विभिन्न संस्थान और उनके संस्कृत ध्येय-वाक्य
संस्थान |
ध्येय वाक्य |
हिन्दी अर्थ |
|
ब्रह्मचर्येण तपसा देवा मृत्युमपाघ्नत |
ब्रहमचर्य के तप से देव लोग मृत्यु को जीत लेते है |
||
शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् |
शरीर ही सभी धर्मों (कर्तव्यों) को पूरा करने का साधन है। |
||
ज्ञान-विज्ञानं विमुक्तये |
ज्ञान-विज्ञान से विमुक्ति प्राप्त होती है। |
||
विद्ययाऽमृतमश्नुते |
विद्या से अमृत की प्राप्ति होती है |
||
तेजस्विनावधीतमस्तु |
हमारा ज्ञान तेजवान बनें। |
||
सा विद्या या विमुक्तये |
विद्या मुक्ति का द्वार है |
||
उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान् निबोधत |
उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक अपने लक्ष्य तक ना पहुँच जाओ |
||
संगच्छध्वं संवदध्वम् |
साथ चलो, साथ बोलो |
||
ज्ञानं परमं बलम् |
ज्ञान सबसे बड़ा बल है |
||
असतो मा सद् गमय |
हमें असत से सत की ओर ले चलें |
||
कर्म ज्यायो हि अकर्मण: |
कर्म, अकर्म की तुलना में श्रेष्ठ है |
||
धियो यो नः प्रचोदयात् |
दैवीय विद्वता हमारे कर्मो को प्रेरित करे |
||
तमसो मा ज्योतिर्गमय |
हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलें |
||
आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः |
हमारी तरफ़ सब ओर से शुभ विचार आएँ। |
||
योगः कर्मसु कौशलम् |
परिश्रम, उत्कृष्टता का मार्ग है |
||
ज्ञानं परमं ध्येयम् |
ज्ञान परम ध्येय है। |
||
तमसो मा ज्योतिर्गमय |
हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलें |
||
सिद्धिर्भवति कर्मजा |
सफ़लता का मूलमंत्र कठिन परिश्रम है |
||
श्रमं विना न किमपि साध्यम् |
कोई उपलब्धि प्रयास के बिना असंभव है |
||
विद्या विनियोगाद्विकास: |
विद्या-विनियोग से विकास होता है। |
||
तेजस्वि नावधीतमस्तु |
हमारा ज्ञान तेजवान बनें। |
||
योगः कर्मसु कौशलम् |
कर्मों में कौशल ही योग है। |
||
भिन्नेष्वेकस्य दर्शनम् |
अनेकता में एकता का दर्शन। |
||
तत् त्वं पूषन् अपावृणु |
हे ईश्वर, आप उसे अनावृत्त कीजिए (=ज्ञान पर छाए आवरण को हटाइए)। |
||
योगः कर्मसु कौशलम् |
कर्मों में कौशल ही योग है। |
||
सिद्धिर्भवति कर्मजा |
सफ़लता का मूलमंत्र कठिन परिश्रम है |
||
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (एन॰सी॰ई॰आर॰टी॰) |
विद्ययाऽमृतमश्नुते |
विद्या से अमृत की प्राप्ति होती है |
|
धर्मो रक्षति रक्षितः |
जो धर्म की रक्षा करते हैं, वे धर्म द्वारा रक्षित होते हैं |
||
श्रुतं मे गोपय |
मेरे श्रुत (सीखे हुए) की रक्षा करें। |
||
सत्यं वद् धर्मं चर |
सत्य बोलें, धर्म के मार्ग पर चलें |
||
ज्ञानं सम्यग् वेक्षणम् |
सम्यक् वेक्षण ही ज्ञान है।[ |
||
सत्यमेव विजयते नानृतम् |
सत्य ही सदैव विजयी होता है, असत्य नहीं। |
||
निर्मय कर्मणा श्री[ |
? |
||
बुद्धि: सर्वत्र भ्राजते |
बुद्धि सर्वत्र प्रकाशमान होती है। |
||
निष्ठा धृति: सत्यम् |
निष्ठा धृति और सत्य |
||
कर्मणि व्यज्यते प्रज्ञा |
प्रज्ञा (ज्ञान) कर्म के द्वारा अभिव्यक्त होती है। |
||
मोराटुवा विश्वविद्यालय (University of Moratuwa) |
विद्यैव सर्वधनम् |
विद्या सबसे बड़ा धन है। |
|
पेरादेनिया विश्वविद्यालय (University of Peradeniya) |
सर्वस्य लोचनं शास्त्रम् |
ज्ञान सभी का नेत्र है |
|
धर्मो विश्वस्य जगतः प्रतिष्ठा |
धर्म सारे जगत् की प्रतिष्ठा (आधार) है। |
||
योग: कर्मसु कौशलम् |
परिश्रम, उत्कृष्टता का मार्ग है |
||
युक्तिहीने विचारे तु धर्महानि: प्रजायते |
युक्तिहीन विचार से धर्म की हानि हो जाती है। |
||
केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड |
असतो मा सद्गमय |
असत्य से मुझे सत्य की तरफ ले चलो। |
|
आर्य वीर दल |
अस्माकं वीरा उत्तरे भवन्तु |
||
हिंदी अकादमी |
अहम् राष्ट्री संगमनी वसूनाम |
||
डाक तार विभाग |
अहर्निशं सेवामहे |
(हम) दिनरात सेवा करते हैं। |
|
गोरखपुर विश्वविद्यालय |
आ नो भद्रा ऋतवोः यन्तु विश्वतः |
||
सेना एयर डिफेन्स |
आकाशेय शत्रुन जहि |
||
भारतीय खनन विद्यालय धनबाद |
उत्तिष्ठ जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत |
||
ज.रा.रा.संस्कृत विश्विद्यालय |
ऋतंच स्वाध्याय-प्रवचने च |
||
सेना डोगरा रेजिमेन्ट |
कर्तव्यम अन्वात्मा |
||
सेना ई एम ई कोर |
कर्मह हि धर्मह |
||
आर्य समाज |
कृण्वन्तो विश्वमार्यम् |
विश्व को आर्य बनाते हुए |
|
नेशनल कौंसिल फॉर टीचर एजुकेशन |
गुरुः गुरुतामो धामः |
||
नेपाल सरकार |
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी |
जननी (माँ) और जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ हैं। |
|
इंडोनेशिया-जलसेना |
जलेष्वेव जयामहे |
||
बंगलौर विश्विद्यालय |
ज्ञानं विज्ञान सहितम् |
||
राजस्थान अभियांत्रिक विश्वविद्यालय |
ज्ञानं सम्यगवेक्षणम् |
||
इन्द्रप्रस्थविश्वविद्यालय |
ज्योतिर्व्रणीततमसो विजानन |
||
उस्मानिया विश्विद्यालय |
तमसो मा ज्योतिर्गमय |
अंधकार से मुझे प्रकश की तरफ ले चलो। |
|
पंजाब विश्वविद्यालय |
तमसो मा ज्योतिर्गमय |
||
हरियाणा बोर्ड |
तमसो मा ज्योतिर्गमय |
||
लोक सभा |
धर्मचक्र प्रवर्तनाय |
धर्मचक्र के प्रवर्तन (आगे ले जाने) के लिए |
|
सैनिक स्कूल चित्तौड़ |
न दैन्यं न पलायनम् |
न दीनता न पलायन। |
|
मैसूर विश्वविद्यालय |
न हिज्ञानेन सदृशम् |
||
वायु सेना |
नभःस्पृशं दीप्तम् |
||
असेह राज्य (इंडोनेशिया) |
पंचचित |
||
सेना कुमायू रेजिमेन्ट |
पराक्रमो विजयते |
पराक्रम ही विजयी होता है। |
|
जवाहर नवोदय विद्यालय |
प्रज्ञानम ब्रह्म |
||
सेना जम्मू काश्मीर रायफल |
प्रस्थ रणवीरता |
||
सेना कश्मीर लाइट इंफैन्ट्री |
बलिदानं वीर लक्षयं |
||
सैन्य अनुसंधान केंद्र |
बालस्य मूलं विज्ञानम् |
विज्ञान ही बल का मूल (आधार) है। |
|
गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय |
ब्रह्मचर्येण तपसा देवा मृत्युमपाघ्नत |
||
उच्चतम न्यायालय |
यतो धर्मस्ततो जयः |
जहाँ धर्म है वहाँ जय (विजय) है। |
|
सेना महार रेजिमेन्ट |
यश सिद्धि |
||
सैन्य विद्यालय |
युद्धं प्रज्ञाय |
||
सेना गढवाल रायफल |
युद्धाय कृत निश्चय |
||
राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान |
योऽनूचानः स नो महान् |
||
भारतीय प्रशासनिक सेवा अकादमी |
योगः कर्मसु कौशलं |
कर्मों में कौशल ही योग है। |
|
भारतीय जीवन बीमा निगम |
योगक्षेमं वहाम्यहम् |
मैं योग-क्षेम का वहन करता हूँ। |
|
संत जेवियर स्कूल बोकारो |
रूपांतरीकरणीय |
||
भारतीय तट रक्षक |
वयम् रक्षामः |
हम रक्षा करते हैं। |
|
सेना शिक्षा कोर |
विद्यैव बलम् |
विद्या ही बल है। |
|
जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय |
विद्या शक्तिः समस्तानां शक्तिः |
||
सेना राजपूताना राजफल |
वीरभोग्या वसुन्धरा |
धरती का भोग वीर ही करते हैं। |
|
नौसेना |
शं नो वरुणः |
||
मुम्बई विश्विद्यालय |
शीलवृतफला विद्या |
||
श्रम मंत्रालय |
श्रम एव जयते |
श्रम ही विजयी होता है। |
|
श्री सत्य सांई विश्वविद्यालय |
सत्यं वद् धर्मं चर |
||
दूरदर्शन |
सत्यं शिवम् सुन्दरम |
सत्य, कल्याणप्रद और सुन्दर। |
|
भारत सरकार |
सत्यमेव जयते |
सत्य की ही जीत होती है। |
|
आचार्य नागार्जुन विश्वविद्यालय |
सत्ये सर्वं प्रतिष्ठितम् |
||
मुंबई पुलिस |
सद्रक्षणाय खलनिग्रहणाय |
||
आल इंडिया रेडियो |
सर्वजन हिताय सर्वजनसुखाय |
सबके हित के लिये, सबके सुख के लिये। |
|
सेना इंजीनियर रेजिमेन्ट |
सर्वत्र |
हर जगह |
|
सेना राजपूत बटालियन |
सर्वत्र विजये |
||
सेना ग्रेनेडियर रेजिमेन्ट |
सर्वदा शक्तिशालिं |
||
गोवा राज्य |
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत् |
सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े। |
|
IIM लखनऊ |
सुप्रबन्धे राष्ट्र समृद्ध |
सुप्रबन्ध से राष्ट्र समृद्ध होता है। |
|
थल सेना |
सेवा अस्माकं धर्मः |
सेवा हमरा धर्म |
|
भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी |
हव्याभिर्भगः सवितुर्वरेण्यं |
||
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें