NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Part-3 Chapter-9 जहाँ पहिया है Jahan Pahiya Hai
वसंत भाग-3 कक्षा- आठवीं हिंदी
Chapter-9 जहाँ पहिया है Jahan Pahiya Hai
शब्दार्थ, पाठ का सार, सारांश, प्रश्नोत्तर और अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)
जंजीरें
प्रश्न 1. “… उन
जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकड़े हुए हैं, कोई-न-कोई
तरीका लोग निकाल ही लेते हैं…” आपके विचार से लेखक जंजीरों द्वारा किन समस्याओं की
ओर इशारा कर रहा है?
उत्तर :
लेखक ने
जंजीरों के माध्यम से तमिलनाडु के पुडुकोट्टई जिले की महिलाओं की विभिन्न समस्याओं
की ओर इशारा किया गया है। ये महिलाएँ रूढ़िवादिता, पिछड़ेपन एवं बंधनों से परिपूर्ण जीवन बिता रही थीं। ये
महिलाएँ न तो स्वतंत्र निर्णय ले पाती थीं, न व्यक्तिगत स्वतंत्रता
का अनुभव कर पाती थीं। इन्हीं को लेखक ने जंजीरें माना हैं।
प्रश्न 2. क्या आप
लेखक की इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण भी बताइए।
उत्तर :
‘...उन जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकड़े हुए
हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते
है..’ लेखक के इस कथन से हम सहमत हैं क्योंकि मनुष्य अपने स्वभाव के अनुसार अधिक
समय तक बंधनों में बंधकर नहीं रह सकता हैं। समाज के द्वारा बनाई गई रूढिया और
रूढ़िवादी प्रथाएँ अपनी सीमाओं को लाँघने लगे तो समाज में इसके विरूद्ध एक क्रांति
अवश्य जन्म लेती है, जो
इन रूढ़ियों के बंधनों को तोड़ डालती है। ठीक वैसे ही तमिलनाडु के पुडुकोट्टई गाँव
में हुआ है। महिलाओं ने अपनी स्वाधीनता व आज़ादी के लिए साइकिल चलाना प्रारंभ किया
और वह आत्मनिर्भर हो गई।
पहिया
प्रश्न 1. ‘साइकिल
आंदोलन’ से पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में कौन-कौन से बदलाव आए हैं?
उत्तर :
‘साइकिल आंदोलन' से पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में निम्नलिखित बदलाव आए:
- महिलाएँ अपनी स्वाधीनता व आज़ादी के प्रति जागरूक हुई।
- कृषि उत्पादों को निकट के गाँवों में बेचकर उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी और इस कारण वे आत्मनिर्भर हो गई।
- समय और मेहनत की बचत हुई।
- स्वयं के लिए आत्मसम्मान की भावना का जन्म हुआ।
- अब उन्हें बस का इंतजार करते हुए समय नष्ट करने की आवश्यकता नहीं थी।
- अब ये महिलाएँ आत्मनिर्भर हो गईं। उन्हें बस स्टाप तक जाने के लिए भाई, पिता, पति या बेटे पर निर्भर होने की आवश्यकता नहीं थी।
प्रश्न 2. शुरुआत
में पुरुषों ने इस आंदोलन का विरोध किया परंतु आर. साइकिल्स के मालिक ने इसका
समर्थन किया, क्यों?
उत्तर :
शुरूआत में पुरुषों ने इस आंदोलन का
विरोध किया क्योंकि उन्हें डर था इससे नारी समाज में प्रगति आ जाएगी। आर. साइकिल्स
के मालिक गाँव के एकमात्र लेडीज साइकिल के डीलर थे, इस आंदोलन से उसकी आय में वृद्धि होना स्वभाविक था। इसलिए
उन्होंने स्वार्थवश आंदोलन का समर्थन किया।
प्रश्न 3. प्रारंभ
में इस आंदोलन को चलाने में कौन-कौन सी बाधा आई?
उत्तर: फातिमा ने जब इस आंदोलन की शुरूआत की तो उसको
बड़ी कठिनाइयों से निपटना पड़ा। उसे लोगों की फब्तियाँ (गंदी टिप्पणियाँ) सुननी
पड़ी। फातिमा मुस्लिम परिवार की थी, जो बहुत ही रूढ़िवादी थे। उन्होंने उसके उत्साह को खत्म
करने का प्रयास किया। पुरुषों ने भी इस आंदोलन का बहुत विरोध किया। दूसरी कठिनाई
यह थी कि लेडीज साइकिल वहाँ पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं थी।
शीर्षक की बात
प्रश्न 1. आपके
विचार से लेखक ने इस पाठ का नाम ‘जहाँ पहिया है’ क्यों रखा होगा?
