मंगलवार, 31 अक्तूबर 2023

NCERT Book Vasant Solutions Class 7 Hindi पाठ 11- नीलकंठ Neelkanth

NCERT Book Vasant Solutions Class 7 Hindi पाठ 11- नीलकंठ Neelkanth

वसंत भाग-2 कक्षा-सातवीं हिंदी

पाठ 11- नीलकंठ Neelkanth

शब्दार्थ, भावार्थ सहित व्याख्या, प्रश्नोत्तर, अन्य अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

 

नीलकंठ सार वसंत भाग - 1 (Summary of Nilkanth Vasant)

यह पाठ एक रेखाचित्र है जिसमें लेखिका ने अपने सभी पालतू पशुओं में से एक मोर जिसे उन्होंने नीलकंठ नाम दिया है उसका वर्णन किया है। उसके स्वभाव, व्यवहार और चेष्टाओं को विस्तार से बताया है।

एक बार लेखिका अतिथि को स्टेशन पहुँचाकर लौट रही थी तो बड़े मियाँ चिड़ियावाले के यहाँ से मोर-मोरनी के दो बच्चे ले आईं। जब वे दोनों पक्षी लेकर घर पहुँची तो सबने कहा कि वे मोर की जगह तीतर ले आई है। दुकानदार ने उन्हें ठग लिया है। यह सुनकर लेखिका चिढ़कर दोनों पक्षियों को अपने पढ़ने-लिखने के कमरे में ले गई। दोनों पक्षी उनके कमरे में आजादी से घूमते रहे। जब वे लेखिका से घुल-मिल गए तो वे लेखिका का ध्यान अपनी हरकतों से अपनी ओर खींचते। जब वे थोड़े बड़े हुए तो उसे अन्य पशु-पक्षियों के साथ जालीघर पहुँचा दिया गया। धीरे-धीरे दोनों बड़े होने लगे और सुंदर मोर-मोरनी में बदल गए।


मोर के सिर की कलगी बड़ी और चमकीली हो गई थी। चोंच और तीखी हो गई थी। गर्दन लंबी नीले-हरे रंग की थी। पंखों में चमक आने लगी थी। मोरनी का विकास मोर की तरह सौंदर्यमयी नहीं था परंतु वह मोर की उपयुक्त
सहचारिणी थी। मोर की नीली गरदन के कारण उसका नाम नीलकंठ रखा गया था। मोरनी मोर की छाया थी इसलिए उसका नाम राधा रखा गया। नीलकंठ लेखिका के चिड़ियाघर का स्वामी बन गया था। जब कोई पक्षी मोर की बात नहीं मानता था तब मोर उसे अपनी चोंच के प्रहार से दंड देता था। एक बार एक साँप ने खरगोश के बच्चे को मुँह में दबा लिया था। नीलकंठ ने उस साँप को अपने चोंच के प्रहार से टुकड़े कर दिए। खरगोश के बच्चे को रातभर अपने पंखों के नीचे रखकर गरमी देता रहा।

वसंत पर मेघों की सांवली छाया में अपने इंद्रधनुषी पंख फैलाकर नीलकंठ एक सहजात लय-ताल में नाचता रहता। लेखिका को नीलकंठ का नाचना बहुत अच्छा लगता। अनेक विदेशी महिलाओं ने उसकी मुद्राओं को अपने प्रति व्यक्त सम्मान समझकर उसे 'परफेक्ट जेंटलमैन' की उपाधि दे दी थी। नीलकंठ और राधा को वर्षा ऋतु बहुत अच्छी लगती थी। उन्हें बादलों के आने से पहले उनकी आहट सुनाई देने लगती थी। बादलों की गड़गड़ाहट, वर्षा की रिम-झिम, बिजली की चमक जितनी अधिक होती थी, नीलकंठ के नृत्य में उतनी ही तन्मयता और वेग बढ़ता जाता था। बरसात के समाप्त होने पर वह दाहिने ।पंजे पर दाहिना पंख और बाएँ पर बायाँ पंख फैलाकर सुखाने लग जाता था। उन दोनों के प्रेम में एक दिन तीसरा भी आ गया।

एक दिन लेखिका को बड़े मियाँ की दुकान से एक घायल मोरनी सात रुपये में मिली। पंजों की मरहमपट्टी करने पर एक महीने में वह ठीक हो गई और डगमगाती हुई चलने लगी तो उसे जाली घर में पहुँचा दिया गया उसके दोनों पैर खराब हो गए थे, जिसके कारण वह डगमगाती हुई चलती थी। उसका नाम 'कुब्जा' रखा गया था। नीलकंठ और राधा को वह जब भी साथ देखती, उन्हें मारने दौड़ती। उसने चोंच से मार-मारकर राधा की कलगी और पंख नोच डाले थे। नीलकंठ उससे दूर भागता, पर वह उसके साथ रहना चाहती।

कुब्जा की किसी भी पक्षी से मित्रता नहीं थी। कुछ समय बाद राधा ने दो अंडे दिए। वह उन अंडों को अपने पंखों में छिपाए बैठी रहती थी। जैसे ही कुब्जा को राधा के अंडों के विषय में पता चला उसने अपनी चोंच के प्रहार से उसके अंडों को तोड़ दिया। नीलकंठ इससे बहुत दु:खी हो गया। लेखिका को आशा थी कि कुछ दिनों में सब । में मेल हो जाएगा, परंतु ऐसा नहीं हुआ।

तीन-चार माह के बाद अचानक एक दिन सुबह लेखिका ने नीलकंठ को मरा हुआ पाया। न उसे कोई बीमारी हुई थी और न ही उसके शरीर पर चोट का कोई निशान था। लेखिका ने उसे अपनी शाल में लपेट कर संगम में प्रवाहित कर दिया। नीलकंठ के न रहने पर राधा कई दिन तक कोने में बैठी रह नीलकंठ का इंतज़ार करती रही। परंतु कुब्जा ने नीलकंठ के दिखाई न देने पर उसकी खोज आरंभ कर दी। एक दिन वह लेखिका की अल्सेशियन कुतिया कजली के सामने पड़ गई। कुब्जा ने उसे देखते ही चोंच से प्रहार कर दिया। कजली ने अपने स्वभाव के अनुरूप कुब्जा की गर्दन पर दो दाँत लगा दिए। कुब्जा का इलाज करवाया गया परंतु वह नहीं बची। राधा नीलकंठ की प्रतीक्षा कर रही है। बादलों को देखते ही वह अपनी केका ध्वनि से नीलकंठ को बुलाती है।

 

कठिन शब्दों के अर्थ -

 

चिड़िमार - पक्षियों को पकड़ने वाला 

बारहा - बार-बार

शावक - बच्चा 

अनुसरण - पीछे-पीछे चलना 

आविर्भूत - प्रकट 

नवागंतुक - नया-नया आया हुआ 

मार्जारी – मादा बिल्ली 

सघन - बहुत घनी

बंकिम - टेढ़ा 

नीलाभ - नीली आभा 

ग्रीवा - गरदन 

भंगिमा - मुद्रा 

युति - चमक 

उद्दीप्त होना - चमकना 

श्याम - काली 

मंथर - धीमी 

चंचु-प्रहार - चोंच से चोट करना 

आर्तक्रंदन - दर्द भरी आवाज़ में चीखना

व्यथा - पीड़ा

निश्चेष्ट - बेहोश होना 

उष्णता - गर्मी 

अधर - बीच में

कार्तिकेय - शिव का पुत्र 

नित्य - प्रतिदिन 

विस्मयाभिभूत - हैरानी भरा 

पैनी - तेज़ 

हौले-हौले - धीरे-धीरे 

पुष्पित - फूलों से 

मंजरियाँ - नई कोंपलें

स्तब्क - गुलदस्ता 

सोपान - सीढ़ी 

करुण-कथा - दुःख भरी कहानी 

विरल - बहुत कम 

पूँज - बाण की रस्सी 

सारांश - निचोड़ 

कुब्जा - कुबड़ी

दुकेली - जो अकेली न हो

मेघाच्छन्न - बादलों से ढका हुआ 

केका - मोर की बोली 

सुरम्य - मनोहर

नीलकंठ पाठ प्रवेश 

नीलकंठ” ‘महादेवी वर्माद्वारा लिखी गई एक रेखाचित्र है। महादेवी वर्मा जी को पशु – पक्षियों से बड़ा प्रेम था। नीलकंठ कहानी भी उनके द्वारा लिखी गई पशु – पक्षियों की कहानी में से एक अत्यंत सुंदर कहानी है। उनकी इस रचना में मनुष्य और पक्षियों के आपसी प्रेम का बहुत ही सुंदर रूप देखने को मिलता है। इस कहानी में महादेवी जी उनके जीवन में आए मोर के दो बच्चों के जीवन से जुड़ी घटनाओं का वर्णन कर रही हैं। दोनों बच्चे किस तरह महादेवी जी के जीवन में आए? किस तरह उन्होंने महादेवी जी के घर को अपना घर बनाया? किस तरह अन्य पशु – पक्षियों के साथ उनका मेलजोल बड़ा? उनके जीवन की दुःखद घटना कौन सी साबित हुई? और किस तरह दोनों जुदा हो गए? इन सभी प्रश्नों को और मोर के दोनों बच्चों के जीवन से जुड़ी अन्य घटनाओं को महादेवी वर्मा जी ने अत्यधिक सुंदरता के साथ इस कहानी में पिरोया है।

 

अभ्यास

प्रश्न 1 – मोर – मोरनी के नाम किस आधार पर रखे गए?
उत्तर – मोर की गर्दन का पिछला भाग नीला था जिस कारण उसका कंठ नीला दिखाई पड़ता था इसी कारण मोर का नाम नीलकंठ रखा गया और उसकी छाया के समान उसके साथ रहने के कारण मोरनी का नामकरण राधा हुआ।

 

प्रश्न 2 – जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का किस प्रकार स्वागत हुआ?
उत्तर – मोर के दोनों शावकों को जब जाली के बड़े घर में लाया गया तब वहाँ पहले से रहने वाले पशु – पक्षियों में वैसा ही कुतूहल जगा जैसा नयी दुल्हन के आने  पर परिवार में आमतौर पर होता है। लक्का कबूतर नाचना छोड़कर दौड़ पड़े और उनके चारों ओर घूम – घूमकर गुटरगूँ – गुटरगूँ की रागिनी अलापने लगे। बड़े खरगोश सभ्य सभासदों के समान एक पंक्ति में बैठकर गंभीर भाव से उनका निरीक्षण करने लगे। ऊन की गेंद जैसे छोटे खरगोश उनके चारों ओर उछलकूद मचाने लगे। तोते मानो भलीभाँति देखने के लिए एक आँख बंद करके उनका परीक्षण करने लगे। कहने का तात्पर्य यह है कि मोर के दोनों बच्चे नयी नवेली दुल्हन की तरह जाली के बड़े घर में आए थे और जाली के घर में पहले से रहने वाले पशु – पक्षियों ने परिवार के सदस्य होने के नाते उन दोनों का अच्छे से स्वागत किया था।

 

प्रश्न 3 – लेखिका को नीलकंठ की कौन – कौन सी चेष्टाएँ बहुत भाती थीं?
उत्तर – नीलकंठ देखने में बहुत सुंदर था। नीलकंठ में उसकी जातिगत विशेषताएँ तो थीं ही और उसकी हर चेष्टा अपने आप में आकर्षक थी लेकिन महादेवी वर्मा को नीलकंठ की और भी कई चेष्टाएँ भाती थीं जैसे

·       गर्दन ऊँची करके देखना।

·       विशेष भंगिमा के साथ गर्दन नीची कर दाना चुगना।

·       सतर्क हो कर पानी पीना।

·       गर्दन को टेढ़ी करके शब्द सुनना।

·       मेघों की गर्जन ताल पर उसका इंद्रधनुष के गुच्छे जैसे पंखों को मंडलाकार बनाकर तन्मय नृत्य करना।

·       जिस नुकीली पैनी चोंच से वह भयंकर विषधर को खंड – खंड कर सकता था

·       उसी से महादेवी वर्मा की हथेली पर रखे हुए भुने चने बड़ी ही कोमलता से हौले – हौले उठाना।

·       महादेवी के सामने पंख फैलाकर खड़े होना।

 

प्रश्न 4 – इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा – वाक्य किस घटना की ओर संकेत कर रहा है?
उत्तर –इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा”, यह वाक्य उस घटना की ओर संकेत कर रहा है जब लेखिका ने बड़े मियाँ से एक अधमरी मोरनी खरीदी और उसे घर ले गई। उसका नाम कुब्जा रखा गया क्योंकि पैरों की चोट के ठीक हो जाने के बाद भी वह ठीक से नहीं चल पाती थी। उसे नीलकंठ और राधा का साथ रहना नहीं पसंद नहीं आता था। वह नीलकंठ के साथ रहना चाहती थी जबकि नीलकंठ उससे दूर भागता था। कुब्जा ने ईर्ष्या के कारण एक बार राधा के अंडे तोड़कर बिखेर दिए थे। इससे नीलकंठ की प्रसन्नता का अंत हो गया था क्योंकि उसकी राधा से दूरी बढ़ गई थी। कुब्जा ने नीलकंठ के शांतिपूर्ण जीवन में ऐसा कोलाहल मचाया कि दुःख सहन न कर पाने के कारण बेचारे नीलकंठ का अंत ही हो गया।

 

प्रश्न 5 – वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था?
उत्तर – नीलकंठ और राधा को वसंत ऋतु सबसे अधिक प्रिय थी। वसंत ऋतु में जब आम के वृक्ष सुनहली मंजरियों से लद जाते थे और अशोक के वृक्ष नए पत्तों से ढक जाते थे तब नीलकंठ जालीघर में अस्थिर हो जाता था। वह वसंत ऋतु में किसी घर में बंदी होकर नहीं रह सकता था उसे फल वाले वृक्षों से कही अच्छे पुष्पित और पल्लवित वृक्ष लगते थे। तब उसे बाहर छोड़ देना पड़ता था।

प्रश्न 6 – जालीघर में रहने वाले सभी जीव एक – दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव क्यों नहीं हो पाया?
उत्तर – जालीघर में रहने वाले सभी जीव – जंतु एक – दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव नहीं हो पाया, क्योंकि कुब्जा किसी से मित्रता करना नहीं चाहती थी। वह सबसे लड़ती रहती थी, उसे केवल नीलकंठ के साथ रहना पसंद था। वह और किसी को उसके पास नहीं जाने देती थी। किसी को उसके साथ देखते ही वह चोंच से मारना शुरू कर देती थी। उसके इसी आक्रमक स्वभाव के कारण कोई उसे पसंद नहीं करता था और न ही कोई उसका मित्र बन सका।

 

प्रश्न 7 – नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से किस तरह बचाया? इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर – एक बार एक साँप जालीघर के भीतर आ गया। सब जीव – जंतु साँप को देख कर भागकर इधर – उधर छिप गए, केवल एक शिशु खरगोश साँप की पकड़ में आ गया। साँप ने उसे निगलना चाहा और उसका आधा पिछला शरीर मुँह में दबा लिया। नन्हा खरगोश धीरे – धीरे चीं – चीं कर रहा था। सोए हुए नीलकंठ ने दर्दभरी व्यथा सुनी तो वह अपने पंख समेटता हुआ झूले से नीचे आ गया। अब उसने बहुत सतर्क होकर साँप के फन के पास पंजों से दबाया, क्योंकि उसके प्रहार से नन्हें खरगोश को भी चोट आ सकती थी और फिर अपनी चोंच से सतर्कता के साथ इतने प्रहार उस साँप पर किए कि वह अधमरा हो गया और फन की पकड़ ढीली होते ही खरगोश का बच्चा मुख से निकल आया। इस प्रकार नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से बचाया।
इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की निम्न विशेषताएँ उभर कर सामने आती हैं –
सतर्कता – जालीघर के ऊँचे झूले पर सोते हुए भी उसे खरगोश के नन्हे बच्चे की धीमी – धीमी चीं – चीं की आवाज सुनाई पड़ी और उसे यह शक हो गया कि कोई प्राणी कष्ट में है और वह झट से झूले से नीचे उतरा। वहाँ की स्थिति को देखते ही बड़ी सावधानी से साँप पर प्रहार किया ताकि नन्हें बच्चे को हानि न पहुंचे।
वीरता – नीलकंठ एक कलाप्रिय प्राणी होने के साथ – साथ वीर प्राणी भी है। अकेले ही उसने साँप से खरगोश के बच्चे को बचाया और साँप के दो खंड (टुकड़े) करके अपनी वीरता का परिचय दिया।
कुशल संरक्षक खरगोश को मृत्यु के मुँह से बचाकर उसने सिद्ध कर दिया कि वह कुशल संरक्षक है। उसके संरक्षण में किसी प्राणी को कोई भय न था।

निबंध से आगे

प्रश्न 1.
यह पाठ एक रेखाचित्र’ है। रेखाचित्र की क्या-क्या विशेषताएँ होती हैं? जानकारी प्राप्त कीजिए और लेखिका के लिखे किसी अन्य रेखाचित्र को पढ़िए।
उत्तर - रेखाचित्र एक सीधी कहानी न होकर जीवन के कुछ मुख्य अंश प्रस्तुत करती है। यह एक सीधी सादी कहानी नहीं होती, बल्कि संपूर्ण जीवन की छोटी बड़ी घटनाओं का समावेश होता है। रेखाचित्र में भावनात्मक और संवेदना होती है। ये अत्यंत स्वाभाविक और सरल होते हैं। इनमें बनावट लेशमात्र भी नहीं होती। अन्य रेखाचित्र महादेवी के संग्रह से पढिए।

प्रश्न 2. वर्षा ऋतु में जब आकाश में बादल घिर आते हैं तब मोर पंख फैलाकर धीरे-धीरे मचलने लगता हैयह मोहक दृश्य देखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर- चाँदी की रेखा

प्रश्न 3. पुस्तकालयों से ऐसी कहानियों, कविताओं या गीतों को खोजकर पढ़िए जो वर्षा ऋतु और मोर के नाचने से संबंधित हों।
उत्तर- छात्र स्वयं पुस्तकालयों से लेकर पढ़ें।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1. निबंध में आपने ये पंक्तियाँ पढ़ी हैं-मैं अपने शाल में लपेटकर उसे संगम ले गई। जब गंगा के बीच धार में उसे प्रवाहित किया गया तब उसके पंखों की चंद्रिकाओं से बिंबित प्रतिबिंबित होकर गंगा को चौड़ा पाट एक विशाल मयूर के समान तरंगित हो उठा।’ -इन पंक्तियों में एक भावचित्र है। इसके आधार पर कल्पना कीजिए और लिखिए मोर पंख की चंद्रिका और गंगा की लहरों में क्या-क्या समानताएँ लेखिका ने देखी होगी जिसके कारण गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर पंख के समान तरंगित हो उठा।
उत्तर - जब गंगा के बीच धार में नीलकंठ को प्रवाहित किया गया, तब उसके पंखों की चंद्रिकाओं से बिंबित प्रतिबिंबित होकर गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर के समान तरंगित हो उठा। गंगा और यमुना के श्वेत-श्याम जल का मिलन प्रात:काल के सूर्य की किरणों से जब सतरंगी दिखाई देता है तो दूर-दूर तक किसी मयूर के नृत्य का दृश्य प्रस्तुत करता है जो अत्यंत लुभावना व मनमोहक होता है। गंगा की लहरों के हिलने-डुलने में मोर के पंखों की थिरकन का आभास होता होगा।

प्रश्न 2. नीलकंठ की नृत्य-भंगिमा का शब्दचित्र प्रस्तुत करें।
उत्तर - मेघों के घिरते ही नीलकंठ के पाँव थिरकने लगते हैं। जैसे-जैसे वर्षा तीव्र से तीव्रतर होती उसके पाँवों में शक्ति आ जाती और नृत्य तेजी से होने लगता जो अत्यंत मनोहारी होता। नीलकंठ के पंख फैलाते ही इंद्रधनुष का दृश्य साकार हो उठता।

भाषा की बात

प्रश्न 1. ‘रूप’ शब्द से कुरूप, स्वरूप, बहुरूप आदि शब्द बनते हैं। इसी प्रकार नीचे लिखे शब्दों से अन्य शब्द बनाओ-
गंध         रंग      फल        ज्ञान
उत्तर
गंध             सुगंध, दुर्गंध, गंधहीन।
रंग              रंगना, रंगीला, नौरंग।
फल             सफल, फलदार, फलित।
ज्ञान            अज्ञान, ज्ञानवान, अज्ञानी।

प्रश्न 2. विस्मयाभिभूत शब्द विस्मय और अभिभूत दो शब्दों के योग से बना है। इसमें विस्मय के य के साथ अभिभूत के अ के मिलने से या हो गया है। अ आदि वर्ण है। ये सभी वर्ण ध्वनियों में व्याप्त हैं। व्यंजन वर्गों में इसके योग को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जैसे क + अ = क इत्यादि। अ की मात्रा के चिह्न (।) से आप परिचित हैं। अ की भाँति किसी शब्द में आ के भी जुड़ने से अकार की मात्रा ही लगती है, जैसे-मंडल + आकार = मंडलाकार। मंडल और आकार की संधि करने पर (जोड़ने पर) मंडलाकार शब्द बनता है और मंडलाकार शब्द का विग्रह करने पर (तोड़ने पर) मंडल और आकार दोनों अलग होते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के संधि-विग्रह कीजिए
संधि
नील + आभ = ……………
नव + आगंतुक = ……………
विग्रह
सिंहासन = ………….
मेघाच्छन्न = ……………
उत्तर-
संधि
नील  +    आभ       =    नीलाभ
नव   +    आगंतुक     =    नवागंतुक
विग्रह
सिंहासन     =    सिंह  +    आसन
मेघाच्छन्न   =    मेघ   +    आच्छन्न

कुछ करने को

प्रश्न 1. चयनित व्यक्ति/पशु/पक्षी की खास बातों को ध्यान में रखते हुए एक रेखाचित्र बनाइए।
उत्तर-विद्यार्थी स्वयं करें।

अन्य पाठेतर हल प्रश्न

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर
(क) ‘नीलकंठ’ पाठ के लेखक कौन हैं?
(i) सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
(ii) जैनेंद्र कुमार
(iii) टी० पद्मनाभन
(iv) महादेवी वर्मा।

(ख) बड़े मियाँ के भाषण की तुलना किससे की गई है?
(i) ड्राइवर से ।
(ii) चिड़ीमार से
(iii) सामान्य ट्रेन से
(iv) तूफ़ान मेल से।

(ग) दोनों शावकों ने आरंभ में कहाँ रहना शुरू किया?
(i) मेज़ के नीचे
(ii) रद्दी की टोकरी में
(iii) अलमारी के पीछे
(iv) पिंजरे में।

(घ) शुरुआत में शावकों ने दिन कैसे व्यतीत किया?
(i) मेज़ पर चढ़कर
(ii) कुरसी पर चढ़कर
(iii) कहीं छिपकर
(iv) लेखिका के पास रहकर।

(ङ) मोर के दोनों बच्चों को चिड़ीमार कहाँ से पकड़कर लाया था?
(i) रामगढ़ से
(ii) रायगढ़ से
(iii) पिथौरागढ़ से
(iv) शंकरगढ़ से।।

(च) लेखिका ने मोर के बच्चों को कितने रुपए में खरीदा?
(i) पच्चीस रुपए में
(ii) तीस रुपए में
(iii) पैंतीस रुपए में
(iv) चालीस रुपए में

(छ) लेखिका को क्या ज्ञात नहीं हो पाया?
(i) शावकों की प्रजाति का
(ii) नीलकंठ के बढ़ने का रहस्य
(iii) नीलकंठ कब बाकी जानवरों का संरक्षक
(iv) अन्य जानवर उसके संरक्षक बन गए।

(ज) अन्य जानवर जब व्यस्त होते थे तो नीलकंठ क्या करता था?
(i) नाचता था
(ii) दाना चुगता था
(iii) आराम करता रहता था
(iv) उन सभी का ध्यान रखता था।

उत्तर-
(क) (iv)
(ख) (iv)
(ग) (ii)
(घ) (iii)
(ङ) (iv)
(च) (iii)
(छ) (iii)
(ज) (iv)

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

(क) बड़े मियाँ कहाँ से मोर के बच्चे खरीदकर लाया था।
उत्तर-
बड़े मियाँ शंकरगढ़ के एक चिड़ीमार से मोर के दो बच्चे खरीद लाया था।

(ख) लेखिका मोर-मोरनी को कहाँ से लाई ?
उत्तर-
लेखिका मोर-मोरनी को नखास कोने से लाई। उन्होंने पैंतीस रुपए में पक्षी बेचनेवाले दुकान से लिया था।

(ग) मोरनी को मोर की सहचारिणी क्यों कहा गया?
उत्तर-
मोरनी को मोर का सहचारिणी कहा गया क्योंकि वह हमेशा मोर के साथ रहती थी।

(घ) घर पहुँचने पर बच्चों को घरवालों ने क्या कहा?
उत्तर-
घर पहुँचने पर सब कहने लगे – तीतर है और मोर कहकर ठग लिया है।

(ङ) लेखिका को देखकर नीलकंठ अपनी प्रसन्नता कैसे प्रकट करता?
उत्तर-
लेखिका को देखकर नीलकंठ उनके सामने मंडलाकार रूप में अपने पंख फैलाकार खड़ा होकर अपनी प्रसन्नता प्रकट करता था।

लघु उत्तरीय प्रश्न

(क) लेखिका ने ड्राइवर को किस ओर चलने का आदेश दिया और क्यों ?
उत्तर-
महादेवी जी ने स्टेशन से लौटते हुए ड्राइवर को बड़े मियाँ की दुकान की ओर चलने का आदेश दिया। उन्हें चिड़ियों और खरगोश की दुकान का स्मरण आया।

(ख) कुब्जा और नीलकंठ के स्वभाव में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
कुब्जा के स्वभाव में रूखापन था। वह किसी को भी नीलकंठ के पास नहीं आने देना चाहती थी। यहाँ तक कि उसने राधा को भी उससे अलग कर दिया। इसके विपरीत नीलकंठ का स्वभाव सरल था उसका सभी के साथ मेल-जोल था। वह सभी जीव-जंतुओं में अपनी एक विशेष पहचान रखता था। राधा के साथ उसका आत्मीय संबंध था, जब कुब्जा ने राधा से दूर किया तो उसने अपने प्राण ही त्याग दिए।

(ग) विदेशी महिलाएँ नीलकंठ को परफैक्ट अँटिलमैन क्यों कहती थीं?
उत्तर-
विदेशी महिलाएँ नीलकंठ को परफैक्ट ‘जेंटिलमैन’ की उपाधि दी, क्योंकि विदेशी जब मेहमान के रूप में महादेवी के साथ आते तो उनके प्रति सम्मान प्रकट करने हेतु वह अपने पंख मंडलाकार रूप में फैलाकर खड़ा हो गया।

(घ) नीलकंठ का सुखमय जीवन करुण कथा में कैसे बदल गया?
उत्तर-
कुब्जा के आने के बाद उसने अपने रूखे व्यवहार की शुरुआत कर दिया। उसके कलह से नीलकंठ की प्रसन्नता का अंत हो गया। कई बार वह जालीघर से निकल भागा। एक दिन वह भूखा-प्यासा आम की शाखाओं में छिपा बैठा रहा, जहाँ से लेखिका ने पुचकार कर उतारा। एक बार खिड़की की शेड पर छिपा रही। तीन-चार महीने के बाद नीलकंठ ने अपने प्राण त्याग दिए। उसके सुखमय जीवन का अंत हो गया।

(ङ) लेखिका नीलकंठ को प्रवाहित करने के लिए संगम पर क्यों गई?
उत्तर-
नीलकंठ की मृत्यु के बाद महादेवी उसे अपनी शाल में लपेटकर गंगा, यमुना, सरस्वती के मिलन स्थल संगम पर प्रवाहित करने के लिए ले गई। ऐसा इसलिए किया क्योंकि वे अपने घर में पलने वाले प्रत्येक जीव को घर का सदस्य समझती थी।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

(क) नीलकंठ चिड़ियाघर के अन्य जीव-जंतुओं का मित्र भी था और संरक्षक भी। वह कैसे? लिखिए।
उत्तर-
लेखिका कहती है कि उन्हें पता नहीं चला कि अपने स्वभाव और संस्कारवश मोर ने स्वयं को अन्य सभी जीवों का रक्षक और सेनापति कब नियुक्त कर लिया। वह सबको लेकर उस स्थान पर पहुँच जाता जहाँ दाना बिखेरा जाता। वह घूम-घूमकर रखवाली करता और अगर किसी ने गड़बड़ की तो उसे दंडित भी करता था। वह उन सब का मित्र तो था ही। एक बार साँप ने खरगोश के बच्चे का आधा हिस्सा अपने मुँह में दबा लिया। वह चीख नहीं सकता था। नीलकंठ ने उसका धीमा स्वर सुन लिया और उसने नीचे उतरकर साँप को फन के पास पंजों से दबाया और चोंच-चोंच मारकर उसे अधमरा कर दिया। पकड़ ढीली पड़ते ही खरगोश उसके मुँह से निकल आया। मोर रात भर उसे अपने पंखों के नीचे रखकर गरमी देता रहता।

(ख) कुब्जा के जीवन का अंत कैसे हुआ?
उत्तर-
नीलकंठ की मृत्यु के बाद कुब्जा भी कोलाहल के साथ उसे ढूँढ़ना शुरू कर दिया। वह आम, अशोक कचनार की शाखाओं में ढूंढती रहती। एक दिन आम की शाखा से उतरते ही अलसेशियन कुतिया उसके सामने पड़ गई । स्वभाववश कुब्जा ने चोंच से उस पर प्रहार किया तो कजली के दो दाँत उसकी गरदन पर लग गए। परिणामतः उसकी मृत्यु हो गई। इस प्रकार उसके कलह-कोलाहल तथा द्वेष-प्रेम भरे जीवन का अंत हुआ।

कुछ करने को

(क) चयनित व्यक्ति/पशु/पक्षी की बातों को ध्यान में रखते हुए एक रेखा चित्र बनाइए।
उत्तर-
कुत्ता मेरा प्रिय पशु है। यह बहुत साहसी है। इसी कारण मैंने इसका नामटॉयसन’ रखा है। यह सफ़ेद रंग के चमकदार बालोंवाला है। अपरिचित व्यक्ति या पशु को देखते ही वह उस पर झपटा बहादुर की तरह मारता है।

इसे दूध पीने और माँस खाने का शौक है। मैं इसके भोजन का पूरा ध्यान रखता हूँ। इसे मेरा सान्निध्य बहुत प्रिय है। मेरे घर में प्रवेश करते ही मेरे निकट जाता है और मेरे तलवों को चाटकर तथा अपनी पूँछ हिलाकर अपना प्रेम प्रकट करता है। वह मेरे साथ सैर करने जाता है।

टॉयसन’ को नहाने में बड़ा मजा आता है। मैं उसे साबुन से अच्छी तरह नहलाता हूँ। यह बड़ा स्वाभिभक्त है। घर की रखवाली करके वह अपने कर्तव्य का पालन करता है। यहे घर भर का प्रिय है।

Study Important Questions

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

1. शीर्षक 'नीलकंठ' क्या है?

उत्तर: 'नीलकंठ' एक लेख चित्र है, जिसमे नीलकंठ एक मोर का नाम है।

 

2. चिड़िया कौन बेचता था?

उत्तर: एक चिढमार चिड़िया बेचता था। 

 

3. मोर किस लिए जाना जाता है?

उत्तर: मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है। साथ ही मोर वर्षा में नाचने के लिए भी जाना जाता है। 

 

4. लोग मोर क्यों खरीदना चाहते थे?

उत्तर: मोर के पैरों से दवा बनती है। इसलिए लोग मोर खरीदना चाहते थे। 

 

5. लेखिका ने क्या पाला था?

उत्तर: लेखिका ने मोर का जोड़ा पाला था। 

 

लघु उत्तरीय प्रश्न   (2 अंक)

1. लेखिका ने मोर किससे ख़रीदा था और कितने में ख़रीदा था?  

उत्तर: लेखक ने मोर ‘बड़े मियाँ चिड़ियावाले’ नाम के एक दुकानदार से ख़रीदा था। लेखिका ने मोर का जोड़ा ३५ रूपये में ख़रीदा था। 

 

2. लेखिका ने दोनों मोर को पिंजड़े में डालने का फैसला क्यों किया?

उत्तर: लेखिका को चित्रा नाम की एक बिल्ली से डर था कि उससे दोनों मोर को खतरा है। उससे उनकी रक्षा के लिए लेखिका ने दोनों मोर को पिंजड़े में डालने का फैसला किया। 

 

3. लेखिका को किस चीज़ का शौक था?

उत्तर: लेखिका को पशु-पक्षी पालना बहुत पसंद था। अपने इस शौक के लिए उन्होंने अपने घर में एक बड़ा-सा पशु-पक्षी का पिंजड़ा रखा था। 

 

4. लेखिका ने कौन-कौन से पशु पक्षी पाल रखे थे?

उत्तर: लेखिका ने बहुत-से पशु-पक्षी पाल रखे थे। पिंजड़े में  कबूतर,तोता,खरगोश आदि थे। इसके अतिरिक्त एक बिल्ली और एक कुतिया भी थे। बाद में दो मोर का जोड़ा भी इसमें शामिल हो गया। 

 

5. लेखिका के घर में मोर के जोड़े को किससे खतरा था?

उत्तर: लेखिका के घर में  मोर के जोड़े को चित्रा नाम की बिल्ली से खतरा था। उन्हें बचाने के लिए वो हमेशा कमरे का दरवाज़ा बंद रखती थी और उन्हें पिंजड़े में डालने का भी फैसला लिया। 

 

लघु उत्तरीय प्रश्न  (3 अंक)

1. बड़े मियाँ ने मोर लेखिका को ही क्यों बेचा

उत्तर: बड़े मियाँ को मालूम था कि लेखिका को पशु-पक्षियों से बहुत प्रेम है। यदि वह किसी और को मोर बेचते तो वह मोर को मारकर उसके पैरों से दवाई बना लेता । लेकिन बड़े मियाँ जानते थे कि लेखिका मोर को नहीं मारेंगी इसलिए उसने मोर लेखिका को ही बेचा।

 

2. लेखिका किस बात से चिढ़ जाती हैं और क्यों?

उत्तर: लेखिका को अनेक बार ठगा गया  इसलिए ठगे जाने की बात पर लेखिका चिढ़ जाती है। जब लेखिका मोर के जोड़े को घर लेकर आईं तो घरवाले बोलने लगे कि वे मोर नहीं अपितु तीतर के बच्चे हैं। पहले भी उन्हें ऐसे ठगा गया है इसलिए वह यह बात सुनकर चिढ़ गईं।

 

3. लेखिका ने मोर का नाम नीलकंठ और मोरनी का नाम राधा क्यों रखा था?

उत्तर: मोर की गर्दन नीली थी इसलिए लेखिका ने उसका नाम नीलकंठ रखा। मोरनी हमेशा मोर के साथ-साथ उसकी छाया में रहती थी इसलिए उसका नाम राधा रखा था।

 

4. लेखिका ने दोनों मोर को पिंजड़े में डालने का फैसला क्यों किया?

उत्तर: लेखिका ने इन कारणों से मोर के जोड़े को पिंजड़े में डालने का फैसला किया:

1.  उन दोनों को चित्रा नाम की बिल्ली से खतरा था।

2.  वह दोनों कमरे में उधम मचा कर रखते थे।

3.  उन दोनों के उधम से लेखिका का कमरा गंदा हो जाता था।

4.  उन दोनों के उधम से लेखिका का कमरा गंदा हो जाता था।

 

5. पिंजड़े के पशु-पक्षी दोनों मोर से कैसा व्यवहार करते हैं?

उत्तर: पिंजड़े के पशु-पक्षी दोनों मोर के आने पर ऐसा व्यवहार करने लगे जैसे नववधू के आने पर होता है। पिंजड़े में मानो भूचाल आ गया हो। कबूतर नाचना छोड़ कर मोर के जोड़े के आस-पास घूमकर गुटरगूँ करने लगा। बड़े खरगोश गंभीरता से उन्हें देखने लगे और छोटे खरगोश उनके पास उछलने लगे।

 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)

1. ‘कुब्जा के सिवाय सभी पशु-पक्षी एक-दूसरे के मित्र थे।' क्यों?                    

उत्तर: सभी जानवर एक साथ मेल-मिलाप से रहते थे। परंतु कुब्जा का स्वभाव ईर्ष्यालु था। वह सभी को परेशान करती थी। वह सबको नीलकंठ से दूर करने की कोशिश करती रहती थी और इस कारण वह सभी जानवरों को अपनी चोंच से घायल कर देती थी। उसने राधा को भी घायल कर दिया था और उसके अंडे नष्ट कर दिये थे। उसके इस स्वभाव के कारण सभी कुब्जा से दूर रहते थे। 

 

2. वसंत में नीलकंठ जालीघर में क्यों नहीं रह पाता था?

उत्तर: वसंत ऋतु में नीलकंठ अपने आंतरिक स्वभाव के कारण अस्थिर हो जाता था। उसे फलों वाले पेड़ों से अधिक फूल और सुगंध वाले पेड़ भाते थे। वसंत में आम के पेड़ मंजरियों से भर जाते थे और अशोक के पेड़ पर लाल पत्तियाँ भर जाती थीं। उसे मालूम चल जाता था कि जल्द बादल छा जाएँगे और वर्षा में नाचने के लिए वह अधीर हो जाता था। इसी कारण वसंत में वह जालीघर में नहीं रह पाता था।


3. 'इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा।' यह वाक्य लेखिका के मन में क्यों आता है? यह किस घटना का संकेत था?

उत्तर: 'इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा।' यह वाक्य उस घटना की ओर संकेत करता है जब लेखिका बड़े मियाँ की दुकान से एक घायल मोरनी को अपने घर ले आई। उस मोरनी का नाम कुब्जा रखा गया। उसका स्वभाव ईर्ष्यालु होने के कारण उसे राधा और नीलकंठ का साथ रहना पसंद नहीं था। वह नीलकंठ के साथ रहना चाहती थी पर वह उससे दूर भागता। जो भी जानवर नीलकंठ के समीप आता, उसे कुब्जा अपनी चोंच से घायल कर देती थी। उसने अपनी चोंच से राधा को भी घायल कर दिया था और उसके अंडे तोड़ दिये थे। इस कारण नीलकंठ दुखी रहने लगा।

 

4. नीलकंठ का कौन सा स्वभाव लेखिका को अच्छा लगता था?

उत्तर: लेखिका को नीलकंठ का यह स्वभाव बहुत अच्छा लगता था कि वह लेखिका को प्रसन्न करने का प्रयास करता था। जब भी वर्षा ऋतु में नीलकंठ अपने इंद्रधनुषी पंखों को फैलाकर राधा के संग नाचता था, तब यह दृश्य लेखिका को मंत्रमुग्ध कर देता था। नीलकंठ जान गया था कि लेखिका को उसका बहुत पसंद था। जब भी लेखिका नीलकंठ के पास होती तो वह नृत्य मुद्रा ले लेता था।

 

5. दूसरी मोरनी का स्वभाव कैसा था? लेखिका ने उसको क्या नाम दिया था? लेखिका ने नीलकंठ और राधा को पिंजड़े में डालने का फैसला क्यों लिया?

उत्तर: दूसरी मोरनी का स्वभाव ईर्ष्यालु था, अपने नाम के अनुकूल। लेखिका ने उसका नाम "कुब्जा" रखा। लेखिका ने इन कारणों से मोर के जोड़े को पिंजड़े में डालने का फैसला किया:

1.  उन दोनों को चित्रा नाम की बिल्ली से खतरा था।

2.   वह दोनों कमरे में उधम मचा कर रखते थे।

3.  उन दोनों के उधम से लेखिका का कमरा गंदा हो जाता था।

4.  उन दोनों के उधम से लेखिका का कमरा गंदा हो जाता था।

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