बुधवार, 10 दिसंबर 2025

NCERT Class 8th Hindi Chapter 2 दो गौरैया Question Answer

NCERT Class 8th Hindi Chapter 2 दो गौरैया Question Answer

कक्षा 8 हिंदी पाठ 2 प्रश्न उत्तर – Class 8 Hindi दो गौरैया Question Answer

पाठ से
प्रश्न- अभ्यास (पृष्ठ 19-25)

आइए, अब हम इस कहानी को थोड़ी और स्पष्टता से समझते हैं। नीचे दी गई गतिविधियाँ इस कार्य में आपकी सहायता करेंगी।

मेरी समझ से

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर के सम्मुख तारा बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।

प्रश्न-

प्रश्न 1.
पिताजी ने कहा कि घर सराय बना हुआ है क्योंकि-
(क) घर की बनावट सराय जैसी बहुत विशाल है
(ख) घर में विभिन्न पक्षी और जीव-जंतु रहते हैं
(ग) पिताजी और माँ घर के मालिक नहीं हैं
(घ) घर में विभिन्न जीव-जंतु आते-जाते रहते हैं
उत्तर:
(घ) घर में विभिन्न जीव-जंतु आते-जाते रहते हैं



प्रश्न 2.
कहानी में ‘घर के असली मालिक’ किसे कहा गया है?
(क) माँ और पिताजी को जिनका वह मकान है
(ख) लेखक को जिसने यह कहानी लिखी है
(ग) जीव-जंतुओं को जो उस घर में रहते थे
(घ) मेहमानों को जो लेखक से मिलने आते थे
उत्तर:
(ग) जीव-जंतुओं को जो उस घर में रहते थे

प्रश्न 3.
गौरैयों के प्रति माँ और पिताजी की प्रतिक्रियाएँ कैसी थीं?
(क) दोनों ने खुशी से घर में उनका स्वागत किया
(ख) पिताजी ने उन्हें भगाने की कोशिश की लेकिन माँ ने मना किया
(ग) दोनों ने मिलकर उन्हें घर से बाहर निकाल दिया
(घ) माँ ने उन्हें निकालने के लिए कहा लेकिन पिताजी ने घर में रहने दिया
उत्तर:
(ख) पिताजी ने उन्हें भगाने की कोशिश की लेकिन माँ ने मना किया



प्रश्न 4.
माँ बार – बार पिताजी की बातों पर मुसकुराती और मज़ाक करती थीं। इससे क्या पता चलता है ?
(क) माँ चाहती थीं कि गौरैयाँ घर से भगाई न जाएँ।
(ख) माँ को पिताजी के प्रयत्न व्यर्थ लगते थे।
(ग) माँ को गौरैयों की गतिविधियों पर हँसी आ जाती थी।
(घ) माँ को दूसरों पर हँसना और उपहास करना अच्छा लगता था।
उत्तर:
(ख) माँ को पिताजी के प्रयत्न व्यर्थ लगते थे।



प्रश्न 5.
कहानी में गौरैयों के बार-बार लौटने को जीवन के किस पहलू से जोड़ा जा सकता है?
(क) दूसरों पर निर्भर रहना
(ख) असफलताओं से हार मान लेना
(ग) अपने प्रयास को निरंतर जारी रखना
(घ) संघर्ष को छोड़कर नए रास्ते अपनाना
उत्तर:
(ग) अपने प्रयास को निरंतर जारी रखना

(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ विचार कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुनें?
उत्तर:

1. घर में विभिन्न जीव-जंतु आते-जाते रहते हैं – यह उत्तर इसलिए चुना क्योंकि पिताजी ने कहा था कि घर सराय बना हुआ है क्योंकि कभी-कभी ऐसा प्रतीत होता था कि घर पर घरवालों का नहीं बल्कि आने वाले जीव-जंतुओं का ज़यादा अधिकार है।

2. जीव-जंतु जो उसी घर में रहते हैं – यह उत्तर इसलिए चुना क्योंकि घर के असली मालिक घर में आकर रहने वाले जीव-जंतु ही लगते थे क्योंकि वे घर के किसी भी सदस्य से डरते नहीं थे।

3. पिताजी ने उन्हें भगाने की कोशिश की लेकिन माँ ने मना किया—यह उत्तर इसलिए चुना क्योंकि जब गौरैयाँ ने घर में घोंसला बना लिया तो पिताजी ने गुस्से में आकर उन्हें भगाना चाहा लेकिन माँ ममतावश ऐसा नहीं करना चाहती थीं।

4. माँ को पिताजी के प्रयत्न व्यर्थ लगते थे- यह उत्तर सही है क्योंकि पिताजी बहुत कोशिश कर रहे थे कि गौरैयाँ भाग जाएँ माँ भीतर ही भीतर जानती थीं कि वे अब नहीं जाएँगी इसीलिए वह मुस्कुराकर पिताजी का मजाक उड़ा रही थीं।

5. अपने प्रयास को निरंतर जारी रखना – इस वाक्य का चुनाव इसलिए किया गया है क्योंकि पिताजी गौरैयाँ को भगाने का पूरा प्रयास कर रहे थे लेकिन वे कुछ-न-कुछ यत्न करके वापस आ जाती थीं।

मिलकर करें मिलान

(क) पाठ में से चुनकर कुछ वाक्य नीचे दिए गए हैं। प्रत्येक वाक्य के सामने दो-दो अर्थ दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सबसे उपयुक्त अर्थ से मिलाइए ।

उत्तर:


वाक्य

अर्थ


1. वह शोर मचता है कि कानों के पर्दे फट जाएँ, पर लोग कहते हैं कि पक्षी गा रहे हैं !