उत्तर :
मेरे
विचार से लेखक ने इस पाठ का नाम ‘जहाँ पहिया है इसलिए रखा होगा। क्योंकि पहिए को
गतिशीलता का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा पूरा पाठ साइकिल के आसपास घूमता रहता
है। यह वह साधन है, जिसने तमिलनाडु स्थित पुडुकोट्टई जिले की महिलाओं की स्थिति ही बदलकर रख
दी। उनकी रूढ़िवादी जिंदगी बदल गई और उनमें आत्मनिर्भरता की भावना बढ़ गई।
प्रश्न 2. अपने मन
से इस पाठ का कोई दूसरा शीर्षक सुझाइए। अपने दिए हुए शीर्षक के पक्ष में तर्क
दीजिए।
उत्तर :
मेरे मन
से इस पाठ का अन्य शीर्षक-‘पहिए ने बदली दुनिया उनकी’ या ‘सस्ती साइकिल बड़े काम
की हो सकता है। इसका कारण यह है कि –
- यह यातायात के अन्य साधनों की अपेक्षा बहुत ही सस्ती है।
- इसकी मरम्मत करना आसान तथा बहुत ही कम खर्चीला है।
- साइकिल की सवारी व्यायाम का उत्तम साधन है।
- यह साधन पर्यावरण के लिए हितकारी है, क्योंकि इससे प्रदूषण नहीं होता
- इससे समय तथा श्रम बचने से आराम करने का समय मिल जाता है।
- दूरदराज के क्षेत्रों तथा कच्चे रास्ते या खराब रास्तों के लिए उत्तम साधन हैं।
प्रश्न - 3. साइकिल चलाने से फातिमा और पुडुकोट्टई की महिलाओं को आज़ादी का अनुभव क्यों होता होगा?
उत्तर: फातिमा के गाँव में पुरानी रूढ़िवादी परम्पराएँ थीं। वहाँ औरतों का साइकिल चलाना सही नहीं माना जाता था। इन रुढियों के बंधनों को तोड़कर स्वयं को पुरुषों की बराबरी का पद देकर फातिमा और पुडुकोट्टई की महिलाओं को आज़ादी का अनुभव होता होगा।
समझने की बात
प्रश्न 1. “लोगों
के लिए यह समझना बड़ा कठिन है कि ग्रामीण औरतों के लिए यह कितनी बड़ी चीज़ है।
उनके लिए तो यह हवाई जहाज़ उड़ाने जैसी बड़ी उपलब्धि है।” साइकिल चलाना ग्रामीण महिलाओं के लिए इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है? समूह बनाकर चर्चा कीजिए।
उत्तर :
शहरों
में यातायात के जहाँ अनेक साधन होते हैं, वही महिलाओं की दिनचर्या तथा उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता
ग्रामीण महिलाओं से बिल्कुल अलग होती है। ग्रामीण महिलाएँ पुरुष प्रधान समाज में
उन्हीं के बनाए नियमों में बँधकर घिसी-पिटी जिंदगी जीने को विवश होती हैं। अब ऐसे
में साइकिल चलाते हुए उन्हें बाहर निकलने, आर्थिक स्थिति
सुदृढ़ बनाने तथा व्यक्ति गत स्वतंत्रता में वृद्धि हो जाना उनके लिए हवाई जहाज
उड़ाने से कम नहीं होगा। सचमुच यह उनके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। छात्र इस विषय
पर स्वयं चर्चा करें।
प्रश्न 2. “पुडुकोट्टई
पहुँचने से पहले मैंने इस विनम्र सवारी के बारे में इस तरह सोचा ही नहीं था।”
साइकिल को विनम्र सवारी क्यों कहा गया है?
उत्तर :
साइकिल
को विनम्र सवारी इसलिए कहा गया है क्योंकि इसे चलाना बहुत ही आसान है और यह बहुत
कम खर्चीली है। इसे स्त्री-पुरुष दोनों ही चलाते हैं अर्थात यह स्त्री-पुरुष का
भेदभाव किए बिना उनका कहना मान लेती है।
साइकिल
प्रश्न 1. फातिमा
ने कहा, “… मैं किराए पर साइकिल लेती हूँ ताकि मैं आज़ादी और
खुशहाली का अनुभव कर सकें।” साइकिल चलाने से फ़ातिमा और पुडुकोट्टई की महिलाओं को
आज़ादी’ अनुभव क्यों होता होगा?
उत्तर :
साइकिल
चलाने से पुडुकोट्टई की महिलाओं को ‘आजादी’ का अनुभव इसलिए होता होगा क्योंकि
साइकिल पर सवार होकर वे घर की चारदीवारी से बाहर निकलती हैं और अपनी आज़ादी का
अनुभव करती हैं। इससे उनके आत्मविश्वास में वृधि होती है। साइकिल सवार इन महिलाओं
के साथ कोई रोक-टोक न होने से उनकी आज़ादी सचमुच ही बढ़ जाती है।
कल्पना से
प्रश्न 1. पुडुकोट्टई
में कोई महिला अगर चुनाव लड़ती तो अपना पार्टी-चिह्न क्या बनाती और क्यों ?
उत्तर :
पुडुकोट्टई
में कोई महिला अगर चुनाव लड़ती तो अपना पार्टी-चिह्न निश्चित रूप से साइकिल ही
बनाती। इसका कारण यह है कि पुड्कोट्टई की महिलाओं ने साइकिल चलाने को आंदोलन रूप
में लिया है। वहाँ की दस साल से बड़ी लड़कियों तथा महिलाओं में से तीन चौथाई से
अधिक ने साइकिल चलाना सीख लिया है। यही जनसंख्या तो मतदान में भाग लेती है। ऐसे
में साइकिल को पार्टी-चिह्न बनाने वालों की जीत निश्चित होती। इसके अलावा पहिया
गतिशीलता का भी प्रतीक है।
प्रश्न 2. अगर
दुनिया के सभी पहिए हड़ताल कर दें तो क्या होगा?
उत्तर :
अगर
दुनिया के सभी पहिए हड़ताल कर दें तो दुनिया भर का जीवन ठहर जाएगा। पहिया ही
यातायात तथा लोगों के आवागमन का साधन है। इसके अभाव में सभी यहाँ-वहाँ ठहर जाएँगे।
प्रश्न 3. “1992 में
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बाद अब यह जिला कभी भी पहले जैसा नहीं हो सकता।” इस
कथन की अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
1992 में
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बाद यह जिला अब पहले जैसा नहीं हो सकता”- कथन का
अभिप्राय यह है कि सन् 1992 से पहले तक पुडुकोट्टई की महिलाएँ
पुरुषों द्वारा थोपी गई जिंदगी जीने को विवश थीं किंतु इस दिन वे अपने सभी बंधन
तोड़कर बाहर निकल आईं। साइकिल सवार घंटियाँ बजाती 1500 महिलाओं
में जागृति आ चुकी थी। अब वे रूढ़िवादी बंधनों में बँधकर नहीं जी सकतीं। साइकिल
चलाना सीखने से उनमें जो आत्मनिर्भरता तथा आर्थिक समृद्धि तथा गतिशीलता आ गई थी,
फलस्वरूप वे अब पीछे मुड़कर नहीं देख सकती हैं।
प्रश्न 4. मान
लीजिए आप एक संवाददाता हैं। आपको 8 मार्च 1992 के दिन पुड्कोट्टई में हुई घटना का समाचार तैयार करना है। पाठ में दी गई
सूचनाओं और कल्पना के आधार पर एक समाचार तैयार कीजिए।
उत्तर :
पुडुकोट्टई, 9 मार्च 1992,
(विशेष संवाददाता द्वारा)-कल अंतर्राष्ट्रीय
महिला दिवस के अवसर पर पुड्कोट्टई जिला मुख्यालय से मात्र दो किमी.
दूर स्थित खेल परिसर में एक अद्भुत दृश्य देखने का मिला। यहाँ लगभग 1500 महिलाएँ साइकिल पर इंडियाँ लगाए, घंटियाँ बजातीं
जिधर से गुजरतीं, लगता था कि तूफान गुजर रहा है। कल की अबला
महिलाएँ इस कदर छा जाएँगी, इस पर विश्वास करना कठिन हो रहा
था साइकिल चलाने की यह तैयारी देखकर लोगों ने दाँतों तले उँगलियाँ दबा लीं। उन्हें
अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था। उस समय महिलाओं का जोश देखते हीं बनता
था।
प्रश्न 5. अगले
पृष्ठ पर दी गयी ‘पिता के बाद’ कविता पढ़िए। क्या कविता में और फातिमा की बात में
कोई संबंध हो सकता है? अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
पिता के
बाद दी गई कविता पढ़ने से ज्ञात होता है कि कविता में फ़ातिमा की बात में संबंध हो
सकता है। एक ओर जहाँ फ़ातिमा साइकिल चलाना सीखकर खुशहाली और व्यक्तिगत आजादी का
अनुभव करती है, वहीं दूसरी ओर इस कविता से पता चलता है कि लड़कियाँ हर स्थिति में खुश
रहने का प्रयास करती हैं। वे उत्तरदायित्वों को जिम्मेदारी पूर्वक निभाने का हौसला
रखती हैं। पिता की अनुपस्थिति में वे परिवार की जिम्मेदारी का भी वहन कर सकती हैं।
वे विपरीत परिस्थितियों में भी खुश रहने का। प्रयास करती हैं।
भाषा की बात
उपसर्गों और प्रत्ययों के
बारे में आप जान चुके हैं। इस पाठ में आए उपसर्गयुक्त शब्दों को छाँटिए। उनके मूल
शब्द भी लिखिए। आपकी सहायता के लिए इस पाठ में प्रयुक्त कुछ ‘उपसर्ग’ और ‘प्रत्यय’
इस प्रकार हैं-अभि, प्र, अनु, परि,
वि(उपसर्ग), इक, वाला,
ता, ना।
उत्तर :
सामाजिक समाज इक
पिछड़ेपन पिछड़ा पन
बराबरी बराबर ई
मूर्खतापूर्ण मूर्खता पूर्ण
अंतिम अंत इम
सतर्कता सतर्क ता
आर्थिक अर्थ इक
सीखनेवाली सीखना वाली
महत्त्वपूर्ण महत्त्व पूर्ण
व्यक्तिगत व्यक्ति गत
गतिशीलता गतिशील ता
बराबरी बराबर ई
अभिव्यक्त अभि व्यक्त
अनुभव अनु भव
विनम्र वि नम्र
प्रदर्शन प्र दर्शन
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें