NCERT Class 8th Hindi Chapter 9 आदमी का अनुपात Question Answer
आदमी का अनुपात Class 8 Question Answer
कक्षा 8 हिंदी पाठ 9 प्रश्न उत्तर – Class 8 Hindi आदमी का अनुपात Question Answer
पाठ से प्रश्न- अभ्यास
(पृष्ठ 128-135)
आइए, अब हम इस कविता को थोड़ा और विस्तार से समझते हैं। नीचे दी गई गतिविधियाँ इस कार्य में आपकी सहायता करेंगी।
मेरी समझ से
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर के सम्मुख तारा (★) बनाइए । कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
प्रश्न 1.
कविता के अनुसार ब्रह्मांड में मानव का स्थान कैसा है?
पृथ्वी पर सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण
ब्रह्मांड की तुलना में अत्यंत सूक्ष्म
सूर्य, चंद्र आदि सभी नक्षत्रों से बड़ा
समस्त प्रकृति पर शासन करने वाला
उत्तर:
ब्रह्मांड की तुलना में अत्यंत सूक्ष्म
प्रश्न 2.
कविता में मुख्य रूप से किन दो वस्तुओं के अनुपात को दिखाया गया है?
पृथ्वी और सूर्य
देश और नगर
घर और कमरा
मानव और ब्रह्मांड
उत्तर:
मानव और ब्रह्मांड
प्रश्न 3.
कविता के अनुसार मानव किन भावों और कार्यों में लिप्त रहता है ?
त्याग, ज्ञान और प्रेम में
सेवा और परोपकार में
ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ, घृणा में
उदारता, धर्म और न्याय में
उत्तर:
ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ, घृणा में
प्रश्न 4.
कविता के अनुसार मानव का सबसे बड़ा दोष क्या है?
वह अपनी सीमाओं और दुर्बलताओं को नहीं समझता।
वह दूसरों पर शासन स्थापित करना चाहता है।
वह प्रकृति के साथ तालमेल नहीं बिठा पाता है।
वह अपने छोटेपन को भूल अहंकारी हो जाता है।
उत्तर:
वह अपने छोटेपन को भूल अहंकारी हो जाता है।
(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ विचार कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
पंक्तियों पर चर्चा
नीचे दी गई पंक्तियों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। अपने समूह में इनके अर्थ पर चर्चा कीजिए और लिखिए-
(क) “अनगिन नक्षत्रों में / पृथ्वी एक छोटी /करोड़ों में एक ही।”
उत्तर:
अनेक तारा समूहों और ग्रहों के बीच हमारी पृथ्वी एक छोटी-सी इकाई है । हमारा पूरा ग्रह भी अनंत ब्रह्मांड के विशाल विस्तार में छोटा है।
(ख) “संख्यातीत शंख सी दीवारें उठाता है / अपने को दूजे का स्वामी बताता है। ‘
उत्तर:
मनुष्य ने अपने को दूसरे मनुष्य से अलग कर लिया है। वह भेद-भाव और मनमुटाव के साथ जीवन व्यतीत कर रहा है। अविश्वास और कटुता को बढ़ाता
है। खुद को दूसरों से बेहतर साबित करने के चक्कर में मनुष्य बुराई के रास्ते पर चल रहा है।
(ग) “देशों की कौन कहे / एक कमरे में / दो दुनिया रचाता है।”
उत्तर:
ईश्वर ने सबको बनाया है और उसके लिए सब समान हैं परंतु मनुष्य तो इस सत्य को अनदेखा कर बैठा है। देश और दुनिया की छोड़ो, उसने तो अपने परिवार और संबंधों को भी धोखा देकर, अलग दुनिया में जीता है।
मिलकर करें मिलान
नीचे दो स्तंभ दिए गए हैं। अपने समूह में चर्चा करके स्तंभ 1 की पंक्तियों का मिलान स्तंभ 2 में दिए गए सही अर्थ से कीजिए ।

उत्तर:
1. 3
2. 5
3. 6
4. 2
5. 1
6. 4
अनुपात
इस कविता में ‘मानव’ और ‘ब्रह्मांड’ के उदाहरण द्वारा व्यक्ति के अल्पत्व और सृष्टि की विशालता के अनुपात को दिखाया गया है। अपने साथियों के साथ मिलकर विचार कीजिए कि मानव को ब्रह्मांड जैसा विस्तार पाने के लिए इनमें से किन-किन गुणों या मूल्यों की आवश्यकता होगी? आपने ये गुण क्यों चुने, यह भी साझा कीजिए ।

उत्तर:
मनुष्य को अपनी सोच को ब्रह्मांड की तरह व्यापक बनानी चाहिए। सृष्टि की विशालता से प्रेरणा लेकर मनुष्य को सार्थक जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। सहअस्तित्व, समावेशिता, सौहार्द, सहयोग और सहनशीलता के गुण अपनाकर मनुष्य भी जीवन को और सुंदर बना सकता है। ईश्वर ने मनुष्य को असीम बुद्धि प्रदान की है और बुद्धि के सदुपयोग से मनुष्य नई ऊचाइयाँ छू सकता है।
सकारात्मक सोच और स्वभाव से हम सच्ची सफलता प्राप्त कर सकते हैं। अच्छे गुणों को अपनाने से न केवल हमारा जीवन बेहतर होगा, बल्कि हम एक बेहतर देश और दुनिया के निर्माण में भी योगदान दे सकेंगे।
सोच-विचार के लिए
कविता को पुनः पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए-
(क) कविता के अनुसार मानव किन कारणों से स्वयं को सीमाओं में बाँधता चला जाता है ?
(ख) यदि आपको इस कविता की एक पंक्ति को दीवार पर लिखना हो, जो आपको प्रतिदिन प्रेरित करे तो आप कौन-सी पंक्ति चुनेंगे और क्यों ?
(ग) कवि ने मानव की सीमाओं और कमियों की ओर ध्यान दिलाया है, लेकिन कहीं भी क्रोध नहीं दिखाया। आपको इस कविता का भाव कैसा लगा – व्यंग्य, करुणा, चिंता या कुछ और ? क्यों ?
(घ) आपके अनुसार ‘दीवारें उठाना’ केवल ईंट-पत्थर से जुड़ा काम है या कुछ और भी हो सकता है ? अपने विचारानुसार समझाइए।
(ङ) मानवता के विकास में सहयोग, समर्पण और सहिष्णुता जैसी सकारात्मक प्रवृत्तियाँ ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ और घृणा जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियों से कहीं अधिक प्रभावी हैं। उदाहरण देकर बताइए कि सहिष्णुता या सहयोग के कारण समाज में कैसे परिवर्तन आए हैं?
उत्तर:
(क) मनुष्य कई कारणों से स्वयं को सीमित कर लेता है और अपने परिवार, समाज, देश और दुनिया से दूर हो जाता है। इसमें अंहकार, स्वार्थ, ईर्ष्या, विद्वेष, घृणा जैसी भावनाएँ शामिल हैं। ऐसी भावनाएँ या अवगुण मानव को दूसरों से अलग रहने और उन्हें अपने से तुच्छ, समझने की ओर ले जाती हैं। मनुष्य संबंधों के महत्त्व को नहीं समझ पाता और अपने अहंकार या स्वार्थ को पूरा करने में लगा रहता है।
(ख) अपने को दूजे का स्वामी बताता है
देशों की कौन कहे
एक कमरे में
दो दुनिया रचाता है
कविता की उपर्युक्त पंक्तियाँ मैं दीवार पर लिखना चाहूँगी क्योंकि मानव अपने छोटेपन को भूलकर अहंकारी और अति आत्मविश्वासी हो जाता है। यदि परिवार के सदस्यों के साथ ही प्रेम और सामंजस्य नहीं है तो हम देश और दुनिया को क्या सीख देंगे। ऊपर लिखी पंक्तियाँ मुझे याद दिलाएँगी कि उदारता, त्याग, सेवा और परोपकार जैसे गुणों को अपनाकर जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए।
(ग) हाँ, मैं इस बात से सहमत हूँ कि कवि ने मानव की कमियों और सीमाओं की ओर ध्यान दिलाया है, लेकिन कहीं भी क्रोध नहीं दिखाया। इस कविता में मुझे आत्मचिंतन और चिंता के भी भाव महसूस होते हैं। मानव स्वयं को संसार का सबसे बुद्धिमान व शक्तिशाली अंग समझता है। उसमें अहंकार है कि उसने विज्ञान व तकनीकी सहायता से सफलता हासिल कर ली है।
परंतु सच्चाई यह लगती है कि इस संपूर्ण ब्रह्मांड में हमारा स्थान अत्यंत सूक्ष्म है। मानव और ब्रह्मांड के अनुपात में काफी अंतर है । देश और दुनिया जीतने से पहले स्वयं पर अर्थात अपनी बुराइयों पर विजय प्राप्त करना ही सबसे बड़ी चुनौती है।
(घ) ‘दीवारें उठाना’ केवल ईंट-पत्थर से जुड़ा काम नहीं है। कविता के अनुसार इसका प्रतीक अर्थ है मानव जैसे-जैसे उन्नति कर रहा है, वैसे-वैसे अपने संबंधों से दूर होता जा रहा है। संसार की विराटता के विपरीत मानव आत्मकेंद्रित हो जाता है। अपने दिल की भावनाओं को जीवन की आपा-धापी में खो देता है। कभी-कभी अपनी सोच इतनी सीमित कर लेता है कि वह एक छोटे से कमरे में भी अपनों से ही दूर होकर दो दुनिया बना लेता है।
(ङ) मानवता के विकास में सहिष्णुता, सहनशक्ति और समर्पण जैसे गुणों का बहुत योगदान है। ये गुण न सिर्फ व्यक्तिगत जीवन को अच्छा बनाते हैं, बल्कि पूरे समाज को भी प्रगति की ओर ले जाते हैं। देश के विकास में सहयोग से सामूहिक प्रयास, समर्पण से निरंतरता व प्रगति और सहिष्णुता से सामाजिक एकता विकसित होती है। ये गुण मिलकर देश और समाज को मजबूत व समृद्ध बनाते हैं। उदाहरण – सहिष्णुता और सहयोग के कारण आज शिक्षा प्रणाली में कई बदलाव आए हैं। शिक्षा अधिक समावेशी हो रही है। विभिन्न सामाजिक व आर्थिक स्तर होने पर भी छात्रों को समान अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने व संसाधनों की कमी को दूर करने के प्रयास हुए हैं।
अनुमान और कल्पना
अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए-
(क) मान लीजिए कि आप एक दिन के लिए पूरे ब्रह्मांड को नियंत्रित कर सकते हैं। अब आप मानव की कौन-कौन सी आदतों को बदलना चाहेंगे? क्यों ?
(ख) यदि आप अंतरिक्ष यात्री बन जाएँ और ब्रह्मांड के किसी दूसरे भाग में जाएँ तो आप किस स्थान (कमरा, घर, नगर आदि) को सबसे अधिक याद करेंगे और क्यों ?
(ग) मान लीजिए कि एक बच्चा या बच्ची कविता में उल्लिखित सभी सीमाओं को पार कर सकता या सकती है- वह कहाँ तक जाएगा या जाएगी और क्या देखेगा या देखेगी? एक कल्पनात्मक यात्रा-वृत्तांत लिखिए।
(घ) इस कविता को पढ़ने के बाद, आप स्वयं को ब्रह्मांड के अनुपात में कैसा अनुभव करते हैं? एक अनुच्छेद लिखिए–“मैं ब्रह्मांड में एक… हूँ।”
(ङ) मान लीजिए कि किसी दूसरे संसार से आपके पास संदेश आया है कि उसे पृथ्वी के किसी व्यक्ति की आवश्यकता है। आप किसे भेजना चाहेंगे और क्यों?
(च) कविता में “ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ” जैसी प्रवृत्तियों की चर्चा की गई है। कल्पना कीजिए कि एक दिन केलिए ये भाव सभी व्यक्तियों में समाप्त हो जाएँ तो उससे समाज में क्या-क्या परिवर्तन होगा ?
(छ) यदि आपको इस कविता का एक पोस्टर बनाना हो जिसमें इसके मूल भाव–’ विराटता और लघुता’ तथा ‘मनुष्य का भ्रम ‘ – दर्शाया जाए तो आप क्या चित्र, प्रतीक और शब्द उपयोग करेंगे? संक्षेप में बताइए ।
उत्तर:
(क) यदि मुझे एक दिन के लिए पूरे ब्रह्मांड पर नियंत्रण का अवसर मिले तो मैं इंसानों की कुछ आदतों को बदलना चाहूँगी। इसका उद्देश्य दुनिया को बेहत्तर और प्रभावशाली बनाने के लिए होगा ।
1. प्रदूषण फैलाने की प्रवृत्ति – मानव जैव और रासायनिक प्रदूषण फैला रहा है जो जीवन के लिए हानिकारक है। मैं सौर ऊर्जा और वायु ऊर्जा के वितरण में समानता सुनिश्चित करती।
2. धरती के अमूल्य संसाधनों की रक्षा करती। पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभावों को कम करने का प्रयास करती । किसी एक शक्तिशाली देश अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए दुनिया को सीमाओं में बाँधने या बाँटने की प्रवृत्ति को बदलने का प्रयास करती।
3. जाति और धर्म के नाम पर विभाजन और असहिष्णुता की प्रवृत्ति को दूर करती और मानवता को सर्वोपरि रखती।
(ख) अगर मैं अंतरिक्ष यात्री बन जाँऊ और ब्रह्मांड के किसी दूसरे भाग में चली जाऊँ, तो मैं सबसे ज्यादा अपने घर और देश को याद करूँगी। घर का अहसास सुरक्षा प्रदान करता है। घर रिश्तों से बनता है जहाँ प्यार और अपनापन है।
देश से हमारी पहचान है। जिस देश की मिट्टी में जन्म लिया, वह माँ के समान है। अपने घर से जुड़ी एक-एक यादें अनमोल होती हैं और देश हमारी संस्कृति और इतिहास का अहसास कराता है।
(ग) एक बच्चे की नज़र से सीमाओं को पार करके यात्रा-वृत्तांत लिखना अनोखा अनुभव होगा। मेरी
यात्रा में मेरा पहला पड़ाव घर और मुहल्ला होगा। अपने परिवार, दोस्त, उनकी हँसी, बातें सुनते-सुनते मैं आगे दौड़ती हूँ।
दूसरा पड़ाव – नगर और शहर । ऊँची-ऊँची इमारतें, रंग-बिरंगी दुकानें, पुल और सड़कें ।
मैं अलग-अलग भाषाएँ सुनती और लोगों की चहल-पहल देखती हूँ । फिर प्रदेश और देश की ओर उड़ती हूँ। दूसरे राज्यों और फिर दूसरे देशों की ओर। अलग-अलग परिधान, खान-पान, त्योहारों और रीति-रिवाजों को समझते हुए आगे उड़ती हूँ। यहाँ कहीं शांति है तो कहीं संघर्ष, कहीं मेल-जोल तो कहीं विषमता नजर आती है। चौथे पड़ाव में पृथ्वी और ब्रह्मांड हैं।
भाषा शिक्षण सॉफ्टवेयर
मैं ऊपर अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखती हूँ। पृथ्वी-एक नीला ग्रह, जिसमें जीवन की हर छटा और विविध विशेषताएँ हैं। बादलों के ऊपर उड़ते हुए समुद्र, पहाड़ और जंगल लुभाते हैं। फिर मैं ब्रह्मांड की यात्रा पर निकलती हूँ-अनगिनत तारे, नक्षत्र, ग्रह और आकाशगंगाएँ।
मैं सोचती हूँ कि ब्रह्मांड असीमित है और पृथ्वी के छोटे से घर के कमरे की मेरी दुनिया से अलग एक ओर ब्रह्मांड की विराटता तो दूसरी ओर मन की गहन यादें। इस यात्रा से मैंने सीखा कि सीमाएँ केवल दीवारों या घर के नक्शों में नहीं, बल्कि हमारी सोच में होती हैं। अगर खुले दिल से देखें तो पाएँगे कि मानवता अनंत है और इसकी कोई सीमा नहीं है।
(घ) “मैं ब्रह्मांड में एक छोटा मानव हूँ। मानव का अनुपात इसकी तुलना में छोटा है। मानव ने अपने दृष्टिकोण और सोच को भीं संकुचित कर लिया है। अखंड सृष्टि, आकाशगंगाएँ, तारामंडल, अरब प्रकाशवर्ष, इस विशाल ब्रह्मांड में पृथ्वी एक छोटे-से बिंदु के रूप में है। हमारा आकार लघु है परंतु हम मनुष्य अपनी दार्शनिक शक्ति, जिज्ञासा और बुद्धि के सदुपयोग से विशिष्ट पहचान बना सकते हैं। हमारी खोज, जिज्ञासा और कुछ नया करने की भावना की सीमा नहीं है।
मनुष्य अपने छोटे जीवन में अपने वातावरण को सुंदर और स्वच्छ बनाए रखने में सक्षम है। हमें ईश्वर द्वारा प्रदान किए गए इस जीवन का सम्मान करना चाहिए। ब्रह्मांड या अनंत की विशालता से हमें सबक लेना चाहिए और अपने आपको और बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए। हम सृष्टि के छोटे परंतु अभिन्न अंग हैं और मानवता के पथ पर चलते हुए जीवन को सफल बनाएँ।
(ङ) यदि दूसरे संसार से संदेश आता कि उन्हें पृथ्वी के किसी व्यक्ति की आवश्यकता है, तो मैं किसी प्रेरक, सहिष्णु और मानवता को धर्म समझने वाले व्यक्ति को भेजती । एक ऐसा व्यक्ति जो निष्पक्ष भाव से पृथ्वी का प्रतिनिधित्व करता और दोनों भागों के बीच संवाद स्थापित करने में सहयोग देता ।
(च) यदि एक दिन के लिए सभी व्यक्तियों में ईर्ष्या, अहंकार, स्वार्थ जैसी प्रवृत्तियाँ समाप्त हो जाएं तो समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन आ जाएँगे। लोगों के बीच बैर, कटुता और विद्वेष की भावना मिट जाएगी। समाज में हर नागरिक उन्नति करेगा और देश समृद्ध व खुशहाल बनेगा। बुरी भावनाओं के मिट जाने से आदर्श स्थापित होंगे और मनुष्य अपनी वास्तविक क्षमताओं व शक्तियों को पहचान पाएगा। संतोष, करुणा, शांति से भरकर जीवन साकार हो जाएगा।
(छ) ‘विराटता और लघुता’ तथा ‘मनुष्य का भ्रम’ पोस्टर बनाने के लिए निम्नलिखित प्रतीकों, शब्दों और चित्रों को प्रयोग होगा-
1. चित्र – आकाशगंगा का चित्र जिसमें नक्षत्र, तारामंडल और सैटेलाइट से ली गई पृथ्वी की तस्वीरें लगाई जा सकती हैं।
2. मनुष्य के चित्र -ध्यान मुद्रा में अंकित व्यक्ति, मानव मस्तिष्क का चित्र ।
3. प्रतीक रूप में मस्तिष्क और हृदय को उजागर करेंगे।
4. शब्दों में ब्रह्मांड और मानव आकार, अनंतता, आत्मबोध मानव की लघुता, निजी जीवन, संकुचित सोच, उदात्त विचार आदि शब्दों का प्रयोग किया जा सकता है।
शब्द से जुड़े शब्द
नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में ‘सृष्टि’ से जुड़े शब्द अपने समूह में चर्चा करके लिखिए-

उत्तर:
सृजन
(क) कविता में कमरे से लेकर ब्रह्मांड तक का विस्तार दिखाया गया है। इस क्रम को अपनी तरह से एक रेखाचित्र, सीढ़ी या ‘मानसिक चित्रण’ (माइंड-मैप) द्वारा प्रदर्शित कीजिए। प्रत्येक स्तर पर कुछ विशेषताएँ लिखिए, जैसे-पास- – पड़ोस की एक विशेष बात, नगर का कोई स्थान, देश की विविधता आदि। उसके नीचे एक पंक्ति में इस प्रश्न का उत्तर लिखिए- “मैं इस चित्र में कहाँ हूँ और क्यों ?”
(ख) अगर इसी कविता की तरह कोई कहानी लिखनी हो जिसका नाम हो ‘ब्रह्मांड में मानव’ तो उसको आरंभ कैसे करेंगे? कुछ वाक्य लिखिए।
(ग) ‘एक कमरे में दो दुनिया रचाता है’ पंक्ति को ध्यान से पढ़िए। अगर आपसे कहा जाए कि आप एक ऐसी दुनिया बनाइए जिसमें कोई दीवार न हो तो वह कैसी होगी? उसका वर्णन कीजिए।
(घ) एक चित्र श्रृंखला बनाइए जिसमें ये क्रम दिखे-
आदमी → कमरा → घर → पड़ोसी क्षेत्र → नगर → देश → पृथ्वी → ब्रह्मांड
प्रत्येक चित्र में आकार का अनुपात दिखाया जाए जिससे यह स्पष्ट हो कि आदमी कितना छोटा है।
उत्तर:
सृजन गतिविधि छात्रगण, अध्यापक और माता-पिता की सहायता से कीजिए ।
कविता की रचना
‘दो व्यक्ति कमरे में
कमरे से छोटे-
इन पंक्तियों में चिह्न पर ध्यान दीजिए। क्या आपने इस चिह्न को पहले कहीं देखा है ? इस चिह्न को ‘निदेशक चिह्न’ कहते हैं । यह एक प्रकार का विराम चिह्न है जो किसी बात को आगे बढ़ाने या स्पष्ट करने के लिए उपयोग होता है। यह किसी विषय की अतिरिक्त जानकारी, जैसे – व्याख्या, उदाहरण या उद्धरण देने के लिए उपयोग होता है। इस कविता में इस चिह्न का प्रयोग एक ठहराव, सोच का संकेत और आगे आने वाले महत्त्वपूर्ण विचार की ओर पाठक का ध्यान आकर्षित करने के लिए किया गया है। यह संकेत देता है कि अब कुछ ऐसा कहा जाने वाला है जो पाठक को सोचने पर विवश करेगा।
इस कविता में ऐसी अनेक विशेषताएँ छिपी हैं, जैसे-अधिकतर पंक्तियों का अंतिम शब्द ‘में’ है, बहुत छोटी-छोटी पंक्तियाँ हैं आदि ।
(क) अपने समूह के साथ मिलकर कविता की अन्य विशेषताओं की सूची बनाइए । अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर:
कविता की विशेषताओं की सूची भाषा सरल और सहज है। छात्रों को आसानी से समझ आती है।
कविता में छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग है।
व्यंग्य शैली का प्रयोग है।
लय और गेयता गुण विद्यमान है।
अलंकारों का सुंदर प्रयोग है।
भाषा शिक्षण सॉफ्टवेयर
(ख) नीचे इस कविता की कुछ विशेषताएँ और वे पंक्तियाँ दी गई हैं जिनमें ये विशेषताएँ झलकती हैं। विशेषताओं का सही पंक्तियों से मिलान कीजिए-

उत्तर:
1. 4
2. 1
3. 2
4. 3
5. 5
6. 6
कविता का सौंदर्य
नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर अपने समूह में मिलकर खोजिए। इन प्रश्नों से आप कविता का आनंद और अच्छी तरह से ले सकेंगे।
(क) कविता में अलग-अलग प्रकार से ब्रह्मांड की विशालता को व्यक्त किया गया है। उनकी पहचान कीजिए।
(ख) “संख्यातीत शंख सी दीवारें उठाता है
“अपने को दूजे का स्वामी बताता है’
“एक कमरे में
दो दुनिया रचाता है”
कविता में ये सारी क्रियाएँ मनुष्य के लिए आई हैं। आप अपने अनुसार कविता में नई क्रियाओं का प्रयोग करके कविता की रचना कीजिए ।
उत्तर:
(क) कविता में ब्रह्मांड की विशालता को अलग-अलग प्रकार से व्यक्त किया गया है-
1. कमरे से ब्रह्मांड तक की श्रृंखला द्वारा (भौतिक संरचना)
व्यक्ति → छोटा कमरा → घर → मुहल्ला → नगर → प्रदेश → देश → पृथ्वी → नक्षत्र → आकाशगंगा → त → ब्रह्मांड ।
2. गणना या संख्या के आधार पर तुलना
दो व्यक्ति → कई देश → कई पृथ्वी → अनगिन नक्षत्र → एक छोटी पृथ्वी → करोड़ो में एक → लाखों ब्रह्मांड।
3. आत्म चिंतन – विशाल और विराट ब्रह्मांड में मानव एक बिंदु समान है। वह श्रृंखला की छोटी कडी है परंतु स्वार्थ और अहंकार के कारण अपनी भावनाओं को ही बाँध दिया है। मन की बुराइयों से दीवारें खड़ी कर दी हैं।
(ख) नई क्रियाओं कर प्रयोग करके कविता की रचना ।
आदमी हैं कमरे में
कमरा है कैमरे में,
कैमरा है नए ऐप में,
नया ऐप है ब्रांडेड मोबाइल में
मोबाइल है पॉकेट में
और आदमी सिमट गया है
एडवांस तकनीक में ….
आदमी का घर है-
पहले वाई-फाई जुड़ता है
फिर बचे रिश्ते
स्क्रीत टाइम में सिमट गई है
बातों की फुहार और
हंसी की बहती लहरें
डिजिटल घड़ी नाम लेती है
चलते कदम
ऊँची दीवारों में उलझा है आदमी …
पल भर के लिए क्यों नहीं लेता है दम ?
आपके शब्द
“सबको समेटे है
परिधि नभ गंगा की’
आपने ‘आकाशगंगा’ शब्द सुना और पढ़ा होगा । लेकिन कविता में ‘नभ गंगा’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है। यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है।
आप भी अपने समूह में मिलकर इसी प्रकार दो शब्दों को मिलाकर नए शब्द बनाइए।
उत्तर:
1. आकाशमंडल
2. भाग्यलक्ष्मी
3. सिनेमाघर
4. देवदूत
5. रेलगाड़ी
विशेषण और विशेष्य

“पृथ्वी एक छोटी ”
यहाँ ‘छोटी’ शब्द ‘पृथ्वी’ की विशेषता बता रहा है अर्थात ‘छोटी’ ‘विशेषण’ है। ‘पृथ्वी’ एक संज्ञा शब्द है जिसकी विशेषता बताई जा रही है। अर्थात ‘पृथ्वी’ ‘विशेष्य’ शब्द है।
अब आप नीचे दी गई पंक्तियों में विशेषण और विशेष्य
शब्दों को पहचानकर लिखिए-

उत्तर:
पंक्ति
विशेषण
विशेष्य
1. दो व्यक्ति कमरे में
दो
व्यक्ति
2. अनगिन नक्षत्रों में
अनगिन
नक्षत्र
3. लाखों ब्रह्मांडों में
लाखों
ब्रह्मांडों
4. अपना एक ब्रह्मांड
एक
ब्रह्मांड
5. संख्यातीत शंख सी
संख्यातीत
शंख
6. एक कमरे में
एक
कमरे
7. दो दुनिया रचाता है
दो
दुनिया
पाठ से आगे
(पृष्ठ 135-139)
प्रश्न- अभ्यास आपकी बात
(क) कोई ऐसी स्थिति बताइए जहाँ ‘अनुपात’ बिगड़ गया हो – जैसे काम का बोझ अधिक और समय कम।
उत्तर:
पहली स्थिति – आपातकालीन स्थिति – इस स्थिति में, जैसे कि भूंकप, बाढ़, बचाव दल को बहुत कम समय में लोगों की जान बचाने की आवश्यकता होती है।
(ख) आप अपने परिवार, विद्यालय या मोहल्ले में ‘विराटता’ (विशाल दृष्टिकोण) कैसे ला सकते हैं? कुछ उपाय सोचकर लिखिए। (संकेत – किसी को अनदेखा न करना, सबकी सहायता करना आदि)
उत्तर:
एक रेस्तरां में ग्राहक बहुत ज्यादा आ रहे हैं परंतु काम करने के लिए पर्याप्त कर्मचारी उपलब्ध नहीं हैं।
संख्यातीत शंख
“संख्यातीत शंख सी दीवारें उठाता है”
शंख का अर्थ है— 100 पद्म की संख्या ।
नीचे भारतीय संख्या प्रणाली एक तालिका के रूप में दी गई है।

तालिका के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर खोजिए-
1. जिस संख्या में 15 शून्य होते हैं, उसे क्या कहते हैं?
2. महाशंख में कितने शून्य होते हैं?
3. एक लाख में कितने हजार होते हैं?
4. उपर्युक्त तालिका के अनुसार सबसे छोटी और सबसे बड़ी संख्या कौन-सी है ?
5. दस करोड़ और एक अरब को जोड़ने पर कौन-सी संख्या आएगी?
समावेशन और समानता
जैसे पृथ्वी अनगिनत नक्षत्रों में एक छोटा-सा ग्रह है, वैसे ही प्रत्येक व्यक्ति, चाहे वह विशेष आवश्यकता वाला हो या न हो, समाज का एक महत्त्वपूर्ण भाग है।
प्रश्न – एक समूह चर्चा आयोजित करें जिसमें सभी मानवों के लिए समान अवसरों की आवश्यकता पर बल दिया जाए। (भले ही उनका जेंडर, आय, मत, विश्वास, शारीरिक रूप, रंग या आकार – प्रकार आदि कैसा भी हो)
उत्तर:
जैसे पृथ्वी असंख्य नक्षत्रों में एक छोटा सा ग्रह है, वैसे ही जीवन की परिस्थितियों में प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह छोटा हो या रूप-रंग में भिन्न हो, समाज का महत्त्वपूर्ण भाग है। हर व्यक्ति का अपना महत्त्व और स्थान है और वह समाज का अंग होता है। जैसे विद्यालय में प्रत्येक विद्यार्थी का महत्त्व होता है और हर विद्यार्थी का शिक्षा पर समान अधिकार होता है।
हर छात्र की अपनी क्षमताएँ, प्रतिभाएँ और परिस्थितियाँ होती हैं। अध्यापक के लिए सभी विद्यार्थी समान होते हैं। छात्रों की क्षमता के अनुसार उनमें कौशल विकसित करने की जिम्मेदारी होती है। इसी प्रकार समाज विभिन्न प्रकार के लोगों से मिलकर बनता है। हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी क्षेत्र में काम करता हो, समाज के विकास में योगदान देता है। सभी व्यक्ति मिलकर एक मजबूत और खुशहाल समाज का निर्माण करते हैं।
आज की पहेली
पता लगाइए कि कौन-सा अंतरिक्ष यान कौन-से ग्रह पर जाएगा-
झरोखे से
आइए, अब पढ़ते हैं प्रसिद्ध गीत ‘होंगे कामयाब ‘।
होंगे कामयाब!
होंगे कामयाब
होंगे कामयाब
हम होंगे कामयाब… एक दिन
मन में है विश्वास पूरा विश्व
हम होंगे कामयाब…. एक दिन
होगी शांति चारों ओर
होगी शांति चारों ओर
होगी शांति चारों ओर… एक दिन
मन में है विश्वास
पूरा है विश्वास, हम होंगे कामयाब… एक दिन
नहीं डर किसी का आज
नहीं भय किसी का आज
नहीं डर किसी का
आज के दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम होंगे कामयाब … एक दिन
हम चलेंगे साथ-साथ डाल हाथों में हाथ
हम चलेंगे साथ-साथ… एक दिन मन में है विश्वास पूरा है विश्वास
हम होंगे कामयाब … एक दिन
भावांतर
– गिरिजा कुमार माथुर
साझी समझ
गिरिजा कुमार माथुर की अन्य रचनाएँ पुस्तकालय या इंटरनेट पर खोजकर पढ़िए और कक्षा में साझा कीजिए ।
खोजबीन के लिए
हम होंगे कामयाब एक दिन
https://www.youtube.com/ watch?v=xlTlzqvMa Q
https : //www.youtu be .c om / watch?v=dJ7BW1CgoWI
कल्पना जो सितारों में खो गई
https://www.youtube.com /watch?v=XhvOL2frHn8
सुनीता अंतरिक्ष में
https://www.youtube.com /watch?v=IlcDmCthPaA
ब्रह्माण्ड और पृथ्वी
https://www.youtube.com/ watch?v=b8udjzy7zCA
हौसलों की उड़ान-मंगलयान https://www.youtube.com /watch?v=JTCk48RT1Ws
आदमी का अनुपात Class 8 Question Answer
कक्षा 8 हिंदी पाठ 9 प्रश्न उत्तर – Class 8 Hindi आदमी का अनुपात Question Answer
पाठ से प्रश्न- अभ्यास
(पृष्ठ 128-135)
आइए, अब हम इस कविता को थोड़ा और विस्तार से समझते हैं। नीचे दी गई गतिविधियाँ इस कार्य में आपकी सहायता करेंगी।
मेरी समझ से
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर के सम्मुख तारा (★) बनाइए । कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
प्रश्न 1.
कविता के अनुसार ब्रह्मांड में मानव का स्थान कैसा है?
पृथ्वी पर सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण
ब्रह्मांड की तुलना में अत्यंत सूक्ष्म
सूर्य, चंद्र आदि सभी नक्षत्रों से बड़ा
समस्त प्रकृति पर शासन करने वाला
उत्तर:
ब्रह्मांड की तुलना में अत्यंत सूक्ष्म
प्रश्न 2.
कविता में मुख्य रूप से किन दो वस्तुओं के अनुपात को दिखाया गया है?
पृथ्वी और सूर्य
देश और नगर
घर और कमरा
मानव और ब्रह्मांड
उत्तर:
मानव और ब्रह्मांड
प्रश्न 3.
कविता के अनुसार मानव किन भावों और कार्यों में लिप्त रहता है ?
त्याग, ज्ञान और प्रेम में
सेवा और परोपकार में
ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ, घृणा में
उदारता, धर्म और न्याय में
उत्तर:
ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ, घृणा में
प्रश्न 4.
कविता के अनुसार मानव का सबसे बड़ा दोष क्या है?
वह अपनी सीमाओं और दुर्बलताओं को नहीं समझता।
वह दूसरों पर शासन स्थापित करना चाहता है।
वह प्रकृति के साथ तालमेल नहीं बिठा पाता है।
वह अपने छोटेपन को भूल अहंकारी हो जाता है।
उत्तर:
वह अपने छोटेपन को भूल अहंकारी हो जाता है।
(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ विचार कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
पंक्तियों पर चर्चा
नीचे दी गई पंक्तियों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। अपने समूह में इनके अर्थ पर चर्चा कीजिए और लिखिए-
(क) “अनगिन नक्षत्रों में / पृथ्वी एक छोटी /करोड़ों में एक ही।”
उत्तर:
अनेक तारा समूहों और ग्रहों के बीच हमारी पृथ्वी एक छोटी-सी इकाई है । हमारा पूरा ग्रह भी अनंत ब्रह्मांड के विशाल विस्तार में छोटा है।
(ख) “संख्यातीत शंख सी दीवारें उठाता है / अपने को दूजे का स्वामी बताता है। ‘
उत्तर:
मनुष्य ने अपने को दूसरे मनुष्य से अलग कर लिया है। वह भेद-भाव और मनमुटाव के साथ जीवन व्यतीत कर रहा है। अविश्वास और कटुता को बढ़ाता
है। खुद को दूसरों से बेहतर साबित करने के चक्कर में मनुष्य बुराई के रास्ते पर चल रहा है।
(ग) “देशों की कौन कहे / एक कमरे में / दो दुनिया रचाता है।”
उत्तर:
ईश्वर ने सबको बनाया है और उसके लिए सब समान हैं परंतु मनुष्य तो इस सत्य को अनदेखा कर बैठा है। देश और दुनिया की छोड़ो, उसने तो अपने परिवार और संबंधों को भी धोखा देकर, अलग दुनिया में जीता है।
मिलकर करें मिलान
नीचे दो स्तंभ दिए गए हैं। अपने समूह में चर्चा करके स्तंभ 1 की पंक्तियों का मिलान स्तंभ 2 में दिए गए सही अर्थ से कीजिए ।
उत्तर:
1. 3
2. 5
3. 6
4. 2
5. 1
6. 4
अनुपात
इस कविता में ‘मानव’ और ‘ब्रह्मांड’ के उदाहरण द्वारा व्यक्ति के अल्पत्व और सृष्टि की विशालता के अनुपात को दिखाया गया है। अपने साथियों के साथ मिलकर विचार कीजिए कि मानव को ब्रह्मांड जैसा विस्तार पाने के लिए इनमें से किन-किन गुणों या मूल्यों की आवश्यकता होगी? आपने ये गुण क्यों चुने, यह भी साझा कीजिए ।
उत्तर:
मनुष्य को अपनी सोच को ब्रह्मांड की तरह व्यापक बनानी चाहिए। सृष्टि की विशालता से प्रेरणा लेकर मनुष्य को सार्थक जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। सहअस्तित्व, समावेशिता, सौहार्द, सहयोग और सहनशीलता के गुण अपनाकर मनुष्य भी जीवन को और सुंदर बना सकता है। ईश्वर ने मनुष्य को असीम बुद्धि प्रदान की है और बुद्धि के सदुपयोग से मनुष्य नई ऊचाइयाँ छू सकता है।
सकारात्मक सोच और स्वभाव से हम सच्ची सफलता प्राप्त कर सकते हैं। अच्छे गुणों को अपनाने से न केवल हमारा जीवन बेहतर होगा, बल्कि हम एक बेहतर देश और दुनिया के निर्माण में भी योगदान दे सकेंगे।
सोच-विचार के लिए
कविता को पुनः पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए-
(क) कविता के अनुसार मानव किन कारणों से स्वयं को सीमाओं में बाँधता चला जाता है ?
(ख) यदि आपको इस कविता की एक पंक्ति को दीवार पर लिखना हो, जो आपको प्रतिदिन प्रेरित करे तो आप कौन-सी पंक्ति चुनेंगे और क्यों ?
(ग) कवि ने मानव की सीमाओं और कमियों की ओर ध्यान दिलाया है, लेकिन कहीं भी क्रोध नहीं दिखाया। आपको इस कविता का भाव कैसा लगा – व्यंग्य, करुणा, चिंता या कुछ और ? क्यों ?
(घ) आपके अनुसार ‘दीवारें उठाना’ केवल ईंट-पत्थर से जुड़ा काम है या कुछ और भी हो सकता है ? अपने विचारानुसार समझाइए।
(ङ) मानवता के विकास में सहयोग, समर्पण और सहिष्णुता जैसी सकारात्मक प्रवृत्तियाँ ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ और घृणा जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियों से कहीं अधिक प्रभावी हैं। उदाहरण देकर बताइए कि सहिष्णुता या सहयोग के कारण समाज में कैसे परिवर्तन आए हैं?
उत्तर:
(क) मनुष्य कई कारणों से स्वयं को सीमित कर लेता है और अपने परिवार, समाज, देश और दुनिया से दूर हो जाता है। इसमें अंहकार, स्वार्थ, ईर्ष्या, विद्वेष, घृणा जैसी भावनाएँ शामिल हैं। ऐसी भावनाएँ या अवगुण मानव को दूसरों से अलग रहने और उन्हें अपने से तुच्छ, समझने की ओर ले जाती हैं। मनुष्य संबंधों के महत्त्व को नहीं समझ पाता और अपने अहंकार या स्वार्थ को पूरा करने में लगा रहता है।
(ख) अपने को दूजे का स्वामी बताता है
देशों की कौन कहे
एक कमरे में
दो दुनिया रचाता है
कविता की उपर्युक्त पंक्तियाँ मैं दीवार पर लिखना चाहूँगी क्योंकि मानव अपने छोटेपन को भूलकर अहंकारी और अति आत्मविश्वासी हो जाता है। यदि परिवार के सदस्यों के साथ ही प्रेम और सामंजस्य नहीं है तो हम देश और दुनिया को क्या सीख देंगे। ऊपर लिखी पंक्तियाँ मुझे याद दिलाएँगी कि उदारता, त्याग, सेवा और परोपकार जैसे गुणों को अपनाकर जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए।
(ग) हाँ, मैं इस बात से सहमत हूँ कि कवि ने मानव की कमियों और सीमाओं की ओर ध्यान दिलाया है, लेकिन कहीं भी क्रोध नहीं दिखाया। इस कविता में मुझे आत्मचिंतन और चिंता के भी भाव महसूस होते हैं। मानव स्वयं को संसार का सबसे बुद्धिमान व शक्तिशाली अंग समझता है। उसमें अहंकार है कि उसने विज्ञान व तकनीकी सहायता से सफलता हासिल कर ली है।
परंतु सच्चाई यह लगती है कि इस संपूर्ण ब्रह्मांड में हमारा स्थान अत्यंत सूक्ष्म है। मानव और ब्रह्मांड के अनुपात में काफी अंतर है । देश और दुनिया जीतने से पहले स्वयं पर अर्थात अपनी बुराइयों पर विजय प्राप्त करना ही सबसे बड़ी चुनौती है।
(घ) ‘दीवारें उठाना’ केवल ईंट-पत्थर से जुड़ा काम नहीं है। कविता के अनुसार इसका प्रतीक अर्थ है मानव जैसे-जैसे उन्नति कर रहा है, वैसे-वैसे अपने संबंधों से दूर होता जा रहा है। संसार की विराटता के विपरीत मानव आत्मकेंद्रित हो जाता है। अपने दिल की भावनाओं को जीवन की आपा-धापी में खो देता है। कभी-कभी अपनी सोच इतनी सीमित कर लेता है कि वह एक छोटे से कमरे में भी अपनों से ही दूर होकर दो दुनिया बना लेता है।
(ङ) मानवता के विकास में सहिष्णुता, सहनशक्ति और समर्पण जैसे गुणों का बहुत योगदान है। ये गुण न सिर्फ व्यक्तिगत जीवन को अच्छा बनाते हैं, बल्कि पूरे समाज को भी प्रगति की ओर ले जाते हैं। देश के विकास में सहयोग से सामूहिक प्रयास, समर्पण से निरंतरता व प्रगति और सहिष्णुता से सामाजिक एकता विकसित होती है। ये गुण मिलकर देश और समाज को मजबूत व समृद्ध बनाते हैं। उदाहरण – सहिष्णुता और सहयोग के कारण आज शिक्षा प्रणाली में कई बदलाव आए हैं। शिक्षा अधिक समावेशी हो रही है। विभिन्न सामाजिक व आर्थिक स्तर होने पर भी छात्रों को समान अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने व संसाधनों की कमी को दूर करने के प्रयास हुए हैं।
अनुमान और कल्पना
अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए-
(क) मान लीजिए कि आप एक दिन के लिए पूरे ब्रह्मांड को नियंत्रित कर सकते हैं। अब आप मानव की कौन-कौन सी आदतों को बदलना चाहेंगे? क्यों ?
(ख) यदि आप अंतरिक्ष यात्री बन जाएँ और ब्रह्मांड के किसी दूसरे भाग में जाएँ तो आप किस स्थान (कमरा, घर, नगर आदि) को सबसे अधिक याद करेंगे और क्यों ?
(ग) मान लीजिए कि एक बच्चा या बच्ची कविता में उल्लिखित सभी सीमाओं को पार कर सकता या सकती है- वह कहाँ तक जाएगा या जाएगी और क्या देखेगा या देखेगी? एक कल्पनात्मक यात्रा-वृत्तांत लिखिए।
(घ) इस कविता को पढ़ने के बाद, आप स्वयं को ब्रह्मांड के अनुपात में कैसा अनुभव करते हैं? एक अनुच्छेद लिखिए–“मैं ब्रह्मांड में एक… हूँ।”
(ङ) मान लीजिए कि किसी दूसरे संसार से आपके पास संदेश आया है कि उसे पृथ्वी के किसी व्यक्ति की आवश्यकता है। आप किसे भेजना चाहेंगे और क्यों?
(च) कविता में “ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ” जैसी प्रवृत्तियों की चर्चा की गई है। कल्पना कीजिए कि एक दिन केलिए ये भाव सभी व्यक्तियों में समाप्त हो जाएँ तो उससे समाज में क्या-क्या परिवर्तन होगा ?
(छ) यदि आपको इस कविता का एक पोस्टर बनाना हो जिसमें इसके मूल भाव–’ विराटता और लघुता’ तथा ‘मनुष्य का भ्रम ‘ – दर्शाया जाए तो आप क्या चित्र, प्रतीक और शब्द उपयोग करेंगे? संक्षेप में बताइए ।
उत्तर:
(क) यदि मुझे एक दिन के लिए पूरे ब्रह्मांड पर नियंत्रण का अवसर मिले तो मैं इंसानों की कुछ आदतों को बदलना चाहूँगी। इसका उद्देश्य दुनिया को बेहत्तर और प्रभावशाली बनाने के लिए होगा ।
1. प्रदूषण फैलाने की प्रवृत्ति – मानव जैव और रासायनिक प्रदूषण फैला रहा है जो जीवन के लिए हानिकारक है। मैं सौर ऊर्जा और वायु ऊर्जा के वितरण में समानता सुनिश्चित करती।
2. धरती के अमूल्य संसाधनों की रक्षा करती। पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभावों को कम करने का प्रयास करती । किसी एक शक्तिशाली देश अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए दुनिया को सीमाओं में बाँधने या बाँटने की प्रवृत्ति को बदलने का प्रयास करती।
3. जाति और धर्म के नाम पर विभाजन और असहिष्णुता की प्रवृत्ति को दूर करती और मानवता को सर्वोपरि रखती।
(ख) अगर मैं अंतरिक्ष यात्री बन जाँऊ और ब्रह्मांड के किसी दूसरे भाग में चली जाऊँ, तो मैं सबसे ज्यादा अपने घर और देश को याद करूँगी। घर का अहसास सुरक्षा प्रदान करता है। घर रिश्तों से बनता है जहाँ प्यार और अपनापन है।
देश से हमारी पहचान है। जिस देश की मिट्टी में जन्म लिया, वह माँ के समान है। अपने घर से जुड़ी एक-एक यादें अनमोल होती हैं और देश हमारी संस्कृति और इतिहास का अहसास कराता है।
(ग) एक बच्चे की नज़र से सीमाओं को पार करके यात्रा-वृत्तांत लिखना अनोखा अनुभव होगा। मेरी
यात्रा में मेरा पहला पड़ाव घर और मुहल्ला होगा। अपने परिवार, दोस्त, उनकी हँसी, बातें सुनते-सुनते मैं आगे दौड़ती हूँ।
दूसरा पड़ाव – नगर और शहर । ऊँची-ऊँची इमारतें, रंग-बिरंगी दुकानें, पुल और सड़कें ।
मैं अलग-अलग भाषाएँ सुनती और लोगों की चहल-पहल देखती हूँ । फिर प्रदेश और देश की ओर उड़ती हूँ। दूसरे राज्यों और फिर दूसरे देशों की ओर। अलग-अलग परिधान, खान-पान, त्योहारों और रीति-रिवाजों को समझते हुए आगे उड़ती हूँ। यहाँ कहीं शांति है तो कहीं संघर्ष, कहीं मेल-जोल तो कहीं विषमता नजर आती है। चौथे पड़ाव में पृथ्वी और ब्रह्मांड हैं।
भाषा शिक्षण सॉफ्टवेयर
मैं ऊपर अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखती हूँ। पृथ्वी-एक नीला ग्रह, जिसमें जीवन की हर छटा और विविध विशेषताएँ हैं। बादलों के ऊपर उड़ते हुए समुद्र, पहाड़ और जंगल लुभाते हैं। फिर मैं ब्रह्मांड की यात्रा पर निकलती हूँ-अनगिनत तारे, नक्षत्र, ग्रह और आकाशगंगाएँ।
मैं सोचती हूँ कि ब्रह्मांड असीमित है और पृथ्वी के छोटे से घर के कमरे की मेरी दुनिया से अलग एक ओर ब्रह्मांड की विराटता तो दूसरी ओर मन की गहन यादें। इस यात्रा से मैंने सीखा कि सीमाएँ केवल दीवारों या घर के नक्शों में नहीं, बल्कि हमारी सोच में होती हैं। अगर खुले दिल से देखें तो पाएँगे कि मानवता अनंत है और इसकी कोई सीमा नहीं है।
(घ) “मैं ब्रह्मांड में एक छोटा मानव हूँ। मानव का अनुपात इसकी तुलना में छोटा है। मानव ने अपने दृष्टिकोण और सोच को भीं संकुचित कर लिया है। अखंड सृष्टि, आकाशगंगाएँ, तारामंडल, अरब प्रकाशवर्ष, इस विशाल ब्रह्मांड में पृथ्वी एक छोटे-से बिंदु के रूप में है। हमारा आकार लघु है परंतु हम मनुष्य अपनी दार्शनिक शक्ति, जिज्ञासा और बुद्धि के सदुपयोग से विशिष्ट पहचान बना सकते हैं। हमारी खोज, जिज्ञासा और कुछ नया करने की भावना की सीमा नहीं है।
मनुष्य अपने छोटे जीवन में अपने वातावरण को सुंदर और स्वच्छ बनाए रखने में सक्षम है। हमें ईश्वर द्वारा प्रदान किए गए इस जीवन का सम्मान करना चाहिए। ब्रह्मांड या अनंत की विशालता से हमें सबक लेना चाहिए और अपने आपको और बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए। हम सृष्टि के छोटे परंतु अभिन्न अंग हैं और मानवता के पथ पर चलते हुए जीवन को सफल बनाएँ।
(ङ) यदि दूसरे संसार से संदेश आता कि उन्हें पृथ्वी के किसी व्यक्ति की आवश्यकता है, तो मैं किसी प्रेरक, सहिष्णु और मानवता को धर्म समझने वाले व्यक्ति को भेजती । एक ऐसा व्यक्ति जो निष्पक्ष भाव से पृथ्वी का प्रतिनिधित्व करता और दोनों भागों के बीच संवाद स्थापित करने में सहयोग देता ।
(च) यदि एक दिन के लिए सभी व्यक्तियों में ईर्ष्या, अहंकार, स्वार्थ जैसी प्रवृत्तियाँ समाप्त हो जाएं तो समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन आ जाएँगे। लोगों के बीच बैर, कटुता और विद्वेष की भावना मिट जाएगी। समाज में हर नागरिक उन्नति करेगा और देश समृद्ध व खुशहाल बनेगा। बुरी भावनाओं के मिट जाने से आदर्श स्थापित होंगे और मनुष्य अपनी वास्तविक क्षमताओं व शक्तियों को पहचान पाएगा। संतोष, करुणा, शांति से भरकर जीवन साकार हो जाएगा।
(छ) ‘विराटता और लघुता’ तथा ‘मनुष्य का भ्रम’ पोस्टर बनाने के लिए निम्नलिखित प्रतीकों, शब्दों और चित्रों को प्रयोग होगा-
1. चित्र – आकाशगंगा का चित्र जिसमें नक्षत्र, तारामंडल और सैटेलाइट से ली गई पृथ्वी की तस्वीरें लगाई जा सकती हैं।
2. मनुष्य के चित्र -ध्यान मुद्रा में अंकित व्यक्ति, मानव मस्तिष्क का चित्र ।
3. प्रतीक रूप में मस्तिष्क और हृदय को उजागर करेंगे।
4. शब्दों में ब्रह्मांड और मानव आकार, अनंतता, आत्मबोध मानव की लघुता, निजी जीवन, संकुचित सोच, उदात्त विचार आदि शब्दों का प्रयोग किया जा सकता है।
शब्द से जुड़े शब्द
नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में ‘सृष्टि’ से जुड़े शब्द अपने समूह में चर्चा करके लिखिए-
उत्तर:
सृजन
(क) कविता में कमरे से लेकर ब्रह्मांड तक का विस्तार दिखाया गया है। इस क्रम को अपनी तरह से एक रेखाचित्र, सीढ़ी या ‘मानसिक चित्रण’ (माइंड-मैप) द्वारा प्रदर्शित कीजिए। प्रत्येक स्तर पर कुछ विशेषताएँ लिखिए, जैसे-पास- – पड़ोस की एक विशेष बात, नगर का कोई स्थान, देश की विविधता आदि। उसके नीचे एक पंक्ति में इस प्रश्न का उत्तर लिखिए- “मैं इस चित्र में कहाँ हूँ और क्यों ?”
(ख) अगर इसी कविता की तरह कोई कहानी लिखनी हो जिसका नाम हो ‘ब्रह्मांड में मानव’ तो उसको आरंभ कैसे करेंगे? कुछ वाक्य लिखिए।
(ग) ‘एक कमरे में दो दुनिया रचाता है’ पंक्ति को ध्यान से पढ़िए। अगर आपसे कहा जाए कि आप एक ऐसी दुनिया बनाइए जिसमें कोई दीवार न हो तो वह कैसी होगी? उसका वर्णन कीजिए।
(घ) एक चित्र श्रृंखला बनाइए जिसमें ये क्रम दिखे-
आदमी → कमरा → घर → पड़ोसी क्षेत्र → नगर → देश → पृथ्वी → ब्रह्मांड
प्रत्येक चित्र में आकार का अनुपात दिखाया जाए जिससे यह स्पष्ट हो कि आदमी कितना छोटा है।
उत्तर:
सृजन गतिविधि छात्रगण, अध्यापक और माता-पिता की सहायता से कीजिए ।
कविता की रचना
‘दो व्यक्ति कमरे में
कमरे से छोटे-
इन पंक्तियों में चिह्न पर ध्यान दीजिए। क्या आपने इस चिह्न को पहले कहीं देखा है ? इस चिह्न को ‘निदेशक चिह्न’ कहते हैं । यह एक प्रकार का विराम चिह्न है जो किसी बात को आगे बढ़ाने या स्पष्ट करने के लिए उपयोग होता है। यह किसी विषय की अतिरिक्त जानकारी, जैसे – व्याख्या, उदाहरण या उद्धरण देने के लिए उपयोग होता है। इस कविता में इस चिह्न का प्रयोग एक ठहराव, सोच का संकेत और आगे आने वाले महत्त्वपूर्ण विचार की ओर पाठक का ध्यान आकर्षित करने के लिए किया गया है। यह संकेत देता है कि अब कुछ ऐसा कहा जाने वाला है जो पाठक को सोचने पर विवश करेगा।
इस कविता में ऐसी अनेक विशेषताएँ छिपी हैं, जैसे-अधिकतर पंक्तियों का अंतिम शब्द ‘में’ है, बहुत छोटी-छोटी पंक्तियाँ हैं आदि ।
(क) अपने समूह के साथ मिलकर कविता की अन्य विशेषताओं की सूची बनाइए । अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर:
कविता की विशेषताओं की सूची भाषा सरल और सहज है। छात्रों को आसानी से समझ आती है।
कविता में छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग है।
व्यंग्य शैली का प्रयोग है।
लय और गेयता गुण विद्यमान है।
अलंकारों का सुंदर प्रयोग है।
भाषा शिक्षण सॉफ्टवेयर
(ख) नीचे इस कविता की कुछ विशेषताएँ और वे पंक्तियाँ दी गई हैं जिनमें ये विशेषताएँ झलकती हैं। विशेषताओं का सही पंक्तियों से मिलान कीजिए-
उत्तर:
1. 4
2. 1
3. 2
4. 3
5. 5
6. 6
कविता का सौंदर्य
नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर अपने समूह में मिलकर खोजिए। इन प्रश्नों से आप कविता का आनंद और अच्छी तरह से ले सकेंगे।
(क) कविता में अलग-अलग प्रकार से ब्रह्मांड की विशालता को व्यक्त किया गया है। उनकी पहचान कीजिए।
(ख) “संख्यातीत शंख सी दीवारें उठाता है
“अपने को दूजे का स्वामी बताता है’
“एक कमरे में
दो दुनिया रचाता है”
कविता में ये सारी क्रियाएँ मनुष्य के लिए आई हैं। आप अपने अनुसार कविता में नई क्रियाओं का प्रयोग करके कविता की रचना कीजिए ।
उत्तर:
(क) कविता में ब्रह्मांड की विशालता को अलग-अलग प्रकार से व्यक्त किया गया है-
1. कमरे से ब्रह्मांड तक की श्रृंखला द्वारा (भौतिक संरचना)
व्यक्ति → छोटा कमरा → घर → मुहल्ला → नगर → प्रदेश → देश → पृथ्वी → नक्षत्र → आकाशगंगा → त → ब्रह्मांड ।
2. गणना या संख्या के आधार पर तुलना
दो व्यक्ति → कई देश → कई पृथ्वी → अनगिन नक्षत्र → एक छोटी पृथ्वी → करोड़ो में एक → लाखों ब्रह्मांड।
3. आत्म चिंतन – विशाल और विराट ब्रह्मांड में मानव एक बिंदु समान है। वह श्रृंखला की छोटी कडी है परंतु स्वार्थ और अहंकार के कारण अपनी भावनाओं को ही बाँध दिया है। मन की बुराइयों से दीवारें खड़ी कर दी हैं।
(ख) नई क्रियाओं कर प्रयोग करके कविता की रचना ।
आदमी हैं कमरे में
कमरा है कैमरे में,
कैमरा है नए ऐप में,
नया ऐप है ब्रांडेड मोबाइल में
मोबाइल है पॉकेट में
और आदमी सिमट गया है
एडवांस तकनीक में ….
आदमी का घर है-
पहले वाई-फाई जुड़ता है
फिर बचे रिश्ते
स्क्रीत टाइम में सिमट गई है
बातों की फुहार और
हंसी की बहती लहरें
डिजिटल घड़ी नाम लेती है
चलते कदम
ऊँची दीवारों में उलझा है आदमी …
पल भर के लिए क्यों नहीं लेता है दम ?
आपके शब्द
“सबको समेटे है
परिधि नभ गंगा की’
आपने ‘आकाशगंगा’ शब्द सुना और पढ़ा होगा । लेकिन कविता में ‘नभ गंगा’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है। यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है।
आप भी अपने समूह में मिलकर इसी प्रकार दो शब्दों को मिलाकर नए शब्द बनाइए।
उत्तर:
1. आकाशमंडल
2. भाग्यलक्ष्मी
3. सिनेमाघर
4. देवदूत
5. रेलगाड़ी
विशेषण और विशेष्य
“पृथ्वी एक छोटी ”
यहाँ ‘छोटी’ शब्द ‘पृथ्वी’ की विशेषता बता रहा है अर्थात ‘छोटी’ ‘विशेषण’ है। ‘पृथ्वी’ एक संज्ञा शब्द है जिसकी विशेषता बताई जा रही है। अर्थात ‘पृथ्वी’ ‘विशेष्य’ शब्द है।
अब आप नीचे दी गई पंक्तियों में विशेषण और विशेष्य
शब्दों को पहचानकर लिखिए-
उत्तर:
पंक्ति
विशेषण
विशेष्य
1. दो व्यक्ति कमरे में
दो
व्यक्ति
2. अनगिन नक्षत्रों में
अनगिन
नक्षत्र
3. लाखों ब्रह्मांडों में
लाखों
ब्रह्मांडों
4. अपना एक ब्रह्मांड
एक
ब्रह्मांड
5. संख्यातीत शंख सी
संख्यातीत
शंख
6. एक कमरे में
एक
कमरे
7. दो दुनिया रचाता है
दो
दुनिया
पाठ से आगे
(पृष्ठ 135-139)
प्रश्न- अभ्यास आपकी बात
(क) कोई ऐसी स्थिति बताइए जहाँ ‘अनुपात’ बिगड़ गया हो – जैसे काम का बोझ अधिक और समय कम।
उत्तर:
पहली स्थिति – आपातकालीन स्थिति – इस स्थिति में, जैसे कि भूंकप, बाढ़, बचाव दल को बहुत कम समय में लोगों की जान बचाने की आवश्यकता होती है।
(ख) आप अपने परिवार, विद्यालय या मोहल्ले में ‘विराटता’ (विशाल दृष्टिकोण) कैसे ला सकते हैं? कुछ उपाय सोचकर लिखिए। (संकेत – किसी को अनदेखा न करना, सबकी सहायता करना आदि)
उत्तर:
एक रेस्तरां में ग्राहक बहुत ज्यादा आ रहे हैं परंतु काम करने के लिए पर्याप्त कर्मचारी उपलब्ध नहीं हैं।
संख्यातीत शंख
“संख्यातीत शंख सी दीवारें उठाता है”
शंख का अर्थ है— 100 पद्म की संख्या ।
नीचे भारतीय संख्या प्रणाली एक तालिका के रूप में दी गई है।
तालिका के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर खोजिए-
1. जिस संख्या में 15 शून्य होते हैं, उसे क्या कहते हैं?
2. महाशंख में कितने शून्य होते हैं?
3. एक लाख में कितने हजार होते हैं?
4. उपर्युक्त तालिका के अनुसार सबसे छोटी और सबसे बड़ी संख्या कौन-सी है ?
5. दस करोड़ और एक अरब को जोड़ने पर कौन-सी संख्या आएगी?
समावेशन और समानता
जैसे पृथ्वी अनगिनत नक्षत्रों में एक छोटा-सा ग्रह है, वैसे ही प्रत्येक व्यक्ति, चाहे वह विशेष आवश्यकता वाला हो या न हो, समाज का एक महत्त्वपूर्ण भाग है।
प्रश्न – एक समूह चर्चा आयोजित करें जिसमें सभी मानवों के लिए समान अवसरों की आवश्यकता पर बल दिया जाए। (भले ही उनका जेंडर, आय, मत, विश्वास, शारीरिक रूप, रंग या आकार – प्रकार आदि कैसा भी हो)
उत्तर:
जैसे पृथ्वी असंख्य नक्षत्रों में एक छोटा सा ग्रह है, वैसे ही जीवन की परिस्थितियों में प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह छोटा हो या रूप-रंग में भिन्न हो, समाज का महत्त्वपूर्ण भाग है। हर व्यक्ति का अपना महत्त्व और स्थान है और वह समाज का अंग होता है। जैसे विद्यालय में प्रत्येक विद्यार्थी का महत्त्व होता है और हर विद्यार्थी का शिक्षा पर समान अधिकार होता है।
हर छात्र की अपनी क्षमताएँ, प्रतिभाएँ और परिस्थितियाँ होती हैं। अध्यापक के लिए सभी विद्यार्थी समान होते हैं। छात्रों की क्षमता के अनुसार उनमें कौशल विकसित करने की जिम्मेदारी होती है। इसी प्रकार समाज विभिन्न प्रकार के लोगों से मिलकर बनता है। हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी क्षेत्र में काम करता हो, समाज के विकास में योगदान देता है। सभी व्यक्ति मिलकर एक मजबूत और खुशहाल समाज का निर्माण करते हैं।
आज की पहेली
पता लगाइए कि कौन-सा अंतरिक्ष यान कौन-से ग्रह पर जाएगा-
झरोखे से
आइए, अब पढ़ते हैं प्रसिद्ध गीत ‘होंगे कामयाब ‘।
होंगे कामयाब!
होंगे कामयाब
होंगे कामयाब
हम होंगे कामयाब… एक दिन
मन में है विश्वास पूरा विश्व
हम होंगे कामयाब…. एक दिन
होगी शांति चारों ओर
होगी शांति चारों ओर
होगी शांति चारों ओर… एक दिन
मन में है विश्वास
पूरा है विश्वास, हम होंगे कामयाब… एक दिन
नहीं डर किसी का आज
नहीं भय किसी का आज
नहीं डर किसी का
आज के दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम होंगे कामयाब … एक दिन
हम चलेंगे साथ-साथ डाल हाथों में हाथ
हम चलेंगे साथ-साथ… एक दिन मन में है विश्वास पूरा है विश्वास
हम होंगे कामयाब … एक दिन
भावांतर
– गिरिजा कुमार माथुर
साझी समझ
गिरिजा कुमार माथुर की अन्य रचनाएँ पुस्तकालय या इंटरनेट पर खोजकर पढ़िए और कक्षा में साझा कीजिए ।
खोजबीन के लिए
हम होंगे कामयाब एक दिन
https://www.youtube.com/ watch?v=xlTlzqvMa Q
https : //www.youtu be .c om / watch?v=dJ7BW1CgoWI
कल्पना जो सितारों में खो गई
https://www.youtube.com /watch?v=XhvOL2frHn8
सुनीता अंतरिक्ष में
https://www.youtube.com /watch?v=IlcDmCthPaA
ब्रह्माण्ड और पृथ्वी
https://www.youtube.com/ watch?v=b8udjzy7zCA
हौसलों की उड़ान-मंगलयान https://www.youtube.com /watch?v=JTCk48RT1Ws
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