बुधवार, 29 सितंबर 2021

रोटी की तलाश (कविता)

 
रोटी की तलाश (कविता)

 

घर छूटा, गलियाँ छूटी, और छूटा चौबारा,
दोस्त छूटे, सगे रूठे, जब गए न हम दोबारा।
निकल आए सब छोडछाड, अच्छे जीवन की आस में,
ले गया जीवन सब कुछ, सिर्फ रोटी की तलाश में।।

अब न दोस्त बचे हैं, न हंसी के ठहाके हैं,
त्यौहार भी उनके बिन, लगते फीके-फीके हैं।
किसके कंधे रखकर रोऊँ, कोई नहीं है पास में,
हमदर्द का साथ छूट गया, सिर्फ रोटी की तलाश में।।

रोटी की तलाश (कविता)



पैसा तो हमने खूब कमाया, खूब गवांया करते हैं,
चाय का प्याला हाथ में लेकर, साथी को तरसा करते हैं।
न जाने किसकी नजर लगी, इस साल के मधुमास में,
फिर भी बैठे लगाकर आस, सिर्फ रोटी की तलाश में।।

BY
Dinesh kumar Sharma

आपको यह कविता कैसी लगी ? मुझे कमेंट बॉक्स में लिखकर अवश्य बताएँ
धन्यवाद


हमारे अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए क्लिक करें:-














कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Class 6th sanskrit solutions

CH-1 Shabd-Parichay-1 CH-2 Shabd Parichay-2 CH-3 Shabd Parichay-3