पिताजी को पक्षियों का चहकना शोर जैसा लगता था लेकिन लोगों को वह संगीत जैसा लगता था।


2. आँगन में आम का पेड़ है। तरह-तरह के पक्षी उस पर डेरा डाले रहते हैं।

आम के पेड़ पर अलग-अलग प्रकार के पक्षी हर समय निवास करते हैं।


3. वह धमा चौकड़ी मचती है कि हम लोग ठीक तरह से सो भी नहीं पाते।

चूहों की भागदौड़ और शोर इतना होता है कि घर के लोग चैन से सो नहीं पाते।


4. वह समझते हैं कि माँ उनका मज़ाक उड़ा रही हैं।

पिताजी माँ का मजाक समझ जाते हैं।


5. पिताजी ने लाठी दीवार के साथ टिकाकर रख दी और छाती फैलाए कुर्सी पर आ बैठे।

पिताजी ने लाठी एक ओर रख दी और गर्व से विजयी मुद्रा में बैठ गए।


6. इतने में रात पड़ गईं

कहानी की घटनाओं के बीच धीरे-धीरे रात हो गई और से, अँधेरा छा गया।


7. जब हम लोग नीचे उतरकर आए तो वे फिर से मौजूद थीं और मज़े से बैठी मल्हार गा रही थीं।

गौरैयाँ फिर से लौट आई थीं और शांत व प्रसन्न भाव से चहचहा रही थीं जैसे कोई राग गा रही हों।


(ख) अपने उत्तर को अपने मित्रों के उत्तर से मिलाइए और विचार कीजिए कि आपने कौन-से अर्थ का चुनाव किया है और क्यों?
उत्तर:

1. पिताजी को पक्षियों से कोई विशेष लगाव नहीं था । उनका चहकना उन्हें शोर जैसा लगता था। जबकि जो लोग पक्षियों के चहचहाने को पसंद करते हैं, वे उन्हें संगीत के समान मानते हैं।

2. आंगन में आम का बहुत बड़ा पेड़ था और मौसम के अनुसार उस पर कई प्रकार के पक्षी आकर अपने घोंसले बनाते थे।

3. चूहे इतना उधम मचाते थे कि घरवाले चैन से रह नहीं पाते थे।

4. माँ हँसकर पिताजी को कह देती थीं लेकिन पिताजी समझ जाते थे कि माँ उनका मजाक उड़ा रही हैं।

5. पिताजी जब गौरैयाँ को भगा नहीं सके तो उन्होंने लाठी रख दी लेकिन फिर भी हार नहीं मानी थी।

6. कहानीकार ने कहानी सुनाते-सुनाते रात के दृश्य को भी दर्शाया है।

7. घर के सब लोग सोच रहे थे कि अब गौरैयाँ चली गई होंगी लेकिन जब सुबह नीचे उतरकर आए तो देखा वे फिर वहीं बैठकर चहचहा रही थीं।



पंक्तियों पर चर्चा

पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए-

(क) “अब तो ये नहीं उड़ेंगी। पहले इन्हें उड़ा देते, तो उड़ जातीं। अब तो इन्होंने यहाँ घोंसला बना लिया है।
उत्तर:
जब पिताजी के भरसक प्रयास द्वारा भी गौरैयाँ नहीं उड़ी तो माँ ने कहा कि अब इन्होंने घोंसला बना लिया है। अब ये नहीं उड़ेंगी। पहले उड़ाते तो उड़ जातीं क्योंकि माँ जानती थीं कि अब उन्होंने पक्का घोंसला बना लिया है और अब वे वहाँ अंडे देंगी।

(ख) “एक दिन अंदर नहीं घुस पाएँगी, तो घर छोड़ देंगी ।”
उत्तर:
पिताजी ने जब बहुत मुश्किल से उन्हें बाहर निकाला तो कहा कि सब खिड़कियाँ – दरवाज़े बंद कर दिए जाएँ। एक दिन घर के अंदर नहीं घुसेंगी तो घर को छोड़ देंगी।

(ग) “किसी को सचमुच बाहर निकालना हो, तो उसका घर तोड़ देना चाहिए।”
उत्तर:
पिताजी जब गौरैयों को घर से बाहर निकालना चाहते थे तो उनका घोंसला तोड़ रहे थे। तब उन्होंने ये शब्द कहे कि किसी को सचमुच घर से बाहर निकालना हो तो उसका घर तोड़ देना चाहिए।

सोच-विचार के लिए

पाठ को पुनः ध्यान से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए।

(क) आपको कहानी का कौन – सा पात्र सबसे अच्छा लगा—घर पर रहने आई गौरैयाँ, माँ, पिताजी, लेखक या कोई अन्य प्राणी? आपको उसकी कौन-कौन सी बातें अच्छी लगीं और क्यों?
उत्तर:
मुझे कहानी में ‘माँ’ का पात्र सबसे अच्छा लगा। माँ का स्वभाव बहुत दयालु और सहानुभूति- पूर्ण था। वे घर में आई गौरैयों को तंग नहीं करतीं, बल्कि उनके प्रति ममता का भाव रखती थीं।

(ख) लेखक के घर में चिड़िया ने अपना घोंसला कहाँ बनाया? उसने घोंसला वहीं क्यों बनाया होगा ?
उत्तर:
लेखक के घर में चिड़िया ने अपना घोंसला पंखे के गोले में बनाया । उसने घोंसला वहीं बनाया क्योंकि वह स्थान उसे सबसे अधिक उपयुक्त और सुरक्षित लगा होगा ।

(ग) क्या आपको लगता है कि पशु-पक्षी भी मनुष्यों के समान परिवार और घर का महत्व समझते हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कहानी से उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
हाँ, पशु-पक्षी भी अपने घर-परिवार का महत्व समझते हैं। वे भी अपने बच्चों के लिए सुरक्षित स्थान ढूँढ़ते हैं, घोंसला बनाते हैं और उन्हें पालते हैं। जैसे गौरैयों ने भी घर में घोंसला बनाकर अपने अंडे दिए और बच्चों की रक्षा की। कहानी में यही संदेश दिया गया है।

(घ) “अब मैं हार मानने वाला आदमी नहीं हूँ ।” इस कथन से पिताजी के स्वभाव के कौन-से गुण उभरकर आते हैं?
उत्तर:
इस कथन से पता चलता है कि वे सख्त, तनुकमिजाज और अनुशासनप्रिय थे। वे घर में गंदगी और अव्यवस्था पसंद नहीं करते थे, इसलिए वे गौरैयों को भगाना चाहते थे। हालाँकि अंत में उनका हृदय भी पिघल गया।



(ङ) कहानी में गौरैयों के व्यवहार में कब और कैसा बदलाव आया? यह बदलाव क्यों आया?
(संकेत – कहानी में खोजिए कि उन्होंने गाना कब बंद कर दिया ?)
उत्तर:
गौरैयों को पिताजी कितना भी भगाते थे लेकिन वे फिर वापस आ जाती थीं क्योंकि वे घोंसला बनाकर अंडे दे चुकी थीं। जब पिताजी ने उनके घोंसले को तोड़ना चाहा तो दोनों के व्यवहार में बहुत बदलाव आ गया। दोनों चुपचाप दीवार पर बैठी थीं। इस बीच दोनों कुछ-कुछ घबरा गईं, कुछ-कुछ काली पड़ गईं। अब वे चहक भी नहीं रही थीं और जब उन्हें यह अहसास हो गया कि उनके बच्चे सुरक्षित हैं तो वे फिर से चहचहाने लगीं।

(च) कहानी में गौरैयाँ ने किन-किन स्थानों से घर में प्रवेश किया था? सूची बनाइए।
उत्तर:
कहानी में गौरैयाँ रोशनदान, खिड़की, दरवाज़े और आँगन के रास्ते से घर में प्रवेश किया था।

(छ) इस कहानी को कौन सुना रहा है? आपको यह बात कैसे पता चली?
उत्तर:
यह कहानी लेखक भीष्म साहनी सुना रहे थे। यह बात हमें कहानी की शुरूआत में पता चली क्योंकि उन्होंने कहानी को शुरू ही ऐसे किया कि घर में हम तीन व्यक्ति रहते थे – माँ, पिताजी और मैं।

(ज) माँ बार-बार क्यों कह रही होंगी कि गौरैयाँ घर छोड़कर नहीं जाएँगी।
उत्तर:
माँ इसलिए बार-बार कह रही थीं क्योंकि उन्होंने गौरैयाँ की ममता और हिम्मत देखी थी। वे जानती थीं कि गौरैयों ने अब घोंसला बना लिया है और अंडे दे दिए हैं, इसलिए वे अपने बच्चों को छोड़कर नहीं जाएँगी।

अनुमान और कल्पना से

(क) कल्पना कीजिए कि आप उस घर में रहते हैं जहाँ चिड़ियाँ अपना घर बना रही हैं। अपने घर में उन्हें देखकर आप क्या करते?
उत्तर:
अगर मेरे घर में चिड़ियाँ अपना घोंसला बना रही होंगी, तो मैं उन्हें बिल्कुल तंग नहीं करूँगा / करूँगी। मैं उनके लिए पानी और दाना भी रखूँगा / रखूँगी और कोशिश करूँगा / करूँगी कि कोई उन्हें परेशान न करे। उनके बच्चों के निकलने तक मैं उनका ध्यान रखूँगा/रखूँगी।

(ख) मान लीजिए कि कहानी में चिड़िया नहीं, बल्कि नीचे दिए गए प्राणियों में से कोई एक प्राणी घर में घुस गया है। ऐसे में घर के लोगों का व्यवहार कैसा होगा? क्यों?
(प्राणियों के नाम – चूहा, कुत्ता, मच्छर, बिल्ली, कबूतर, कॉकरोच, तितली, मक्खी)
उत्तर:
अगर घर में चूहा, मक्खी, मच्छर, कॉकरोच घुस आए तो घर के लोग उन्हें भगाने की कोशिश करेंगे क्योंकि ये नुकसान पहुँचाते हैं । तितली को देख लोग उसे थोड़ी देर देखेंगे और फिर उड़ा देंगे। कुत्ते या बिल्ली का स्वभाव देखकर उसे घर में रखा भी जा सकता है। हर प्राणी के साथ लोगों का व्यवहार उनके स्वभाव के अनुसार ही होता है।



(ग) “मैं अवाक् उनकी ओर देखता रहा ।” लेखक को विस्मय या हैरानी किसे देखकर हुई ? उसे विस्मय क्यों हुआ होगा?
उत्तर:
लेखक को इस बात पर विस्मय हुआ होगा कि गौरैयाँ इतनी कोशिशों के बाद भी अपने अंडों और बच्चों को छोड़कर नहीं गई । उसकी ममता और हिम्मत देखकर लेखक हैरान हो गया होगा ।

(घ) “माँ मदद तो करती नहीं थीं, बैठी हँसे जा रही थीं।” माँ ने गौरैयों को निकालने में पिताजी की सहायता क्यों नहीं की होगी?”
उत्तर:
माँ के मन में गौरैयों के प्रति ममता थी। वे नहीं चाहती थीं कि कोई उन्हें नुकसान पहुँचाए । वे पिताजी की सख्ती देखकर हँस रही थीं क्योंकि उन्हें पता था कि गौरैयाँ अपनी ममता के कारण हार मानने वाली नहीं हैं। अंत में पिताजी को ही हार माननी पड़ेगी।

(ङ) “एक चूहा अँगीठी के पीछे बैठना पसंद करता है, शायद बूढ़ा है उसे सर्दी बहुत लगती है।” लेखक ने चूहे के विशेष व्यवहार से अनुमान लगाया कि उसे सर्दी लगती होगी। आप भी किसी एक अपरिचित व्यक्ति या प्राणी के व्यवहार को ध्यान से देखकर अनुमान लगाइए कि वह क्या सोच रहा होगा, क्या करता होगा या वह कैसा व्यक्ति होगा आदि। (संकेत – आपको उसके व्यवहार पर ध्यान देना है, उसके रंग-रूप या वेशभूषा पर नहीं)
उत्तर:
लेखक ने अनुमान लगाया होगा कि चूहा बूढ़ा है और उसे सर्दी लगती है इसलिए वह गर्म अँगीठी के पास बैठना पसंद करता है। लेखक का यह ध्यान जीवों के व्यवहार पर उनकी संवेदनशीलता और सहानुभूति को दर्शाता है।

मैं यहाँ एक उदाहरण देना चाहूँगा / चाहूँगी। हमारे घर के पास एक मैदान है। वहाँ दो गौएँ घूमती रहती हैं। वे सर्दी में दीवार के साथ सटकर बैठने लगती हैं तो हम समझ जाते हैं कि ठंड से परेशान हैं। हम उन पर बोरी या कंबल डाल देते हैं तो रातभर वे हिलती नहीं हैं।

(च) “पिताजी कहते हैं कि यह घर सराय बना हुआ है । “सराय और घर में कौन-कौन से अंतर होते होंगे?
उत्तर:
‘सराय’ एक ऐसी जगह होती है जहाँ हर कोई आता-जाता है, ठहरता है और फिर चला जाता है। वहाँ कोई स्थायी सदस्य नहीं होते। घर में अपने परिवार के सदस्य होते हैं, वहाँ अपनापन और स्नेह होता है। घर में रहने वाले एक-दूसरे की परवाह करते हैं। पिताजी घर में हमेशा आने-जाने वालों, चूहों, कबूतरों और गौरैयाँ की वज़ह से इसे सराय कह रहे थे।



संवाद और अभिनय

नीचे दी गई स्थितियों के लिए अपने समूह में मिलकर अपनी कल्पना से संवाद लिखिए और बातचीत को अभिनय द्वारा प्रस्तुत कीजिए-

(क) “वे अभी भी झाँके जा रही थीं और चीं-चीं करके मानो अपना परिचय दे रही थीं, हम आ गई हैं। हमारे माँ-बाप कहाँ हैं” नन्हीं-नन्हीं दो गौरैया क्या-क्या बोल रहीं होंगी?
उत्तर:
पहली गौरैया (इधर-उधर झाँकते हुए) – “ अरे सुनो न बहन, अभी मैंने झाँका तो था खिड़की से, और चीं-चीं करके अपने होने का पता भी दिया, पर हमारे माता-पिता तो कहीं दिखाई ही नहीं दे रहे ! कहाँ गए होंगे वे ?”

दूसरी गौरैया (चिंतित होकर) – “हाँ, मैं भी कब से ढूँढ़ रही हूँ। लगता है कहीं दाना लेने गए होंगे। जल्दी आ जाएँगे। लेकिन देखो न ! यह नया घर कितना अच्छा है। ”

पहली गौरैया -“हाँ, सच में। अगर माता-पिता यहीं आ जाएँ तो कितना अच्छा हो। चलो, मिलकर उन्हें ढूँढ़ते हैं।”



(ख) “चिड़ियाँ एक-दूसरे से पूछ रहीं हैं कि यह आदमी कौन है और नाच क्यों रहा है?” घोंसले से झाँकती गौरैयाँ क्या-क्या बातें कर रही होंगी?
उत्तर:
पहली गौरैया (धीरे से फुसफुसाकर) – “ अरे देख तो, वे दोनों आदमी कौन हैं? और क्यों बार-बार हमारी तरफ़ देख रहे हैं? ऐसा लग रहा है जैसे वे हमारे बारे में बातें कर रहे हैं। “दूसरी गौरैया (मज़ाकिया अंदाज़ में) – “ शायद सोच रहे होंगे कि ये नन्ही- नन्ही गौरैया कहाँ से आ गईं? और इतना शोर क्यों कर रही हैं ! पहली गौरैया (हंसकर ) – ” सच कह रही हो । लगता है डर भी रहे हैं कहीं हम उनके घर में घोंसला न बना लें।” दूसरी गौरैया – “चलो छोड़ो, हमें क्या लेना उनकी बातों से। हमें अपना घर बसाना है ।”

(ग) “एक दिन दो गौरैया सीधी अंदर घुस आईं और बिना पूछे उड़-उड़कर मकान देखने लगीं। ” जब उन्होंने पहली बार घर में प्रवेश किया तो उन्होंने आपस में क्या बातें की होंगी?
उत्तर:
पहली गौरैया (उत्साहित होकर) – “देखो-देखो! मैं अंदर आ गई और क्या शानदार जगह है। दीवार के कोने में तो बहुत ही सुंदर जगह है घोंसले के लिए।”

दूसरी गौरैया (खुश होकर) – “ सच में। लगता है ये घर अब हमारा होने वाला है। और सबसे अच्छी बात, यहाँ बिल्लियाँ भी नहीं हैं। ” पहली गौरैया – ” तो देर किस बात की ? चलो जल्दी से तिनके, सूखी घास और रुई लेकर आएँ।”

(घ) “उनके माँ-बाप झट से उड़कर अंदर आ गए और चीं-चीं करते उनसे जा मिले और उनकी नन्हीं-नन्हीं चोंचों में चुग्गा डालने लगे।” गौरैयों और उनके बच्चों ने क्या-क्या बातें की होंगी?
उत्तर:
पहली गौरैया (तेजी से उड़कर आते हुए) – ‘अरे-अरे! देखो तो, माता-पिता आ गए! और देखो, उनके मुँह में तो दाना भी है ।”
दूसरी गौरैया (खुशी से चहकते हुए) -“हाँ! और वे हमें देखकर चीं-चीं कर रहे हैं। वे हमें पहचान गए। देखो, कैसे हमारे लिए दाना लाए हैं।”
पहली गौरैया – माँ ! मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही थी ।
दूसरी गौरैया – माँ, तुमने इतनी देर क्यों लगाई ?
दोनों मिलकर – आप हमारे लिए दाना लाए, बहुत खुशी हुई। धन्यवाद ! हमें बहुत भूख लगी थी ।

बदली कहानी

मान लीजिए कि घोंसले में अंडों से बच्चे न निकले होते। ऐसे में कहानी आगे कैसे बढ़ती ? यह बदली हुई कहानी लिखिए।
उत्तर:
दो गौरैयाँ, चीं-चीं करती हुई उस नए मकान की खिड़की पर आ बैठीं। वहाँ दीवार के कोने में उनका पुराना घोंसला था। कुछ दिन पहले जब मकान खाली था, उन्होंने जल्दी-जल्दी घास, रुई और तिनकों से घोंसला बना लिया था । उस घोंसले में अब चार छोटे-छोटे अंडे रखे थे।
गौरैयाँ हर दिन बारी-बारी घोंसले में बैठतीं और अंडों को सेतीं। दिन-भर दाना लाना, आस-पास नज़र रखना और शाम होते-होते लौट आना-यही दिनचर्या थी ।
एक दिन, जब वे दोनों दाना लेने बाहर गईं, तभी मकान में कुछ लोग रहने आ गए। जब गौरैयाँ लौटकर आईं, तो देखा – दरवाज़े पर ताला है और खिड़की भी बंद।
गौरैया 1 (घबराकर) – “ अरे ! यह क्या हो गया ? हमारा घोंसला अंदर है और अंडे भी! अब हम अंदर कैसे जाएँ?”
गौरैया 2 (बेचैन होकर) – ” मैंने तो सोचा भी नहीं था कि कोई यहाँ रहने आ जाएगा। अब हमारे अंडों का क्या होगा?”
वे दोनों बार-बार खिड़की के पास जाकर चीं-चीं करने लगीं, ताकि कोई सुन ले । लेकिन खिड़की के अंदर एक आदमी और एक बच्चा बातें कर रहे थे।
बच्चा (अंदर से) – “ पिताजी, देखिए ! दो गौरैया बार-बार खिड़की पर आ रही हैं। शायद इनका घोंसला यहीं कहीं है ।”
पिताजी (हैरान होकर) – ” सच कह रहा है बेटा | चलो देखते हैं।”
उन्होंने खिड़की खोली। गौरैयाँ चीं-चीं करती हुई घोंसले की तरफ़ भागीं । पिताजी ने भी देखा – दीवार के कोने में तिनकों का घोंसला था और उसमें चार छोटे-छोटे अंडे रखे थे।
पिताजी (बेटे से) – “देखो बेटा, ये भी इस घर के मेहमान हैं। जब तक इनके बच्चे अंडों से बाहर न आ जाएँ, तब तक हम इनका ध्यान रखेंगे।”
बच्चा (खुश होकर) – “मैं रोज़ इन्हें दाना दूँगा और कोई इन्हें तंग नहीं करेगा ।”
उस दिन से दोनों गौरैयाँ बिना डरे आतीं, घोंसले में बैठतीं, अंडों को सेतीं। पिताजी – बेटा खिड़की पर पानी और दाना रख देते। कुछ दिनों बाद, अंडों से नन्हे-नन्हे गौरैयाँ के बच्चे निकले, तब पूरा घर उनकी चीं-चीं से गूँज उठा।
पिताजी मुस्कुरा कर बोले – ” अरे वाह! हमारे घर में नन्हे मेहमान आ गए। ”
बच्चा (खुश होकर) – “अब मैं इनका नाम भी रखूँगा !”

मुख्य संदेश
इस बदली कहानी से हमें सीखने को मिलता है। कि चाहे परिस्थितियाँ बदल जाएँ, अगर इंसान चाहे तो हर जीव को जीने का हक दे सकता है। थोड़ी-सी समझदारी और दया से हम उनके जीवन को भी बचा सकते हैं।

कहने के ढंग / क्रिया विशेषण



“माँ खिलखिलाकर हँस दीं। ”
इस वाक्य में ‘खिलखिलाकर’ शब्द बता रहा है कि माँ कैसे हँसी थीं। कोई कार्य कैसे किया गया है, इसे बताने वाले शब्द ‘क्रिया विशेषण’ कहलाते हैं। ‘खिलखिलाकर’ भी एक क्रिया विशेषण शब्द है।
अब नीचे दिए गए रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए । इन शब्दों का प्रयोग करते हुए अपने मन से वाक्य बनाइए ।

(क) पिताजी ने झिड़ककर कहा, ” तू खड़ा क्या देख रहा है?”
(ख) “देखो जी, चिड़ियों को मत निकालो”, माँ ने अबकी बार गंभीरता से कहा ।
(ग) “किसी को सचमुच बाहर निकालना हो, तो उसका घर तोड़ देना चाहिए”, उन्होंने गुस्से में कहा।
अब आप इनसे मिलते-जुलते कुछ और क्रिया विशेषण शब्द सोचिए और उनका प्रयोग करते हुए कुछ वाक्य बनाइए।
(संकेत- धीरे से, जोर से अटकते हुए, चिल्लाकर, शरमाकर, सहमकर, फुसफुसाते हुए आदि ।)
उत्तर:
(क) अध्यापिका ने झिड़ककर कहा – ” गृह कार्य समय पर किया करो।”
(ख) ‘अपनी परीक्षा की तैयारी ध्यानपूर्वक करो”, माँ ने गंभीरता से कहा।
(ग) “बिना वज़ह कमरे में शोर मचाओगे, तो सबको बाहर निकाल दूँगा” पिताजी ने गुस्से में कहा।
अन्य शब्द –
(क) माँ ने मुझे धीरे से कहा कि जल्दी करो ।
(ख) नेहा ज़ोर से पैर पटकती हुई बाहर चली गई ।
(ग) बच्चों ने माँ को फोन पर अटकते हुए कहा कि वे घर देर से आएँगे ।
(घ) दादाजी ने चिल्लाकर सारा घर सिर पर उठा लिया।
(ङ) दीपशिखा शरमाकर बोली कि उसकी शादी तय हो गई है।
(च) विद्यार्थी ने सहमकर अध्यापिका को कहा कि आज वह काम नहीं कर पाया ।
(छ) बच्चे फुसफुसाते हुए अरुणिमा की बुराइयाँ करने लगे।



