NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter-3 बस की यात्रा Bas Ki Yatra
वसंत भाग-3 कक्षा- आठवीं हिंदी
शब्दार्थ, पाठ का सार, सारांश, प्रश्नोत्तर और अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
NCERT VASANT Part-3 solution
पाठ-3 बस की यात्रा पाठ के प्रश्नोत्तर
शब्दार्थ
- हाजिर- मौजूद, उपस्थित
- डाकिन- डाका डालने वाली
- श्रद्धा- आदर भाव
- वयोवृद्ध- बहुत बूढ़ी
- सदियों - युगों
- निशान- चिन्ह
- वृद्धावस्था - बुढ़ापा
- कष्ट- दुख
- योग्य- लायक
- हिस्सेदार- भागीदार, साझेदार
- गजब- अजीब बात
- अनुभवी- योग्यता प्राप्त,संचित ज्ञान
- नवेली- नई
- विश्वसनीय- विश्वास करने योग्य
- अंतिम- आखिरी
- विदा- छोड़ कर जाना
- रंक - भिखारी
- फकीर- साधु
- कूच करना- आगे बढ़ना, चलना
- निमित्त- कारण, उद्देश्य
- दूर सरकना- थोड़ी दूरी पर हो जाना
- असहयोग- साथ न देना
- सविनय - प्रार्थना सहित
- सविनय अवज्ञा- प्रार्थना सहित बात को न मानना
- अवज्ञा- न मानना
- वक्त- समय
- ट्रेनिंग- प्रशिक्षण
- दौर- समय
- बॉडी- ढाँचा
- भेदभाव- अंतर करना या फर्क करना
- पेट्रोल- एक ज्वलनशील व ऊर्जा वाला तरल पदार्थ
- बगल- बाजू, पास में
- नली- पाइप
- उम्मीद- आशा ,कुछ होने की सम्भावना
- सीसी (शीशी) - बोतल
- भरोसा- विश्वास
- लुभावना- मनभावन, ललचाऊ, आकर्षक
- दुश्मन- शत्रु, रिपु,
- गोता- डुबकी (पानी में)
- तरकीबें- योजनाएं , तरीके
- फर्स्ट क्लास- एकदम बढ़िया, उत्तम
- इत्तेफाक- संयोग
- क्षीण - कमजोर, जर्जर, मद्धम
- दयनीय- दया दिखाने योग्य,
- वृद्धा- बुढ़िया
- ग्लानि - अपने आप पर शर्म महसूस होना
- प्राणांत -मृत्यु
- बियाबान -सुनसान, जंगल
- अंत्येष्टि- अंतिम क्रिया कर्म
- पुलिया- नदी या नाले के ऊपर बना आने-जाने का रास्ता
- श्रद्धा भाव- आदर भाव
- उत्सर्ग- त्याग ,किसी वस्तु को छोड़ देना
- दुर्लभ- कठिन, मुश्किल से प्राप्त
- साहस- हिम्मत
- उपयोग- काम में लाना, प्रयोग
- बाहें पसारे- स्वागत करने को तैयार
- प्रयाण- जाना, प्रस्थान
- बेताबी- व्याकुल
- तनाव- मानसिक दबाव
- इत्मिनान - निश्चिंत,चिंता रहित
कारण बताएँ
1. “मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ़ पहली बार श्रद्धाभाव से
देखा।” लेखक के मन में हिस्सेदार
साहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गई?
उत्तर : लेखक के
मन में कंपनी के हिस्सेदार साहब के लिए इसलिए श्रद्धा जाग गई क्योंकि-
(क) कंपनी का हिस्सेदार थोड़े से पैसों
के लिए अपनी तथा यात्रियों की जान की परवाह नहीं कर रहा था।
(ख) वह घिसे टायर लगाकर बस चलवा रहा था
और जान जोखिम में डालकर यह काम कर रहा था।
(ग) अपनी उत्सर्ग की भावना का परिचय वह
कुछ ही रुपयों के बदले दे रहा था।
(घ) उनके साहस और बलिदान की भावना को
देखते हुए उन्हें किसी क्रांतिकारी आंदोलन का नेता होना चाहिए।
2. “लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफ़र नहीं करते।” लोगों ने यह सलाह क्यों दी?
उत्तर : लोगों ने लेखक को यह सलाहे इसलिए दी क्योंकि वे बस की दयनीय दशा से भली-भाँति परिचित थे। उन्हें यह भी पता था कि यह बस कहाँ खराब हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता है। यह जीर्ण-शीर्ण है। इसके खराब होने पर ठीक होने की संभावना भी कम है। यात्रा के बीच में कहाँ रुककर सारी रात बितानी पड़े, इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है।
3. “ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।” लेखक को ऐसा क्यों लगा?
उत्तर : लेखक को ऐसा इसलिए लगा, क्योंकि स्टार्ट होने पर बस के इंजन में ही कंपन होना चाहिए था, पर यहाँ तो सारी बस ही बुरी तरह खड़-खड़ करती हुई हिलने लगी। पूरी बस में तेज कंपन होने लगा। खिड़कियों के काँच पूरे शोर के साथ हिलने लगे। लेखक की सीट भी इस कंपन से काँप रही थी। इससे लेखक तथा उसके साथी भी हिलने लगे थे।
4. “गज़ब हो गया। ऐसी बस अपने आप चलती है।” लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई?
उत्तर : ऐसी बस अपने आप चलती है, यह बात सुनकर लेखक को इसलिए हैरानी हुई क्योंकि वह सोच रहा था, ऐसी खटारा बस चलने के योग्य तो है ही नहीं। उसकी जर्जर अवस्था देखकर वह विश्वास ही नहीं कर पाता था कि यह बस बिना धक्का दिए चलती होगी, पर कंपनी का भागीदार इसे अपने-आप चलने की बात कर रहा था, जिसे सुनकर लेखक हैरान था।
5. “मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था।” लेखक पेड़ों को दुश्मन क्यों समझ रहा था?
उत्तर : लेखक पेड़ों को अपना दुश्मन इसलिए समझ रहा था क्योंकि बस के एक-एक पुरजे खराब हो रहे थे। और बस बार-बार रुक रही थी। बस से उसका विश्वास उठ चुका था। उसे लग रहा था कि बस की ब्रेक फेल हो सकती है, स्टेयरिंग टूट सकता है और बस अनियंत्रित होकर सड़क के किनारे के पेड़ों से टकरा सकती है।
पाठ से आगे
1. ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ किसके नेतृत्व में,
किस उद्देश्य से तथा कब हुआ था? इतिहास की उपलब्ध पुस्तकों के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
सविनय
अवज्ञा आंदोलन महात्मा गांधी के नेतृत्व में सन् 1930 में अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध शुरू किया गया। उस समय
भारतीय समाज गरीबी में दिन बिता रहा था। लोगों को मुश्किल से दो जून की रोटी नसीब
हो रही थी। वे मुश्किल से नमक-रोटी खाकर गुजारा कर रहे थे। अंग्रेजों ने नमक पर भी
टैक्स लगा दिया। इससे नाराज गांधीजी ने नमक बनाकर कानून भंग किया। सविनय अवज्ञा
आंदोलन के निम्नलिखित उद्देश्य थे।
(क) भारतीय किसान व्यावसायिक खेती करने
पर विवश थे। व्यापार में मंदी और गिरती कीमतों के कारण वे बहुत परेशान थे।
(ख) उनको आय कम होती जा रही थी और वे
लगान का भुगतान नहीं कर पा रहे थे।
(ग) ब्रिटिश सरकार के शोषण के विरुद्ध
इसे हथियार बनाया गया।
2. सविनय अवज्ञा का उपयोग व्यंग्यकार ने किस
रूप में किया है? लिखिए
उत्तर :
सविनय
अवज्ञा का उपयोग लेखक ने बस की जीर्ण-शीर्ण तथा खटारा दशा होने के बावजूद उसके
चलने या चलाए जाने के संदर्भ में किया है। यह आंदोलन 1930 में अंग्रेजी
सरकार की आज्ञा न मानने के लिए किया गया था। 12 मार्च 1930
को डांडी मार्च करके नमक कानून तोड़ा गया। अंग्रेजों की दमनपूर्ण
नीति के खिलाफ भारतीय जनता विनयपूर्वक संघर्ष के लिए आगे बढ़ती रही, यह खटारा बस भी जर्जर होने के बावजूद चलती जा रही थी।
3. आप अपनी किसी यात्रा के खट्टे-मीठे
अनुभवों को याद करते हुए एक लेख लिखिए?
उत्तर :
पिछली
गर्मी की छुट्टियों की बात है। मुझे अपने मित्र के बड़े भाई की शादी में लखनऊ जाना
था। नियत तिथि पर जाने के लिए मैंने टिकट आरक्षण करवा लिया। दुर्भाग्य से उस दिन किसी कारण से
दिल्ली-वाराणसी समर स्पेशल निरस्त कर दी गई। मजबूरन मुझे बस अड्डे जाना पड़ा। वहाँ
दो घंटे से पहले कोई बस न थी। शाम के आठ बज चुके थे। तभी एक व्यक्ति ‘लखनऊ चलो
ए.सी. बस से लखनऊ चलो’ की आवाज लगाता आया। मैंने जैसे ही उससे कुछ पूछना चाहा, उसके साथी मेरा
सामान उठाकर बस की ओर चल पडे। बस थोड़ी दूर बाहर खड़ी थी। मेरे जैसी उसमें सात-आठ
सवारियाँ और भी थीं। बस कंडक्टर ने अपने साथियों को और सवारी लाने भेज दिया। यात्रियों
द्वारा शोर करने पर बस रात बारह बजे चली। ए.सी. चलाने के लिए कहने पर कंडक्टर ने
बताया कि ए.सी. अभी-अभी खराब हुआ है। गाजियाबाद से आगे जाते ही ड्राइवर ने बस एक
होटल पर रोक दी। ड्राइवर-कंडक्टर के मुफ्त में खाए भोजन का खर्च हमें देना पड़ा। खैर
अलीगढ़ से चलने के पंद्रह मिनट बाद ही चार नवयुवकों ने हाथ में चाकू निकाल लिए और
यात्रियों से नकदी व सामान देने को कहा। घबराए यात्रियों ने उनके आदेशों का पालन
किया और वैसा ही करने लगे जैसा नवयुवकों ने कहा था। इसी बीच किसी लोकल यात्री ने
सामान निकालने के बहाने बस का नंबर बताकर अलीगढ़ के डी.एस.पी. को फोन पर मैसेज भेज
दिया, जो उसके रिश्तेदार थे। लुटेरे बेफिक्री से अपना काम कर
रहे थे कि आधे घंटे बाद सामने से आती पुलिस की गाड़ियों ने बस को रुकवा लिया और
लुटेरों के भागने से पहले धर दबोचा। सब अपने-अपने सामान एवं नकदी पाकर बहुत
प्रसन्न हुए। मैसेज भेजने वाले व्यक्ति का साहस पूर्ण कार्य तथा उसका फोटो अगले
दिन लखनऊ से प्रकाशित समाचार-पत्रों में प्रकाशित हुआ। खैर इस घटना के बाद बस
सकुशल लखनऊ पहुँच गई। मैं तीसरे दिन लखनऊ मेल से दिल्ली वापस आ गया। आज भी हम उस
व्यक्ति को मन-ही-मन धन्यवाद देते हैं।
मन बहलाना
1. अनुमान कीजिए यदि बस जीवित प्राणी होती,
बोल सकती तो वह अपनी बुरी हालत और भारी बोझ के कष्ट को किन शब्दों
में व्यक्त करती? लिखिए
उत्तर :
बस यदि
जीवित प्राणी होती तो अपनी बुरी हालत और भारी बोझ के कष्ट को कुछ इस तरह कहती,
मैं एक पुरानी तथा जीर्ण-शीर्ण बस हूँ। आज से करीब तीस साल पहले मैं
भी नई-नवेली, जवान तथा सुंदर थी। मेरा ड्राइवर मुझे
फूल-मालाओं से सजाता। मेरी सीट पर बैठने से पहले वह मेरे पैर छूता जरा भी गंदगी अंदर-बाहर
दिख जाने पर कंडक्टर को डाँटता, पर आज लगता है कि यह सब सपने
की बातें हैं। आज मैं वृद्धा अवस्था में पहुँच गई हूँ तब से अब तक कई ड्राइवर तथा
कंडक्टर बदल गए हैं। इस समय जो ड्राइवर है, वह मेरा ध्यान
नहीं रखता है। मेरी साफ-सफाई किए बिना ही मुझ पर सवार हो जाता है। शाम को मेरी
सीटों पर बैठकर भोजन करता है और मुझे गंदा करके छोड़ जाता है। विश्वकर्मा पूजा के
दिन के अलावा अब कभी मेरे ऊपर फूल माला नहीं चढ़ाई जाती है। मेरा चलने को मन नहीं
होता है पर यह धक्के दे-देकर मुझे जबरदस्ती चलवाता है। सवारियाँ इतनी लाद लेता है
कि मेरा अंग-अंग टूटने लगता है और लगता है कि अब दम निकल ही जाए। मेरी आँखें खराब
हो चुकी हैं तथा हाथ-पैर जवाब दे रहे हैं, पर मेरा ड्राइवर
इन बातों से अनभिज्ञ है क्योंकि उसे पैसे कमाना है।
भाषा की बात
1. बस, वश, बस तीन शब्द हैं-इनमें बस सवारी के अर्थ में, वश अधीनता के अर्थ में, और बस पर्याप्त (काफी) के अर्थ में प्रयुक्त होता है,
जैसे-बस से चलना होगा ।
मेरे वश में नहीं है।
अब बस करो।
• उपर्युक्त वाक्यों के समान तीनों शब्दों से युक्त दो-दो वाक्य बनाइए-
उत्तर :
तीनों शब्दों से बने दो-दो वाक्य निम्नलिखित हैं-
बस – (सवारी के अर्थ में)
(क) मेरे पास पैसे कम हैं, इसलिए बस से जाऊँगा।
(ख) बस स्टॉप पर बस का इंतजार कर लेना
ही ठीक रहेगा
वश – (अधीनता के अर्थ
में)
(क) इस व्यक्ति को हराना आपके वश का
नहीं है
(ख) भारत को हराना श्रीलंका के वश में
नहीं है।
बस – (सिर्फ / मात्र
के अर्थ में)
(क) बस अब खाना बंद करो अन्यथा पेट
खराब हो जाएगा।
(ख) बस अब लड़ना-झगड़ना बंद भी कर
दीजिए
2. “हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें। पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है।” ऊपर दिए गए वाक्यों में ने, की, से आदि वाक्य के दो शब्दों के बीच संबंध स्थापित कर रहे हैं। ऐसे शब्दों को कारक कहते हैं। इसी तरह दो वाक्यों को एक साथ जोड़ने के लिए ‘कि’ का प्रयोग होता है।
• कहानी में से दोनों प्रकार के चार वाक्यों को चुनिए-
उत्तर :
कारक चिह्न युक्त वाक्य
(क) बस कंपनी के हिस्सेदार भी उसी बस
से जा रहे थे।
(ख) डॉक्टर मित्र ने कहा, “डरो मत चलो।”
(ग) मुझे उसके किसी हिस्से पर भरोसा
नहीं था।
(घ) क्षीण चाँदनी में वृक्षों की छाया
के नीचे वह बस बड़ी दयनीय लग रही थी।
(ङ) धीरे-धीरे वृद्धा की आँखों की
ज्योति जाने लगी।
‘कि’ योजक शब्द युक्त वाक्य
(क) हमें लग रहा था कि हमारी सीट के
नीचे इंजन है।
(ख) मालूम हुआ कि पेट्रोल की टंकी में
छेद हो गया है।
(ग) मैं उम्मीद कर रहा था कि थोड़ी देर
बाद बस कंपनी के हिस्सेदार इंजन को निकालकर गोद में रख लेंगे।
(घ) लोग इसलिए इसमें सफर नहीं करना
चाहते कि वृद्धावस्था में इसे कष्ट होगा।
3. “हम फौरन खिड़की से दूर सरक गए। चाँदनी
में रास्ता टटोलकर वह रेंग रही थी। दिए गए वाक्यों में आई “सरकना’ और ‘रेंगना’
जैसी क्रियाएँ दो प्रकार की गतियाँ दर्शाती हैं। ऐसी कुछ और क्रियाएँ एकत्र कीजिए जो
गति के लिए प्रयुक्त होती हैं, जैसे-घूमना इत्यादि। उन्हें
वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर :
गति के लिए प्रयोग होने वाली कुछ क्रियाएँ और उनके वाक्य प्रयोग
टहलना - मरीज अब धीरे-धीरे
टहलने लगा है।
चलना-इस चिकने फर्श पर संभलकर चलना।
दौड़ना-पुलिस वालों को प्रतिदिन व्यायाम में दौड़ना पड़ता है।
धड़कना-तेज दौड़ने से उसका दिल जोर से धड़कने लगा।
चक्कर लगाना-पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है।
4. काँच बहुत कम बचे थे। जो बचे थे, उनसे हमें बचना था।”
इस वाक्य में ‘बच’ शब्द को दो तरह से प्रयोग किया गया है। एक ‘शेष’
के अर्थ में और दूसरा ‘सुरक्षा’ के अर्थ में।
नीचे दिए गए शब्दों को वाक्यों में प्रयोग करके देखिए। ध्यान रहे,
एक ही शब्द वाक्य में दो बार आना चाहिए और शब्दों के अर्थ में कुछ
बदलाव होना चाहिए।
(क) जल (ख) फल (ग) हार
उत्तर :
अनेकार्थी शब्द वाक्य प्रयोग-
(क) जल जल के बिना यह पृथ्वी आग के
समान जल सकती है।
(ख) फल फल की चिंता किए बिना वह बाग
में फल तोड़ने लगा।।
(ग) हार फूलों के हार की आशा लगाए बैठे
नेताजी को चुनाव में हार मिली।
5. भाषा की दृष्टि से देखें तो हमारी बोलचाल
में प्रचलित अंग्रेजी शब्द ‘फर्स्ट क्लास’ में दो शब्द हैं- फर्स्ट और क्लास। यहाँ
क्लास का विशेषण है फस्र्ट। चूँकि फर्स्ट संख्या है, फर्स्ट
क्लास संख्यावाचक विशेषण का उदाहरण है। ‘महान आदमी’ में किसी आदमी की विशेषता है महान।
यह गुणवाचक विशेषण है। संख्यावाचक विशेषण और गुणवाचक विशेषण के दो-दो उदाहरण खोजकर
लिखिए।
उत्तर :
संख्यावाचक तथा गुणवाचक विशेषण के कुछ उदाहरण
संख्यावाचक विशेषण - पाँच मित्रों, चार बजे, आठ-दस मील, पंद्रह-बीस मील, फर्स्ट क्लास, दूसरा टायर।
गुणवाचक विशेषण - समझदार, वयोवृद्ध, अनुभवी, विश्वसनीय, जवान, हरे-भरे, क्षीण, वृद्धा, क्रांतिकारी, महान।
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