NCERT
Solutions for Class 8th Sanskrit Chapter
11 - सावित्री
बाई फुले Savitribai fhule Hindi
Translation and Question Answer
शब्दार्थ, अनुवाद, पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास, योग्यता विस्तार
Class
8 Sanskrit Chapter 11– सावित्री बाई फुले Savitribai fhule
Summary, Hindi Translation and Question Answer
NCERT Solutions for Class
8 Sanskrit Ruchira Chapter 11 - सावित्री बाई फुले
पाठ का परिचय (Introduction of the Lesson)
शिक्षा हमारा अधिकार है।
हमारे समाज के कई समुदायों को, जो लम्बे समय तक इससे
वंचित रहे, इस अधिकार को पाने के लिए लम्बा संघर्ष करना पड़ा।
इसकी प्राप्ति के लिए लड़कियों को विशेष रूप से विरोध का
सामना करना पड़ा। यह पाठ इसी संघर्ष का नेतृत्व
करने वाली सावित्री बाई फुले के योगदान पर केन्द्रित
है।
पाठ - शब्दार्थ एवं सरलार्थ ||
(क) उपरि
निर्मितं चित्रं पश्यत। इदं चित्रं कस्याश्चित् पाठशालायाः वर्तते। इयं सामान्या पाठशाला नास्ति। इयमस्ति
महाराष्ट्रस्य प्रथमा कन्यापाठशाला। एका शिक्षिका गृहात् पुस्तकानि आदाय चलति। मार्गे कश्चित् तस्याः उपरि धूलिं कश्चित् च प्रस्तरखण्डान् क्षिपति। परं
सा स्वदृढनिश्चयात् न विचलति।
स्वविद्यालये कन्याभिः सविनोदम् आलपन्ती सा अध्यापने संलग्ना भवति। तस्याः स्वकीयम् अध्ययनमपि सहैव
प्रचलति। केयं महिला? अपि यूयमिमां महिलां जानीथ? इयमेव महाराष्ट्रस्य प्रथमा महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले नामधेया।
शब्दार्थ:
निर्मितम् - बने हुए।
कस्याश्चित् (कस्याः + चित्) - किसी (का)।
आदाय - लेकर। धूलिम् - धूल
(को)।
कश्चित् - कोई।
प्रस्तरखण्डान् - पत्थर के
टुकड़ों को।
स्वदृढनिश्चयातु - अपने मजबूत
निश्चय से।
सविनोदम् - हँसी मजाक के साथ।
आलपन्ती - बात करती हुई।
अध्यापने - शिक्षण कार्य में संलग्ना - लगी हुई।
स्वकीयम् - अपना।
सहैव ( सह+एव) - साथ ही।
नामधेया - नामक (नाम वाली)।
इयमेव (इय + एव) - यही (यह ही)।
सरलार्थ : ऊपर बने
हुए चित्र को देखो। यह चित्र किसी विद्यालय का है। यह
सामान्य विद्यालय नहीं है। यह महाराष्ट्र का कन्याओं का पहला
विद्यालय है। एक अध्यापिका घर से पुस्तकें लेकर चलती है। रास्ते में कोई
उसके ऊपर धूल (को) और कोई पत्थर के टुकड़ों को फेंकता है। परन्तु वह अपने
मजबूत इरादे से नहीं हटती है। अपने विद्यालय में कन्याओं से हँसी - मजाक के साथ
बातचीत करती हुई वह शिक्षण कार्य में लगी होती है। उसकी अपनी पढ़ाई भी साथ
ही चल रही है। यह महिला (स्त्री) कौन है? क्या आप लोग इस महिला को जानते
हैं? यही महाराष्ट्र की पहली महिला अध्यापिका सावित्री बाई
फुले नाम वाली हैं।
(ख) जनवरी मासस्य तृतीये दिवसे 1831 तमे ख्रिस्ताब्दे महाराष्ट्रस्य नायगांव - नाम्नि स्थाने सावित्री अजायत। तस्याः माता
