।

कविता की रचना


“सौरभ उड़ जाता है नभ में…”
“ बीज धूलि में गिर जाता जो…”
“अग्नि सदा धरती पर जलती…”

उपर्युक्त पंक्तियों पर ध्यान दीजिए। इन पंक्तियों को पढ़ते समय हमारी आँखों के सामने कुछ चित्र उभर आते हैं। कई बार कवि अपनी बात अथवा मुख्य भाव को समझाने या बताने के लिए उदाहरणों के माध्यम से शब्द-चित्रों की लड़ी-सी लगा देता है जिससे कविता में विशेष प्रभाव उत्पन्न हो जाता है। इस कविता में भी ऐसी अनेक विशेषताएँ छिपी हैं।

(क) अपने समूह के साथ मिलकर इन विशेषताओं की सूची बनाइए। अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए ।
उत्तर:
कविता में अनेक ऐसे उदाहरण हैं जिनका चित्र आँखों के सामने उभरता है।
जैसे-
मुक्त गगन में विचरण
तारों में फिर मिल
मेघों से रंग औ’ किरणों से
दीप्ति लिए भू पर आयेगा

(ख) नीचे इस कविता की कुछ विशेषताएँ और वे पंक्तियाँ दी गई हैं जिनमें ये विशेषताएँ समाहित हैं। विशेषताओं का सही पंक्तियों से मिलान कीजिए ।

उत्तर:
1. 2
2. 5
3. 6
4. 1
5. 4
6. 3

शब्दों की बात



“इसका आरोहण मत रोको
इसका अवरोहण मत बाँधो !”

उपर्युक्त पंक्तियों में रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए । ‘आरोहण’ और ‘अवरोहण’ दोनों एक-दूसरे के विपरीतार्थक शब्द हैं। आरोहण का अर्थ है- नीचे से ऊपर की ओर जाना या चढ़ना और अवरोहण का अर्थ है- ऊपर से नीचे की ओर आना या उतरना ।

(क) नीचे दिए रिक्त स्थान में ‘आरोहण’ और ‘अवरोहण’ का उपयुक्त प्रयोग करके वाक्यों को पूरा कीजिए ।
पर्वतारोहियों ने बीस दिन तक पर्वत पर ……… कर विजय प्राप्त की।
नदियाँ विशाल पर्वतों से …….. करते हुए सागर में मिल जाती हैं।
अंकगणित में बड़ी संख्या से छोटी संख्या की ओर लिखने की प्रक्रिया ………. क्रम कहलाती है।

इसी प्रकार से ‘आरोहण’ और ‘अवरोहण’ शब्दों के प्रयोग को देखते हुए आप भी कुछ सार्थक वाक्य बनाइए।
उत्तर:

1. मैंने इस मीनार की 150 सीढ़ियों पर आरोहण किया।

2. यदि संभलकर नहीं चलोगे तो जो प्रथम स्थान प्राप्त किया है। उससे अवरोहण में अधिक समय नहीं लगेगा।

3. साँप – सीढ़ी में आरोहण और अवरोहण का खेल चलता ही रहता है।

4. सुमित की मूर्खता ने उसकी गति को अवरोहण की दिशा में धकेल दिया।

5. एवरेस्ट पर आरोहण बहुत ही कठिन है।

(ख) नीचे दी गई कविता की पंक्तियों के रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए-
‘वह नभ में कब उड़ पाता है ” ?
‘धूम गगन में मँडराता है ।
‘नभ’ और ‘गगन’ समान अर्थ वाले शब्द हैं। रेखांकित शब्दों के समानार्थी शब्दों का प्रयोग करते हुए कुछ नई पंक्तियों की रचना कीजिए और देखिए कि पंक्तियों में लय बनाए रखने के लिए और किन परिवर्तनों की आवश्यकता पड़ती है?

उत्तर:
वह नभ में कब उड़ पाता है ।
धूम गगन में मँडराता है ।
नवीन पंक्तियाँ-

1. नील गगन का है विस्तार,
किसने जाना नभ का पार?

2. मेरे सपने नभ तक जाते,
नील गगन पर शोभा पाते।

3. तारे झिलमिल दूर गगन में,
कितना उजियाला फैलाए।
पल भर में फिर सब छिप जाएँ,
जब सूरज नभ पर छा जाए ।।

4. अंधियारे नभ पर शशि पधारे,
प्रातः गगन सूरज को पुकारे ।



(ग) कविता में ‘मत’ शब्द के साथ ‘बाँधो’, ‘काटो’ क्रिया लगाई गई है। आप ‘मत’ के साथ कौन-कौन-सी क्रियाएँ लगाना चाहेंगे? लिखिए। (संकेत – ‘ मत डरो’)
उत्तर:
‘मत’ शब्द के साथ अन्य क्रियाएँ–

1. ‘मत खाओ’

2. ‘मत जाओ’

3. ‘मत सुनो’

4. ‘मत बोलो’

5. ‘मत खेलो’

6. ‘मत कहो’

7. ‘मत मानो’

8. ‘मत देखो’

9. ‘मत समझो’

10.‘मत करो’

(घ) आपकी भाषा में ‘ बाँधने’ के लिए और कौन-कौन सी क्रियाएँ हैं? अपने समूह में चर्चा करके लिखिए और उनसे वाक्य बनाइए । (संकेत – जोड़ना)
उत्तर:

1. जकड़ना-ये खुंखार जीव है, इसे जंजीरों से जकड़ लो।

2. कसना – माँ ने अपने नन्हें पुत्र को बाहों में कस लिया।

3. मिलाना – चीनी को अच्छी तरह से पानी में मिलाओ ।

4. चिपकाना – लकड़ी को फेविकोल से दरवाजे पर अच्छी तरह चिपकाओ ।

5. लगाना – दीवार पर तस्वीर को कील से लगाओ।

(ङ) ‘मत’ शब्द को उलट कर लिखने से शब्द बनता है ‘तम’ जिसका अर्थ है ‘अँधेरा’। कविता में से कुछ ऐसे और शब्द छाँटिए जिन्हें उलट कर लिखने से अर्थ देने वाले शब्द बनते हैं।
उत्तर:
‘मत’ – का विपरीत है- ‘तम’ जिसका अर्थ अँधेरा । काव्य के अन्य शब्द-

1. ‘जाता’ का विपरीत ‘ताजा’ हरा-भरा

2. ‘धूम’ – ‘मधू’ – शहद

3. ‘यह’ ‘हय’ – घोड़ा

4. ‘कहाँ’ – ‘हाँक’ – हुँकार

काल परिवर्तन

“सौरभ उड़ जाता है नभ में”
उपर्युक्त पंक्ति को ध्यान से देखिए । इस पंक्ति की क्रिया ‘ जाता है’ से पता चलता है कि यह वर्तमान काल में लिखी गई है। यदि हम इसी पंक्ति को भूतकाल और भविष्य काल में लिखें तो यह निम्नलिखित प्रकार से लिखी जाएगी –
भूतकाल – सौरभ उड़ गया है नभ में भविष्य काल – सौरभ उड़ जाएगा नभ में कविता में वर्तमान काल में लिखी गई ऐसी अनेक पंक्तियाँ आई हैं। उन पंक्तियों को कविता में से ढूँढ़कर भूतकाल और भविष्य काल में लिखिए।
उत्तर:
वर्तमान काल में लिखी गई कविता की अन्य पंक्तियाँ तथा भूतकाल और भविष्य काल में उनका परिवर्तन

1. ‘फिर वह लौट कहाँ आता है?’
भूतकाल – फिर वह लौट कहाँ आता था? भविष्य काल – फिर वह लौट कहाँ आएगा?

2. ‘वह नभ में कब उड़ पाता है’?
भूतकाल – वह नभ में कब उड़ पाता था? भविष्य काल – वह नभ में कब उड़ पाएगा?

3. ‘बीज धूलि में गिर जाता जो ‘
भूतकाल – बीज धूलि में गिर जाता था ।
भविष्य काल – बीज धूलि में गिर जाएगा।

4. ‘अग्नि सदा धरती पर जलती’
भूतकाल – अग्नि सदा धरती पर जलती थी।
भविष्य काल – अग्नि सदा धरती पर जलेगी।

5. ‘धूम गगन में मँडराता है ।’
भूतकाल – धूम गगन में मँडराता था ।
भविष्य काल – धूम गगन में मँडराएगा ।

6. ‘सपनों में दोनों ही गति है’
भूतकाल – सपनों में दोनों ही गति थी।
भविष्य काल – सपनों दोनों ही गति होगी ।

7. ‘उड़कर आँखों में ही आता है ।’
भूतकाल – उड़कर आँखों में ही आता था।
भविष्य काल – उड़कर आँखों में ही आएगा।

शब्दकोश से

“स्वर्ग बनाने का फिर कोई शिल्प”
शब्दकोश के अनुसार ‘शिल्प’ शब्द के निम्नलिखित अर्थ हैं-

1. हाथ से कोई चीज बनाकर तैयार करने का काम -दस्तकारी, कारीगरी या हुनर, जैसे—बरतन बनाना, कपड़े सिलना, गहने गढ़ना आदि ।

2. कला संबंधी व्यवसाय ।

3. दक्षता, कौशल।

4. निर्माण, सर्जन, सृष्टि, रचना ।

5. आकार, आवृत्ति।

6. अनुष्ठान, क्रिया, धार्मिक कृत्य ।

अब शब्दकोश से ‘शिल्प’ शब्द से जुड़े निम्नलिखित शब्दों के अर्थ खोजकर लिखिए-

प्रश्न 1.
शिल्पकार, शिल्पी, शिल्पजीवी, शिल्पकारक, शिल्पिक या शिल्पकारी
उत्तर:
शिल्पकार, शिल्पी, शिल्पजीवी, शिल्पकारक, शिल्पिक या शिल्पकारी

प्रश्न 2.
शिल्पकला
उत्तर:
शिल्पकला – हस्तकला, शिल्पकारी, कारीगरी, दस्तकारी

प्रश्न 3.
शिल्पकौशल
उत्तर:
शिल्पकौशल – कला और शिल्प, शिल्प, कारीगर कला, शिल्प शास्त्र

प्रश्न 4.
शिल्पगृह या शिल्पगेह
उत्तर:
शिल्पगृह – शिल्पशाला, कलाशाला, कला- केंद्र



प्रश्न 5.
शिल्पविद्या
उत्तर:
शिल्पविद्या – कलात्मक विद्या, कलात्मक कौशल, कला और शिल्प

प्रश्न 6.
शिल्पशाला या शिल्पालय
उत्तर:
शिल्पशाला – शिल्पगृह, कार्यशाला, शिल्प का घर, शिल्प का स्थान, कारखाना

पाठ से आगे प्रश्न- अभ्यास
(पृष्ठ 98–104)

आपकी बात

(क) कविता में गति को न बाँधने की बात कही गई है। आप ‘बाँधने’ का प्रयोग किन-किन स्थितियों या वस्तुओं के लिए करते हैं? बताइए (संकेत -गाँठ बाँधना)
उत्तर:
हम ‘बाँधने’ शब्द का प्रयोग निम्नलिखित वस्तुओं और परिस्थितियों के लिए करते हैं-

1. रस्सी बाँधना

2. गिरह बाँधना

3. जंजीर बाँधना

4. प्रेम में बाँधना

5. रिश्तों में बाँधना

6. नियमों में बाँधना

7. कर्तव्यों से बाँधना

8. गठरी बाँधना

(ख) ‘स्वर्ग’ शब्द से आशय है ‘सुखद स्थान’। अर्थात वह स्थान जहाँ सुख, शांति, समृद्धि और आनंद की अनुभूति हो । अपने घर, आस-पड़ोस और विद्यालय को सुखद स्थान बनाने के लिए आप क्या – क्या प्रयास करेंगे? सूची बनाइए और घर के सदस्यों के साथ साझा कीजिए ।
उत्तर:
अपने घर, पास-पड़ोस और विद्यालयों को सुखी बनाने के लिए हम निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं-

1. पेड़-पौधे लगाकर हरा-भरा कर सकते हैं।

2. विद्यालय में फूलों की सुंदर फुलवारी बना सकते हैं।

3. घर, पास-पड़ोस और विद्यालय को स्वच्छ रख सकते हैं।

4. विद्यालय की दीवारों पर सुंदर चित्रकारी कर सकते हैं।

5. सभी के साथ मिल-जुलकर सहयोग करते हुए रह सकते हैं।

6. सभी से प्रेम से मीठा बोलकर रह सकते हैं।

7. विद्यालय में गुरुओं का आदर करके और ध्यानपूर्वक पढ़कर अच्छे अंक ला सकते हैं।

8. माता-पिता और बुजुर्गों का आदर सम्मान कर सकते हैं।

9. पास-पड़ोस में प्रेमपूर्वक रहकर खुशियाँ बाँट सकते हैं।

10.ईश्वर पर विश्वास रखते हुए सहयोग की भावना रख सकते हैं।

(ग) कविता में सपनों की बात की गई है। आपका कौन – सा सपना ऐसा है जो यदि सच हो जाए तो वह दूसरों की सहायता कर सकता है? उसके विषय में बताइए |
उत्तर:
मेरा सपना डॉक्टर बनने का है और मैं इसमें बहुत मेहनत करूँगा, जिससे कि बड़ा होकर डॉक्टर बनकर दूसरों का इलाज कर सकूँ। मैं भविष्य में डॉक्टर बनकर लालच नहीं करूँगा, यदि कोई गरीब या जरूरतमंद होगा तो उसका निःशुल्क इलाज भी करूँगा।

चर्चा-परिचर्चा



“सपनों में दोनों ही गति है / उड़कर आँखों में आता है । ” किसी एक के द्वारा देखा गया सपना बहुत से लोगों का सपना भी बन जाता है, जैसे- हमारे स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा भारत को स्वतंत्र कराने का सपना सभी भारतीयों का सपना बन गया। साथियों से चर्चा कीजिए कि आपके कौन-से ऐसे सपने हैं जिन्हें पूरा करने के लिए आप अन्य लोगों को भी जोड़ना चाहेंगे।
उत्तर:
जीवन में अनेक सपने ऐसे होते हैं जो व्यक्तिगत न होकर सामूहिक हो सकते हैं। मेरा भी ऐसा एक सपना है।
अपने पास-पड़ोस और समाज को स्वच्छ व हरा-भरा बनाना मेरा सपना है कि मेरे आस – पास का क्षेत्र हमेशा हरा-भरा रहे । मेरे समाज और देश में भी पर्यावरण सदैव स्वच्छ व हरित रहे।

मैं अपने इस अभियान में दूसरों को भी जोड़कर सपने को पूर्ण करना चाहता हूँ। सबके साथ मिलकर पेड़ लगाना, आस-पास स्वच्छता रखने में लोगों को जागरूक करना आदि। इन सबके लिए मैं अन्य लोगों की सहायता से अभियान चलाना चाहता हूँ ।

सृजन



(क) विराम चिह्न का फेरबदल –

रोको मत, जाने दो

रोको, मत जाने दो

लेखन में विराम चिह्नों का विशेष महत्व होता है। विराम चिह्नों के प्रयोग से वाक्य या पंक्ति का अर्थ स्पष्ट हो जाता है और परिवर्तित भी हो जाता है, जैसे – ‘रोको मत, जाने दो’ में रोको मत के बाद अल्पविराम चिह्न (,) का प्रयोग किया गया है, जिसका अर्थ है कि बिना रोके जाने दिया जाए। वहीं ‘रोको, मत जाने दो’ में रोको के बाद अल्पविराम (,) का प्रयोग किया गया है, जिसका अर्थ है कि जाने से रोका जाए। नीचे कुछ चित्र दिए गए हैं। आप किन चित्रों के लिए ‘रोको मत, जाने दो’ या ‘रोको, मत जाने दो’ का प्रयोग करेंगे? दिए गए रिक्त स्थान में लिखिए और इन चित्रों को शीर्षक भी दीजिए।

उत्तर:





(ख) कविता आगे बढ़ाएँ

नीचे दी गई पंक्तियों को आगे बढ़ाते हुए अपनी एक कविता तैयार कीजिए ।
इन सपनों के पंख न काटो,
इन सपनों की गति मत बाँधों ।
उत्तर:
स्वतंत्र नभ में उड़ने दो इन्हें,
पिछड़ेपन की सीमा लाँघो ।।

(ग) खोया-पाया
मान लीजिए आपका सपना कहीं खो गया है। उसके खो जाने की रिपोर्ट तैयार करें। आपको स्कूल प्रशासन को यह रिपोर्ट भेजनी है। इसके लिए स्कूल प्रशासन के नाम एक पत्र लिखिए।
उत्तर:
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली,
दिनाँक – xxx जुलाई
सेवा में,
श्रीमान प्रबंधक जी,
अ.ब.स. विद्यालय
सुमित्रा विहार,
दिल्ली।

विषय – ‘सपना खोने’ की रिपोर्ट हेतु ।

मान्यवर,

निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय का आठवीं ‘अ’ का छात्र हूँ। अभी दो दिन पहले ही मैंने अपने मित्र के साथ एक सुंदर सपना देखा था कि हम दोनों ने मिलकर विद्यालय में एक सुंदर फुलवारी सजाई है। हम बस कुछ दिनों बाद ही अपने अन्य साथियों के साथ इस कार्य को आरंभ करने वाले थे, परंतु मेरा वो सपना कहीं खो गया है, मैंने कक्षा में भी पूछा परंतु कुछ पता नहीं चला।
अतः आपसे मेरा निवेदन है कि आप मेरा सपना खोजने में मेरी सहायता करें। मैं और मेरे मित्र आपके आभारी रहेंगे।
आशा है आप जल्द ही मेरा सपना मुझे ढूँढ़कर देंगे। आपकी अति कृपा होगी।

धन्यवाद!

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
क. ख.ग.

वाद-विवाद

(क) कक्षा में पाँच-पाँच विद्यार्थियों के समूह बनाकर एक वाद-विवाद गतिविधि का आयोजन कीजिए । इसके लिए विषय है – ” व्यक्ति को बाँध सकते हैं उसकी कल्पना और विचारों को नहीं ।”
एक समूह विषय के विपक्ष में और दूसरा समूह विषय के पक्ष में अपना तर्क देगा जैसे-
समूह 1 – व्यक्ति की कल्पना और विचारों पर नियंत्रण आवश्यक है।
समूह 2 – स्वतंत्र विचार और कल्पना प्रगति के लिए महत्वपूर्ण हैं।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।



(ख) विद्यार्थी वाद-विवाद के अनुभवों पर एक अनुच्छेद भी लिख सकते हैं।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

देखना – सुनना – समझना….

(क) “धूम गगन में मँडराता है ।”
सुगंध का अनुभव सूँघकर किया जाता है। धुएँ को देखा जा सकता है। वायु का अनुभव स्पर्श द्वारा किया जा सकता है और अनुभवों को बोलकर भी कहा या बताया जा सकता है जैसे कि कोई कमेंट्री कर रहा हो।
जो व्यक्ति देख पाने में सक्षम नहीं है, आप उन्हें निम्नलिखित स्थितियों का अनुभव कैसे करवा सकते हैं-
वर्षा की बूँदों का
धुएँ के उड़ने का
खेल के रोमांच का

उत्तर:
वर्षा की बूँदों का – स्पर्श से
धुएँ के उड़ने का – बोलकर
खेल के रोमांच का – बोलकर



(ख) मूक अभिनय द्वारा कविता का भाव

‘विद्यार्थियों के बराबर-बराबर की संख्या में दो दल (टीम) बनाइए । दलों के नाम रखें- कल्पना और आकांक्षा।
‘कल्पना’ दल से एक प्रतिभागी आगे आए और मूक अभिनय (हाव-भाव या संकेत) के माध्यम से इस कविता की किसी भी पंक्ति का भाव प्रस्तुत करें। ‘आकांक्षा’ दल के प्रतिभागियों को पहचानकर बताना होगा कि अभिनय में किस पंक्ति की बात की जा रही है।

पहचानने की समय सीमा भी निर्धारित की जाए । निर्धारित समय सीमा पर सही उत्तर बताने वाले दल को अंक भी दिए जा सकते हैं। इस तरह से खेल को आगे बढ़ाया जाए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

आपदा प्रबंधन

अग्नि सदा धरती पर जलती / धूम गगन में मँडराता है!”
आग, बाढ़, भूकंप जैसी आपदाएँ अचानक आ जाती हैं। सही जानकारी से आपदाओं की स्थिति में बचाव संभव हो जाता है।

(क) कक्षा में अपने शिक्षकों के साथ चर्चा कीजिए कि क्या-क्या करेंगे यदि-
कहीं अचानक आग लग जाए
आपके क्षेत्र में बाढ़ आ जाए
भूकंप आ जाए

उत्तर:
कहीं अचानक आग लग जाए

1. घबराएँ नहीं, शांत रहकर, समझदारी से काम लें।

2. लोगों को ज़ोर-ज़ोर से आवाज लगाकर स्थिति से अवगत कराएँ।

3. आग वाले स्थान से तुरंत बाहर निकलें व अन्य को भी निकालें।

4. लिफ्ट के स्थान पर सीढ़ियों का प्रयोग करें।

5. बुजुर्गों व बच्चों को बाहर निकालने का प्रयास करें।

6. मुँह पर गीला कपड़ा रखे जिससे धुएँ से बचाव हो सके।

7. आग बुझाने की कोशिश करें ।

8. तुरंत फायरब्रिगेड को 112 नंबर पर कॉल करें।
आपके क्षेत्र में बाढ़ आ जाए

1. परिवार और पड़ोसियों को हिम्मत बँधाएँगे ।

2. घर के जरूरी सामानों को एकत्रित कर सुरक्षित करेंगे।

3. बच्चों व बुजुर्गों को सबसे पहले सुरक्षित करेंगे।

4. जरूरी – दस्तावेज, पैसे, दवाइयाँ, मोबाइल, सूखा खाने का सामान, टार्च, इत्यादि एक बैग में सँभाल लेंगे।

5. बिजली, गैस की मुख्य सप्लाई बंद कर देंगे ।

6. घर की छत पर चले जाएँगे ।

7. आपातकालीन नम्बर पर तुरंत कॉल करके सहायता माँगेंगे।
भूकंप आ जाए

1. जल्दी से भागेंगे नहीं

2. किसी मजबूत मेज या पलंग के नीचे छिप जाएँगे।

3. किसी मजबूत चीज़ को पकड़ लेंगे।

4. यदि संभव हो तो इमारत से बाहर निकलकर खाली स्थान पर आ जाएँगे।

5. पंखे, काँच, अलमारी से दूर रहेंगे।

6. दीवार के कोने में चले जाएँगे ।

7. किसी बैग, तकिए इत्यादि से सिर को ढक लेंगे।

8. बिजली के खंबे से दूर रहेंगे ।

9. यदि गाड़ी में होंगे तो उसे साइड पर रोक देंगे।



(ख) “मैं आपदा के समय क्या करूँगा या करूँगी?”–एक सूची या चित्र आधारित योजना बनाइए।
उत्तर:
आपदा के समय मैं निम्नलिखित काम करूँगा-

1. शांति और धैर्य बनाएँ रखूँगा ।

2. घबराऊँगा नहीं ।

3. सहायता के लिए दूसरों को आवाज़ दूँगा ।

4. आपदा निवारण संस्था में फोन करूँगा।

5. जरूरी सामान एकत्रित कर लूँगा – जैसे- दस्तावेज, रुपए, मोबाइल, टॉर्च, पॉवर ब्रेक इत्यादि ।

6. सुरक्षित बाहर आने का स्वयं प्रयास करूँगा।

7. घर के बच्चों और बुजुर्गों को पहले सुरक्षित करूँगा।

शिल्प

“स्वर्ग बनाने का फिर कोई शिल्प
भूमि को सिखलायेगा !”

हमारे देश में हजारों वर्षों से अनगिनत शिल्प प्रचलित हैं। उनमें से कुछ के बारे में आप पहले से जानते होंगे। इनके बारे में कक्षा में चर्चा कीजिए ।

(क) अपने समूह के साथ मिलकर नीचे दिए गए शिल्प-कार्यों को उनके सही अर्थों या व्याख्या से मिलाइए-

उत्तर:
1. 4
2. 5
3. 6
4. 1
5. 2
6. 3
7. 13
8. 12
9. 11
10. 14
11. 9
12. 8
13. 7
14. 10

(ख) अपने विद्यालय या परिवार के साथ हस्तशिल्प से जुड़े किसी स्थान या कार्यशाला का भ्रमण कीजिए और उस हस्तशिल्प के बारे में एक रिपोर्ट बनाइए।
अथवा
राष्ट्रीय हस्तशिल्प संग्रहालय की नीचे दी गई वेबसाइट में आपको कौन-सा हस्तशिल्प या कलाकृति सबसे अच्छी लगी और क्यों, उसके विषय में लिखिए।
https://nationalcraftsmuseum.nic.in/
उत्तर:
हस्तकला केंद्र पर रिपोर्ट
पिछले सोमवार मैं अपने माता-पिता के साथ हस्तशिल्प कला केंद्र गया। जब मैं वहाँ गया तो मैंने देखा कि वहाँ का वातावरण बहुत शांत था क्योंकि वहाँ शोर मचाने की इज़ाजत नहीं थी। हमने वहाँ इतनी सुंदर मूर्तियाँ देखीं कि एक बार तो लगा जैसे वो जीवित हों। वहाँ थोड़ी-थोड़ी दूरी पर कुछ लोग खड़े थे, जो सबको उन मूर्तियों के बारे में जानकारी दे रहे थे।

उन मूर्तियों के नीचे बनाने वाले का नाम और बनने का वर्ष खुदा हुआ था। मैं देखकर आश्चर्यचकित था कि इतने वर्ष पुरानी होकर भी वो नई जैसी सुंदर और आकर्षक थीं। हमने देवी-देवताओं व पशु-पक्षियों की सुंदर मूर्तियाँ देखी । फिर हमने कला केंद्र से बाहर आकर खाना खाया। वहाँ का वातावरण बहुत ही स्वच्छ था। हम शाम तक घूमकर घर आ गए। मुझे यह भ्रमण याद रहेगा।

अथवा

छात्र स्वयं करें।

साझी समझ

(क) ‘गिल्लू’ कहानी को पुस्तकालय से ढूँढ़कर पूरी पढ़िए और अपने साथियों के साथ मिलकर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
महादेवी वर्मा को एक बार अपने घर के आँगन में सोनजुही की जड़ और दीवार की संधि में एक गिलहरी का बच्चा घायल अवस्था में मिला जिसे कौओं ने अपना सुलभ आहार समझकर अधमरा कर दिया था। महादेवी वर्मा उसे उठाकर अपने घर के अंदर ले आईं और पानी से उसका रक्त पोंछकर उस पर पेंसलिन का मरहम लगाया, रूई को दूध और पानी में भिगोकर बूँद-बूँद उसके मुँह में डालने का प्रयत्न किया । कुछ घंटों के उपचार के बाद वह बच्चा स्वस्थ हो गया। महादेवी ने उसका नाम गिल्लू रखा।

गिल्लू पूरे घर में घूमता-खेलता रहता था। वह महादेवी वर्मा को अपनी माँ मानता था। वह कभी उनके पैर से सिर तक दौड़ लगाता, कभी पर्दे पर चढ़ता, कभी उनकी थाली में खाता, कभी फूलदान के पीछे छिपकर उन्हें चौंकाता। सारा दिन घर में दौड़ लगाता । जब वह थोड़ा बड़ा हुआ और उसके जीवन का पहला वसंत आया तो महादेवी ने खिड़की जाली का एक हिस्सा खोल दिया, जिससे बाहर निकलकर उसने चमेली के पेड़ पर दौड़ लगा दी। वह सारे दिन अन्य गिलहरियों का नेता बनकर दिन-भर पेड़ पर घूमता और शाम होते ही अपने झूले में आ जाता।

जब महादेवी वर्मा एक बार दुर्घटना ग्रस्त हो गईं और उन्हें तीन दिन तक अस्पताल में रहना पड़ा तो गिल्लू ने उन तीन दिन तक भोजन नहीं किया। जब महादेवी वर्मा घर वापस आ गईं तो वह उनके सिरहाने बैठकर उनके बालों को धीरे-धीरे सहलाता रहा। गिल्लू का जब अंतिम समय आया तो वह महादेवी के बिस्तर पर आ गया और अपने ठंडे पंजों से उनकी ऊँगली को पकड़कर अंतिम साँस ली। महादेवी जी ने उसे उसी सोनजुही की जड़ में समाधि दे दी जहाँ उन्हें वह मरणासन्न स्थिति में मिला था । खोजबीन के लिए नीचे दी गई इंटरनेट कड़ियों के माध्यम से आप महादेवी वर्मा और उनकी रचनाओं के विषय में जान, समझ सकते हैं-
महादेवी वर्मा | कवयित्री | जीवन और लेखन | हिंदी | भाग-1
https://www.youtube.com/watch?v=stQL9KgVZHg
महादेवी वर्मा | कवयित्री | जीवन और लेखन | हिंदी | भाग-2
https://www.youtube.com/watch?v=_uqB5M9ZX60
कविता मंजरी, बारहमासा https://www.youtube.com/watch?v=bjgVp0W-Muw
गिल्लू–महादेवी वर्मा
https://www.youtube.com/watch?v=uxpOlfd05K8
महादेवी वर्मा, भारतीय कवयित्री https://www.youtube.com/watch?v=mWwpjf5YNT4

NCERT Class 8th Hindi Chapter 3 एक आशीर्वाद Question Answer

NCERT Class 8th Hindi Chapter 3 एक आशीर्वाद Question Answer

कक्षा 8 हिंदी पाठ 3 प्रश्न उत्तर – Class 8 Hindi एक आशीर्वाद Question Answer

पाठ से प्रश्न- अभ्यास
(पृष्ठ 37–41)

आइए, अब हम इस कविता को थोड़ा और विस्तार से समझते हैं। नीचे दी गई गतिविधियाँ इस कार्य में आपकी सहायता करेंगी।

मेरी समझ से

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर के सम्मुख तारा बनाइए । कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।

प्रश्न-

प्रश्न 1.
कविता में किसे संबोधित किया गया है?
(क) युवा वर्ग को
(ख) नागरिकों को
(ग) बच्चों को
(घ) श्रमिकों को
उत्तर:
(क) युवा वर्ग को

प्रश्न 2.
“तेरे स्वप्न बड़े हों” पंक्ति में ‘स्वप्न’ से क्या आशय है?
(क) कल्पना की उड़ान भरना
(ख) आकांक्षाएँ और रुचियाँ रखना
(ग) बहुत-सी उपलब्धियाँ पाना
(घ) बड़े लक्ष्य निर्धारित करना
उत्तर:
(घ) बड़े लक्ष्य निर्धारित करना

प्रश्न 3.
“उँगली जलाएँ” पंक्ति में उँगली जलाने का भाव
(क) चुनौतियों को स्वीकार करना
(ख) प्रकाश का प्रसार करना
(ग) अग्नि के ताप का अनुभव करना
(घ) कष्टों से नहीं घबराना
उत्तर:
(घ) कष्टों से नहीं घबराना



प्रश्न 4.
“अपने पाँवों पर खड़े हों” पंक्ति से क्या आशय है?
(क) अपने पैरों पर खड़े होना
(ख) सफलता प्राप्त करना
(ग) कठिनाइयों का सामना करना
(घ) आत्मनिर्भर होना
उत्तर:
(घ) आत्मनिर्भर होना



(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तरः
पहले प्रश्न का सही विकल्प मैंने “युवा वर्ग” को चुना है, क्योंकि कविता युवाओं को उनके कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का बोध कराती है, उन्हें प्रेरित करती है कि वे अपने जीवन को सार्थक बनाएँ और समाज तथा राष्ट्र के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएँ ।

दूसरे प्रश्न का सही विकल्प मैंने “ बड़े लक्ष्य निर्धारित करना” चुना है, क्योंकि ‘स्वप्न’ शब्द का प्रयोग यहाँ केवल सोने में आने वाले सपनों के लिए नहीं, बल्कि जीवन में कुछ बड़ा करने की आकांक्षा, महत्वाकांक्षा और लक्ष्य के रूप में किया गया है।

कवि युवा वर्ग को प्रेरित करता है कि उसके सपने छोटे न हों, बल्कि बड़े हों और जीवन में कुछ विशेष करने के लिए हों। इसलिए ” बड़े लक्ष्य निर्धारित करना” इस पंक्ति का सबसे उपयुक्त उत्तर है ।

तीसरे प्रश्न का उत्तर मैंने “ कष्टों से नहीं घबराना ” चुना है। मैंने यह उत्तर इसलिए चुना है क्योंकि “उँगली जलाएँ” प्रतीकात्मक भाषा है, जो संघर्षों और कठिनाइयों का सामना करने की भावना को दर्शाती है। इसका सीधा अर्थ केवल शारीरिक कष्ट नहीं, बल्कि यह जीवन में आने वाली समस्याओं से डरने के बजाय उनसे जूझने और उनसे सीखने का संकेत देता है। यह पंक्ति प्रेरित करती है कि लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग में आने वाले कष्टों से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उनका सामना करना चाहिए । अतः ” कष्ट से नहीं घबराना” इस पंक्ति का सही विकल्प है।

चौथे प्रश्न का उत्तर हमने “ आत्मनिर्भर होना ” चुना है। यह उत्तर इसलिए चुना है क्योंकि इस पंक्ति में व्यक्ति को अपने बलबूते, अपने प्रयासों से जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी गई है। यह पंक्ति आत्मविश्वास, साहस और स्वावलंबन की भावना को व्यक्त करती है। अतः, “आत्मनिर्भर होना” सबसे उपयुक्त उत्तर है।

मिलकर करें मिलान

कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ स्तंभ 1 में दी गई हैं। उन पंक्तियों के भाव या संदर्भ स्तंभ 2 में दिए गए हैं। पंक्तियों को उनके सही भाव अथवा संदर्भों से मिलाइए।

उत्तर:
1. 3
2. 1
4. 2
3. 4

पंक्तियों पर चर्चा

पाठ से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए-

(क) “जा,
तेरे स्वप्न बड़े हों ”
उत्तर:
“जा, तेरे स्वप्न बड़े हों ” – इस पंक्ति का अर्थ है – ” जाओ, तुम्हारे सपने महान और ऊँचे हों। ” यह एक आशीर्वाद और प्रेरणा से भरी हुई पंक्ति है, जिसमें यह कहा जा रहा है कि वह छोटे-मोटे लक्ष्यों तक सीमित न रहे बल्कि बड़े स्वप्न देखे, महत्वाकांक्षी बने और ऊँचाइयों तक पहुँचे ।



(ख) “ जल्द पृथ्वी पर चलना सीखें ”
उत्तर:
“जल्द पृथ्वी पर चलना सीखें” – इस पंक्ति का अर्थ है-
“जल्दी ही यथार्थ का सामना करना सीखें।” यह पंक्ति विशेष रूप से युवा वर्ग को प्रेरित करती है कि वे केवल कल्पनाओं में न खोएँ, बल्कि धरातल पर उतरकर मेहनत करें और जीवन की चुनौतियों का सामना करना सीखें।

(ग) “चाँद-तारों-सी अप्राप्य सच्चाइयों के लिए रूठना-मचलना सीखें”
उत्तर:
“चाँद-तारों-सी अप्राप्य सच्चाइयों के लिए रूठना-मचलना सीखें ” – इस पंक्ति का अर्थ है-
हमें अपने जीवन में ऐसे ऊँचे और कठिन लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए जो चाँद-तारों की तरह दूर और कठिन प्रतीत होते हैं। उन लक्ष्यों को पाने के लिए हमें भावनात्मक रूप से जुड़ना चाहिए – यानी जब वे लक्ष्य हमें न मिलें तो हम दुखी हों, रूठें, मचलें, यानी उन्हें पाने की प्रबल इच्छा और बेचैनी हमारे भीतर होनी चाहिए ।

अनुमान और कल्पना से

अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए-

(क) कविता में सपनों के बड़े होने की बात की गई है। आपके अनुसार बड़े सपने कौन – कौन से हो सकते हैं और क्यों?
उत्तर:
“एक आशीर्वाद” कविता में बड़े सपनों की बात करके कवि हमें प्रेरित करता है कि हम अपने जीवन में ऊँचे लक्ष्य रखें और उन्हें पाने की दृढ़ इच्छा रखें।
मेरे अनुसार निम्नलिखित सपने बड़े हो सकते हैं-

1. शिक्षा में ऊँचाई तक पहुँचना जैसे – वैज्ञानिक बनना, डॉक्टर, इंजीनियर या शोधकर्ता बनना।
क्यों-क्योंकि शिक्षा से समाज और देश का विकास होता है। यह व्यक्तिगत सफलता का भी आधार है।

2. देश की सेवा करना
जैसे – सेना में जाना, प्रशासनिक सेवा (IAS/ IPS) में जाना।
क्यों- क्योंकि ये सपने व्यक्ति को न केवल आत्मनिर्भर बनाते हैं, बल्कि समाज और राष्ट्र के लिए योगदान का अवसर भी देते हैं।

3. कोई नई खोज या आविष्कार करना जैसे- टेक्नोलॉजी या स्वास्थ्य क्षेत्र में कुछ नया करना।
क्यों- क्योंकि इसमें मानवता का भला होता है और हम दुनिया को बेहतर बना सकते हैं।

4. कला, संगीत, साहित्य में महान बनाना
जैसे – एक प्रसिद्ध लेखक, गायक या चित्रकार बनना।
क्यों-क्योंकि ये सपने लोगों के दिलों को छूते हैं और समाज को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध करते हैं।

5. समाज में बदलाव लाने वाला बनना
जैसे- समाजसेवक, शिक्षाविद या पर्यावरण कार्यकर्ता बनना।
क्यों- क्योंकि यह लोगों के जीवन को बेहतर बनाने का सपना है।



(ख) ” हर दीये की रोशनी देखकर ललचाएँ/उँगली जलाएँ” पंक्ति में सपनों और लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ललक की बात की गई है। ललक के साथ और क्या-क्या होना आवश्यक है और क्यों ? (संकेत – योजना, प्रयास आदि)
उत्तर:
“हर दीये की रोशनी देखकर
ललचाएँ / उँगली जलाएँ” पंक्ति में कवि ने ललक (प्रबल इच्छा) को दर्शाया है, जो हमें दूसरों की सफलता देखकर अपने लक्ष्य की ओर खींचती है। लेकिन केवल ललक होना ही पर्याप्त नहीं हैं।
ललक के साथ निम्नलिखित होना आवश्यक है-

1. मेहनत और निरंतर प्रयास केवल चाहने से सफलता नहीं मिलती, उसके लिए लगातार परिश्रम करना होता है।
क्यों-क्योंकि सपने तभी पूरे होते हैं जब हम उन्हें पाने के लिए लगातार प्रयास करें, भले ही रास्ता कठिन हो ।

2. सहनशीलता और धैर्य – रास्ते में बाधाएँ आएँगी, आलोचना होगी, असफलताएँ मिलेंगी।
क्यों-क्योंकि ललक के साथ धैर्य रखना जरूरी है ताकि हम असफलता से टूटे नहीं ।

3. साहस और आत्मविश्वास – बड़े सपनों को पाने के लिए जोखिम उठाना पड़ता है।
क्यों- क्योंकि डर और असमंजस सफलता की राह रोक सकते हैं।

4. दृढ़ निश्चय – निर्णय लेने के बाद उस पर अडिग रहना जरूरी है।
क्यों-क्योंकि लक्ष्य की राह में भ्रमित होना या दिशा बदलना नुकसानदायक हो सकता है।

5. समय का सदुपयोग – लक्ष्य की दिशा में समय का सही प्रयोग अत्यंत आवश्यक है।
क्यों – क्योंकि समय नष्ट करना लक्ष्य को दूर कर देता है।

(ग) कल्पना कीजिए कि आपका सपना ही आपका मित्र है। आपको उससे बातचीत करनी हो तो क्या बात करेंगे?
उत्तर:
मेरा सपना ही मेरा मित्र है। एक ऐसा मित्र जो मेरे दिल की हर बात जानता है। उससे हम निम्नलिखित बात करेंगे-
मैं- ” ओ मेरे सपने!
तू कब से मेरे दिल में छिपा बैठा था,
हर रात आँखों में आकर मुझे जगाता था-
अब जब तू सामने है,
तो एक ही सवाल है-
क्या मैं तेरे काबिल बन पाया हूँ ?”
सपना – “तू मुझसे क्यों डरता है ?
मैं कोई दूर चाँद नहीं,
बस तेरी मेहनत का रूप हूँ।
तेरी लगन से ही मैं आकार लूँगा ।
तू चलना शुरू तो कर!”
मैं- “चल तो रहा हूँ, पर डर लगता है-
कहीं रास्ता लंबा न हो जाए,
कहीं हार न जाऊँ!”
सपना – ” अगर तू हार गया,
तो मैं खो जाऊँगा।
लेकिन अगर तू लड़ा,
तो मैं तेरा ही बन जाऊँगा ।
मैं तुझसे दूर नहीं –
बस एक आखिरी कोशिश से दूर हूँ ।’
मैं –“ तो वादा है,
मैं अब पीछे नहीं हटूंगा।
तू मेरे साथ है,
तो दुनिया की कोई ताकत मुझे रोक नहीं सकती।”

(घ) यदि मैं किसी को आशीर्वाद देना चाहूँ, तो मेरा आशीर्वाद केवल सफलता या समृद्धि तक सीमित नहीं होगा- मैं ऐसा आशीर्वाद देना चाहूँगा जो जीवनभर साथ दे, जीवन को अर्थपूर्ण बनाए ।
उत्तर:
मैं अपने मित्रों और शुभचिंतकों को निम्नलिखित आशीर्वाद देना चाहूँगा-

1. सच्चे लक्ष्य और उन्हें पाने की हिम्मत का आशीर्वाद
क्यों- क्योंकि सही दिशा और साहस से ही जीवन सार्थक बनता है ।

2. कठिनाइयों में मुसकराने की शक्ति का आशीर्वाद
क्यों- क्योंकि जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं, लेकिन मुसकराने की ताकत इंसान को मजबूत बनाती है।

3. दूसरों के लिए रोशनी बनने का आशीर्वाद
क्यों- क्योंकि सच्चा इंसान वही है जो सिर्फ अपना नहीं, दूसरों का भी भला सोचे ।

4. सच्चे रिश्तों और प्यार का आशीर्वाद
क्यों-क्योंकि सफलता तभी खूबसूरत होती है जब उसे बाँटने वाले अपने हों।

5. आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान का आशीर्वाद
क्यों-क्योंकि आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान जीवन की सबसे बड़ी पूँजी है।

कविता की रचना

प्रश्न – इस कविता में सपने को मनुष्य की तरह हँसते, मुसकराते, गाते हुए बताया गया है। ध्यान से देखें तो इस कविता में इस प्रकार की अन्य विशेषताएँ भी दिखाई देंगी। उन्हें लिखिए और कक्षा में उन पर चर्चा कीजिए ।
उत्तर:
‘एक आशीर्वाद” कविता में कवि दुष्यंत कुमार ने सपनों को केवल एक इच्छा या कल्पना न मानकर उन्हें जीवित, मानवीय रूप में प्रस्तुत किया है – जैसे वे हमारे साथी हों, हमारे साथ चलें, मुसकराएँ, गाएँ। इसके अलावा कविता में अन्य विशेषताएँ भी हैं, जो निम्नलिखित हैं-

1. सपनों को मानवीय रूप देना – ” हँसे, मुसकराएँ गाएँ”– ये सारी क्रियाएँ मनुष्य से जुड़ी हैं। कवि सपनों को मनुष्य की तरह प्रस्तुत करता है, ताकि वे पाठक के और अधिक करीब लगें। यह उन्हें केवल लक्ष्य नहीं, साथी बना देता है।

2. सपनों की भावनात्मक और संवेदनशीलता-‘रूठना, मचलना सीखें” सपना भी एक नन्हा बच्चा है जो जिद्द करता है। यह दिखाता है कि सपनों को पाने के लिए केवल योजना नहीं, भावनाओं का जुड़ाव भी जरूरी है।

3. सपनों का संघर्षशील रूप- “ जल्दी पृथ्वी पर चलना सीखें ” – सपना कल्पना से निकलकर हकीकत की ज़मीन पर उतरना चाहता है। यह संकेत देता है कि सच्चे सपने वही हैं जो धरातल पर आकर लें, केवल कल्पना में न रहें ।

4. सपनों की प्रेरणादायक शक्ति – ” जा, तेरे स्वप्न बड़े हों ” – सपना न केवल व्यक्ति का है, बल्कि उसे बढ़ने के लिए प्रेरित भी करता है। कविता सपनों को मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत की तरह दर्शाती है।

5. सपनों की निःस्वार्थता और रोशनी – ” हर दीये की रोशनी देखकर…” – सपना जलता है, जलता हुआ दिखता है – पर दूसरों को रोशनी देता है। यह दर्शाता है कि सच्चे सपने सिर्फ स्वार्थ तक सीमित नहीं होते – वे दूसरों का भी भला करते हैं।

सृजन

इस कविता के आरंभ में एक ही संज्ञा शब्द है- ‘स्वप्न’। इस शब्द को केंद्र में रखते हुए अनेक क्रिया शब्दों का ताना-बाना बुना गया है, जैसे – चलना, रूठना, मचलना सीखना, हँसना, मुस्कुराना, गाना, ललचाना और इस प्रकार कविता पूरी हो जाती है। आप भी किसी एक संज्ञा शब्द के साथ विभिन्न क्रिया शब्दों को प्रयोग करते हुए अपनी कविता बनाकर कक्षा में सुनाइए ।

उत्तर:
संज्ञा शब्द “बीज़”
बीज़
मिट्टी में दबा,
फिर भी सपने देखता है।
चुपचाप सहता है अंधेरे,
पर उजाले की चाह रखता है।
टूटता है,
बिखरता है,
फिर भी खिलता है।
धूप सहता है,
बरसात में भीगता है,
फिर भी मुसकराता है।
कभी पेड़ बनकर
छाया देता है,
कभी फल बनकर
मीठा हो जाता है।

बीज़-
जो हर अंत में
एक नई शुरुआत छुपाए बैठा है।

कविता का शीर्षक

इस कविता का शीर्षक ‘एक आशीर्वाद’ है जो कविता में कहीं भी प्रयुक्त नहीं हुआ है। यदि इस कविता की ही किसी पंक्ति या शब्द को कविता का शीर्षक बनाना हो तो आप कौन-सी पंक्ति या शब्द चुनेंगे और क्यों?
उत्तर:
“एक आशीर्वाद” कविता की किसी पंक्ति या शब्द को ही शीर्षक बनाना हो, तो मैं निम्न में से किसी एक को चुनूँगा-

1. “ जा, तेरे स्वप्न बड़े हों”
क्यों-क्योंकि-
यह कविता की सबसे प्रभावशाली, प्रेरणादायक और सारगर्भित पंक्ति है।
यही वह पंक्ति है जो पूरे आशीर्वाद का सार व्यक्त करती है कि तुम्हारे सपने बड़े हों और तुम ऊँचाइयाँ छुओ ।
इस पंक्ति में दिशा, प्रेरणा, आशा और प्रेम सभी भाव समाहित हैं।

2. “तेरे पाँव ज़मीन पर हों”
क्यों-क्योंकि-
यह पंक्ति विनम्रता, यथार्थ और संतुलन की सीख देती है।
यह आशीर्वाद देती है कि सफलता मिलने पर भी व्यक्ति ज़मीन से जुड़ा रहे।



भाषा की बात

(क) नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में ‘स्वप्न’ से जुड़े शब्द अपने समूह में चर्चा करके लिखिए-
उत्तर:



(ख) कविता में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं और उनके सामने कुछ अन्य शब्द भी दिए गए हैं। उन शब्दों पर घेरा बनाइए जो समान अर्थ न देते हों-

उत्तर:

आना-जाना

आना’ और ‘जाना’ दो महत्त्वपूर्ण क्रियाएँ हैं । कक्षा में दो समूह बनाइए । एक समूह का नाम ‘आना’ और दूसरे समूह का नाम ‘जाना’ होगा। अब अपने-अपने समूह में इन दोनों क्रियाओं का प्रयोग करते हुए सार्थक वाक्य बनाइए और उन्हें चार्ट पेपर पर चिपकाकर अपनी कक्षा में लगाइए।
उत्तर:
उदाहरण वाक्य (“आना” समूह)

1. मैं स्कूल रोज़ समय पर आता हूँ।

2. माँ ने मुझे बुलाया, तो मैं तुरंत आया।

3. बारिश के बाद ठंडी हवा आई ।

4. क्या तुम कल मेरी जन्मदिन की पार्टी में आओगे?

5. वह हर रविवार को मंदिर आता है।

उदाहरण वाक्य (“जाना” समूह)

1. मैं कल अपने दादा-दादी के घर गया।

2. बच्चे पार्क में खेलने जा रहे हैं।

3. छुट्टी के बाद हम पिकनिक पर जाएँगे ।

4. वह रोज़ स्कूल जाती है।

5. बारिश होने से पहले ही हम घर चले गए।

डायरी

हँसें – मुसकराएँ- गाएँ

अपने किसी एक दिन की समस्त गतिविधियों पर ध्यान दीजिए और अपनी डायरी में लिखिए कि आप दिनभर में कब-कब हँसे, कब-कब मुसकराए, कब-कब गाए, कब-कब रूठे, कब-कब मचले ?
उत्तर:
मेरी डायरी – एक दिन की झलक
तारीख: 18 जुलाई 2025
स्थानः घर
आज का दिन कई भावनाओं से भरा रहा।
सुबह 8 : 00 बजे- जब मम्मी ने प्यार से उठाया और गरमागरम पराँठे परोसे, तो मैं मुसकुरा उठा। माँ का स्नेह दिन की सबसे प्यारी शुरुआत थी।
19 : 00 बजे – ऑनलाइन क्लास में दोस्त ने मजाक किया, तो हम सभी हँसने लगे। वह पल बहुत हल्का-फुल्का था।
11 : 00 बजे – पढ़ाई करते-करते जब मेरा मन ऊब गया तो मैंने अपना पसंदीदा गाना ” मेरी जान तिरंगा है” लगाया और गुनगुनाने लगा। उस पल ने मुझे तरोताज़ा कर दिया।
1 : 00 बजे – दोपहर के खाने में मेरी पसंद का नहीं था। तो मैंने थोड़ा-सा मुँह फुला लिया यानी थोड़ा रूठ गया।
2 : 30 बजे तक – मम्मी ने चॉकलेट दे दी, मैं फिर से मुसकुरा उठा और रूठना खत्म हुआ।
5:00 बजे- जब पापा ने शाम को खेलने नहीं जाने दिया, मैं मचल गया और लगभग आधे घंटे तक उदास होकर बैठा रहा ।
7 : 30 बजे- टीवी पर मेरा पसंदीदा प्रोग्राम “तारक मेहता का उल्टा चश्मा” आया, तो मैं हँसता रहा और पूरे दिल से गाया भी।
9 : 00 बजे – सोने से पहले मम्मी-पापा के साथ समय बिताया, उनके साथ बातें कीं, हँसे और दिन भर की थकान मिट गई।

पाठ से आगे
प्रश्न- अभ्यास (पृष्ठ 41-44)

आपकी बात

(क) कविता के माध्यम से बड़े लक्ष्य निर्धारित करने और उन्हें पूरा करने का आशीर्वाद दिया गया है। दिन-प्रतिदिन के जीवन में आपको अपने माता-पिता, अध्यापक एवं परिजनों से किस तरह के आशीर्वाद मिलते हैं? अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
(ख) आप भी अपने से छोटों के प्रति किसी न किसी प्रकार से शुभेच्छा प्रकट करते हैं, उन्हें लिखिए।
उत्तर:
(क) मुझे अपने माता-पिता, अध्यापक और परिवारजनों से निम्नलिखित आशीर्वाद मिलते हैं-

1. माता-पिता से-
ईमानदारी और मेहनत से काम करने का आशीर्वाद
सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा
हर परिस्थिति में धैर्य और संयम रखने की सीख
जीवन में बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने का हौसला

2. अध्यापक से-
ज्ञान अर्जन करने और उसका सदुपयोग करने का आशीर्वाद
परीक्षा में सफल होने और आत्मविश्वास बढ़ाने का आशीर्वाद
सही निर्णय लेने और जीवन के प्रति सकारात्मक सोच रखने का आशीर्वाद
अपने लक्ष्य के प्रति समर्पण बनाए रखने का आशीर्वाद

3. परिजनों से-
प्रेम, सहयोग और सम्मान के साथ जीवन जीने की प्रेरणा
मुश्किल समय में मजबूत बने रहने का आशीर्वाद
अपने कर्तव्यों को निभाने और दूसरों की मदद करने की भावना
जीवन में हमेशा आगे बढ़ते रहने का आशीर्वाद

(ख) प्रिय छोटे भाई-बहनों,
आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ। ईश्वर आपको सदैव स्वस्थ, प्रसन्न और सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचाए । जीवन में आने वाली हर चुनौतियों को आत्मविश्वास और धैर्य से पार करें। आपकी मुसकान हमेशा बनी रहे और आपके सपने साकार हों।

सदैव आपके साथ

अ ब स



सपनों की बातें

(क) आप क्या करना चाहते हैं और क्या पाना चाहते हैं? उन्हें एक परची पर लिखें। परची पर अपना नाम लिखना आवश्यक नहीं है। अपने अध्यापक द्वारा लाए गए डिब्बे में अपनी-अपनी परची को डाल दें। अध्यापक एक-एक करके इन परचियों पर लिखे सपनों को पढ़कर सुनाएँ । सभी विद्यार्थी अपने-अपने सुझाव दें कि उन सपनों को पूरा करने के लिए-


किस तरह के प्रयत्न करने होंगे?
किस तरह से योजना बनानी होगी ?
किससे और किस प्रकार का सहयोग लिया जा सकता है?
लक्ष्य-प्राप्ति में संभावित चुनौतियाँ कौन-कौन सी हो सकती हैं?

उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करेंगे।

हमारे सपने


आपके माता-पिता या अभिभावक आपकी आवश्यकताओं और इच्छाओं को जानते-समझते हैं। वे उन्हें पूरा करने के लिए यथासंभव प्रयत्न करते हैं। अपने माता-पिता या अभिभावक से उनके द्वारा देखे गए सपने और इच्छाओं के बारे में पूछिए कि वे क्या-क्या करना चाहते थे या चाहते हैं ? नीचे दी गई तालिका में उन सपनों को लिखिए। आप इस तालिका को और बढ़ा सकते हैं।

उत्तर:

1. माता -उनका सपना है कि घर में सुकून और एकता बनी रहे। वे चाहती हैं कि सबकी सेहत ठीक रहे और बच्चे जीवन में सफल हों। कभी-कभी वे खुद के लिए भी कोई हुनर (जैसे सिलाई, कुकिंग) में कुछ बड़ा करने का सपना देखती हैं।

2. पिता – उनका सपना है कि पूरा परिवार खुशहाल रहे। वे चाहते हैं कि उनके बच्चे पढ़-लिखकर अच्छे इंसान बनें और अपने पैरों पर खड़े हों । वे खुद भी कभी खेती या छोटा व्यापार शुरू करने का सपना देखते हैं।

3. दादा – वे चाहते हैं कि पूरा परिवार साथ रहे, बच्चे उन्हें समय दें और उनका आदर करें। उनका सपना यह होता है कि वे अपने पोते-पोतियों को सफल होते हुए देखें।

4. दादी – वे चाहते हैं कि पूरा परिवार साथ रहे, बच्चे उन्हें समय दें और उनका आदर करें। उनका सपना यह होता है कि वे अपने पोते-पोतियों को सफल होते हुए देखें।

5. नाना / नानी – वे चाहते हैं कि उनके नाती नातिन पढ़-लिख कर अच्छे इंसान बने। डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक या कलाकार चाहे जो भी बनें, पर ईमानदार और दयालु जरूर बनें।

6. बहन – बहन का सपना है कि वे एक अच्छे प्रोफेशन (जैसे टीचर, डॉक्टर, इंजीनियर) में जाएँ और परिवार का नाम रोशन करें। वे विदेश घूमने या घर के लिए कार खरीदने का सपना भी देखती हैं।

7. भाई-भाई का सपना आईएएस, आईपीएस बनकर परिवार का नाम रोशन करना है।



सबके सपने

प्रतिदिन की आवश्यकताओं को पूरा करने में बहुत-से लोग सहयोग देते हैं, जैसे- शाक विक्रेता, स्वच्छताकर्मी, रिक्शाचालक, सुरक्षाकर्मी आदि। इनमें से किसी एक से साक्षात्कार कीजिए और उनके सपनों के विषय में जानिए। साक्षात्कार के समय कौन-कौन से प्रश्न हो सकते हैं? उनकी एक सूची भी बनाइए ।
उत्तर:
स्वच्छताकर्मी से साक्षात्कार
आप कब से सफाई का काम कर रहे हैं? आप इस काम में कैसे आए?
बीते समय में आपके द्वारा सामना की गई सबसे बड़ी मुश्किल क्या रही ?
कई बार बारिश में भी कचरा अलग करना पड़ता है, क्या आपने ऐसा अनुभव किया है?
क्या आपको पर्याप्त सुरक्षा – किट (PPE) मिलते ? अगर नहीं, तो किन चीज़ों की कमी रहती है?
क्या आपको लगता है कि आपके काम को समाज में पर्याप्त मान्यता और इज्जत मिलती है?

झरोखे से

आपने पढ़ा कि ‘एक आशीर्वाद’ कविता में सपनों के बड़े होने की बात की गई है। अब आप पढ़िए सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का एक प्रेरक उद्बोधन जिसमें वे न केवल सपने देखने की बात करते हैं, बल्कि सपनों को पूरा करने की योजना और प्रक्रिया के विषय में भी बताते हैं-
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

साझी समझ

आपने ‘एक आशीर्वाद’ कविता पढ़ी और डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का उपर्युक्त उद्बोधन भी पढ़ा । अब आप इन दोंनों पर कक्षा में अपने साथियों के साथ चर्चा कीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

खोजबीन के लिए

कला, विज्ञान, राजनीति, खेलकूद, मनोरंजन आदि क्षेत्रों में ख्याति प्राप्त करने वाले व्यक्तियों ने अपने-अपने सपनों को पूरा करने की संघर्ष यात्रा के बारे में लिखा है। उन्होंने अपने सपनों को साकार करने के लिए किस तरह से योजना बनाई, क्या – क्या संघर्ष किए? पुस्तकालय अथवा इंटरनेट की सहायता से ऐसे व्यक्तियों के बारे में पढ़िए ।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

NCERT Class 8th Hindi Chapter 9 आदमी का अनुपात Question Answer

NCERT Class 8th Hindi Chapter 9 आदमी का अनुपात Question Answer आदमी का अनुपात Class 8 Question Answer कक्षा 8 हिंदी पाठ 9 प्रश्न उत्तर – Cla...