घर के प्राणी

कहानी में आपने पढ़ा कि लेखक के घर में अनेक प्राणी रहते थे। लेखक ने उनका वर्णन ऐसे किया है जैसे वे भी मनुष्यों की तरह व्यवहार करते हैं। कहानी में से चुनकर उन प्राणियों की सूची बनाइए और बताइए कि वे मनुष्यों जैसे कौन-कौन से काम करते थे?

(क) बिल्ली – ‘फिर आऊँगी’ कहकर चली जाती है।
(ख) – ………………………………..
(ग) – ………………………………..
(घ) – ………………………………..
(ङ) – ………………………………..
उत्तर:
(क) बिल्ली – ‘फिर आऊँगी’ कहकर चली जाती है।
(ख) पक्षी – हमारे घर का पता लिखवाकर लाए हो ।
(ग) चूहा – शायद बूढ़ा है, उसे सर्दी बहुत लगती है।
(घ) चीटियाँ – फौज ही छावनी डाले बैठी हैं।
(ङ) गौरैयाँ – मज़े से दोनों बैठी गाना गा रही हैं।

हेर-फेर मात्रा का


“माँ और पिताजी दोनों सोफे पर बैठे उनकी ओर देखे जा रहे थे। ”
“पहले इन्हें उड़ा देते, तो उड़ जातीं”
उपर्युक्त वाक्यों में रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए । आपने ध्यान दिया होगा कि शब्द में एक मात्रा – भर के अंतर से उसके अर्थ में परिवर्तन हो जाता है।
अब नीचे दिए गए शब्दों की मात्राओं और अर्थों के अंतर पर ध्यान दीजिए। इन शब्दों का प्रयोग करते हुए अपने मन से वाक्य बनाइए ।



1. नाच-नाचा-नचा
उत्तर:
बंदर नाच रहा है।
बच्चा पिताजी के साथ खूब नाचा ।
दादी ने आते ही सबको नचा डाला।

2. हार- हरा-हारा
उत्तर:
आज मैं फुटबॉल मैच हार गया ।
बाज़ार से हरा धनिया ले आओ।
देवांग ने बहुत मुश्किलें देखी लेकिन अपने जीवन से कभी नहीं हारा ।

3. पिता-पीता
उत्तर:
पिता का सम्मान करना सीखो।
रमन सदैव ठंडा दूध पीता है।

4. चूक- चुक
उत्तर:
जीवन में पहली बार में उसकी मदद करने से चूक गया।
मेरा सारा उधार चुक गया।

5. नीचा- नीचे
उत्तर:
जीवन में कभी किसी को नीचा नहीं दिखाना चाहिए।
प्रणव मेरे घर के नीचे रहता है।

6. सहसा – साहस
उत्तर:
काम करते-करते सहसा मुझे पिताजी की याद आ गई।
प्रत्येक कार्य को साहस से करना चाहिए ।

वाद-विवाद

कहानी में माँ द्वारा कही गई कुछ बातें नीचे दी गई हैं- ” अब तो ये नहीं उड़ेंगी। पहले इन्हें उड़ा देते, तो उड़ जातीं।”
‘एक दरवाजा खुला छोड़ो, बाकी दरवाजे बंद कर दो। तभी ये निकलेंगी।”
‘देखो जी, चिड़ियों को मत निकालो। अब तो इन्होंने अंडे भी दे दिए होंगे। अब यहाँ से नहीं जाएँगी।”
कक्षा में एक वाद-विवाद गतिविधि का आयोजन कीजिए। वाद-विवाद का विषय है-
“माँ चिड़ियों को घर से निकालना चाहती थीं।”
कक्षा में आधे समूह इस कथन के पक्ष में और आधे समूह इसके विपक्ष में तर्क देंगे।
उत्तर:
विद्यार्थी शिक्षक/शिक्षिका की मदद द्वारा करें।

कहानी की रचना

“कमरे में फिर से शोर होने लगा था, पर अबकी बार पिताजी उनकी ओर देख-देखकर केवल मुसकराते रहे ।”
इस पंक्ति में बताया गया है कि पिताजी का दृष्टिकोण कैसे बदल गया। इस प्रकार यह विशेष वाक्य है। इस तरह वाक्यों से कहानी और अधिक प्रभावशाली बन जाती है।

(क) आपको इस कहानी में ऐसी अनेक विशेषताएँ दिखाई देंगी। उन्हें अपने समूह के साथ मिलकर ढूँढ़िए और उनकी सूची बनाइए।
उत्तर:

1. वह शोर मचता है कि कानों के पर्दे फट जाएँ, पर लोग कहते हैं कि पक्षी गा रहे हैं !

2. इस पर पिताजी को गुस्सा आ गया। वह उठ खड़े हुए और बोले, ” देखता हूँ ये कैसे यहाँ रहती हैं ! गौरैयाँ मेरे आगे क्या चीज हैं! मै अभी निकाल बाहर करता हूँ।”

3. पिताजी कहने लगे कि मकान का निरीक्षण कर रही हैं कि उनके रहने योग्य है या नहीं।

4. माँ को ऐसे मौकों पर हमेशा मजाक सूझता है । हँसकर बोली, “चिड़ियाँ एक-दूसरे से पूछ रही हैं कि यह आदमी कौन है और नाच क्यों रहा है?”

(ख) इस कहानी की कुछ विशेषताओं को नीचे दिया गया है। इनके उदाहरण कहानी में से चुनकर लिखिए ।
उत्तर:
विद्यार्थी शिक्षक/शिक्षिका की मदद द्वारा करें।

आपकी बात


उत्तर:


कहानी की विशेषताएँ

कहानी में से उदाहरण


1. किसी बात को कल्पना से बढ़ा-चढ़ाकर कहना

जो भी पक्षी पहाड़ियों – घाटियों पर से उड़ता हुआ दिल्ली पहुँचता है, पिताजी कहते हैं वही सीधा हमारे घर पहुँच जाता है, जैसे हमारे घर का पता लिखवाकर लाया हो ।


2. हास्य यानी हँसी-मज़ाक का उपयोग किया जाना ।

माँ हँसकर बोली, “चिड़ियाँ एक-दूसरे से पूछ रही हैं कि यह आदमी कौन है और नांच क्यों रहा है?”


3. सोचा कुछ और, हुआ कुछ और

दूसरे दिन इतवार था जब हम नीचे उतरकर आए तो वे फिर से मौजूद थी और मजे से बैठी मल्हार गा रही थी।


4. दूसरों के मन के भावों का अनुमान लगाना

एक चूहा अँगीठी के पीछे बैठना पसंद करता है। शायद बूढ़ा उसे सर्दी बहुत लगती है।


5. किसी की कही बात को उसी के शब्दों में लिखना

घर में तीन ही व्यक्ति रहते हैं-माँ, पिताजी और मैं।


6. किसी प्राणी या उसके कार्य को कोई अन्य नाम देना ।

पिताजी कहते हैं कि यह घर सराय बना हुआ है। हम तो जैसे यहाँ मेहमान हैं घर के मालिक तो दूसरे ही हैं।


7. किसने किससे कोई बात कही, यह सीधे-सीधे बताए बिना उस संवाद को लिखना ।

जो भी पक्षी पहाड़ियों – घाटियों पर से उड़ता हुआ दिल्ली पहुँचता है; पिताजी कहते हैं वही सीधा हमारे घर पहुँच जाता है जैसे हमारे घर का पता लिखवाकर लाया हो ।


पाठ से आगे
प्रश्न – अभ्यास (पृष्ठ 25-28)

(क) “गौरैयों ने घोंसले में से सिर निकालकर नीचे की ओर झाँककर देखा और दोनों एक साथ ‘चीं-चीं’ करने लगीं। ” आपने अपने घर के आप-पास पक्षियों को क्या-क्या करते देखा है ? उनके व्यवहार में आपको कौन-कौन से भाव दिखाई देते हैं?
(ख) “कमरे में फिर से शोर होने लगा था, पर अबकी बार पिताजी उनकी ओर देख-देखकर केवल मुसकराते रहे। ” कहानी के अंत में पिताजी गौरैयों का अपने घर में रहना स्वीकार कर लेते हैं। क्या आप भी कोई स्थान या वस्तु किसी अन्य के साथ साझा करते हैं? उनके बारे में बताइए । साझेदारी में यदि कोई समस्या आती है तो उसे कैसे हल करते हैं?
(ग) परिवार के लोग गौरैयों को घर से बाहर भगाने की कोशिश करते हैं, किंतु गौरैयों के बच्चों के कारण उनका दृष्टिकोण बदल जाता है। क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि किसी को देखकर या किसी से मिलकर आपका दृष्टिकोण बदल गया हो?
उत्तर:
(क) मैंने अपने घर के पास कई पक्षियों को दाना चुगते, चहचहाते, अपने बच्चों को खाना खिलाते और घोंसला बनाते देखा है। इन पक्षियों के व्यवहार से मुझे कई बातें सीखने को मिली हैं जैसे-
परिश्रम – वे घोंसले के लिए तिनका-तिनका घास और पत्तियाँ जोड़ते हैं।
ममता – अपने बच्चों की रक्षा और देखभाल करते हैं।
सहयोग – नर-मादा दोनों मिलकर बच्चों की देखभाल करते हैं।
सजगता – खतरे को भाँपकर तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं।

(ख) पहले मुझे हरे पत्तेदार हरी सब्जियाँ खाना अच्छा नहीं लगता था, लेकिन बाद में जब माँ ने बताया कि ये सेहत के लिए बहुत अच्छी होती हैं और स्वाद के साथ पकाकर खिलाई, तो अब मुझे वे पसंद आने लगीं। इस बदलाव की वजह जानकारी और आदत दोनों हैं।

(ग) हाँ, मुझे कुत्ता पालना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था लेकिन एक दिन मेरी बहन एक कुत्ता ले आई। मैं उससे दूर-दूर ही रहता था, लेकिन थोड़े दिनों में वह हमसे बहुत प्यार करने लगा। घर की पूरी रखवाली करता। कोई हमारे घर में पैर न रख सकता था। तब मुझे उसकी संवेदनशीलता का पता चला और मेरा दृष्टिकोण बदल गया।



चिड़ियों का घोंसला

घोंसला बनाना चिड़ियों के जीवन का एक सामान्य हिस्सा है। विभिन्न पक्षी अलग-अलग तरह के घोंसले बनाते हैं। इन घोंसलों में वे अपने अंडे देते हैं और अपने चूजों को पालते हैं।

(क) अपने आस-पास विभिन्न प्रकार के घोंसले ढूँढ़िए और उन्हें ध्यान से देखिए और नीचे दी गई तालिका को पूरा कीजिए। (सावधानी-उन्हें हाथ न लगाएँ अन्यथा पक्षियों, उनके अंडों और आपको भी खतरा हो सकता है |)


उत्तर:


घोंसले को कहाँ देखा

घोंसला किन चीजों से बनाया गया था

घोंसला खाली था या नहीं

घोंसला किस पक्षी का था


1. आम के पेड़ की डाल पर

सूखे तिनके, घास और पत्तियाँ

नहीं, अंडे थे

कबूतर


2. छत के कोने में

कपड़े के टुकड़े, धागे और पॉलिथीन

हाँ, खाली था

गौरैया


3. स्कूल के गेट के पास झाड़ी में

टहनियाँ, सूखे पत्ते, मिटटी

नहीं, चूजे थे

मैना


4. दीवार की दरार में

केवल सूखे तिनके और रूई

हाँ, खाली था

तोता


5. पेड़ के खोखले तने में

लकड़ी की छाल, पंख और सूखी घास

नहीं, अंडे थे

कोई भी पक्षी


(ख) विभिन्न पक्षियों के घोंसलों के संबंध में एक प्रस्तुति तैयार कीजिए। उसमें आप चाहें तो उनके चित्र और थोड़ी रोचक जानकारी सम्मिलित कर सकते हैं।
उत्तर:
विद्यार्थी शिक्षक/शिक्षिका की मदद द्वारा करें।

मल्हार

“जब हम लोग नीचे उतरकर आए तो वे फिर से मौजूद थीं और मजे से बैठी मल्हार गा रही थीं।”
‘मल्हार’ भारतीय शास्त्रीय संगीत के एक प्रसिद्ध राग का नाम है। यह राग वर्षा ऋतु से जुड़ा है। आप जानते ही हैं कि आपकी हिंदी पाठ्यपुस्तक का नाम मल्हार भी इसी राग के नाम पर है।
नीचे दी गई इंटरनेट कड़ियों के माध्यम से राग मल्हार को सुनिए और इसका आनंद लीजिए-





हास्य-व्यंग्य

“छोड़ो जी, चूहों को तो निकाल नहीं पाए, अब चिड़ियों को निकालेंगे! माँ ने व्यंग्य से कहा ।”
आप समझ गए होंगे कि इस वाक्य में माँ ने पिताजी से कहा है कि वे चिड़ियों को नही निकाल सकते। इस प्रकार से कही गई बात को ‘व्यंग्य करना’ कहते हैं।

व्यंग्य का अर्थ होता है- हँसी-मज़ाक या उपहास के माध्यम से किसी कमी, बुराई या विडंबना को उजागर करना।
व्यंग्य में बात को सीधे न कहकर उलटा या संकेतात्मक ढंग से कहा जाता है ताकि उसमें चुटकीलापन भी हो और गंभीर सोच की संभावना भी बनी रहे। अनेक बार व्यंग्य में हास्य भी छिपा होता है।

(क) आपको इस कहानी में कौन-कौन से वाक्य पढ़कर हँसी आई ? उन वाक्यों को चुनकर लिखिए ।
(ख) अब चुने हुए वाक्यों में से कौन-कौन से वाक्य ‘व्यंग्य’ कहे जा सकते हैं? उन पर सही का चिह्न लगाइए।
उत्तर:
(क) विद्यार्थी स्वयं करें।
(ख) विद्यार्थी स्वयं करें।

आज की पहेली

नीचे दी गई चित्र – पहेली में बिल्ली को चूहे तक पहुँचाइए ।

उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।



झरोखे से

‘दो गौरैया’ कहानी में आपने पढ़ा कि ‘दो गौरैया’ लेखक के घर में बिन बुलाए अतिथि की तरह आ जाती हैं। पिछले कई वर्षों से गाँव – नगरों में इन नन्हीं चिड़ियों की संख्या निरंतर कम होती जा रही है। इसलिए भारत सरकार ने इनके संरक्षण के लिए 20 मार्च को ‘विश्व गौरैया दिवस’ घोषित किया है। आइए, पढ़ते हैं ‘विश्व गौरैया दिवस’ पर प्रेस सूचना ब्यूरो द्वारा प्रकाशित लेख का एक अंश-

कभी बहुतायत में पाई जाने वाली घरेलू गौरैया अब कई जगहों पर एक दुर्लभ दृश्य और रहस्य बन गई है। इन छोटे प्राणियों के पति जागरूकता बढ़ाने और उनकी रक्षा करने के लिए, हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है।

भारत में गौरैया सिर्फ़ पक्षी नहीं हैं; वे साझा इतिहास और संस्कृति का प्रतीक हैं। हिंदी में “गौरैया”, तमिल में ” कुरुवी” और उर्दू में “चिरिया ” जैसे कई नामों से जानी जाने वाली गौरैया पीढ़ियों से दैनिक जीवन का हिस्सा रही हैं।
उनकी महत्ता के बावजूद, गौरैया तेज़ी से लुप्त हो रही हैं। इस गिरावट के कई कारण हैं। सीसा रहित पेट्रोल के | उपयोग से जहरीले यौगिक पैदा हुए हैं जो उन कीटों को नुकसान पहुँचाते हैं, जिन पर गौरैया भोजन के लिए निर्भर हैं। शहरीकरण ने उनके प्राकृतिक घोंसले के स्थान भी छीन लिए हैं। आधुनिक इमारतों में वे स्थान नहीं होते जहाँ गौरैया घोंसला बना सकें, जिससे उनके बच्चों को पालने के लिए जगह कम हो गई है।
साभार- पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (भारत सरकार)

साझी समझ

नीचे दी गई इंटरनेट कड़ी का प्रयोग कर इस लेख को पूरा पढ़िए और कक्षा में चर्चा कीजिए ।
https://www.pib.gov.in/press ReleasePage. aspx?PRID=2112370

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