लक्ष्मीबाई पिता च खंडोजी इति अभिहितौ। नववर्षदेशीया सा ज्योतिबा फुले महोदयेन परिणीता। सोऽपि तदानीं त्रयोदशवर्षकल्पः एव आसीत्। यतोहि सः स्त्रीशिक्षायाः
प्रबलः समर्थकः आसीत् अतः सावित्र्याः
मनसि स्थिता अध्ययनाभिलाषा उत्सं प्राप्तवती। इतः परं सा साग्रहम् आङ्ग्लभाषाया अपि अध्ययनं कृतवती।
शब्दार्थ :
ख्रिस्ताब्दे - ईस्वीय वर्ष
में।
नाम्नि - नामक (में)।
अजायत - पैदा हुई।
अभिहितौ - कहे गए हैं।
नववर्षदेशीया - नौ साल वाली।
परिणीता - ब्याही गई।
तदानीम् - तब। त्र
योदशवर्षकल्प: - तेरह वर्ष की
आयु वाले।
यतोहि - क्योंकि।
समर्थकः - समर्थन करने (मानने)
वाले।
अध्ययनाभिलाषा - पढ़ने की इच्छा।
उत्सम् - बढ़ोत्तरी।
इतः परम् - इससे अधिक (इससे
आगे/बाद)।
सरलार्थ : जनवरी
महीने के तीसरे दिन सन् 1831 ईस्वीय वर्ष में महाराष्ट्र के
नायगाँव नामक स्थान पर सावित्री ने जन्म लिया। उनकी माता
लक्ष्मीबाई और पिता खंडोरी नाम वाले थे। नौ वर्ष की आयु वाली वह ज्योतिबा
फुले जी के साथ ब्याही गईं। वह भी उस समये तेरह वर्ष के आयु वाले थे।
क्योंकि वह स्त्रीशिक्षा के प्रबल समर्थक थे इसलिए सावित्री के मन में स्थित
पढ़ाई करने की इच्छा बढ़ गई। इससे आगे उन्होंने आग्रहपूर्वक अंग्रेजी भाषा की
भी पढ़ाई की।
(ग) 1848 तमे ख़िस्ताब्दे पुणे नगरे सावित्री ज्योतिबामहोदयेन सह कन्यानां कृते प्रदेशस्य प्रथमं विद्यालयम् आरभत। तदानीं सा
केवलं सप्तदशवर्षीया आसीत्। 1851 तमे ख्रिस्ताब्दे
अस्पृश्यत्वात् तिरस्कृतस्य समुदायस्य बालिकानां कृते पृथक्तया तया अपरः विद्यालयः प्रारब्धः।।
सामाजिककुरीतीनां
सावित्री मुखर विरोधम् अकरोत्। विधवानां शिरोमुण्डनस्य निराकरणाय सा साक्षात् नापितैः मिलिता। फलतः केचन नापिताः
अस्यां रूढौ सहभागिताम्
अत्यजन्। एकदा सावित्र्या मार्गे दृष्टं यत् कूपं निकषा शीर्णवस्त्रावृताः तथाकथिताः निम्नजातीयाः काश्चित् नार्यः
जलं पातुं याचन्ते स्म। उच्चवर्गीयाः
उपहासं कुर्वन्तः कूपात् जलोद्धरणं अवारयन्। सावित्री एतत् अपमानं सोढं नाशक्नोत्। सा ताः स्त्रियः
निजगृहं नीतवती। तडागं
दर्शयित्वा अकथयत् च यत् यथेष्टं जलं नयत। सार्वजनिकोऽयं तडागः। अस्मात् जलग्रहणे नास्ति जातिबन्धनम्। तया मनुष्याणां
समानतायाः स्वतन्त्रतायाश्च पक्षः सर्वदा
सर्वथा समर्थितः।
शब्दार्थ :
कन्यानां कृते - कन्याओं के
लिए।
आरभत - आरम्भ किया।
अस्पृश्यत्वात् - छुआछूत के
कारण से।
तिरस्कृतस्य - अपमानित (का)।
समुदायस्य - समूह की।
पृथक्तया - अलग से।
अपरः - दूसरा।
प्रारब्धः - आरम्भ किया।
मुखरम् - तेज़ (जोर - शोर से)।
शिरोमुण्डनस्य - सिर के मुंडन
का।
निराकरणाय - दूर करने के लिए।।
साक्षात् - स्वयम्।
नापितैः - नाइयों से।
फलतः - फलस्वरूप।
रूढौ - रूढ़ि में, रिवाज़ में।
सहभागिताम् - सहयोग को।
निकषा - पास।
शीर्ण - फटा - पुराना, चिथड़ा।
वस्त्रावृता (वस्त्र+आवृताः) - वस्त्रों
से लिपटीं।
निम्नजातीयाः - नीची जाति की।
पातुम् - पीने के लिए।
याचन्ते स्म - माँग रही थीं।
उपहासम् - मज़ाक को।
कुर्वन्तः - करते हुए।
जलोद्धरणम् (जल+उद्धरणम्) - पानी निकालने को।
अवारयन् - रोक रहे थे।
सोढुम् (सह्+तुमन्) - सहने के लिये।
नीतवती - ले आई।
तडागम् - तालाब को।
दर्शयित्वा - दिखाकर।
यथेष्टम् यथा+इम्) - इच्छानुसार।
नयत - ले जाओ।
सार्वजनिकः - सभी लोगों के लिए।
समर्थितः - समर्थन किया।
सरलार्थ : सन् 1848 ईस्वीय वर्ष में पुणे (पूना) नगर में
सावित्री ने ज्योतिबा जी के साथ कन्याओं (लड़कियों) के लिए राज्य का पहला
विद्यालय प्रारम्भ किया। उस समय वह केवल सत्रह साल की थी। सन् 1851 ईस्वीय वर्ष में छुआछूत के कारण अपमानित किए गए समूह की लड़कियों के लिए अलग से
उन्होंने दूसरा विद्यालय आरम्भ किया।
सामाजिक (समाज से सम्बन्धित) बुराइयों का सावित्री ने
ज़ोर - शोर से विरोध किया। विधवाओं के सिरों को
मुंडवाने का निराकरण (प्रथा बंद करने के लिए) के लिए
वह स्वयं नाइयों से मिलीं। फलस्वरूप कुछ नाइयों ने इस रिवाज़ में अपनी
भागीदारी छोड़ दी। एक बार सावित्री ने देखा कि कुएँ के पास फटे हुए वस्त्रों
में लिपटी कथित नीची जाति की कुछ स्त्रियाँ जल पीने के लिए माँग रही
थीं। ऊँची जाति की स्त्रियाँ मज़ाक करती हुई कुएँ से पानी पिलाने को मना कर
रही थीं। सावित्री इस अपमान को सह न सकी। वह उन स्त्रियों को अपने घर ले
आई और तालाब दिखाकर कहा कि इच्छानुसार पानी (घर) ले जाओ। यह तालाब सब लोगों
के लिए है। यहाँ से जल (पानी) लेने में जाति का बन्धन नहीं है। उन्होंने
मनुष्यों की समानता और स्वतन्त्रता के पक्ष का समर्थन हमेशा पूरी तरह से
किया।
(घ) “महिला सेवामण्डल’ ‘शिशुहत्या प्रतिबन्धक गृह’
इत्यादीनां संस्थानां स्थापनायां फुलेदम्पत्योः अवदानम् महत्वपूर्णम्। सत्यशोधकमण्डलस्य गतिविधिषु अपि सावित्री अतीव सक्रिया आसीत्। अस्य मण्डलस्य
उद्देश्यम् आसीत् उत्पीडितानां समुदायानां
स्वाधिकारान् प्रति जागरणम् इति।।
सावित्री
अनेकाः संस्थाः प्रशासनकौशलेन सञ्चालितवती। दुर्भिक्षकाले प्लेग - काले च सा पीडितजनानाम् अश्रान्तम् अविरतं च सेवाम्
अकरोत्। सहायता - सामग्रीव्यवस्थायै
सर्वथा प्रयासम् अकरोत्। महारोगप्रसारकाले सेवारता सा स्वयम् असाध्यरोगेण ग्रस्ता 1897 तमे ख़िस्ताब्दे निधनं गता।
साहित्यरचनया
अपि सावित्री महीयते। तस्याः काव्यसङ्कलनद्वयं वर्तते ‘काव्यफुले’ ‘सुबोधरत्नाकर’ चेति। भारतदेशे महिलोत्थानस्य
गहनावबोधाय सावित्रीमहोदयायाः जीवनचरितम्
अवश्यम् अध्येतव्यम्।
शब्दार्थ :
प्रतिबन्धक - रोकने वाला।
स्थापनायाम् - स्थापना में।
अवदानम् - योगदान।
गतिविधिषु - गतिविधियों में
सक्रिया - सक्रिय।
उत्पीडितानाम् - सताए गए का।
स्वाधिकारान् - अपने अधिकारों
के (प्रति)।
जागरणम् - जगाना।
प्रशासनकौशलेन - निर्देशन की
कुशलता से।
सञ्चालितवती - चलाया।
दुर्भिक्ष काले - अकाल के दिनों
में।
अश्रान्तम् - बिना थके हुए।
अविरतं - लगातार (निरन्तर)।
सर्वथा - पूरी तरह से।
महारोगप्रसारकाले - महान रोग के फैलाव के दिनों में
सेवारता - सेवा में लगी हुई।
ग्रस्ता - युक्त।
गता - हो गई।
महीयते - बढ़ - चढ़कर हैं।
काव्यसङ्कलनद्वयम् - दो काव्य
संग्रह।
गहनावबोधाय–गहराई से समझने के
लिए।
अध्येतव्यम् - पढ़ना चाहिए।
सरलार्थ : ‘महिला सेवा मंडल’, ‘शिशुहत्या प्रतिबन्धक गृह’ आदि संस्थाओं की
स्थापना में फुले दम्पती को योगदान महत्त्वपूर्ण है। सत्यशोधक
मंडल की गतिविधियों में भी सावित्री बहुत सक्रिय थीं। इस मंडल का उद्देश्य
पीड़ित समुदायों को अपने अधिकारों के प्रति जगाना था।
सावित्री ने अनेक संस्थाओं को अपने निर्देशन की
कुशलता से संचालित किया। अकाल के समय और प्लेग के
समय उन्होंने पीड़ित लोगों की बिना थके और लगातार सेवा
की। सहायता की वस्तुओं की व्यवस्था के लिए पूरा प्रयास किया। महारोग (प्लेग) के फैलाव के समय में सेवा में लगी हुई वे स्वयं इस महामारी से पीड़ित
हो गई और सन् 1897 ई० में मृत्यु को प्राप्त हो गईं। साहित्य
रचना में भी सावित्री बढ़ - चढ़ कर अर्थात आगे हैं। उनके
दो काव्य संग्रह हैं - ‘काव्य फुले’ और ‘सुबोध रत्नाकर’। भारत देश में
महिलाओं के उत्थान (उन्नति) की स्थिति को गहराई से समझने के लिए सावित्री
जी का जीवन परिचय अवश्य पढ़ना चाहिए।
अभ्यास-
1. एकपदेन उत्तरत –
(क) कीदृशीनां कुरीतीनां सावित्री मुखर विरोधम् अकरोत्?
उत्तरम् – सामाजिक कुरीतीनाम्।
(ख) के कूपात् जलोद्धरणम् अवारयन्?
उत्तरम् – उच्चवर्गीयाः
(ग) का स्वदृढनिश्चयात् न विचलति?
उत्तरम् – सावित्रीबाई
(घ) विधवानां शिरोमुण्डनस्य निराकरणाय सा कैः मिलिता?
उत्तरम् – नापितैः
(ङ) सा कासां कृते प्रदेशस्य प्रथमं विद्यालयम् आरभत?
उत्तरम् – बालिकानाम्
2. पूर्णवाक्येन उत्तरत –
(क) किं किं सहमाना सावित्रीबाई स्वदृढनिश्चयात् न विचलति?
उत्तरम् – स्व उपरि धूलिं प्रस्तरखण्डान् च सहमाना सावित्रीबाई स्वदृढनिश्चयात् न विचलति।
(ख) सावित्रीबाईफुलेमहोदयायाः पित्रोः नाम किमासीत्?
उत्तरम् – सावित्रीबाईफुलेमहोदयायाः मातुः नाम लक्ष्मीबाई पितुः
च नाम खण्डोजी आस्ताम्।
(ग) विवाहानन्तरमपि सावित्र्याः मनसि अध्ययनाभिलाषा कथम्
उत्साहं प्राप्तवती?
उत्तरम् – विवाहानन्तरमपि सावित्र्याः मनसि अध्ययनाभिलाषा स्वपत्युः
स्त्रीशिक्षासमर्थनेन उत्साहं प्राप्तवती।
(घ) जलं पातुं निवार्यमाणाः नारीः सा कुत्र नीतवती
किञ्चाकथयत्?
उत्तरम् – जलं पातुं निवार्यमाणाः नारी: सा निजगृहं नीतवती।
तडागं दर्शयित्वा अकथयत् च यत् यथेष्टं जलं नयत। सार्वजनिकोऽयं तडागः।
अस्मात् जलग्रहणे नास्ति जातिबन्धनम्।
(ङ) कासां संस्थानां स्थापनायां फुलेदम्पत्योः अवदानं
महत्त्वपूर्णम्?
उत्तरम् – “महिला सेवा मण्डल’ ‘शिशु हत्या प्रतिबन्धक गृह’ इत्यादीनां संस्थानां
स्थापनायां फुले दम्पत्यो: अवदानं महत्वपूर्णम्।
(च) सत्यशोधकमण्डलस्य उद्देश्य किमासीत्?
उत्तरम् – सत्यशोधकमण्डलस्य उद्देश्य आसित् उत्पीडितानां समुदायानां स्वाधिकारान् प्रति
जागरणं इति।
(छ) तस्याः द्वयोः काव्यसङ्कलनयोः नामनो के?
उत्तरम् – तस्याः द्वयोः काव्यसङ्कलनयोः नामनी ‘काव्यफुले’
‘सुबोध रत्नाकर’ च स्तः।
3. रेखाङ्कितपदानि अधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत –
(क) सावित्रीबाई, कन्याभिः सविनोदम् आलपन्ती अध्यापने संलग्ना भवति स्म।
उत्तरम् – सावित्रीबाई काभिः सविनोदम् आलपन्ती अध्यापने संलग्ना भवति स्म?
(ख) सा महाराष्ट्रस्य प्रथमा महिला शिक्षिका आसीत्।
उत्तरम् – सा कस्य प्रथमा महिला शिक्षिका आसीत्?
(ग) सा स्वपतिना सह कन्यानां कृते प्रदेशस्य प्रथमं विद्यालयम् आरभत।
उत्तरम् – सा स्वपतिना सह कासाम् कृते प्रदेशस्य प्रथमं विद्यालयम् आरभत?
(घ) तया मनुष्याणां समानतायाः स्वतंत्रतायाश्च पक्षः सर्वदा समर्थितः।
उत्तरम् – तया केषाम् समानतायाः स्वतन्त्रतायाश्च पक्षः सर्वदा समर्थिनः?
(ङ) साहित्यरचनया अपि सावित्री महीयते।
उत्तरम् – साहित्यरचनया अपि का महीयते?
4. यथानिर्देशमुत्तरत –
(क) इदं चित्रं पाठशालायाः वर्तते - अत्र ‘वर्तते’ इति क्रियापदस्य कर्तृपदं किम्?
उत्तरम् – चित्रम्
(ख) तस्याः स्वकीयम् अध्ययनमपि सहैव प्रचलति – अस्मिन्
वाक्ये विशेष्यपदं किम्?
उत्तरम् – अध्ययनम्
(ग) अपि यूयमिमां महिला जागीथ - अस्मिन् वाक्ये ‘यूयम्’ इति
पदं केभ्यः प्रयुक्तम्?
उत्तरम् – छात्रेभ्यः
(घ) सा ताः स्त्रिय: निजगृहं नीतवती – अस्मिन् वाक्ये ‘सा’
इति सर्वनामपदं कस्यै प्रयुक्तम्?
उत्तरम् – सावित्रीबाई महोदयायै
(ङ) शीर्णवस्त्रावृताः तथाकथिताः निम्नजातीयाः काश्चित् नार्यः
जलं पातुं याचन्ते
स्म – अत्र ‘नार्यः’ इति पदस्य विशेषणपदानि कति सन्ति, कानि न इति लिखत?
उत्तरम् – अत्र चत्वारि विशेषणपदानि सन्ति। तानि च शीर्णवस्त्रावृताः तथाकथिताः निम्नजातीयाः
काश्चित् च।
5. अधोलिखितानि पदानि आधृत्य वाक्यानि रचयत –
(क) स्वकीयम् |
– |
स्वकीयम् कार्यं स्वयमेव करणीयम्। |
(ख) सविनोदम् |
– |
मोहन: सर्वे: सह सविनोदम् आलपति। |
(ग) सक्रिया |
– |
सावित्रीबाई फुले नारीजागरणे सक्रिया आसीत्। |
(घ) प्रदेशस्य |
– |
महाराष्ट्र प्रदेशस्य प्रथम कन्या पाठशाला प्रसिद्धम्
अस्ति। |
(ङ) मुखरम् |
– |
साः नारी जागरणे मुखरम् कार्यम् अकरोत्। |
(च) सर्वथा |
– |
सर्वदा सर्वथा सत्यं व्यक्तव्यम् |
6. (अ) अधोलिखितानि पदानि आधृत्य वाक्यानि रचयत –
उत्तरम् –
(क) उपरि |
– |
उपरि निर्मितं चित्रं पश्चत। |
(ख) आदानम् |
– |
विचारणाम् आदानं - प्रदानं कुर्यात्। |
(ग) परकीयम् |
– |
कन्या परकीयं धनं वर्तते। |
(घ) विषमता |
– |
भारते जनेषु विषमता नास्ति। |
(ङ) व्यक्तिगतम् |
– |
वयं व्यक्तिगतम् स्वार्थं त्यक्त्वा सर्वहितम् चिन्तयेम। |
(च) आरोहः |
– |
वृक्षे आरोहः हानिकरः अपि भवति। |
(आ) अधोलिखितपदानां समानार्थकपदानि पाठात् चित्वा लिखत –
(मार्गे, अविरतम्, अध्यापने, अवदानम्, यथेष्टम्, मनसि)
उत्तरम् –
(क) शिक्षणे |
– |
अध्यापने |
(ख) पथि |
– |
मार्गे |
(ग) हृदये |
– |
मनसि |
(घ) इच्छानुसारम् |
– |
यथेष्टम् |
(ङ) योगदानम् |
– |
अवदानम् |
(च) निरन्तरम् |
– |
अविरतम् |
7. (अ) अधोलिखितानां पदानां लिङ्ग, विभक्ति वचनं च लिखत –
उत्तरम् –
|
पदानि |
|
लिङ्गम् |
विभक्ति: |
वचनम् |
(क) |
धूलिम् |
– |
स्त्रीलिंग |
द्वितीया |
एकवचन |
(ख) |
नाम्नि |
– |
नपुंसकलिंग |
सप्तमी |
एकवचन |
(ग) |
अपर: |
– |
पुल्लिंग |
प्रथमा |
एकवचन |
(घ) |
कन्यानाम् |
– |
स्त्रीलिंग |
षष्ठी |
बहुवचन |
(ङ) |
सहभागिता |
– |
स्त्रीलिंग |
प्रथमा |
एकवचन |
(च) |
नापितै: |
– |
पुल्लिंग |
तृतीया |
बहुवचन |
7. (आ) उदाहरणमनुसृत्य निर्देशानुसारं लकारपरिवर्तनं कुरुत –
यथा -
सा
शिक्षिका अस्ति। (लङ्लकारः)
सा शिक्षिका आसीत्।
(क) सा
अध्यापने संलग्न भवति। (लृटलकार:)
(ख) सः
त्रयोदशवर्षकल्पः अस्ति। (लङ्लकार:)
(ग)
महिलाः तडागात् जलं नयन्ति। (लोट्लकार:)
(घ) वयं
प्रतिदिनं पाठं पठामः। (विधिलिङ)
(ङ) किं
यूयं विद्यालयं गच्छथ? (लृट्लकार:)
(च) ते
बालकाः विद्यालयात् गृहं गच्छन्ति। (लङ्लकारः)
उत्तरम् –
(क) सा
अध्यापने संलग्न भवति। (लृटलकार:)
उत्तरम् – सा अध्यापने संलग्ना भविष्यति।
(ख) सः त्रयोदशवर्षकल्पः अस्ति। (लङ्लकार:)
उत्तरम् – सः त्रयोदशवर्षकल्पः आसीत्।
(ग) महिलाः तडागात् जलं नयन्ति। (लोट्लकार:)
उत्तरम् – महिलाः तडागात् जलम् नयन्तु।
(घ) वयं प्रतिदिनं पाठं पठामः। (विधिलिङ)
उत्तरम् – वयं प्रतिदिनं पाठम् पठेम।
(ङ) किं यूयं विद्यालयं गच्छथ? (लृट्लकार:)
उत्तरम् – किं यूयं विद्यालयम् गमिष्यथ?
(च) ते बालकाः विद्यालयात् गृहं गच्छन्ति। (लङ्लकारः)
उत्तरम् – ते बालकाः विद्यालयात् गृहम् अगच्छन्।
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