बुधवार, 22 नवंबर 2023

संस्कृत सुभाषित एवं सूक्तियाँ हिन्दी में अर्थ सहित

 संस्कृत सुभाषित एवं सूक्तियाँ हिन्दी में अर्थ सहित

(१) न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः ।
स्वयमेव प्रजाः सर्वा , रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥
(
न राज्य था और ना राजा था , न दण्ड था और न दण्ड देने वाला । स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी ॥ )


(
२) रत्नं रत्नेन संगच्छते ।
(
रत्न , रत्न के साथ जाता है )

(३) गुणः खलु अनुरागस्य कारणं , न बलात्कारः ।
(
केवल गुण ही प्रेम होने का कारण है , बल प्रयोग नहीं )

(४) निर्धनता प्रकारमपरं षष्टं महापातकम् ।
(
गरीबी दूसरे प्रकार से छठा महापातक है । )

(५) अपेयेषु तडागेषु बहुतरं उदकं भवति ।
(
जिस तालाब का पानी पीने योग्य नहीं होता , उसमें बहुत जल भरा होता है । )

(६) अङ्गुलिप्रवेशात्‌ बाहुप्रवेश: |
(
अंगुली प्रवेश होने के बाद हाथ प्रवेश किया जता है । )

(७) अति तृष्णा विनाशाय.
(
अधिक लालच नाश कराती है । )

(८) अति सर्वत्र वर्जयेत् ।
(
अति ( को करने ) से सब जगह बचना चाहिये । )

(९) अजा सिंहप्रसादेन वने चरति निर्भयम्‌.
(
शेर की कृपा से बकरी जंगल मे बिना भय के चरती है । )

(१०) अतिभक्ति चोरलक्षणम्‌.
(
अति-भक्ति चोर का लक्षण है । )

(११) अल्पविद्या भयङ्करी.
(
अल्पविद्या भयंकर होती है । )

(१२) कुपुत्रेण कुलं नष्टम्‌.
(
कुपुत्र से कुल नष्ट हो जाता है । )

(१३) ज्ञानेन हीना: पशुभि: समाना:.
(
ज्ञानहीन पशु के समान हैं । )

(१४) प्राप्ते तु षोडशे वर्षे गर्दभी ह्यप्सरा भवेत्‌.
(
सोलह वर्ष की होने पर गदही भी अप्सरा बन जाती है । )

(१५) प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌.
(
सोलह वर्ष की अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरण करना चाहिये । )

(१६) मधुरेण समापयेत्‌.
(
मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना चाहिये । )

(१७) मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.
(
हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )

(१८) शठे शाठ्यं समाचरेत् ।
(
दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । )

(१९) सत्यं शिवं सुन्दरम्‌.
(
सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी ) )

(२०) सा विद्या या विमुक्तये.
(
विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )

(२१) त्रियाचरित्रं पुरुषस्य भग्यं दैवो न जानाति कुतो नरम् ।
(
स्त्री के चरित्र को और पुरुष के भाग्य को भगवान् भी नहीं जानता , मनुष्य कहाँ लगता है । )

(२२) कामासक्त व्यक्ति की कोई चिकित्सा नहीं है। - नीतिवाक्यामृत-३।१२

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