NCERT Class 7th Hindi Chapter 5 नहीं होना बीमार Question
Answer
कक्षा 7 हिंदी पाठ 5 प्रश्न उत्तर – Class 7 Hindi नहीं होना
बीमार Question
Answer
पाठ से
मेरी समझ से
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का
सही उत्तर कौन – सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
प्रश्न 1.
बच्चे के विद्यालय न जाने का मुख्य कारण क्या था?
- उसका विद्यालय जाने का
मन नहीं था।
- उसका साबूदाने की खीर
खाने का मन था।
- उसने गृहकार्य नहीं
किया था।
- उसे बुखार हो गया था ।
उत्तर:
- उसका विद्यालय जाने का
मन नहीं था।
- उसके गृहकार्य नहीं
किया था।
प्रश्न 2.
कहानी के अंत में बच्चे ने कहा, “इसके बाद स्कूल से छुट्टी मारने के लिए मैंने बीमारी का बहाना कभी नहीं बनाया
। ” बच्चे ने यह निर्णय लिया क्योंकि-
- घर में रहने के बजाय
विद्यालय जाना अधिक रोचक है।
- बीमारी का बहाना बनाने
से साबूदाने की खीर नहीं मिलती।
- झूठ बोलने से झूठ के
खुलने का डर हमेशा बना रहता है।
- इस बहाने के कारण उसे
दिनभर अकेले और भूखे रहना पड़ा।
उत्तर:
- इस बहाने के कारण उसे
दिनभर अकेले और भूखे रहना पड़ा।
प्रश्न 3.
“लेटे-लेटे पीठ दुखने लगी” इस बात से बच्चे के
बारे में क्या पता चलता है?
- उसे बिस्तर पर लेटे
रहने के कारण ऊब हो गई थी।
- उसे अपनी बीमारी की
कोई चिंता नहीं रह गई थी।
- वह बिस्तर पर आराम
करने का आनंद ले रहा था।
- बीमारी के कारण उसकी
पीठ में दर्द हो रहा था।
उत्तर:
- उसे बिस्तर पर लेटे
रहने के कारण ऊब हो गई थी।
प्रश्न 4.
“क्या ठाठ हैं बीमारों के भी!” बच्चे के मन में
यह बात आई क्योंकि-
- बीमार व्यक्ति को बहुत
आराम करने को मिलता है।
- बीमार व्यक्ति को
अच्छे खाने का आनंद मिलता है।
- बीमार व्यक्ति को
विद्यालय नहीं जाना पड़ता है।
- बीमार व्यक्ति अस्पताल
में शांति से लेटा रहता है।
उत्तर:
- बीमार व्यक्ति को
अच्छे खाने का आनंद मिलता है।
(ख) हो सकता है कि आपके समूह
के साथियों ने अलग- अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने
ये उत्तर ही क्यों चुनें?
उत्तर:
1.
मेरे द्वारा इस
प्रश्न के दो विकल्पों का चयन करने का कारण यह है कि पाठ में स्पष्ट रूप से बताया
गया है कि एक दिन बच्चे का स्कूल जाने का मन नहीं किया, साथ ही उसने होमवर्क भी नहीं किया था। स्कूल जाता तो सजा मिलती । वह सजा से
बचना चाहता था, इसलिए उसका स्कूल जाने का मन नहीं हुआ।
2.
मेरे द्वारा इस
विकल्प का चयन करने का काण यह है कि बच्चे ने जो प्राप्त करने के लिए स्कूल न जाने
का बहाना बनाया वह कामयाब नहीं हुआ, अपितु इसके विपरीत उसे
दिनभर भूखा और अकेला रहना पड़ा।
3.
मेरे द्वारा इस
विकल्प का चयन करने का कारण यह है कि बच्चा बीमार नहीं था इसलिए उसे आराम की
आवश्यकता भी नहीं थी, अतः वह लेटे-लेटे बुरी तरह उकता गया। साथ ही उस पर अनेक
पाबंदियाँ लगा दी गईं। किसी स्वस्थ व्यक्ति को यदि बीमारों की तरह लेटे रहने के
लिए कहा जाए तो उसका उकताहट का अंदाजा लगाया जा सकता है।
4.
मेरे द्वारा इस
विकल्प का चुनाव इसलिए किया गया क्योंकि अस्पताल में काका को खीर खाते देखकर ही
बच्चे मन में यह विचार आया था कि बीमार व्यक्ति को अच्छा खाना-खाने का आनंद मिलता
है।
(विद्यार्थी अपने मित्रों के
साथ चर्चा करके बताएँगे कि उनके द्वारा विकल्प चुनने के क्या कारण हैं ।)
मिलकर करें
मिलान
• पाठ में से चुनकर कुछ शब्द
नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थों से
मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने परिजनों और
शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
उत्तर:
1. – 8
2. – 1
3. – 9
4. – 2
5. – 3
6. – 4
7. – 5
8. – 6
9. – 7
पंक्तियों पर
चर्चा
पाठ में से
चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए।
आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में
साझा कीजिए और लिखिए-
(क) “मैंने सोचा बीमार पड़ने
के लिए आज का दिन बिलकुल ठीक रहेगा । चलो बीमार पड़ जाते हैं। ”
उत्तर:
बच्चा अस्पताल जाकर वहाँ की साफ-सफाई रख-रखाव आदि से
प्रभावित होता है किंतु सबसे ज़्यादा वह मरीज को साबूदाने की खीर खिलाए जाने से
प्रभावित होता है। वह भी खीर खाना चाहता है। वह सोचता है कि खीर खाने के लिए बीमार
होना आवश्यक हैं, इसलिए जब एक दिन वह होमवर्क नहीं करता, तो पिटने के डर से स्कूल जाने का उसका मन नहीं होता। अब वह क्या करें, अतः उस दिन उसे बीमार पड़ना पूर्णतः उपयुक्त लगता है क्योंकि उसे लगता है कि
बीमार पड़ने पर आराम, प्यार, दुलार और साबूदाने की खीर
मिलेगी।
(ख) “देखो! उन्होंने एक बार
भी आकर नहीं पूछा कि तू क्या खाएगा? पूछते तो मैं साबूदाने की
खीर ही तो माँगता । कोई ताजमहल तो नहीं माँग लेता। लेकिन नहीं ! इससे सारे विकार
निकल जाएँगे। विकार निकल जाएँ बस । चाहे इस चक्कर में तुम खुद शिकार हो जाओ।”
उत्तर:
बच्चे का बीमार होने का बहाना बनाना सफल नहीं हो पाता, अतः वह झुंझला जाता है और स्वयं पर ही खीझने लगता है, किंतु वह किसी से कुछ कह नहीं सकता। अन्यथा उसका झूठ बोलना सबके सामने आ सकता
था। उसे सभी पर गुस्सा आता है। वह मन-ही-मन गुस्से, खीझ और
झुंझलाहट से भर उठता है। उसे किसी ने खाने के लिए नहीं पूछा इस पर उसे आश्चर्य और
क्षोम होता है। साथ ही उसे खाने के लिए न पूछने का मलाल भी है, अत: तरह-तरह के नकारात्मक विचार उसके मन में आते हैं। उसे किसी की कोई बात
नहीं अच्छी लगती, किंतु वह अपना क्षोम न किसी पर व्यक्त कर सकता है, अत: सब कुछ उसके मन-ही-मन में चलता रहता है।
सोच-विचार के
लिए
पाठ को एक बार
फिर ध्यान से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए-
(क) अस्पताल में बच्चे को
कौन-कौन सी चीजें अच्छी लगीं और क्यों?
उत्तर:
अस्पताल के वार्ड में एक लाइन से लगे पलंग, लाल कंबल, साफ-सुथरी सफेद चादरें, खिड़की, हरे पर्दे, चमचमाता फर्श बच्चे को प्रभावित करते हैं। खिड़कियों के पास
झूमते हरे-भरे वृक्ष, शांत और स्वच्छ वातावरण से युक्त अस्पताल बच्चे को अच्छा
लगा क्योंकि यह सब कुछ उसके लिए नया और अलग था । उसने पहली बार कोई अस्पातल देखा
था, इसलिए यह सब उसके मन को अच्छा लग रहा था।
(ख) कहानी के अंत में बच्चे
को महसूस हुआ कि उसे स्कूल जाना चाहिए था। क्या आपको लगता है उसका निर्णय सही था? क्यों?
उत्तर:
बच्चे का निर्णय सही था क्योंकि वह स्कूल जाता तो रोज की
तरह अपनी रोचक दिनचर्या व्यतीत करता और उसे व्यर्थ का कष्ट, क्षोभ, भूख और अकेलापन नहीं सहना पड़ता ।
(ग) जब बच्चा बीमार पड़ने का
बहाना बनाकर बिस्तर पर लेटा रहा तो उसके मन में कौन-कौन से भाव आ रहे थे?
(संकेत- मन में उत्पन्न होने वाले विकार या विचार
को भाव कहते हैं, उदाहरण के लिए क्रोध, दुख, भय, करुणा, प्रेम आदि । )
उत्तर:
जब बच्चा बीमार पड़ने का बहाना बनाकर बिस्तर पर लेटा रहा तो
उसने सोचा कि नाना नानी उसे बीमार जानकर उसका ज़्यादा ध्यान रखेंगे, उसे मनपसंद चीजें खाने को देंगे तथा ज़्यादा लाड करेंगे।
वह साबूदाने की
मनपसंद खीर खाकर आराम से लेटा रहेगा किंतु ऐसा न होने पर वह परेशान हो उठा। किसी
के द्वारा खाना खाने के लिए न पूछने पर मन-ही-मन परिवारजनों पर उसे क्रोध भी आया ।
दुःख और क्षोभ के कारण वह झुंझला रहा था। जलन, गुस्से और कुढ़न के कारण वह
व्याकुल हो उठा था।
(घ) कहानी में बच्चे ने सोचा
था कि “ठाठ से साफ-सुथरे बिस्तर पर लेटे रहो और साबूदाने की खीर खाते रहो। ” आपको
क्या लगता है, असल में बीमार हो जाने और इस बच्चे की सोच में कौन-कौन सी
समानताएँ और अंतर होंगे?
(संकेत – आप अपने अनुभवों के आधार पर इस प्रश्न
पर विचार कर सकते हैं कि कहानी वाले बच्चे की कल्पना वास्तविकता से कितनी अलग है
।)
उत्तर:
असल में बीमार हो जाने और इस बच्चे की सोच में बहुत अंतर है
– बीमार हो जाने पर स्वाभाविक रूप से शारीरिक कष्ट अधिक होता है, अतः व्यक्ति चाहकर भी नहीं उठ पाता, वह अपनी दिनचर्या से अलग
दिनभर बिस्तर पर पड़े रहकर दूसरों की सेवा के आश्रित हो जाता है। बीमार व्यक्ति को
कुछ भी अच्छा नहीं लगता, चाहे कितना भी स्वादिष्ट कोई भी पकवान हो, उसे खाने का वह आनंद नहीं आता जो स्वस्थ रहते हुए आता है। कहानी वाले बच्चे की
कल्पना वास्तविकता से बिलकुल अलग है।
(ङ) नानीजी और नानाजी ने
बच्चे को बीमारी की दवा दी और उसे आराम करने को कहा। बच्चे को खाना नहीं दिया गया।
क्या आपको लगता है कि उन्होंने सही किया? आपको ऐसा क्यों लगता है?
उत्तर:
नानाजी और नानीजी ने अपने अनुभव के आधार पर जिस प्रकार की
बीमारी का अंदाज़ लगाया उसके अनुसार उन्होंने उसे दवा दी और खाना नहीं दिया, अपने विचार से उन्होंने ठीक किया क्योंकि अनेक छोटी-मोटी बीमारियाँ ऐसी होती
है, जिन्हें उपवास रखकर ठीक किया जा सकता ।
अनुमान और
कल्पना से
(क) कहानी के अंत में बच्चा
नानाजी और नानीजी को सब कुछ सच – सच बताने का निर्णय कर लेता तो कहानी में आगे
क्या होता?
(संकेत- उसका दिन कैसे बदल जाता? उसकी सोच और अनुभव कैसे होते? )
उत्तर:
अगर बच्चा नानाजी और नानीजी को सच बताने का निर्णय कर लेता
तो थोड़ी डाँट जरूर पड़ती,
किंतु उसे दिन-भर भूखा और अकेले नहीं रहना पड़ता । जिस
भावनात्मक पीड़ा, क्षोभ और क्रोध से वह गुज़रा उससे उसे नहीं गुजरना पड़ता और
शायद नानीजी उसे बिना बीमार पड़े ही साबूदाना की खीर बनाकर खिलातीं ।
उसका दिन एक
सबक में बदल जाता और भविष्य में वह कभी भी आराम करने या खीर खाने के लिए इस प्रकार
के बहाने नहीं बनाने का वादा करता। उसका अनुभव एक सुखद स्मृति में बदल जाता।
(ख) कहानी में बच्चे की
नानीजी के स्थान पर आप हैं। आप सारे नाटक को समझ गए हैं लेकिन चाहते हैं कि बच्चा
सारी बात आपको स्वयं बता दे । अब आप क्या करेंगे?
(संकेत – इस सवाल में आपको नानाजी की जगह लेकर
सोचना है और एक मनोरंजक योजना बनानी है जिससे बच्चा आपको स्वयं बातें बता दे ।)
उत्तर:
अगर मैं बच्चे की नानी के स्थान पर होता और बच्चे के स्कूल
न जाने के बहाने को समझ जाता तो मैं उस दिन घर में साबूदाने की खीर सबके लिए बनाता, इस प्रकार बच्चे को लगता कि बिना बीमार पड़े या बीमारी का नाटक किए बिना भी
साबूदाने की खीर मिल सकती तो क्यों मैं ये नाटक करूँ, और वह स्वयं ही अपने नाटक के विषय में बताने के लिए प्रेरित होता ।
(ग) कहानी में बच्चे के
स्थान पर आप हैं और घर में अकेले हैं। अब आप ऊबने से बचने के लिए क्या – क्या
करेंगे?
उत्तर:
मैं घर में अकेले रहते हुए ऊब से बचने के लिए अपने खिलौनों
से खेलूँगा, अपने छूटे हुए होमवर्क को करूँगा । अपने कमरे को साफ़ करने
के साथ ही प्रत्येक वस्तु को यथास्थान रखूँगा, जिससे नानीजी मेरा काम
देखकर खुश हो जाए।
(घ) कहानी के अंत में बच्चे
को लगा कि उसे स्कूल जाना चाहिए था। कल्पना कीजिए, अगर वह स्कूल
जाता तो उसका दिन कैसा होता? अगले दिन जब वह स्कूल गया
होगा तो उसने क्या-क्या किया होगा ?
उत्तर:
अगर बच्चा स्कूल जाता तो होमवर्क न करने के कारण उसे
अध्यापक से डाँट तो पड़ती किंतु उसका शेष दिन अन्य दिनों की तरह ही उसकी मर्जी से
बीतता । अगले दिन स्कूल जाने पर उसने वे सभी कार्य बड़े मन से किए होंगे, जिन्हें वह कल बिस्तर पर लेटकर ऊबते हुए याद कर रहा था और अपने स्कूल न जाने
के निर्णय पर पछता रहा था।
(ङ) कहानी में नानाजी ने
बच्चे की बीमारी ठीक करने के लिए उसे दवाई दी और खाने के लिए कुछ नहीं दिया। अगर
आप नानीजी या नानाजी की जगह होते तो क्या-क्या करते?
उत्तर:
मैं बच्चे की बीमारी को समझने का प्रयास करता और तत्पश्चात
उसे डॉक्टर के पास ले जाता। डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही खाना, पानी, फल आदि देता। साथ ही बच्चे की मन:स्थिति को समझने की कोशिश
करता। अगर मुझे लगता कि बच्चा झूठ बोल रहा है तो उसे किसी-न-किसी प्रकार सच बोलने
के लिए प्रेरित करता ।
कहानी की रचना
“अस्पताल का माहौल मुझे बहुत
ही अच्छा लग रहा था। बड़ी-बड़ी खिड़कियों के पास हरे-हरे पेड़ झूम थे। न ट्रैफिक
का शोरगुल, न धूल, न मच्छर-मक्खी…। सिर्फ
लोगों के धीरे-धीरे बातचीत करने की धीमी-धीमी गुनगुन। बाकी एकदम शांति।”
इन पंक्तियों
पर ध्यान दीजिए। इन पंक्तियों में ऐसा लग रहा है मानो हमारी आँखों के सामने
अस्पताल का चित्र-सा बन गया हो। लेखन में इसे ‘चित्रात्मक भाषा’ कहते हैं। अनेक
लेखक अपनी रचना को रोचक और सरस बनाने के लिए उपयुक्त स्थानों पर अनेक वस्तुओं, कार्यों, स्थानों आदि का विस्तार से वर्णन करते हैं।
लेखक ने इस
कहानी को सरस और रोचक बनाने के लिए और भी अनेक तरीकों का उपयोग किया है। उदाहरण के
लिए, उन्होंने कहानी में ‘बच्चे द्वारा कल्पना करने का भी प्रयोग
किया है (जब बच्चा अकेले लेटे-लेटे घर और बाहर के लोगों के बारे में सोच रहा है)।
इस कहानी में ऐसी कई विशेषताएँ छिपी हैं।
(विद्यार्थी अपनी
पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या-65 पर दिए गए विवरण को पढ़ें।)
(क) इस पाठ को एक बार फिर से
पढ़िए और अपने समूह में मिलकर इस पाठ की अन्य विशेषताओं की सूची बनाइए। अपने समूह
की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर:
1.
बीमार व्यक्ति
की देखभाल हेतु समय निकालना, मिलने जाते समय कुछ पसंदीदा
उपयुक्त चीज़ ले जाना, संबंधी प्रसंग बच्चों के लिए प्रेरणादायी हैं।
2.
पाठ को पढ़कर
अस्पताल के शांत, स्वच्छ वातावरण और कर्मचारियों के प्रति एक सकारात्मक छवि
उभरती है।
3.
छोटे बच्चों के
भोले विचारों का मनोविज्ञान जानकर मन में हास्य का भाव आता है कि बच्चा बीमारी से
होने वाले कष्टों को न समझकर मात्र साबूदाने की खीर खाने की इच्छा होने के कारण
स्वयं बीमार होने की कामना कर रहा है। उदाहरण – ‘क्या ठाठ हैं बीमारी के भी। मैंने
सोचा ठाठ से साफ-सुधरे बिस्तर पर लेटे रहो और साबूदाने की खीर खाते रहो। काश !
सुधाकर काका की जगह मैं होता! मैं कब बीमार पहूँगा ।
4.
पहली बार
अस्पताल जाने, वहाँ के दृश्य देखकर सहज-कौतूहल उत्पन्न होने, अनेक प्रश्न मन में उठने; जैसे अनेक स्वाभाविक दृश्य
कहानी की गत्यात्मकता बनाए रहते हैं।
5.
बाल-सुलभ
चंचलता युक्त कहानी के दृश्य एवं गतिविधियाँ अत्यंत रोचक विशिष्टताएँ लिए हुए हैं।
6.
बच्चे की
बाल-सुलभ उलझनें जबरदस्ती लेटने का बँधन, स्कूल की दिनचर्या को याद
करना, अपने बहाने पर प्रायश्चित आदि कहानी के रोचक तथ्य हैं।
7.
बच्चे का
झुंझलाहट युक्त कथन उसकी मानसिक स्थिति को, घर के वातावरण को चित्रित
करने में सहायक हैं, यथा – ” वे खाना खा रहे हैं। चबाने की आवाजें आ रही हैं।
देखो! उन्होंने एक बार भी आकर नहीं पूछा कि तू क्या खाएगा? पूछते तो मैं साबूदाने की खीर ही तो माँगता। कोई ताजमहल तो नहीं माँग लेता।
लेकिन नहीं । भूखे रहो !! इससे सारे विकार निकल जाएँगे ।
8.
सहज, सरल भाषा-शैली युक्त संपूर्ण कहानी बच्चों का मनोरंजन करने के साथ सबक भी देती
प्रतीत होती है।
(ख) कहानी में से निम्नलिखित
के लिए उदाहरणं खोजकर लिखिए-
उत्तर:
|
विशेष बिंदु |
कहानी में से उदाहरण |
|
1. बच्चे द्वारा पिछली बातों
को याद किया जाना |
कितना मजा आता जब रिसेस में ठेले पर जाकर नमक- मिर्च लगे अमरूद खाते कटर-कटर
| |
|
2. हास्य यानी हँसी-मजाक का
उपयोग किया जाना |
पूछते तो मैं साबूदाने की खीर ही तो माँगता । कोई ताजमहल तो नहीं माँग लेता।
लेकिन नहीं। भूखे रहो !! इससे सारे विकार निकल जाएँगे। |
|
3. बच्चे द्वारा सोचने के
तरीके में बदलाव आना |
क्या मुसीबत है! पड़े रहो ! आखिर अब तक कोई पड़ा रह सकता है? इससे तो स्कूल चला जाता तो ही ठीक रहता। सजा मिलती तो मिल
जाती। |
|
4. कहानी में किसी का किसी
बात से अनजान होना |
मन्नू एक बार भी मुझे देखने नहीं आया। आया भी होगा तो दबे पाँव आया होगा और
मुझे सोता जान लौट गया होगा। |
|
5. बच्चे द्वारा स्वयं से
बातें किया जाना |
देखो! उन्होंने एक बार भी आकर नहीं पूछा कि तू क्या खाएगा? पूछते तो मैं साबूदाने की खीर ही तो माँगता। कोई ताजमहल
तो नहीं माँग लेता। लेकिन नहीं। भूखे रहो!! |
समस्या और
समाधान
कहानी को एक
बार पुनः पढ़कर पता लगाइए-
(क) बच्चे के सामने क्या
समस्या थी? उसने उस समस्या का क्या समाधान निकाला ?
उत्तर:
बच्चे के सामने समस्या थी कि वह बीमार नहीं था, किंतु साबूदाने की खीर खाना चाहता था। बच्चे को लगा कि खीर तभी खाने को मिलगी
जब वह बीमार पड़ेगा, इसलिए उसने समस्या का समाधान यह खोजा कि बीमार होने का
बहाना
किया जाए तो खाने के लिए साबूदाने की खीर मिलेगी ।
(ख) नानीजी – नानाजी के
सामने क्या समस्या थी? उन्होंने उस समस्या का क्या समाधान निकाला ?
उत्तर:
नानीजी – नानाजी के सामने यह समस्या थी कि वे बच्चे की
बीमारी का कोई कारण नहीं समझ पा रहे थे, अतः उन्होंने बच्चे की पेट
संबंधी समस्या को ध्यान में रखते हुए कुछ घरेलू दवाइयाँ देकर समस्या का समाधान
निकाला।
शब्द से जुड़े
शब्द
• नीचे दिए गए स्थानों में ‘बीमार’ से जुड़े शब्द पाठ में से चुनकर लिखिए-
उत्तर:
खोजबीन
कहानी में से
वे वाक्य ढूँढ़कर लिखिए जिनसे पता चलता है कि-
(क) कहानी में सर्दी के मौसम
की घटनाएँ बताई गई हैं।
उत्तर:
1.
मैं रजाई से
निकला ही नहीं।
2.
अस्पताल में
लाल कंबल ।
3.
मैं रजाई में
पड़ा पड़ा घर में चल रही गतिविधियों का अनुमान लगाता रहा।
4.
नानाजी ने रजाई
हटाकर मेरा माथा छुआ।
5.
रीसेस में
अमरूद खाते कटर-कटर | जब नहीं रहा गया तो मैं रजाई फेंककर दबे पाँव दरवाजे तक
गया।
6.
आम! इस मौसम
में ! जरूर बंबई वाले चाचाजी ने भेजे होंगे।
(ख) बच्चे को बहाना बनाने के
परिणाम का आभास हो गया।
उत्तर:
1.
हे भगवान! यह
तो अच्छी खासी बोरियत हो गई । पूरा दिन कोई कैसे लेटा रहे ? और शाम को … । क्या शाम को भी नानाजी बाहर जाने देंगे? सारे बच्चे हल्ला मचाते हुए आँगन में खेल रहे होंगे और मैं बिस्तर में पड़ा झख
मार रहा होऊँगा। अक्लमंद ! और बनो बीमार ! और आज दिया गया होमवर्क ! किससे कॉपी
माँगोगे? मैं रुआँसा हो गया।
2.
क्या मुसीबत
है! ठप पड़े रहो! आखिर कब तक कोई पड़ा रह सकता है? इससे तो स्कूल
चला जाता तो ही ठीक रहता । सज़ा मिलती तो मिल जाती।
(ग) बच्चे को खाना-पीना बहुत
प्रिय है।
उत्तर:
1.
क्या ठाठ हैं
बीमारों के भी। मैंने सोचा …. ठाठ से साफ-सुथरे बिस्तर पर पड़े रहो और साबूदाने की
खीर खाते रहो! काश! सुधाकर काका की जगह मैं होता ! मैं कब बीमार पहूँगा।
2.
कितना मज़ा आता
जब रिसेस में ठेले पर जाकर नमक मिर्च लगे अमरूद खाते कटर-कटर।
3.
जरा आँख लगती
तो खाने ही खाने की चीजें दिखाई
पड़तीं। गरमागरम खस्ता कचौड़ी…. मावे की बर्फी…. बेसन की
चिक्की…. । गोलगप्पे और सबसे ऊपर साबूदाने की खीर! पता नहीं क्यों साबूदाने की खीर
सिर्फ उपवास और बीमारी में ही बनाई जाती है। जैसे गुझिया सिर्फ होली-दिवाली और
पंजीरी सिर्फ पूर्णिमा के दिन ही बनाई जाती है। क्यों? क्या ये चीजें जब इच्छा हो तब नहीं बनाई जा सकतीं। कोई मना करता है?
4.
..
वो खाना खा रहे हैं । चबाने की आवाजें आ रही हैं। देखो!
उन्होंने एक बार भी आकर नहीं पूछा कि तू क्या खाएगा? पूछते तो मैं
साबूदाने की खीर ही तो माँगता।
5.
आज क्या खाना
बना होगा? खुशबू तो दाल-चावल की आ रही है। अरहर की दाल में हींग -जीरे
का बघार और ऊपर से बारीक कटा हरा धनिया और आधा चम्मच देसी घी। फिर उसमें उन्होंने
नीबू निचोड़ा होगा। थोड़ा-सा इस बीमार को भी दे दे कोई ।
6.
……
लेकिन खुशबू तो किसी और चीज की है। क्या हरी मिर्च तली गई
है? उसे दाल-चावल में मसलकर खा रहे हैं। जब रहा नहीं गया तो मैं
रजाई फेंककर खड़ा हो गया। दबे पाँव दरवाजे तक गया और चुपके से झाँककर देखा। हाँ, दाल-चावल, तली हुई हरी मिर्च |
7.
लेकिन मुन्नू
आम चूस रहा था। आम ! इस मौसम में ! जरूर मुंबई वाले चाचाजी ने भेजे होंगे।
(घ) बच्चे को स्कूल जाना
अच्छा लगता है।
उत्तर:
इससे तो स्कूल चला जाता तो ही ठीक रहता। सजा मिलती तो मिल
जाती। कितना मजा आता जब रीसेस में ठेले पर जाकर नमक मिर्च लगे अमरूद खाते कटर-कटर
।
शीर्षक
(क) आपने जो कहानी पढ़ी है, इसका नाम ‘नहीं होना बीमार’ है। अपने समूह में चर्चा करके लिखिए कि इस कहानी
का यह नाम उपयुक्त है या नहीं। अपने उत्तर के कारण भी बताइए।
उत्तर:
इस कहानी का शीर्षक / नाम उपयुक्त नहीं है, क्योंकि बच्चा इस कहानी में बीमार नहीं था। उसने बीमार होने का बहाना
बनाया था।
(ख) यदि आपको इस कहानी को
कोई अन्य नाम देना हो तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा, यह भी बताइए |
उत्तर:
मैं इस कहानी को नाम देता – ‘सबक’। यह नाम मैं इसलिए देता
क्योंकि बीमारी का झूठा बहाना बनाने का क्या परिणाम होता है, इसका ‘सबक’ बच्चा सीख चुका था।
अभिनय
(विद्यार्थी अपनी
पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या – 67 पर दिए गए संवाद पढ़ेंगे।)
चेहरों पर
मुस्कान, मुँह में पानी
(क) इस कहानी में अनेक रोचक
घटनाएँ हैं जिन्हें पढ़कर चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। इस कहानी में किन बातों को
पढ़कर आपके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई थी ? उन्हें रेखांकित कीजिए ।
उत्तर:
1.
काश! सुधाकर
काका की जगह मैं होता ! मैं कब बीमार पहुँगा!
2.
मैंने सोचा
बीमार पड़ने के लिए आज का दिन बिल्कुल ठीक रहेगा, चलो बीमार पड़
जाते हैं।
3.
नाना जी बोले-
आज इसे कुछ खाने को मत देना, आराम करने दो।
4.
जरा आँख लगती
तो खाने की ही चीजें दिखाई देती ।
5.
वो खाना खा रहे
हैं। चबाने की आवाजें आ रही हैं। देखो! उन्होंने एक बार भी आकर नहीं पूछा कि तू
क्या खाएगा? पूछते तो मैं साबूदाने की खीर ही तो माँगता । कोई ताजमहल तो
नहीं माँग लेता। लेकिन नहीं। भूखे रहो! इससे सारे विकार निकल जाएँगे । विकार निकल
जाएँ बस। चाहे इस चक्कर में तुम खुद शिकार हो जाओ।
6.
थोड़ा-सा इस
बीमार को भी दे दे कोई।
(ख) इस कहानी में किन
वाक्यों को पढ़कर आपके मुँह में पानी आ गया था? उन्हें रेखांकित कीजिए ।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करेंगे।
लेखन के अनोखे
तरीके
(विद्यार्थी अपनी
पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या – 68 पर दिए गए वाक्यों को
पढ़ेगे।)
• नीचे कुछ वाक्य दिए गए हैं।
कहानी में ढूँढ़िए कि इन बातों को कैसे लिखा गया है-
1.
ऐसा लगा मानो
हमें देखकर सुधाकर काका खुश हो गए।
2.
खिड़कियाँ बहुत
बड़ी थीं और उनके बाहर हरे पेड़ हवा से हिल रहे थे।
3.
वहाँ केवल
लोगों के फुसफुसाने की आवाजें आ रही थीं।
4.
फुसफुसाने की
आवाजों के सिवा वहाँ कोई आवाज नहीं थी।
5.
बीमार लोगों के
बहुत मजे होते हैं।
6.
मैं झूठमूठ
बीमार पड़ जाता हूँ ।
उत्तर:
1.
हमें देखकर
सुधाकर काका जैसे खुश हो गए।
2.
बड़ी-बड़ी
खिड़कियों के पास हरे-हरे पेड़ झूम रहे थे ।
3.
सिर्फ लोगों के
धीरे-धीरे बात करके की धीमी-धीमी गुनगुन ।
4.
बाकी एकदम
शांति ।
5.
क्या ठाठ हैं
बीमारों के भी।
6.
मैंने सोचा
बीमार पड़ने के लिए आज का दिन बिल्कुल ठीक रहेगा। चलो बीमार पड़ जाते हैं।
विराम चिह्न
देखें!” नानाजी
ने रजाई हटाकर मेरा माथा छुआ। पेट देखा और नब्ज देखने लगे। इस बीच नानीजी भी आ
गईं। “क्या हुआ?”, नानीजी ने ‘पूछा।
पिछले पृष्ठ पर दिए गए वाक्यों को ध्यान से देखिए। इन
वाक्यों में आपको कुछ शब्दों से पहले या बाद में कुछ चिह्न दिखाई दे रहे हैं।
इन्हें विराम चिह्न कहते हैं।
अपने समूह के साथ मिलकर नीचे दिए गए विराम चिह्न को कहानी
में ढूँढ़िए। ध्यानपूर्वक देखकर समझिए कि इनका प्रयोग वाक्यों में कहाँ-कहाँ किया
जाता है। आपने जो पता किया,
उसे नीचे लिखिए—
आवश्यकता हो तो इस प्रश्न का उत्तर पता करने के लिए आप अपने
परिजनों, शिक्षकों, पुस्तकालय या इंटरनेट की
सहायता ले सकते हैं।
(विराम चिह्न को समझने के लिए अपनी पाठ्यपुस्तक
की पृष्ठ संख्या 68-69 देखें।)
• अपने समूह के साथ मिलकर
नीचे दिए गए विराम चिह्न को कहानी में ढूँढ़िए। ध्यानपूर्वक देखकर समझिए
नहीं होना बीमार कि इनका प्रयोग वाक्यों में कहाँ-कहाँ किया
जाता है। आपने जो पता किया,
उसे नीचे लिखिए-
उत्तर:
|
विराम चिह्न |
कहाँ प्रयोग किया जाता है |
|
पूर्ण विराम (।) |
पूर्ण विराम का प्रयोग वाक्य के अंत में किया जाता है, जो वाक्य को पूरा करने और उसके अर्थ को स्पष्ट करने में
मदद करता है। |
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अल्प विराम (,) |
अल्पविराम का प्रयोग वाक्य में दो या दो से अधिक शब्दों, वाक्यांशों या उपवाक्यों को अलग करने के लिए किया जाता
है। यह विराम चिह्न वाक्य के अर्थ को स्पष्ट करने और उसे अधिक पठनीय बनाने में
मदद करता है। |
|
प्रश्नवाचक चिह्न (?) |
प्रश्नवाचक चिह्न का प्रयोग प्रश्न वाक्यों के अंत में किया जाता है जो किसी
जानकारी या स्पष्टीकरण की माँग करते हैं। |
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विस्मयादिबोधक चिह्न (!) |
विस्मयादिबोधक का प्रयोग वाक्य में आश्चर्य, खुशी, दुख क्रोध आदि भावनाओं को व्यक्त करने के लिए |
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उद्धरण चिह्न (” “) |
उद्धरण चिह्न का प्रयोग किसी के कैसी होगी गली द्वारा कहे गए शब्दों या
वाक्यों को ज्यों का त्यों उद्धृत (लिखने) करने के लिए किया जाता है। |
• (विद्यार्थी अपनी
पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या – 69 पर दी गई गतिविधि पढ़ें।)
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करेंगे।
कैसी होगी गली
“मुझे बड़ी तेज इच्छा हुई कि
इसी समय बाहर निकलकर दिन की रोशनी में अपनी गली की चहल-पहल देखूँ”
आपने कहानी में बच्चे के घर के साथ वाली गली के बारे में
बहुत-सी बातें पढ़ी हैं। उन बातों और अपनी कल्पना के आधार पर उस गली का एक चित्र
बनाइए ।
• (विद्यार्थी अपनी
पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या – 69 पर दी गई गतिविधि पढ़ें।)
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करेंगे।
पाठ से आगे
आपकी बात
(क) बच्चे ने अस्पताल के
वातावरण का विस्तार से सुंदर वर्णन किया है। इसी प्रकार आप अपनी कक्षा का वर्णन
कीजिए।
(ख) कहानी में बच्चे को घर में अकेले दिन भर लेटे
रहना पड़ा था। क्या आप कभी कहीं अकेले रहे हैं? उस समय आपको कैसा लग रहा था? आपने क्या-क्या किया था?
(ग) कहानी में आम खाने वाले मुन्नू को देखकर
बच्चे को ईर्ष्या हुई थी। क्या आपको कभी किसी से या किसी को आपसे ईर्ष्या हुई है? आपने तब क्या किया था ताकि यह भावना दूर हो जाए?
(घ) कहानी में नानाजी – नानीजी बच्चे का पूरा
ध्यान रखने का प्रयास करते हैं। आपके घर और विद्यालय में आपका ध्यान कौन-कौन रखते
हैं? कैसे?
(ङ) आप अपने परिजनों और मित्रों का ध्यान कैसे
रखते हैं? क्या-क्या करते हैं या क्या-क्या नहीं करते हैं ताकि उन्हें
कम-से-कम परेशानी हो ?
• (इससे संबंधित अंश
पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या-69 पर देखें।)
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करेंगे।
बहाने
(क) कहानी में बच्चे ने
बीमारी का बहाना बनाया ताकि उसे स्कूल न जाना पड़े। क्या आपने कभी किसी कारण से
बहाना बनाया है? यदि हाँ, तो उसके बारे में बताइए ।
उस समय आपके मन में कौन-कौन से भाव आ-जा रहे थे? आप कैसा अनुभव
कर रहे थे ?
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
(ख) आमतौर पर बनाए जाने वाले
बहानों की एक सूची बनाइए।
उत्तर:
पेट दर्द, सिर दर्द, बुखार, किसी का जन्मदिन, माँ की सहायता के लिए रुकना, छोटे भाई का स्वस्थ्य खराब होना दादाजी के साथ अस्पताल जाना, बुआ, मौसी आदि का घर पर आना।
(ग) बहाने क्यों बनाने पड़ते
हैं? बहाने न बनाने पड़ें, इसके लिए हम क्या – क्या कर
सकते हैं?
उत्तर:
कई बार कुछ कार्य करने की हमारे इच्छा नहीं होती किंतु हम
स्पष्ट बताने में डरते हैं या संकोच करते हैं इसलिए बहाने बनाने पड़ते हैं।
हमें बहाने न बनाने पड़ें इसके लिए संकोच और डर को छोड़कर
थोड़ी हिम्मत जुटाकर सच बोलने की कोशिश करनी चाहिए।
अनुमान
“मैं रजाई में पड़ा-पड़ा घर
में चल रही गतिविधियों का अनुमान लगाता रहा।”
कहानी में बच्चे ने अनेक प्रकार के अनुमान लगाए हैं। क्या
आपने कभी किसी अनदेखे व्यक्ति / वस्तु / पशु – पक्षी/स्थान आदि के विषय में अनुमान
लगाए हैं? किसके बारे में? क्या? कब? विस्तार से बताइए।
(संकेत – जैसे पेड़ से आने वाली आवाज सुनकर किसी
प्राणी का अनुमान लगाना; कहीं दूर रहने वाले किसी संबंधी/रिश्तेदार के विषय में
सुनकर उसके संबंध में अनुमान लगाना।)
• (विद्यार्थी इससे संबंधित
अंश पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या- 70 पर देखें।)
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करेंगे।
घर का सामान
“बहुत ढूँढ़ा गया पर
थर्मामीटर मिला ही नहीं। शायद कोई माँगकर ले गया था।”
• कहानी में बच्चे के घर पर
थर्मामीटर (तापमापी) खोजने पर वह मिल नहीं पाता। आमतौर पर हमारे घरों में कोई न
कोई ऐसी वस्तु होती है जिसे खोजने पर भी वह नहीं मिलती, जिसे कोई माँगकर ले जाता है या हम जिसे किसी से माँगकर ले आते हैं। अपने घर को
ध्यान में रखते हुए ऐसी वस्तुओं की सूची बनाइए –
उत्तर:
|
जो खोजने पर भी नहीं मिलती हैं |
जो कोई माँगकर ले जाते हैं |
जो आप किसी से माँगकर लाते हैं |
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कैंची |
पलास |
फूल |
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रबर |
खुरपी |
बीज |
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बोटल |
सीढ़ी |
मिट्टी |
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रूमाल |
कुर्सियाँ |
गुझिया बनाने का साँचा |
खान-पान और आप
• (विद्यार्थी इससे संबंधित
अंश पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या – 71 पर देखें।)
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करेंगे।
आज की पहेली
• कहानी में आपने खाने-पीने
की अनेक वस्तुओं के बारे में पढ़ा है। अब हम आपके सामने खाने-पीने की वस्तुओं या
व्यंजनों से जुड़ी कुछ पहेलियाँ लाए हैं। इन्हें बूझिए और उत्तर लिखिए-
उत्तर:
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पहेली |
उत्तर |
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1. रोटी जैसा होता है ये, पर आलू से भरा-भरा, घी-तेल साथी हैं इसके, दही चटनी से हरा-भरा |
आलू का पराठा |
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2. दाल-चावल का मेल है यह तो, भारत भर में तुम इसे पाओ, दक्षिण में
ये खूब है बनता, चटनी – सांभर संग-संग खाओ, गोल – तिकोना
इसका आकार, गरम-गरम तुम इसे बनाओ, कौन-सा व्यंजन होता है यह, बोलो बोलो नाम बताओ। |
मसाला डोसा |
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3. नाश्ते का यह बड़ा है खास, महाराष्ट्र में इसका वास, मिर्च-मसाले
से भरपूर, संग बटाटा भी मशूहर |
वड़ा पाव |
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4. बेसन से बने चौकोर या गोल, गुजरात में बड़ा है बोल। खाने में नर्म, पानी भरे, ध निया मिर्ची संग सजे। |
ढोकला |
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5. गोल-गोल पानी से भरके, चटनी सोंठ संग इसे खाओ उत्तर-दक्षिण पूरब-पश्चिम, गली-मुहल्लों में भी पाओ। खट्टी-मीठी, तीखी हाय, खाना तो इसे हर कोई चाहे
! |
गोलगप्पे (पानी पूरी) |
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6. हरे साग संग मुझको पाओ, मक्खन के संग मुझको खाओ। आटा मेरा हल्का पीला, स्वाद मेरा है बड़ा रंगीला। |
मुक्के की रोटी |
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7. आग में पकती हूँ, सोंधा-सा स्वाद, साथ में खाओ चूरमा बन जाए
फिर बात, गरम दाल से मुझको प्यार, राजस्थान का
मैं उपहार । |
बाटी |
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8. गोल-गोल और श्वेत रंग का
रस से भरा हुआ हूँ खूब । मीठी दुनिया का महाराजा चाशनी मीठी डूब – डूब। |
रसगुल्ला |
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